हिन्दी काव्य प्रश्न उत्तर | Hindi Literature Question Answer

हिन्दी काव्य प्रश्न उत्तर  (Hindi Literature Question Answer)

हिन्दी काव्य प्रश्न उत्तर | Hindi Literature Question Answer


हिन्दी काव्य प्रश्न उत्तर Hindi Literature Question Answer

प्रश्न 

प्रगतिवादी काव्य धारा में क्रांति की भावना को स्पष्ट कीजिए ? 

उत्तर - 

  • साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना के लिए पुरानी परम्पराओं का समूल नाश आवश्यक है। शोषक वर्ग का पूर्ण विनाश जब हो जाएगा तभी मजदूर किसान को समाज में उच्चता प्राप्त होगी। लेकिन शोषक वर्ग सरलता से मार्ग से हटने वाला नहीं है। अतः क्रांति के मार्ग पर चलकर प्रलयंकारी स्वर उत्पन्न करना आवश्यक है। प्रगतिवादी कवि शोषण रूपी फोड़े का इलाज मरहम से नहीं अपितु उसे जड़ से काट कर फेंक देना चाहता है। अमीरों और राजनीतिज्ञों के धोखे में कवि नहीं आना चाहता । अहिंसा की दुहाई देते हुए विनोबा भावे ने भूदान आंदोलनआरम्भ कियालेकिन नागार्जुन ने इसका विरोध किया।

 

प्रश्न 

 प्रगतिवादी काव्यधारा में नारी की स्थिति का वर्णन कीजिए ?

उत्तर 

  • प्रगतिवादी कवि के लिए नारी भी मजदूर एवं किसान के समान शोषित हैजोकि युग-युग से सामन्तवाद की कारा में पुरुष-दासता की लौहमयी श्रंखलाओं में बंद है। वह अपना स्वतंत्र अस्तित्व खो चुकी है। समाज में उसे यह स्थान प्राप्त नहीं है जो पुरुष को है। प्रगतिवादी कवियों ने नारी के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए सम्मान देने की मांग की है। प्रगतिवादी कवि ने रूपसी नारी का चित्रण न करके कषक बालाओं एवं मजदूर स्त्रियों का चित्रण किया है।

 

प्रश्न 

  • प्रगतिवादी काव्य में मार्क्स तथा रूस का गुणगान किया गया है युक्तियुक्त उत्तर दीजिए। 

उत्तर - 

  • प्रगतिवादी कवियों ने साम्यवाद के प्रवर्तक मार्क्स तथा रूस जहां उनकी विचार पल्लवित और पुष्पित हुईदोनों का उन्मुक्त गान किया। इस बात का विचार न करते हुए कि वहां की मान्यताएं भारत के लिए उपयोगी भी सिद्ध हो सकती है या नहीं। पंत तो कहीं-कहीं साम्यवादी दर्शन की व्याख्या मात्र जुटाने में लग जाते हैं। निःसंदेह उनकी ऐसी रचनाओं में भाषा की स्वच्छता हैपर वे किसी प्रकार भी रागात्मक साहित्य की कोटि में नहीं आएंगी।

 

प्रश्न  

मानवतावाद की दृष्टि से प्रगतिवादी काव्य का मूल्यांकन कीजिए? 

उत्तर - 

प्रगतिवादी कवियों के दो समुदाय हैं- 

1. अपनी मातभूमि के लिए लिखता है और अपने ही देश के भिखमंगोंकिसानमजदूरोंवेश्याओं ओर विधवाओं का उद्धार है। 

2. समस्त मानवता का उद्धार चाहने वाले। उसे संसार के सब पीड़ित लोगों से प्यार एवं सहानुभूति है। उसे संसार के किसी भी कोने में किए गए अत्याचार के प्रति रोष है। उसके लिए हिन्दू मुस्लिमहब्शी और यहूदी मानव के नाते सब बराबर हैं।

 

प्रश्न

प्रगतिवादी काव्य में वेदना और निराशा की भावना अभिव्यक्त हुई है। स्पष्ट कीजिए? 

उत्तर - 

  • इस काव्यधारा की वेदना वैयक्तिक और सामाजिक हैं। प्रगतिवादी कवि संघर्षों से जूझता हुआ निराला नहीं होता। उसे विश्वास है कि वह इस सामाजिक वेषम्य को दूर करने में सफल होगा और वह उस समता के स्वर्ण-विहान की आशा करता है उसकी ओजस्विनी वाणी शोषित वर्ग को स्फुर्ति प्रदान करके उसे अत्याचार के विपरीत मोर्चा लेने के लिए तैयार करती है। प्रगतिवादी इसी संसार को स्वर्ग बनाना चाहते हैं।

 

प्रश्न 

प्रगतिवादी काव्य में रूढ़ियों का विरोध हुआ है। विवेचन कीजिए? 

उत्तर - 

  • प्रतिवादी कवि ईश्वर को सष्टि का कर्ता न मानकर उसके महत्त्व को नकारता है। उसे ईश्वर की सत्ताआत्मापरलोकभाग्यवादधर्मस्वर्ग-नरक आदि पर विश्वास नहीं है। उसकी दृष्टि में मानव की महता सर्वोपरि है। उसके लिए धर्म एक अफीम का नशा है और प्रारब्ध एक सुंदर प्रवंचना उसके लिए वर्ण-व्यवस्था निराधार है। सभी समान हैं। बाह्याडम्बरों एवं अन्ध विश्वासों में वह विश्वास नहीं करताअपितु इनकी आलोचना करता है।

 

प्रश्न 

'प्रगतिवादी काव्य जहां एक ओर शोषितों के प्रति स्नेह रखता है वहीं दूसरी ओर शोषकों के प्रति घणा ।" इस कथन की समीक्षा कीजिए? 

उत्तर - 

  • प्रगतिवादी कवि का मानना है कि शोषित मानव जाति के लिए एक घोर अभिशाप है और इसका निवारण साम्यवादी व्यवस्था का लक्ष्य है। कवि शोषित की करूण दशा का चित्रण स्नेह वंश करता है। वह दीन-दलितों की दशा को देखकर आसूं बहाता है जबकि शोषकों की कटु आलोचना करते हुए आंखों से अंगार बरसाता है। कहता है- 
  • "हो यह समाज चिथड़े-चिथड़े शोषण पर जिसकी नींव गड़ी।"
  • कवि सामाजिक जीवन के वैषम्य को देखकर आक्रोशमयी प्रलयंकारी वाणी में वज्रनिर्घोष कर उठता है। 


प्रश्न 

प्रयोगवाद का आरम्भ कब और क्यों हुआ ? 

उत्तर- 

  • सन् 1943 में अज्ञेय जी तारसप्तक के सम्पादन के साथ ही प्रयोगवाद का जन्म हुआ है। कारण प्रथम तो छायावाद ने अपने शब्दाडम्बर में बहुत से शब्दों और बिम्बों के गतिशील तत्त्वों को नष्ट कर दिया। दूसरे प्रगतिवाद ने सामाजिकता के नाम पर विभिन्न भावस्तरों एवं शब्द संस्कारों को अभिधात्मक बना दिया था। ऐसी स्थिति में भाषा और शैली में सामर्थ्य नहीं रहा। परिणामस्वरूप उन कवियों को जो इनसे पथक थेसर्वथा नया स्तर और नए माध्यमों का प्रयोग करना पड़ा। ऐसा इसलिए भी करना पड़ा कि भाव स्तर की नई अनुभूतियां विषय और संदर्भ में इन दोनों से सर्वथा भिन्न थीं।

 

प्रश्न  

प्रयोगवाद के मूल तत्त्व क्या है ? 

उत्तर 

1. नवीनता नवीन विषयों का वर्णन नई शैली में करना 

2. मुक्त यथार्थवाद यथार्थ का ज्यों का त्यों चित्रण करना साहित्य में जो प्रसंग ( अश्लीलतानग्नता) अब तक स्थान नहीं कर सके थेउनका चित्रण इन कवियों ने किया है। 

3. बौद्धिकता नया कवि बौद्धिकता का अधिक वर्णन करता हैभावात्मकता का नहीं 

4. क्षणिकता प्रयोगवाद में एक क्षण का महत्त्व प्रतिपादित किया गया है। क्षणिक आनन्द सम्पूर्ण जीवन में सुख ही सुख भर देता है।


प्रश्न  

प्रगतिवादी काव्यधारा में अहंनिष्ठ व्यक्तिवाद आत्मा तक छाया हुआ है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

  • प्रगतिवादी कवि की अन्तरात्मा में अहंनिष्ठ व्यक्तिवाद इस रूप से बद्धमूल है कि वह सामाजिक जीवन के साथ किसी प्रकार से गठबंधन नहीं कर पाता। वैयक्तिकता की अभिव्यक्ति आधुनिक काव्य की मुख्य विशेषता है। भारतेन्दुद्विवेदी और छायावादी युग में इसकी प्रधानता रही पर प्रयोगवादी कवि की वैयक्तिकता तो मात्र आत्मविज्ञान बनकर ही रह गई। इनका लक्ष्य है- "कवि न होऊँ नहि चतुर कहाऊँ ।” 

 

प्रश्न  

प्रयोगवादी कविता में नारी का क्या रूप चित्रित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 

  • प्रयोगवादी कविता में नारी के तीन रूपों का चित्रण हुआ है- 1. आधुनिक नारी जो बौद्धिक है 2. भारतीय गहणी जो हिन्दू संस्कृति में अपनी दढ़ आस्था रखती है 3. मध्यवर्गीय परिवारों की नारियां जो जीवन को एक भार समझ कर ढो रही हैं। अज्ञेय जी ने पुरूष एवं स्त्री का सम्बन्ध पति पत्नी स्वीकार न करके चिरन्तन पुरुष और चिरन्तन स्त्री का सम्बन्ध स्वीकार किया है। पुरुष से संबंध स्थापित करती है अपनी तनमनधन की लालसा को पूर्ण करने के लिए वह धोखा देती है और धोखा खाती भी है।

 

प्रश्न  

प्रयोगवादी कविता और रीतिकालीन कविता में क्या समानता है? 

उत्तर - 

  • यद्यपि प्रयोगवादी कवि स्वयं को आधुनिक मानता है परन्तु उसकी कविता में सदियों पुरानी रीतिकाव्य की पद्धति का अनुकरण स्पष्ट दिखाई देता है। जिस प्रकार उन्होंने (रीतिकाल के कवियों) जीवन के व्यापक मूल्यों में से केवल रसिकता और कामुकता का मुख्य रूप से चित्रण कियाउसी प्रकार नए कवि ने भी कुण्ठाओं और दमित वासनाओं का अधिक चित्रण किया है। उसकी अभिव्यक्तिअर्थशून्य हैरीतिकाव्य की चमत्कार कविता नई कविता में भी देखी जा सकती है। उनका कलापक्ष मनोहारी थालेकिन उनका तो यह पक्ष भी शिवाय नए प्रयोगों के कुछ नहीं है।

 

प्रश्न  

प्रयोगवादी काव्य में नग्नता एवं अश्लीलता दिखाई पड़ती है। 

उत्तर - 

  • प्रयोगवादी काव्य में उन वस्तुओं का चित्रण बड़े गौरव के साथ किया है जिनका श्रेष्ठ साहित्कार बहिष्कार करता है। इस कवि का लक्ष्य दमित वासनाओं एवं कुण्ठाओं का चित्रण मात्र रह गया है। काम वासना जीवन का अंग अवश्य हैकिन्तु जब वह अंश न रहकर अंगी और साधन न रहकर साध्य बन जाती है तब उसकी विकति एक घोर भयावह विकति के रूप में होती है यदि यूं कहा जाए कि प्रयोगवादी काव्य में सैक्स का खुला चित्रण है तो कोई अत्युक्ति न होगी।

 

प्रश्न 

नई कविता निराशावादी भावनाओं से सम्पक्त है। समीक्षा कीजिए। 

उत्तर - 

  • नई कविता का कवि अतीत की प्रेरणा और भविष्य की उल्लासमयी उज्ज्वल आकांक्षा दोनों विहीन हैउसकी दृष्टि केवल वर्तमान पर टिकी है। यह निराशा के कुहासे से सर्वतः आवत है। उसका दष्टिकोण दश्यमान जगत के प्रति क्षणवादी तथा निराशावादी है। उनके लिए कल निरर्थक हैउसे उसके दोनों रूपों पर भरोसा और विश्वास नहीं है। डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त के शब्दों में उनकी (नई कविता के कवियों की स्थिति उस व्यक्ति की भांति है जिसे यह विश्वास हो कि अगले क्षण प्रलय होने वाल है। अतः वे वर्तमान में ही सब पा लेना चाहते हैं।"

 

प्रश्न

नई कविता (प्रयोगवाद) में बौद्धिकता की प्रधानता है। क्या यह ठीक है। युक्ति युक्त उत्तर दीजिए। 

उत्तर- 

  • नई कविता में अनुभूति एवं रागात्मकता की कमी है। इसमें बौद्धिक व्यायाम की उछूल-कूद आवश्यकता से भी अधिक है। नया पाठक इससे प्रभावित हुए बिना इसकी पहेली बुझौवल के चक्रव्यूह में फंस जाता है। धर्मवीर भारती ने इस बौद्धिकता के विषय में कहा है-"प्रयोगवादी कविता में भावना हैकिन्तु हर भावना के सामने एक प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। इसी प्रश्न चिह्न को आप बौद्धिकता कह सकते हैं। सांस्कृतिक ढांचा चरमरा उठा है और यह प्रश्नचिह्न उसी की छविमात्र है।"

 

प्रश्न  

प्रयोगवादी कविता में उपमानों की नवीनता है। निरूपण कीजिए। 

उत्तर - 

  • प्रयोगवादी कवि ने उपमानों के इतने अधिक नए प्रयोग किए हैंजिससे लगता है कि कवि बाजीगर बन गया है। इन नए उपमानों के प्रयोग में सुरूचि का भी ध्यान आवश्यक है। अलंकारों का धर्म काव्य सौंदर्य में अभिवद्धि करना हैकिन्तु उजले वस्त्रों का कफन की उपमा देनाबादल को हड्डी कहना तथा टूटे सपने को भुंजा हुआ पापड़ कहने से सौंदर्य सष्टि न होकर पाठक के मन में विक्षोभ की सष्टि होती है। हां कहीं-कहीं अच्छे उपमान भी दिखाई दिखाई पड़ते हैं।

 

प्रश्न 

"प्रयोगवादी काव्य में धन्द के बंधन को स्वीकारा नहीं गया।" क्या यह कथन ठीक है। विवेचन कीजिए।

 

उत्तर - 

  • प्रयोगवादी कलाकार अन्य क्षेत्रों के समान छन्द के बंधन को स्वीकार न सका और उसने मुक्तक परम्परा में विश्वास किया कुछ नए गीतों की रचना की कुछ नए प्रयोग किए। कुछ ऐसी कविताओं की रचना की जिसमें न लय है न गति अपितु गद्य की सी नीरसता एवं शुष्कता है। एक प्रसिद्ध आलोचक ने कहा है-" यही कारण है कि प्रयोगवादी कवियों ने मुक्तक छन्द अपने आप में हलचल सी एक बबण्डर- सा रखते हुए प्रभाव शून्य प्रतीत होते हैं उनकी करूणा और उच्छ्वास भी पाठक के हृदय को द्रवित नहीं कर पाते। हाँ तो होता क्या है एक विस्मयकारिणी सष्टि"

 

प्रश्न

अज्ञेय का परिचय दीजिए। 

उत्तर - 

  • अज्ञेय नई कविता के प्रवर्तक एवं समर्थ कवि हैं। इनके उपन्यासकारकविकहानीकारपत्रकार यात्रावतान्त लेखक आदि अनेक रूप हैं। अज्ञेय जी नई कविता के सर्वश्रेष्ठ कवि है। मग्नदूतचिंताहरी घास पर क्षणभर बाबराअहेरी, 'इन्द्रधनुष रौदें हुएआंगन के पार द्वार आदि उनके महत्त्वपूर्ण काव्य संग्रह है। आस्थाविश्वास का स्वर व्यष्टि व समष्टि की भावना व्यंग्य आदि उनक काव्य की अनेक विशेषताएं है। उनकी कविता में बौद्धिकता की प्रधानता है। उन्होंने अपनी कविता में नए उपमानोंबिम्ब प्रतीकों एवं शब्दों को विकसित किया है। इस दृष्टि से अज्ञेय नई कविता के प्रमुख स्तम्भ है।

 

प्रश्न  

गिरिजा कुमार माथुर का परिचय दीजिए। 

उत्तर - 

  • प्रयोगवादी कवियों में गिरिजाकुमार माथुर का नाम भी प्रसिद्ध है इनकी कविता का प्रमुख विषय प्रेम और विरह है। उनकी कविता में श्रंगारिकता की प्रधानता है। कहीं-कहीं संघर्ष और क्रांति की भावना भी झलकती है। शिल्प के क्षेत्र में संगीत्मिकता एक प्रमुख विशेषता है। उनकी कविता में सहज संगीतलय और प्रवाह है। माथुर जी न अपनी कविता में नए शब्दोंबिम्बों एवं प्रतीकों का भी प्रयोग किया है। मंजीरधूप के धान नाश और निर्माणपथ्वी कल्प आदि उनकी प्रमुख काव्य रचनाएं हैं।

 

प्रश्न  

धर्मवीर भारती का परिचय दीजिए। 

उत्तर 

  • धर्मवीर भारती एक सफल प्रयोगवादी कवि एवं पत्रकार हैं। उनकी रचनाओं में वासनाओं एवं काम कुण्ठाओं दुःख व निराशा का सुन्दर चित्रण हुआ है। उनकी काव्य रचनाओं में अंधायुग', 'ठण्डा-लोहा, 'सात-गीत वर्ष', 'कनुप्रियाआदि प्रमुख है। अंधायुग में उन्होंने सांस्कृतिक क्रांति उत्पन्न करने का प्रयास किया है। निराला के प्रति थके हुए कलकार से फूल मोमबतियां और टूटते सपने आदि उनकी बड़ी सुन्दर कविताएं हैं। बिम्ब ओर प्रतीक योजनानाटकीयता की दृष्टि से उनकी कविता सरल हैं उनकी भाषा सहजसरल और स्पष्ट है।


 प्रश्न

नई कविता में क्षण का महत्व स्वीकार किया गया है। समीक्षा कीजिए।

उत्तर 

  • यह कविता जीवन के एक क्षण को सत्य मानती है और सत्य को पूरी शक्ति के साथ भोगने का आग्रह करती है। क्षणबोध शाश्वत जीवन-बोध का विरोधी नहीं बल्कि उसे प्राप्त करने की यथार्थ प्रक्रिया है। क्षण में दिखाई पड़ने वाले किसी जीवन के सौंन्दर्यमय भाव में अनुभूत होने वाली जीवन्त व्यथाजीवन का उल्लास क्षण में दीख पड़ने वाली मनः स्थिति या बाहरी व्यापार का कोई हिस्सा छोटा नहीं होता। उसका जीवन और साहित्य में एक अपना मूल्य है वह क्षण की मार्मिक सत्यानुभूति जीवन को एक नवीन सार्थकता प्रदान करती है।

 

प्रश्न  

व्यंग्यात्मकता की दृष्टि से नई कविता का मूल्यांकन कीजिए । 

उत्तर- 

  • नई कविता में कवियों ने आज के युग में व्याप्त विषमता का व्यंग्यात्मक चित्रण किया है। व्यंग्यातमक शैली में जीवन और सभ्यता के चित्रण में कवि को अद्भुत सफलता भी मिली है। श्रीकान्त वर्मा ने नगरहीन मनशीर्षक कविता में आज के नागरकि जीवन की स्वार्थपरता छलकपट पूर्ण जिंदगी को स्वर दिया है। अज्ञेय की कविता सांपमें भी नागरिक सभ्यता पर करारा व्यंग्य किया है -"सांप तुम सम्य तो हुए नहींन होगे ।"

 

प्रश्न 

समकालीन कविता की अवधारणा स्पष्ट कीजिए? 

उत्तर - 

  • जब कभी आधुनिक शब्द को लेकर विद्वान चर्चा करते हैं तो वे आधुनिकता और समकालीनता में भेद करने का प्रयास करते हैं। यह भी कहते हैं- आधुनिक काल निरपेक्ष मूल्य है जबकि समकालीनता काल- सापेक्ष अनुभव है। डॉ. हरदयाल के शब्दों में "कोई व्यक्ति अपने समय को यदि अनुभव के स्तर पर ग्रहण कर लेता है तो वह समकालीनता के बोध से युक्त है।" फिर भी प्रश्न उठता है कि इसका अर्थ क्या हैइसका शाब्दिक अर्थ है-अपने समय से जुड़ने का भाव. 

 

प्रश्न  

समकालीन कविता में सांस्कृतिक विपन्नता के दर्शन होते हैं। स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर 

  • सांस्कृतिक विपन्नता के दर्शन होने का कारण है कि हमारी संस्कृति के अधिकांश मूल्य खो रहे हैं नया बनता समाज उन्हें छोड़ रहा है। या यूं भी कह सकते है कि आधुनिक पीढ़ी उन्हें अपनाना ही नहीं चाहती। आठवें दशक तक आते-आते संस्कृति के प्रति ये आक्रमण और आक्रोश और भी तीव्र हो गए। समकालीन कविता में संस्कृति के प्रति ये बेगानापन हमें बार-बार दिखाई पड़ता है। मानों ये कवि कहना चाहते हों कि हमारे समूचे इतिहास एवं संस्कृति की पुनः जांच होनी चाहिए।

 

प्रश्न 

समकालीन कविता विद्रोह और तनाव की कविता है क्यो ? 

उत्तर - 

  • समकालीन कविता के लिए राजनीति एक सजीव सच्चाई है। पंचवर्षीय योजनाओं में अरबों रुपए लगाने के उपरांत भी गरीबीबेकारीमंहगाई भुखमरीअकाल आदि की स्थिति बनी रही है। हमारी गह नीति और विदेश नीति असफल रही । इस प्रकार के वातावरण का साहित्य पर प्रभाव पड पाना स्वाभाविक ही था। इस कविता में सामाजिक रूढ़ियों के प्रति आक्रोश की भावना विद्यमान है। लीला जूगड़ी चंद्रकांत देवताले आदि अत्यधिक आक्रोश के कवि है।

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