ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं ? |ध्वनि प्रदूषण के स्रोत |ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय| Sound Pollution in Hindi
ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं ? ध्वनि प्रदूषण के स्रोत, ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं ?
- शोर एक अवांछित ध्वनि है। सीमा से अधिक ध्वनि कानों को अच्छी नहीं लगती तथा कुप्रभाव मानव के स्वास्थ्य पर पड़ता है, इसे ध्वनि प्रदूषण' कहते हैं। कोई भी ध्वनि जब मंद होती है तो मधुर लगती है और जब तीव्र होती है तो शोर। ऐसी प्रत्येक ध्वनि जब मानसिक क्रियाओं में विघ्न उत्पन्न करने लगे तो शोर मानी जाती है।
- सामान्यतः 90 डेसीबल से अधिक ध्वनि प्रदूषित ध्वनि है। बढ़ते कल कारखानों के विकास, यातायात के अनियमित साधनों, मनुष्यों की बढ़ती आपाधापी से ध्वनि प्रदूषण को जन्म दिया है, जिससे मानसिक क्रियाओं में विघ्न उत्पन्न होने लगा है।
ध्वनि प्रदूषण के स्रोतः
ध्वनि प्रदूषण निम्न स्रोतों से उत्पन्न होता है
1. प्राकृतिक स्रोतः
- प्राकृतिक स्रोत द्वारा उत्पन्न शोर घातक नहीं होता क्योंकि इसकी प्रकृति अस्थाई एवं प्रभाव क्षेत्र व्यापक होता है। बिजली की कड़क, बादलों की घड़-घडाहटा तीव्र हवाऐं, आंधी तूफान आदि इसमें सम्मिलित हैं।
2. मानवीय स्रोतः
- मानवीय स्रोत के अंतर्गत उद्योग, वायुयान, मोटर वाहन, रेलगाड़ी, लाऊड स्पीकर, रेडियो, टेलिविजन, चुनाव प्रचार, धार्मिक प्रचार, संगीत के रंगारंग कार्यक्रमों से उत्पन्न ध्वनि सम्मिलित है। विश्व के विकसित राष्ट्रों की भांति भारत में भी महानगरों में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण परिवहन मार्गों पर वाहनों का दबाव बढ़ा है तथा कारखानों का केंद्रीकरण हो रहा है।
ध्वनि प्रदूषण का प्रभावः
1. सामान्य से अधिक ध्वनि वार्तालाप में बाधा उत्पन्न करती है।
2. ध्वनि प्रदूषण व्यक्ति की कार्यक्षमता और एकाग्रता को प्रभावित करता है।
3. ध्वनि प्रदूषण के कारण चिड़चिड़ापन, थकान, सिरदर्द जैसी समस्याऐं उत्पन्न होती हैं।
4. अस्पताल और शैक्षणिक संस्थाओं के समीप ध्वनि प्रदूषण होने के कारण मरीजों और छात्रों को परेशानी होती है।
5. उद्योगों में जहाँ मशीनें अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण करती हैं वहां श्रमिकों के बहरे होने की संभावना होती है।
6. ध्वनि प्रदूषण से हृदय गति बढ़ने, रक्त वाहिनियों का संकुचन, रक्तचाप में परिवर्तन और मांसपेशियों में तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
नगरीय क्षेत्र में 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। 10 लाख व उसकी अधिक जनसंख्या वाले महानगरों में ध्वनि का स्तर 70-90 डेसीबल के मध्य मिलता है। कोयंबटूर, त्रिवेंद्रम, कानपुर, लखनऊ महानगरों में ध्वनि प्रदूषण निरंतर बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण मनुष्यों में उच्च रक्तचाप की बीमारियाँ पाई जाती है। औद्योगिक श्रमिक शोर जन्य बहरे के शिकार हो गए हैं।
ध्वनि स्तर एवं दैनिक प्रभाव
मानव जीवन पर शोर का प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए जन-चेतना जागृत करने के साथ-साथ निम्न सुझावों को अपनाया जाना चाहिए-
1. उद्योगों में मशीनों का उचित रख-रखाव किया जाना चाहिए।
2. वाहनों के इंजनों को सही स्थिति में रखकर ध्वनि प्रदूषण कम किया जाना चाहिए।
3. आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि की सीमा निर्धारित करके उसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
4. राजस्थान ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1963 जैसे अधिनियम बनाकर उनका प्रभावी क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।
5. ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण फैलाने वाले प्रसार यंत्रों (लाउड स्पीकर) आदि का सीमित और कम आवाज रखकर प्रयोग में किया जाना चाहिए। इसके लिए आमजन में चेतना उत्पन्न की जानी चाहिए।
6. तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
7. तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले उपकरणों के स्थान पर कम ध्वनि वाले उपकरणों को प्रयोग में लाना चाहिए।
8. अस्पताल और शिक्षण संस्थाओं के आसपास ध्वनि की सीमा निर्धारित करके हॉर्न और लाउड स्पीकर आदि पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
9. अत्यधिक ध्वनि वाले उद्योगों में श्रमिकों को कर्णप्लग उपलब्ध किए जाने चाहिए।
10 यातायात के नियमों का सुचारु रूप से पालन किया जाना चाहिए।
वैध स्थिति
- 1970 के दशक तक सरकारों ने शोर को पर्यावरणीय समस्या की तुलना में एक उपद्रव के रूप में ही देखा था। अमेरिका में राजमार्ग और वैमानिक शोर-शराबे के लिए संघीय मानक बनाए गए हैं। यहाँ प्रांतों और स्थानीय सरकारों के पास विशेष अधिकार हैं जो भवन निर्माण संहिता, शहरी नियोजन तथा सड़क विकास से संबंधित है। कनाडा और यूरोपीय संघ कुछ ऐसे राष्ट्रीय, प्रांतीय या राज्य के कानून हैं जो ध्वनि के खिलाफ हमारी रक्षा करते हैं।
- शोर कानून और नियम, नगरपालिका के बीच व्यापक भिन्नता पाई जाती है जो वास्तव में कुछ शहरों में बिल्कुल देखी नहीं जाती है। एक अध्यादेश में उपद्रव वाले किसी भी शोर-शराबे के लिए सामान्य निषेध हो सकता है अथवा दिन के समय कुछ विशेष गतिविधियों के लिए शोर-शराबे के स्तर हेतु विशेष दिशानिर्देश निर्धारित कर सकता है।
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