पृथ्वी की आकृति एवं संरचना |पृथ्वी की सतह के उच्चावच लक्षण |Structure of the Earth in Hindi
पृथ्वी की आकृति एवं संरचना, पृथ्वी की सतह के उच्चावच लक्षण
विषय सूची : -
- पृथ्वी की सतह के उच्चावच लक्षणों की सूची बनाएँ।
- पृथ्वी की तीन परतों के नाम बताएं।
- स्थलमंडल को परिभाषित करें।
- प्रावार क्या है ?
पृथ्वी की आकृति एवं संरचना (Structure of the Earth Hindi)
पृथ्वी जिस पर हम रहते हैं, सभ्यता के प्रारंभ से ही मानव जाति इसके रहस्यों को जानने का इच्छुक रहा है। पौधे, जीव, बर्फ से ढकी चोटियों, नीले आकाश और सफेद बादल से सजी यह पृथ्वी एक खूबसूरत ग्रह हैं। मनुष्यों ने बड़े पैमाने पर इसका अन्वेषण किया है। फिर भी, पृथ्वी से संबंधित हमारी जानकारी पतली चट्टानी परतों और पानी की सतह से कुछ किलोमीटर नीचे और ऊपर में वायुमंडल तक ही सीमित रही है। हालांकि अप्रत्यक्ष
पृथ्वी के भौतिक पहलु Earth Physical GK in Hindi
पृथ्वी लगभग एक गोलाकार ग्रह है। यह ध्रुवों पर थोड़ी चपटी है तथा दैनिक घूर्णन के कारण भूमध्य रेखा पर थोड़ी उभरी हुआ है। पृथ्वी 360° घूमती है और सूर्य की परिक्रमा लगभग 365 दिन में करती है। पृथ्वी की सतह की समतल वक्रता पहाड़ों एवं घाटियों से भंग होती है। इस स्थलाकृतिक भिन्नता का मापन समुद्र तल (mean sea level) से किया जाता है। पृथ्वी का आकार, क्षेत्रफल, आयतन, घनत्व, द्वव्यमान और उच्चावच संबंधी प्राचलों निम्नानुसार है -
पृथ्वी - भूपटल उच्चावच लक्षण
पृथ्वी की पर्पटी के भौतिक लक्षणों या उच्चावच लक्षणों को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है:
महाद्वीप
- यह पृथ्वी की सतह का लगभग 29.2% भाग है। पृथ्वी की सतह पर भूमि का 75% भाग भूमध्यरेखा उत्तर में अवस्थित है। महाद्वीप मैदान, पठार, पर्वत श्रृंखला आदि से बने हुए हैं।
महासागर
- यह पृथ्वी के सतह का 70.8% भाग है। प्रशांत महासागर, जिसकी औसत गहराई 4267 मीटर है, सबसे बड़ा महासागर है जो पृथ्वी के लगभग आधे भाग में अवस्थित है। महासागरीय खड्ड समुद्री टीले खाईयां, इत्यादि महासागरों के विभिन्न भागों में मिलते हैं।
मध्य महासागरीय कटक (Mid Oceanic Ridge) :
- ये समुद्र के अंदर उभरी हुए पहाड़ी की तरह होते है जैसे मध्य अटलांटिक कटक यह अटलांटिक महासागर के पूर्वी एवं पश्चिमी छोरों के मध्य स्थित है और इसकी चौड़ाई लगभग 1610 कि.मी. है और समुद्र अधस्तल से लगभग 4.2 कि.मी. उँचा है। द्वीप महासागरीय कटकों के समुद्र तल के ऊपर एक उठे हुए भाग है।
- पृथ्वी के सतह पर विभिन्न उचाईयों के बहुत सारे लक्षण है जो पृथ्वी के अंदर और उसकी सतह पर कार्यरत विभिन्न आतंरिक एवं ब्राह्म प्रक्रियाओं का परिणाम है। जब पृथ्वी की सतह अपेक्षाकृत सपाट हो तो हम उसे अल्प उच्चावच (low relief) कहते हैं और जब सतह सपाट नहीं हो और उस पर अधिक या कम ऊंचाई वाली हो तो उसे अति उच्चावच (high relief) कहते हैं। अतः जब हम उच्चावच (relief) की बात करते हैं तो यह दो बिन्दुओं के बीच की उंचाई में अंतर है।
पृथ्वी की सतह के उच्चावच लक्ष्ण
पृथ्वी की सतह के उच्चावच लक्ष्णों को उनके विस्तार आकार एवं रचना के आधार पर पांच क्रमों में बाँट सकते हैं।
1) पहले क्रम के उच्चावच लक्षण
- सबसे बृहत तौर पर पहचाने जाने वाले लक्षणों (जैसे महाद्वीपीय प्लेटें और महासागरीय द्रोणियों) को प्रथम क्रम के उच्चावच लक्षण कहते हैं। ये लक्षण विवर्तनिकी प्लेटें होती है जिनका विस्तार बहुत अधिक होता है। ये प्लेट महाद्वीपीय प्लेट, महासागरीय प्लेट या उन दोनो के मिश्रण होते है जिनकी विशेषता उनके शैलों एवं खनिज संयोजन है। महाद्वीपीय प्लेट घनत्व में हल्की तथा महासागरीय प्लेट भारी होती है। महाद्वीपीय प्लेटफार्म और महासागरीय द्रोणी के सीमा पर महाद्वीपीय शेल्फ होता है।
2) दूसरे क्रम के उच्चावच लक्षण
- दूसरे क्रम के उच्चावच लक्षणों के उदाहरण में पर्वत श्रृंखलाएँ (जैसे हिमालय किलिमंजारो पर्वत आदि) और घाटियां (जैसे अफ्रीका की ग्रेट रिफ्ट घाटी आदि) हैं जो महाद्वीपीय प्लेटफार्म या महासागर में बनते है। इनका निर्माण महाद्वीपीय प्लेटफार्म एवं महासागरीय द्रोणी संचलन के परिणामस्वरूप होता है।
3) तीसरे क्रम के उच्चावच लक्षण
- दूसरे क्रम के उच्चावच लक्षणों की तुलना में तीसरे क्रम के उच्चावच लक्षण कम विस्तार एवं छोटे आकार के होते हैं। ये सतह के अपरदन एवं निक्षेपण की वजह से बनते है न कि विवर्तनिकी प्लेटों के संचलन के कारण। हालांकि, इस तीसरे क्रम के उच्चावच लक्षणों के आकार की कोई ऊपरी एवं निचली सीमा नहीं होती है पर हम दूसरे एवं तीसरे क्रम के उच्चावच लक्षणों में अंतर कर सकते है। अगर हम उच्चावच के लक्षणों को पूर्ण तौर पर देख सकते है तो ये तीसरे क्रम के ही उच्चावच के लक्षण हैं। असतत् पर्वत श्रृंखला, पहाड़ियों का समूह एवं बड़ी नदी घाटी तीसरे क्रम के उच्चावच के उदाहरण है।
4) चौथे क्रम के उच्चावच लक्षण
- ये तीसरे क्रम के उच्चावच लक्षणों के मूर्त रूप से विवरण है। तीसरे स्तर के उच्चावच लक्षणों के अंदर एकाकी भूआकृतियां जैसे पर्वत या पहाड़ी चौथे स्तर के उच्चावच लक्षण हैं।
5) पाँचवें क्रम के उच्चावच लक्षण
- ये चौथे क्रम के उच्चावच लक्षणों के एकाकी : लक्षण जैसे भृगु, जलप्रपात बालूरोधिका आदि पांचवे क्रम के उच्चावच लक्षण है।
पृथ्वी की संरचना (Structure of the earth in Hindi)
- अब हम पृथ्वी की संरचना को संक्षेप में समझेंगें। पृथ्वी कई परतों में विभाजित है, जिनमें से तीन मुख्य परत पर्पटी, प्रावार एवं क्रोड है । पृथ्वी की सतह पर सबसे बाहरी ठोस परत है जो पर्पटी (crust) कहलाती है। इसकी मोटाई महासागरों में लगभग 10 कि.मी. और महाद्वीपों में लगभग 40 कि.मी. है। यदि आप पृथ्वी की कल्पना एक सेब से करेंगें तो पर्पटी की मोटाई सेब के छिलके के बराबर होगी।
- पर्पटी पृथ्वी के स्थलमंडल (lithosphere) की सबसे बाहरी परत है। स्थलमंडल पर जो गाँठे (lumps) है उसे हम पर्वत के रूप में देखते हैं और जो झुर्रियाँ (wrinkles) है वे सागर में खाईयों के रूप में हैं। पर्पटी के नीचे पृथ्वी के अधिकांश आतंरिक भाग गर्म और आंशिक रूप से पिघला हुआ है।
- पृथ्वी का सबसे भीतरी भाग क्रोड (core) है। क्रोड और पर्पटी के बीच का भाग प्रावार (mantle) नाम से जाना जाता है। यह लगभग 2900 कि.मी. मोटा है और पृथ्वी के कुल आयतन का लगभग 80% भाग है। क्रोड, प्रावार से गुटेनबर्ग असांतल्य द्वारा पृथक है। स्थलमंडल और प्रावार को विभाजित करने वाली काल्पनिक रेखा मोहो या मोहरोविसिक असांतत्य कहलाती हैं।
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