Hindi Literature Questions and Answers |हिंदी साहित्य के प्रश्न उत्तर
Hindi Literature Questions and Answers
Hindi Literature Questions and Answers
प्रश्न
भाषा की दृष्टि से द्विवेदी युग का मूल्यांकन कीजिए ?
उत्तर -
भाषा की दृष्टि से द्विवेदी युग सुधारवादी युग माना जाता है। अब ब्रज भाषा का स्थान खड़ी बोली ने ले लिया है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भाषा सुधार का कार्य किया तथा खड़ी बोली को स्वतंत्र व्याकरण सम्मत और परिमार्जित किया। उधर गुप्त ने खड़ी बोली की खड़खड़ाहट को दूर करके इसे साहित्यिक भाषा बनाया। इस युग में निश्चय ही खड़ी बोली अपना सुंदर रूप सुधार कर सुंदर भाषा बन गई।
प्रश्न
महावीर प्रसाद द्विवेदी का परिचय दीजिए।
उत्तर
द्विवेदी जी सबसे प्रभावशाली साहित्यकार थे। वे संस्कत, हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगला आदि भाषाओं के अच्छे ज्ञाता थे। 'सरस्वती' के सम्पादक के रूप में इन्होंने भाषा और साहित्य के परिष्कार और उन्नति के लिए अथक परिश्रम किया। इनके ग्रन्थों की संस्था अस्सी बताई जाती है। इनकी प्रमुख काव्य कतियों में 'काव्य मंजूषा', 'सुमन, 'गंगा लहरी', 'ऋतु तंरगिणी' आदि हैं। इनके काव्य में इतिवतात्मकता की प्रधानता है।
प्रश्न
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए ।
उत्तर -
- हरिऔध जी समय के प्रख्यात कवि थे। इन्होंने उर्दू, फारसी और संस्कत का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने काव्यों की रचना की जिनमें प्रियप्रवास', 'पद्य-प्रसून', 'चुभते चौपदे', चौखे-चौपदे', 'रस- कलश', 'वदैही वनवास आदि प्रसिद्ध हैं। हरिऔध जी सुधारवादी आंदोलन से प्रभावित थे। इनमें भक्ति संगारिकता की प्रवतियां विद्यमान थीं। राष्ट्रीयता की प्रवति उनके काव्य में मिलती है।
प्रश्न
श्रीधर पाठक का परिचय दीजिए।
उत्तर -
- श्रीधर पाठक का नाम द्विवेदी युगीन कवियों में महत्त्वपूर्ण है। इन्होंने खड़ी बोली पद्य के लिए बाल एवं स्वर के नए ढांचे निकाले। उन्होंने लावणी शैली के आधार पर एकान्तवासी योगी तथा संतों की सधुक्कड़ी पद्धति पर 'जगत् सच्चाई सार' की रचना की। उनकी कविताओं में प्रकति प्रेम का आधिक्य मिलता है। प्रकति-वर्णन सम्बन्धी कतिपय पंक्तियां द्रष्टव्य हैं -
विजन वन प्रान्त थ प्रकति मुख शान्त था।
अटन का समय था रजनी का उदय था।
प्रश्न
- जगन्नाथ 'रत्नाकार का परिचय दीजिए।
उत्तर
- ये हरियाणा के सफीदों नगर के निवासी थे। ये उर्दू, फारसी, संस्कत, बंगला आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। इनके काव्य में भक्ति नीति भंगार एवं वीरता की प्रवतियां मिलती हैं। इनकी काव्य भाषा ब्रजभाषा है। अंगार-लहरी, हरिश्चन्द्र, हिंडोला, गंगावतरण, उद्धव-शतक आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं।
प्रश्न
रामचरित उपाध्याय का परिचय दीजिए।
उत्तर -
- ये संस्कृत के अच्छे पण्डित थे ओर पुराने ढंग की कविता किया करते थे। बाद में द्विवेदी जी के प्रोत्साहन से भी खड़ी बोली में कविता करने लगे। राष्ट्रभारती', 'देवदूत', 'देवी- द्रोपदी', 'भारत-भक्ति आदि अनेक कविताएं उन्होंने खड़ी बोली में लिखी रामचरित चिन्तामणि' इनका प्रबन्ध-काव्य है। सामाजिक बुराइयों को दूर करने में इनकी कविता नितांत सक्षम एवं प्रभावी रही है।
प्रश्न
रामनरेश त्रिपाठी 'निराला' का परिचय दीजिए ।
उत्तर -
- इनकी कविता लिखने में बचपन से ही रूचि थी 'मिलन', पथिक', 'स्वप्न' आदि अनेक प्रसिद्ध काव्य खण्ड हैं जिनमें राष्ट्र के प्रति प्रेम और समाज सेवा की प्रेरणा दी गई है। उन्होंने अनेक सुधारवादी कविताएं लिखी हैं। उनकी कविता में विश्व बन्धुत्व की भावना मिलती है। यथा-
रक्तपात करना पशुता है, कामरता है मन की।
प्रश्न
मैथिलीशरण गुप्त का परिचय दीजिए ।
उत्तर -
- मैथिलीशरण गुप्त सच्चे अर्थों में राष्ट्र प्रेमी, भारतीय संस्कृति के निष्ठावान् व्याख्याता तथा उदारशयी मानवतावादी कवि थे। वे राष्ट्र-कवि थे। उन्होंने अपने युग की सामाजिक एवं आर्थिक दुर्दशा के अपने काव्य का विषय बनाया। अनमेल विवाह, दुर्भिक्ष, दहेज प्रथा, व्यभिचार आदि के निरूपण के माध्यम से उन्होंने देशवासियों को जगाने का प्रयास किया साकेत, जयप्रथवध यशोधरा भारत भारती आदि इनकी रचनाएं हैं।
प्रश्न
छायावाद की परिभाषा एवं स्वरूप का विवेचन कीजिए।
उत्तर
- दो महायुद्धों के बीच की स्वच्छन्दवादी कविता को छायावादी कविता की संज्ञा दी जाती है। यद्यपि छायावाद हिन्दी साहित्य की मौलिक और स्वतंत्र काव्य धारा है परन्तु फिर भी कुछ आलोचक इसे अंग्रेजी की रोमान्टिक धारा या बंगला की नकल मानते हैं। छायावाद नाम प्रतीकात्मक है। मुकुटधर पाण्डेय ने सर्वप्रथम व्यंग्यात्मक रूप में कहा था- "यह कविता न होकर उसकी छाया है।" जो कि बाद में कविता के लिए रूढ हो गया। डॉ. नगेन्द्र छायावाद को "स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह मानते हैं।"
प्रश्न
छायावादी काव्य में वैयक्तिकता की प्रधानता है। स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर -
- वैयक्तिकता से अभिप्राय व्यक्तिवादिता से है। छायावादी कवियों ने काव्य में अपने व्यक्तित्व का प्रदर्शन किया है। इस काव्य में जाति, महाजाति अथवा आदर्श व्यक्तियों के सुख-दुःख की नहीं अपितु साधारण व्यक्ति के सुख-दुःख की बात है। कवि विषय वस्तु की खोज बाहर से नहीं, अपितु अपने भीतर से करता है और इसीलिए इसके काव्य में कहीं कहीं अहं भावना की अति है। इसका अह भाव असामाजिक नहीं है। इसमें सर्व मिला हुआ है।
प्रश्न
"छायावाद का सबसे उज्ज्वल पक्ष उसका मानवतावाद है।" इस कथन की समीक्षा दीजिए।
उत्तर -
- छायावाद का युग विश्वयुद्ध और मानवतावाद की भावना का युग था। अनेक देशी-विदेशी महापुरुष मानव मात्र की समानता का प्रचार कर रहे थे। प्रसाद की कामायनी और निराला का तुलसीदास इस भावना का सशक्त प्रचारक बनकर काव्य क्षेत्र में अवतरित हुए थे । मानव-प्रेम, करूण, असाम्प्रदायिकता, उदारता, विश्व बन्धुत्व, राष्ट्रीय जागरण आदि भावनाओं के साथ भावुकता, कल्पना तथा प्रकृति में चेतना के दर्शन करने की प्रवति ने हमारे ज्ञान के संबंध में वृद्धि की थी। मानव प्रेम का वर्णन पंत ने यूं किया है "सुन्दर है विहग सुमन सुंदर मानव तुम सबसे सुंदरतम।"
प्रश्न
छायावाद में प्रकृति के सुंदर चित्र अंकित हुए हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
- छायावादी कवियों का मन प्रकृति में खूब रमा है। इस काल के काव्य में प्रकृति पर चेतनता का आरोप किया है। इसके लिए कवियों ने मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया है। सभी प्रमुख छायावादियों ने प्रकृति का चित्रण नारी रूप में किया है। प्रकृति के आलम्बन, उद्दीपन, मानवीकरण, दूती, रहस्यवादी सभी रूपों का चित्रण यहां हुआ है। इस चित्रण में श्लीलता और सात्विकता विद्यमान है।
प्रश्न
छायावादी काव्य की नारी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
- छायावादी कवियों ने नारी के प्रति सहज सहानुभूति रखी है। इनके नारी के प्रति प्रेम और सौन्दर्य चित्रण में सूक्ष्मता और अश्लीलता नहीं है। इनके नारी चित्रण में दुराव-छिपाव नहीं है। उसमें कवि की वैयक्तिता है। उनकी कविताओं में नारी के सौंदर्य चित्रण में स्थूलता या नग्नता नहीं, बल्कि स्वाभाविकता है कवियों ने नारी के दया, ममता, वासना, सहानुभूति आदि भावों का भी चित्रण किया है। प्रसाद कहते हैं- "नारी । तमु केवल श्रद्धा हो।"
प्रश्न
छायावादी युगीन कवियों में स्वतन्त्रता के प्रति प्रेम की भावना दिखाई पड़ती है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर -
- छायावादी कवियों के काव्य में राष्ट्रीय जागरण और स्वतंत्रता का आह्वान भी सर्वत्र है। पाश्चात्य रोमान्टिक धारा के कवियों ने भी रहस्यवाद और स्वच्छन्ता की भावनाओं का सम्मिश्रण किया था। इस राष्ट्रीय जागरण की गोद में बढ़ने वाले कवियों के काव्य में राष्ट्र प्रेम की भावनाओं का छाया जाना स्वाभाविक है। जयशंकर प्रसाद के काव्य तो अलग, सभी नाटक भी राष्ट्र प्रेम की भावना और गीतों से ओत-प्रोत हैं।
प्रश्न
छायावादी काव्य में वेदना और करूणा की भावना सर्वत्र अभिव्यक्ति हुई है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर -
- इस काव्य में युगानुरूप वेदना की विवति हुई है। छायावाद के कर्णधारों का काव्य वेदना सेवावाद, मानवतावाद और अध्यात्मवाद पर आधारित है। कुछ आलोचकों ने इस निराशावाद को तत्कालीन राष्ट्रीय आंदोलन में असफलता के कारण माना है। डॉ. शिवदान सिंह चौहान लिखते हैं- "इसलिए यद्यपि उनकी वाणी में मनुष्य की महिमा का उद्घोष है तो कहीं कहीं घोर नैराश्य से भरा और आत्मपीड़क चीत्कार भी है।"
प्रश्न
छायावादी कविता में रहस्य भावना दिखाई पड़ती है। समीक्षा कीजिए।
उत्तर -
- छायावादी कवियों का वर्णन विषय आध्यात्मिकता से अछूता नहीं है। छायावाद में पदार्थों की अपेक्षा आंतरिकता की प्रवति अधिक है। यही प्रवति मनुष्य को रहस्यवाद की ओर अग्रसर करती है। रहस्यवादी कवि लौकिकता से अलौकिक और स्थूल से सूक्ष्मता की ओर अग्रसर होता है। डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त के शब्दों में वीणा में दंत रहस्यवादी थे, गुंजन में पत्नी या प्रेयसीवादी और युगान्त के बाद स्थूल भौतिकवादी और यही बात निराला में मिलती है।
प्रश्न
छायावादी काव्य आदर्शवादिता की भावना से परिपूर्ण है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- छायावाद में आंतरिकता की प्रवति की प्रधानता है। उसमें पदार्थों के बाह्य रूप चित्रण की प्रवति नहीं है। अपनी इस अन्तर्मुखी प्रवति के कारण उसका दृष्टिकोण काव्य के भाव जगत् और शैली में आदर्शवादी रहा है। उसे सांसारिक पदार्थों के बाह्य चित्रण की अपेक्षा अपनी सहानुभूतियां अधिक यथार्थ और महत्त्वपूर्ण लगी हैं। यही कारण है कि उसका काव्य संबंधी दष्टिकोण कलात्मक रहा और उसमें सुंदर तत्त्वों की प्रधानता बनी रही।
प्रश्न
"छायावादी कवि केवल साहित्यिक ही नहीं थे वरन् संगीत का भी कुशल ज्ञाता है।" इस कथन के आधार पर छायावाद की गेयता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
- छायावाद का काव्य छंद और संगीत दोनों दष्टियों से उच्चकोटि का है। इसमें प्राचीन और नवीन दोनों छन्दों का प्रयोग है। छायावादी कवि प्रणय, यौवन और सौंदर्य का कवि है। संक्षिप्तता तीव्रता, आत्माभिव्यंजना, भाषा की मसणता आदि सभी गुण इनके काव्य में हैं। रामनाथ सुमन के शब्दों में – "इस कवि में जो मस्ती है, भावना, अनुभूति की मदुता है और मानव जीवन के उत्कर्ष का जो गौरव है उसे देखते हुए उसकी प्रतिभा गीति काव्य की रचना के अत्यन्त उपयुक्त थी।"
प्रश्न
जयशंकर प्रसाद का परिचय दीजिए।
उत्तर -
- जयशंकर प्रसाद ने छायावादी काव्य का श्री गणेश किया प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न हैं। उन्होंने काव्य, नाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध आदि क्षेत्रों में साहित्य का सजन किया। वे प्रेम और सौन्दर्य के कवि हैं। प्रकति चित्रण उनके काव्य की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। नारी की महता, प्रेम निरूपण, कल्पना की प्रधानता, लाक्षणिकता, संगीतात्मकता आदि प्रसाद जी के काव्य की महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं। इनकी काव्य-कत्तियों में कामायनी, आंसू झरना, लहर कानन कुसुम, करूणालय, प्रेम-पथिक रचनाएं महत्त्वपूर्ण हैं।
प्रश्न
सुमित्रानन्दन पंत का परिचय दीजिए।
उत्तर -
- पंत जी सुकुमार भावनाओं के कवि हैं। उन्होंने प्रकृति के अनेक सुन्दर चित्र प्रस्तुत किए हैं। बिम्ब-योजना, अलंकार योजना, गीतिकार सौन्दर्य - भावना, कल्पना की अतिशयता आदि अनेक काव्य की महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं।
प्रश्न
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का परिचय दीजिए।
उत्तर -
- निराला जी छायावादी के उद्भव कवि हैं। 'जूली की कली से उनका साहित्यिक जीवन प्रारम्भ होता है। उनके काव्य में भारतीय संस्कृति के अतीत गौरव के प्रति श्रद्धा सांस्कृतिक जागरण, राष्ट्रीय चेतना, प्रगतिवादी विचारधारा, नारी- सौन्दर्य प्रकति सौन्दर्य, आदि का सुन्दर वर्णन हुआ है। सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' ने अनेक काव्य ग्रन्थों की रचना की है। जिनमें 'परिमल', 'अनामिका', 'तुलसीदास', 'कुकुरमुत्ता', 'अनिमा', 'बेला', 'नये पत्ते', 'अर्चना', और आराधना' आदि प्रमुख हैं। परिमल' और 'अनामिका' में छायावाद की सभी प्रवत्तियां देखी जा सकती है। 'कुकुरमुत्ता' में कवि ने पूंजीपतियों पर तीखा प्रहार किया है। राम की भक्ति-पूजा उनकी प्रौढ़तम कति है। छायावादी काव्य को निराला जी की मुख्य देन है-मुक्त छन्द।
प्रश्न
महादेवी वर्मा का परिचय दीजिए।
उत्तर -
- महादेवी वर्मा का कवयित्री एवं गद्य लेखिका के रूप में हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान है। 'नीहार' रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशीखा आदि उनके प्रसिद्ध काव्य ग्रन्थ है। रश्मि और दीपशीखा उनके मौलिक गीतों का संकलन है। भावमयता, प्रकति-चित्रण, वैयक्तिक अनुभूतियों की प्रधानता भंगार एवं व्यंग्य भावना, कल्पना की उड़ान, मानवीकरण, लाक्षणिक प्रयोग, प्रतीकात्मकता आदि अनेक विशेषताएँ उनके काव्य में झलकती हैं। महादेवी जी करूणा और वेदना की कवियत्री हैं। उनके काव्य में करूणा एवं वेदना की तीव्र अनुभूति झलकती है।
प्रश्न
रामधारी सिंह दिनकर का परिचय दीजिए।
उत्तर
- दिनकर जी की कविता पर राष्ट्रीयता की छाप सबसे अधिक झलकती है। रेणुका, रसवन्ती, द्वन्द्वगीत, हुंकार, धूप-छांव सामधेनी कुरुक्षेत्र रश्मिरथी आदि उनके महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। उनकी रेणुका' में रोमांस और आक्रोश है। हुंकार में कवि का दष्टिकोण राष्ट्रवादी है। सामधेनी' में परिवेश के प्रति विक्षोभ एवं राष्ट्र प्रेम की भावना व्यक्त हुई है। दिनकर जी की काव्य-दष्टि प्रगतिशील मानवीय एवं सांस्कृतिक है।
प्रश्न
प्रगतिवाद का स्वरूप एवं परिचय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
- जो विचारधारा राजनीतिक क्षोत्र में साम्यवाद, सामाजिक क्षेत्र में समाजवाद, दर्शन के क्षेत्र में द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद है, वही साहित्यिक क्षेत्र में प्रगतिवाद है। इस प्रगतिवाद का मूल आधार कार्लमार्क्स की विचार धारा है। अनेक विद्वान प्रगतिवाद और प्रगतिशील को एक दूसरे का पर्याय मानते हैं, यह भ्रामक है। इन दोनों में सूक्ष्म अंतर है- "प्रगतिवाद शब्द मार्क्स की साम्यवादी विचारधारा से सर्वथा सम्बद्ध है जबकि प्रगतिशील शब्द उससे सर्वथा स्वतन्त्र ।"
प्रश्न
कला के प्रति प्रगतिवादी लेखकों का क्या दष्टिकोण है ?
उत्तर -
- कला के प्रति प्रगतिवादी लेखक का दष्टिकोण पूर्णतः समाजवादी है। कला ऐसी है जो सब की समझ में आस के और सबका शुभ प्रेरणा प्रदान कर सके। प्रगतिवादी चित्रण में भौतिक जीवन का चित्रण रहता है। प्रगतिवादी सर्वसाधारण की भाषा के लिए कलागत कला विलास रूप रंग और रोमांस का मोह त्याग कर खरी और तीखी शैली अपनाता है। कला और शैली के इस रूप में बाहरी चमक दमक और आकर्षण नहीं होता पर फिर भी इसमें प्रभाव डालने की अद्भुत शक्ति होती है।
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