मृदा प्रदूषण का अर्थ कारण प्रभाव |भूमि प्रदूषण के कारण एवं प्रभाव| Soil Pollution Reason and Impact in Hindi
मृदा प्रदूषण का अर्थ कारण प्रभाव
मृदा प्रदूषण: क्या है वर्णन कीजिये ?
- भूमि समाज के लिए प्रकृति का अनुपम निःशुल्क उपहार है। इसमें सृजन एवं पोषण का सामर्थ्य है इस कारण यह समस्त जीवधारियों के अस्तित्व का आधार है। इसी आधारिक उपादेयता के कारण समाज में भूमि को माता सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इससे ही अनाज वनोपज, औषधि, विविध खनिज, जल आदि उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं। अतएव इसे रत्न प्रसवा' कहा जाता है। पृथ्वी के धरातल के एक-चौथाई भाग पर भूमि है, किंतु उसमें मानव उपयोगी भूमि केवल 4448 लाख वर्ग किलोमीटर है। जनसंख्या वृद्धि से भूमि उपयोग में विविधता एवं सघनता आई है। फलस्वरूप भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में कोई भी अवांछित परिवर्तन, जिसका कुप्रभाव मानव तथा अन्य जीवों पर पड़े या जिससे भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट होती है।
- भारत भूमि की शस्य संपदा को अत्यंत संपन्न है। यहां का भौगोलिक क्षेत्र विश्व के समस्त भौगोलिक क्षेत्र का केवल 2.47 प्रतिशत भाग है, जबकि विश्व की समस्त जैविक विविधता का 8 प्रतिशत भाग यहां है। विश्व के जैवविविधता संपन्न कुल 12 प्रमुख क्षेत्रों में से दो उत्तर-पूर्व और पश्चिमी घाट भारत में हैं। भारत भूमि की प्रचुर एवं विविध संपदा इस आकार की विश्व की कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं के लिए दुर्लभ है। परंतु आज इस अस्तित्व का आधार ही क्षतिग्रस्त करने वाले विविध कारकों में एक प्रमुख कारक भूमिरक्षण है। इसके लिए तत्काल प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता है।
मृदा प्रदूषण का अर्थ आशयः
- मनुष्य की विविध गतिविधियों अथवा भूमि के दुरुपयोग द्वारा मिट्टी के भौतिक, रासायनिक व जैविक स्थितियों में बदलाव, जिसके कारण मिट्टी की गुणवत्ता व उर्वरता में क्षरण हो जाए. भू-प्रदूषण अथवा मृदा प्रदूषण कहलाता है।
- मृदा प्रदूषण, जल व वायु प्रदूषण के इस रूप से भिन्न है कि इसमें पाए जाने वाले प्रदूषक लंबे समय तक विद्यमान रहते हैं। बढ़ते शहरीकरण के कारण भवनों के निर्माण में वृद्धि हुई है और इस कारण कूड़े-कचरे के निस्तारण के लिए उपलब्ध भूमि में कमी हुई है।
मृदा प्रदूषण के कारण:
- कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग ।
- औद्योगिक इकाइयों, खानों तथा खादानों द्वारा निकले ठोस कचरे का विसर्जन भवनों, सड़कों आदि के निर्माण में ठोस कचरे का विसर्जन ।
- कागज तथा चीनी मिलों से निकलने वाले पदार्थों का निपटान, जो मिट्टी द्वारा अवशोषित नहीं हो पाते।
- प्लास्टिक की थैलियों का अधिक उपयोग, जो जमीन में दबकर नहीं गलती ।
- घरों, होटलों और औद्योगिक इकाइयों द्वारा निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों का निपटान, जिसमें प्लास्टिक, कपड़े, लकड़ी, धातु कांच, सेरामिक, सीमेंट आदि सम्मिलित हैं।
उपरोक्त कारणों के साथ-साथ वर्तमान में पॉलीथीन अपशिष्ट मृदा प्रदूषण का प्रमुख स्रोत बन गए हैं। इससे सर्वाधिक मृदा प्रदूषण होता है, क्योंकि यह ऐसा तत्व है, जिसका विघटन सैकड़ों वर्षों तक नहीं होता और यह जमीन में अपने मूल स्वरूप में ही बना रहता है। इससे रिसने वाली रसायन मिट्टी तथा जल को प्रदूषित करते हैं।
मृदा प्रदूषण के प्रभावः
भूमि के विभिन्न स्रोतों से प्रदूषण के कारण मानव एवं जैव समुदाय पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। मृदा प्रदूषण के कारण निम्नांकित प्रभाव देखे जा सकते हैं -
- शहरी अपशिष्ट से मृदा की गुणवत्ता समाप्त होती है।
- उद्योगों के अपशिष्टों के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है।
- प्लास्टिक जैसे अपशिष्ट जो भूमि में समाप्त नहीं होते हैं, भूमि के उपजाऊपन को समाप्त करते हैं।
- रासायनिक उर्वरक आवयक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, लेकिन इनके अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी के भौतिक व रासायनिक गुणों में भारी परिवर्तन आ जाता है। इसके परिणामस्वरूप मृदा के स्वाभाविक गुण जिनसे उर्वरता बनी रहती है, नष्ट होते जा रहे हैं।
- मृदा प्रदूषण के व्यापक प्रभाव के कारण ही भूमि में कैल्शियम, मैग्नीशियम सल्फर, लोहा, तांबा, जिंब, बोरान, मालीब्डेनम, मैगनीज, नाइट्रोजन पोटैशियम व फास्फोरस जैसे आवश्यक तत्वों की मात्रा में गंभीर कमी होती जा रही है।
- नहरों के कारण भूमिगत जल लवणयुक्त हो जाता है और उसमें क्षार तत्वों की प्रधानता बढ़ जाती है। अर्थात् सेम की समस्या उत्पन्न हो जाती है, सेम की समस्या के कारण नहरों और बांधों के आसपास की भूमि अनुपजाऊ हो जाती है।
- वर्षा के द्वारा प्रदूषित वायु में उपस्थित SO,, सल्फ्यूरिक अम्ल में परिवर्तित होकर भूमि में चली जाती है। यह अम्ल पौधों की विभिन्न जैविक क्रियाओं को प्रभावित करता है।
- सभी विषैले पदार्थ मृदा प्रदूषण द्वारा खाद्य श्रृंखला के अंग बन गए हैं। इनसे युक्त भोजन मनुष्य और जानवरों में विभिन्न रोग उत्पन्न होते हैं। इसी कारण अमेरिका, स्वीडन, कनाडा, हंबरी व डेनमार्क में डी०डी०टी० के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मृदा अथवा भूमि प्रदूषण से अभिप्राय जमीन पर जहरीले अवांछित और अनुपयोगी पदार्थों के भूमि में विसर्जित करने से है, क्योंकि इससे भूमि का निम्नीकरण होता है तथा मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। लोगों की भूमि के प्रति बढ़ती लापरवाही के कारण भूमि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।
Post a Comment