Origin of atmosphere, hydrosphere and biosphere In Hindi
पृथ्वी की उत्पत्ति गैसों के बादल और अंतरिक्ष धूल से हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि प्राग्ग्रहीय (protoplanetary) बादल गर्म थे जबकि अन्य का मानना है कि ये शीतल थे। यद्यपि, हमारे पास बहुत स्पष्ट तस्वीर नहीं है कि पृथ्वी के चारों ओर जल और गैसीय पदार्थ किस प्रकार संचित हुये, यह काफी हद तक माना जाता है कि पृथ्वी के वायुमंडल और जलमंडल का गठन पृथ्वी के निर्माण के पश्चात् हुये ज्वालामुखीय विस्फोटों से हुआ है।
वायुमंडल की उत्पत्ति Vayumandal Orign in Hindi
पृथ्वी की उत्पत्ति, अवशिष्ट वायुमंडल की परिकल्पना (residential atmosphere hypothesis) और संचित वायुमंडल की परिकल्पना (accumulated atmosphere hypothesis) के आधार पर, पृथ्वी के वायुमंडल और जलमंडल की उत्पत्ति की व्याख्या करने के लिए परिकल्पनाओं के दो समूह प्रस्तावित किए गए हैं। अवशिष्ट वातावरण परिकल्पना के समर्थकों का मानना है कि वायुमंडल और जलमंडल प्रारम्भिक वातावरण की अवशिष्ट सामग्री हैं जो धरती पर छा गए हैं। हालांकि, ये परिकल्पनाएं निष्क्रिय गैसों की बहुत छोटी मात्रा की उपस्थिति को स्पष्ट करने में विफल रही हैं।
संचित वायुमंडल परिकल्पना के समर्थकों का मानना है कि वायुमंडल और जलमंडल पृथ्वी की आंतरिक संरचना से गैसीय निष्कासन और ठोस ग्रहाणु संचित होने के दौरान रासायनिक अभिक्रियाओं के माध्यम से जमा होते हैं। सूर्य के विकिरण ने पृथ्वी की सतह से गैसों को हटा दिया था, इसलिए प्रारंभिक पृथ्वी का कोई वातावरण नहीं था। पृथ्वी का वायुमंडल इसके प्रारंभिक काल में बना था। जब यह गर्म और ज्यादातर पिघली अवस्था में था तो लौह और निकेल (nickel) जैसे भारी तत्व केंद्र की ओर चले गए, सिलिकॉन और एल्यूमीनियम जैसे हल्के तत्व ऊपर की सतह की ओर बढ़ गए और हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, मीथेन, जल वाष्प आदि जैसे अत्यंत हल्के तत्व अपनी सतह से और अधिक ऊपर की ओर स्थानांतरित हो गए।
जल वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और अमोनिया पिघले हुए पदार्थों और ज्वालामुखी विस्फोटों द्वारा मुक्त हुये और प्रारंभिक वायुमंडल का गठन किया। पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र अपने वायुमंडल को थामे रहने में सक्षम था। हीलियम और हाइड्रोजन, सर्वाधिक हल्के गैसीय तत्व पृथ्वी से पलायन कर अंतरिक्ष में व्याप्त हो गए थे। ऑक्सीजन, अमोनिया और मीथेन के साथ संयुक्त होकर पानी नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य यौगिकों के निर्माण में संलग्न थे। ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं के जुड़ने से ओजोन अणुओं का निर्माण होता है, इसलिए ओजोन परत भी उसी समय ही निर्मित हुई थी।
प्राचीन चट्टानों और लोहे (Fe) के ऑक्सीकरण स्थिति की जांच कर, वैज्ञानिकों ने जानकारी एकत्रित की है कि समय के साथ वायुमंडल कैसे विकसित हुआ है। कुछ खनिजों जो केवल गैर-ऑक्सीकरण वातावरण और चट्टानें जो गहरे जल के वातावरण में निर्मित हो सकती हैं, की उपस्थिति वायुमंडल के विकास के विभिन्न चरणों को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि समय के साथ पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन का प्रतिशत बढ़ गया। यह 2.5 अरब साल पहले की अवधि में लगभग 0.1% था और उसके बाद ऑक्सीजन के प्रतिशत की वृद्धि वर्तमान स्तर तक पहुँच गयी।
जलमंडल की उत्पत्ति Jalmandal Origin in Hindi
वातावरण के निर्माण के बाद, ठंडी होती पृथ्वी की झुर्रीदार परतें ठोस होती गईं। सूर्य की पराबैंगनी (UV) किरणों ने पानी को अपने घटकों यानि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित कर दिया। पृथ्वी ज्यों-ज्यों और ठंडी होती गई, जल वाष्प तरल जल के रूप में घनीभूत होता गया और वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरा जिसने पृथ्वी पर स्थित विशाल विवर (crater) भरे। इस प्रकार पृथ्वी पर जल पिंडों का निर्माण हुआ।
जैवमंडल की उत्पत्ति
जीवन की उत्पत्ति विज्ञान के सर्वाधिक कठिन प्रश्नों में से एक है। वायुमंडल और जलमंडल के गठन के पश्चात् स्थितियों का अनुकूलन होने पर जैवमंडल की उत्पत्ति हुई। हमने पूर्व में चर्चा की है कि वायुमंडल की संरचना वर्तमान से काफी अलग थी जब पिघली हुई पृथ्वी की सतह शीतल हो रही थी, तब ज्वालामुखियों से CO, अमोनिया और मीथेन जैसी गैसों का बड़े पैमाने पर उत्सर्जन हो रहा था गैसों के संघनित होने से जल का निर्माण हुआ जिनसे उथले समुद्रों की उत्पत्ति । उस समय कोई ऑक्सीजन नहीं थी।
लगभग 3.8 अरब साल पहले के चट्टानी संरचनाओं में बैक्टीरिया जैसे स्ट्रोमेटोलाईट (stromatolites) की उपस्थिति से जीवन के प्रारंभिक रूप के प्रमाण प्राप्त होते हैं। जिससे पता चलता है कि प्रारंभिक जीवन तापीय निकासों (thermal vents) के निकट स्थित उथले समुद्र में मौजूद में था जो यह दर्शाता है कि उन्हें ऊष्मा और खनिजों के स्रोत की आवश्यकता रही होगी।
यद्यपि यह ज्ञात है कि कैम्ब्रियनपूर्व महाकाल (Precambrian eon) के 3.8 अरब वर्ष प्राचीन शैलों में जीवन के प्रमाण थे, जो न तो प्राणी थे और न ही पादप अतः ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन लगभग 3.8 अरब साल पहले आर्कियन युग के प्रारम्भ में उत्पन्न हुआ था।
लगभग 27 अरब वर्ष पूर्व की चट्टानों में बहुकोशिकीय जीव पाए गए हैं। यद्यपि, यह स्पष्ट नहीं है कि जीवन का जन्म कैसे हुआ कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि जीवन बाह्य अंतरिक्ष के ऊष्ण वातावरण में उत्पन्न हुआ है और फिर उल्कापिंडों के माध्यम से पृथ्वी पर उतरा। कुछ का मानना है कि जीवन रासायनिक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला है, जिसमें अकार्बनिक यौगिकों का धीरे-धीरे कार्बनिक यौगिकों के रूप में परिवर्तन हुआ और फिर कार्बनिक यौगिकों का ऑक्सीजन संचय के साथ प्रारंभिक कोशिकाओं (जीवन) के रूप में ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि आम गैसों जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर और फास्फोरस ने प्रारम्भिक वायुमंडल में संयुक्त हो सबसे पहले सरल अकार्बनिक यौगिकों मीथेन, अमोनिया, जल वाष्प और हाइड्रोजन साइनाइड की रचना की। फिर इन अकार्बनिक यौगिकों ने आगे परस्पर संयोजित और संयुक्त हो सरल कार्बनिक यौगिकों जैसे शर्करा, अमीनो एसिड, प्युरिन्स और पाइरीमिडीन की रचना की। और आखिरी चरण में सरल कार्बनिक यौगिक महासागरीय जल की उपस्थिति में स्टार्च, प्रोटीन, लिपिड और न्यूक्लिक एसिड जैसे जटिल कार्बनिक यौगिकों में बदल गए। यह सुझाव दिया गया है कि इन जटिल कार्बनिक यौगिकों ने जीवित जीवों के कुछ गुणों का अधिग्रहण किया और पोषक तत्वों को अवशोषित करने, बढ़ने और पुनः उत्पन्न करने में सक्षम हो गये जैसे कि रिबोन्यूक्लिक एसिड (ribonucleic acid RNA) और डीऑक्सीरिबोन्यूक्लिक एसिड (deoxyribonucleic acid DNA)। भूवैज्ञानिक काल के साथ जीवन धीरे-धीरे और लगातार सरल एककोशिकीय रूपों से जटिल बहुकोशिकीय रूपों जैसा कि आज अस्तित्व में है, में रूपांतरित हुआ।
ऑक्सीजन का संकेन्द्रण करीब 2.1 अरब साल पूर्व काफी बढ़ गया, जिससे ओजोन परत का निर्माण हुआ। जैसा कि हम जानते हैं ओजोन परत हानिकारक पराबैंगनी किरणों को निस्पंदन (filter) करती है। यह निस्पंदन उथले समुद्र में नए जीवों के विकास का कारण बन सकता है। कैम्ब्रियन पूर्व जीवाश्म काफी छोटे होते हैं और इन्हें आंखों से नहीं पहचाना जा सकता है, जबकि बाद में पाए जाने वाले दृश्यजीवी महाकाल (phanenogoic eon) जीवाश्मों के कवच, हड्डियां या काष्ठ हैं जो आसानी से पहचाने जाने योग्य हैं। कैम्ब्रियन शैलों से प्रथम जीवाश्म ट्राइलोबाइट्स (trilobites) पाये गए हैं। पुराजीवी (Palaeozic) शैलों से ठोस कवच वाले जीवाश्म और आधुनिक पादपों की बहुतायत दर्ज की गई है। हालांकि, मध्यजीवी (Mesozoic) शैलों में बड़े सरीसृप (reptiles) पाये गए हैं। फिर स्तनधारियों का युग आया जब जीवन विभिन्न रूपों और समूहों जैसे समुद्री, स्थलीय और उड़ने वाले जीवों के रूप में विस्तृत हुआ। पक्षियों और फूलों के पौधे का विकास सीनोजोइक महाकल्प (Cenozoic era) में देखा गया।
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