भूविज्ञान (भूगर्भ शास्त्र ) या जियोलॉजी| भूविज्ञान (भूगर्भ शास्त्र ) या जियोलॉजी परिभाषा | Geology GK in Hindi
भूविज्ञान (भूगर्भ शास्त्र ) या जियोलॉजी
भूविज्ञान (भूगर्भ शास्त्र ) या जियोलॉजी अर्थ
- भूविज्ञान या जियोलॉजी (geology) शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों 'जीओ' (गेगिया अथवा जी, ग्रीक पौराणिक कथा की पैतृक पृथ्वी - देवी है) और लॉजी ('लागस', 'ज्ञान' को इंगित एक प्रत्यय) जिसका अर्थ क्रमशः पृथ्वी और विज्ञान है। अतः, जियोलॉजी का शाब्दिक अर्थ पृथ्वी का अध्ययन' अथवा 'पृथ्वी का विज्ञान है।
- पृथ्वी के भौतिक पदार्थों का अध्ययन प्राचीन ग्रीक के समय से हुआ जब थिओफ्रेस्टस ( 372-287 ई.पू.) ने पेरीलिथॉन (प्रस्तर पर) पुस्तक लिखी थी। यह माना जाता है कि जियोलॉजी शब्द प्रथम बार रिचर्ड डी बरी द्वारा 1473 में प्रयोग किया गया था और आधुनिक व्यवहार में यूलिसिस अल्ड्रोवैण्डस के द्वारा 1605 में लाया गया था। एक और दर्शन के अनुसार जीयोलॉजी (भूविज्ञान) शब्द का प्रथम बार प्रयोग 1778 में जीव ऐंड्रिया डी लुक (स्विस वैज्ञानिक) और उसी समय स्विस रसायन वैज्ञानिक, एस. बी. सौसर के कार्य में किया गया है।
- वैसे तो भूविज्ञान प्राचीनतम वेज्ञान है क्योंकि मनुष्य प्राचीन काल से ही पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करता आया है। आज, भूविज्ञान की पहचान पृथ्वी विज्ञान की एक शाखा के रूप में है जिसके अन्तर्गत पृथ्वी ग्रह के सभी पहलूओं का अध्ययन होता है।
- जो व्यक्ति भूविज्ञान के क्षेत्र में कार्य करते हैं, उन्हें भूवैज्ञानिक कहा जाता है। भूवैज्ञानिक मानव जाति के विनाशकारी और सम्भावित लाभकारी कार्यों का पृथ्वी के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभावों को समझने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं।
- भूविज्ञान एक समाकलनात्मक (integrative) विज्ञान है। पृथ्वी कैसे कार्य करती है, इसे समझने और चित्रित करने के लिए एक भूवैज्ञानिक अनिवार्य रूप से रसायन विज्ञान, जन्तुविज्ञान, भौतिकी और गणित के घटकों को एकीकृत करता है। भूविज्ञान रासायनिक, जैविक, भौतिक और गणितीय अवयवों के अतिरिक्त अभिकलनी (computational) विज्ञान को भी एकीकृत करता है। उदाहरण के तौर पर, शैल के एक टुकड़े का परीक्षण करते समय भूवैज्ञानिक उसमें जीवन के संकेतों की सम्भावना खोजते हैं। इसके खनिजों की पहचान तथा रासायनिक विश्लेषण करते हैं और इसके द्रव्य गुणों यथा भौतिक प्रकाशिक और अभियांत्रिकी का परीक्षण करते हैं।
- भूविज्ञान का विज्ञान की दूसरी मूल शाखाओं यथा खगोलिकी, भौतिकी, रसायन विज्ञान और जन्तु विज्ञान से सम्बन्धों को स्पष्ट करता है। अन्तराविषयक (Interdisiplinary) शाखाएं इतनी व्यापक और विविध हो गयी हैं कि उनको पूर्ण रूप से पृथक विषय के रूप में माना जाता है।
भूविज्ञान (भूगर्भ शास्त्र ) या जियोलॉजी परिभाषा
- भूविज्ञान एक मोहक विषय है जिसमे पृथ्वी की नब्ज का निरीक्षण किया जाता है। इसमें सम्पूर्ण पृथ्वी, इसकी उत्पत्ति, संरचना, संयोजन, इतिहास (जीवन सहित ) और प्रक्रमों की प्रकृति जिसके द्वारा इसका वर्तमान रूप प्राप्त हुआ है, का अध्ययन किया जाता है। पृथ्वी और इसके निवासियों के इतिहास और पृथ्वी के क्रमिक विकास के अध्ययन को भूविज्ञान के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। भूविज्ञान, पृथ्वी शैलों (जिससे यह बना हुआ है) और उनमें होने वाले परिवर्तन (जो हुआ है और हो रहा है) की जानकारी देता है।
Grotzinger और Jordan (2010) के अनुसार
- "भूविज्ञान पृथ्वी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पृथ्वी ग्रह के सभी पहलूओं जैसे इतिहास, संयोजन, आन्तरिक संरचना और इसके लक्षणों का अध्ययन किया जाता है।
भूविज्ञान दूसरे
विज्ञानों से कैसे भिन्न है ?
अब हम विचार करेंगें कि भूविज्ञान दूसरे विज्ञानों से कैसे
भिन्न है? अक्सर आपने देखा
होगा कि वैज्ञानिकों को सफेद प्रयोगशाला कोट पहनकर प्रयोग करते हुए दर्शाया जाता
है। लेकिन भूविज्ञान विषय अन्य विज्ञानों से निम्नलिखित पहलूओं में भिन्न है:
- भूविज्ञान एक बाहरी / क्षेत्र विज्ञान है जिसका अपना एक अलग दृष्टिकोण है।
- क्षेत्र इसकी प्राकृतिक प्रयोगशाला है जहाँ कोई प्रकृति का प्रत्यक्ष निरीक्षण कर सकता है।
- भूवैज्ञानिक "शैल पर लिखे हुए" को पढ़कर पृथ्वी की लम्बी कहानी को जानने समझने की कोशिश करता है।
- भूवैज्ञानिक को भूभाग की सुदूरता और कठिन प्राकृतिक परिस्थितियों को ध्यान दिए बिना एकान्त और सुदूर क्षेत्रों में कार्य करना पड़ सकता है। वे आंकड़े एकत्र करते हैं। क्षेत्र में एक गलत ज्ञान / दृष्टि में चूक या किसी महत्वपूर्ण प्रमाण का नज़रअंदाज होना, एक प्रचुर खनिज निक्षेप की खोज को व्यर्थ कर सकता है अथवा मानव द्वारा निर्मित सिविल संरचना जैसे बाँध को विफल कर सकता है।
- लगभग सभी बड़े आविष्कार अनियंत्रित और प्राकृतिक स्थलीय वातावरण में हुए हैं।
- भूवैज्ञानिक प्रक्रम वृहत् और लम्बे पैमाने पर कार्य करते हैं।
- भूविज्ञान मूलतः एक अवलोकनीय क्षेत्र विज्ञान है और भौमिकीय नक्शा इसका मुख्य औजार है। भूविज्ञान के अध्ययन के लिए क्षेत्र एक प्राकृतिक प्रयोगशाला है। अतः क्षेत्र के अवयव भूविज्ञान पाठ्यक्रम के समग्र अवयव है। तथापि बीते कुछ दशकों से कम्प्यूटर साफ्टवेयर (Computer Software) उपलब्ध हो गये है। जो प्रयोगशाला में क्षेत्र के आंकड़ों को प्रक्रिया में लाते हैं।
भूवैज्ञानिक
पृथ्वी का अध्ययन कैसे करते हैं?
- भूविज्ञान एक क्षेत्र विज्ञान है और हमारे चारों ओर क्षेत्र मौजूद है। भूवैज्ञानिक किसी परियोजना पर कार्य करने से पहले इसके उद्देश्य को अनिवार्य रूप से परिभाषित करता है। आप अवश्य सोच रहे होंगें कि भूवैज्ञानिक के लिए क्या उद्देश्य हो सकता है। पेट्रोलियम की खोज खनिज संसाधन अथवा भूकंप प्रवृत क्षेत्र की पहचान इत्यादि इनमें से कुछ भी हो सकते है।
आइए अब हम भूवैज्ञानिक अध्ययन में सम्मिलित चरणों पर विचार करते हैं:
प्रेक्षण करना (Making observations):
- अपनी पांचों इन्द्रियों का उपयोग करके आंकड़ों के संकलन को प्रेक्षण कहते है। प्रेक्षण के दौरान संकलित जानकारियों को आंकड़ा कहते हैं। उदाहरण के लिए सूर्य पूर्व में उगता है का प्रेक्षण पृथ्वी की कक्षा के बारे में आंकड़ा उपलब्ध कराता है।
मॉडल या परिकल्पना प्रस्तावित करना या उसमें सुधार करना (Building or modifiying hypothesis or model)
- एक भूवैज्ञानिक लम्बे समय से सावधानीपूर्वक किए गये प्रेक्षणों पर आधारित एक परिकल्पना का प्रस्ताव रखता है और इसका मूल्यांकन करने एवं परीक्षण करने के लिए समुदाय को पेश करता है। वह परिकल्पना जिसका अनुमोदन होता है, उसकी विश्वसनीयता बढ़ती है।
प्रामुक्ति (Prediction)
- इसके अन्तर्गत परिकल्पन (अथवा मॉडल) का प्रयोग करके दूसरी परिघटना (phenomenon) के अस्तित्व की भविष्यवाणी करता है अथवा नए प्रेक्षण के परिणाम की भविष्यवाणी करता है। यह निगमनात्मक तर्क (deductive reasoning) का प्रयोग करके किया जाता है।
प्रामुक्ति की जाँच के लिए प्रयोग / परीक्षण करना (Conducting TY experiments to test predictions)
- प्रागुक्ति की जाँच के अन्तर्गत आँकड़ों का संकलन प्रयोग की परिशुद्ध जाँच या परिकल्पना का सावधानीपूर्वक परीक्षण शामिल होता है।
निष्कर्ष निकालना (Drawing conclusions)
- भूवैज्ञानिक एकत्रित आँकड़ों का विश्लेषण कर निष्कर्ष निकालते हैं। कई बार दोहराए गये अवलोकन, निष्कर्ष की वैधता को सत्यापित करते हैं।
कई प्रचलित सिद्धान्तों में से सबसे मूलभूत सिद्धान्त
एकरूपतावाद (uniformatarianism)
का सिद्धान्त है।
जेम्स हटन ने 1735 में 'वर्तमान, भूतकाल की कुंजी
है' का सिद्धान्त
दिया। इसका अर्थ यह है कि पृथ्वी पर वर्तमान में कार्यरत प्रक्रम इसके रहस्य
सुलझाने के लिए सुराग प्रदान करते है। इसके बाद परिकल्पना (hypothesis) एक सिद्धांत (theory) अथवा वैज्ञानिक
नियम (scientific law) बन जाता है।
भूविज्ञान का पृथ्वी विज्ञान से सम्बन्ध
- हमने हमारी धरती माँ के अध्ययन में हमारी रूचि के बारे में चर्चा की है। यह अध्ययन पृथ्वी विज्ञान कहलाता है। पृथ्वी वैज्ञानिक पृथ्वी से संबंधित आंकड़ों का निरीक्षण, संग्रहण, और वर्गीकरण करते है। वे लगातार पृथ्वी के रहस्य को सुलझाने का प्रयास करते हैं। पृथ्वी विज्ञान में परम्परागत विषयों जैसे जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित, अभियांत्रिकी और अर्थशास्त्र का ज्ञान समाहित है। पृथ्वी विज्ञान में पृथ्वी ग्रह से संबन्धित विज्ञान के सभी पहलूओं जैसे वायुमण्डल, जलमण्डल और जैवमण्डल तथा साथ ही ठोस पृथ्वी की क्रमबद्ध अध्ययन शामिल होते हैं।
पृथ्वी विज्ञान के व्यापक क्षेत्र निम्न हैं:
- भूविज्ञान (Geology)
- जलविज्ञान (Hydrology)
- समुद्र विज्ञान (Oceanography)
- मौसम विज्ञान (Meteorology)
- खगोलिकी (Astronomy)
- उपर्युक्त में से अभी हमारी दिलचस्पी भूविज्ञान में है इसलिए इसी पर हम अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे।
- जलविज्ञान में पृथ्वी और दूसरे ग्रहों की सतह पर जल की गति, वितरण और गुण का अध्ययन होता है। समुद्र विज्ञान को समुद्री / सागरी विज्ञान भी कहा जाता है जो पृथ्वी विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत समुद्र के सभी पहलूओं का अध्ययन होता है। पृथ्वी के वायुगण्डल, गौराग और जलवायु गौराम विज्ञान विषय के अन्तर्गत आते हैं। खगोलिकी में पृथ्वी के सापेक्ष आकाश का अध्ययन होता है। खगोलिकी से मानव जाति प्राचीन समय से मोहित है। पृथ्वी विज्ञान की सर्वप्रथम पुस्तक अरस्तु द्वारा लिखित मीटरोलॉजिका गानी जाती है जो 330 ई. पू. प्रकाशित हुई थी।
- पृथ्वी विज्ञान के अन्तर्गत भूगोल भी आता है, जिसमें हम पृथ्वी के पृष्ठीय लक्षण और इस पर रहने वाले लोगों का अध्ययन उत्पत्ति का वर्णन किए बगैर करते हैं। पृथ्वी कैसे कार्य करती है को समझने के लिए आप को अनिवार्य रूप से इन सभी का अध्ययन करना होगा। पृथ्वी विज्ञान हमारे ग्रह का इतिहास, इसको संशोधित करने वाले प्रक्रमों और साथ ही इसके लक्षणों और भविष्य की परियोजनाओं को व्यक्त करता है। पृथ्वी विज्ञान का अध्ययन हमे हमारे चारों ओर चीजें क्यों और कैसे घटित होती हैं, का एक नया परिदृश्य देता है। यह स्थान और समय के संबंध में विश्व वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान खोजने का भी प्रयास करता है।
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