ताप किसे कहते हैं|ताप मापन |तापमापियों के प्रकार|Temperature Physics in Hindi
ताप किसे कहते हैं,ताप मापन ,तापमापियों के प्रकार
ताप किसे कहते हैं ताप (What is Temperature in Hindi)
- ताप वह भौतिक राशि (Physical Quantity) है जिससे यह पता चलता है कि कोई वस्तु कितनी गर्म (Hot) या ठण्डी (Cold) है। अर्थात् ताप वस्तु की ऊष्णता (Hotness) व शीतलता (Coldness) की माप (measurement) है । ताप किसी वस्तु की ऊष्मीय अवस्था (Thermal State) का सूचक (Indicator) है।
- एक वस्तु से दूसरी वस्तु में ऊष्मा का प्रवाह (Flow of Heat) तापान्तर (Difference of Temperature) के कारण ही होता है, जो उच्च ताप (High Temperature) से निम्न ताप (Low Temperature) की तरफ होता है। उच्च ताप से निम्न ताप की तरफ ऊष्मा के प्रवाह से दोनों वस्तुओं का ताप बराबर हो जाता है। इस अवस्था को ऊष्मीय संतुलन (Thermal Equilibrium) भी कहते हैं ।
ताप मापन कैसे किया जाता है
- ताप को तापमापी (धर्मामीटर) से भाषा जाता है। तापमापी के विविध प्रकार हैं किन्तु सामान्य प्रचलन में कांच की नली में भरे पारे के बने तापमापी में पारे के प्रसार संकुचन से ताप का मापन किया जाता है।
- तापमापी के पैमाने का निर्धारण उसका शून्यांक शुद्ध बर्फ के गलनांक को शून्य मानकर तथा पारे के 760 मि.मी. के मानक वायुमंडलीय दाय पर उबलते जल से निकलती भाप के ताप को 100 का अंशांकार मानकर करते हैं।
- शून्य व 100 बराबर अंशों मेंकर प्रत्येक अंश को एक अंश (डिग्री) ताप लेते हैं। इस प्रकार प्राप्त पैमाना सेल्यिस पैमाना कहलाता है तथा इस पर ताप को अंश सेल्सियस (डिग्री C) से व्यक्त करते हैं।
- फारेनहाइट पैमाने में 0°C को 32" तथा 100°C को 212° अंशांकित किया जाता है।
tc = (5/9 (tf-32)
- यहाँ पर tc एवं tf व क्रमशः सेल्सियस व फैरनहाइट पैमाने पर संगत ताप है। नो इस सूत्र का उपयोग करते हुये कोई भी आसानी से देख सकता है कि -40 डिग्री पर दोनों सेल्सियस और फारेनहाइट पैमाने एकसमान पाठ्यांक प्रदर्शित ने करेंगे।
परम शून्य एवं केल्विन तापक्रम (स्केल) सिद्धान्ततः
- ताप की कोई उच्चतम सीमा नहीं है किन्तु निम्नतम सीमा अवश्य है जो 'परम शून्य' ताप है। यह सीमाकारी ताप सेल्सियस तापक्रम के शून्य के नीचे 273.16° है। केल्विन स्केल पर परम शून्य OK है (O°K नहीं लिखते) ।
- इस प्रकार केल्विन पैमाने पर 0°C व 100°C तापों के समतुल्य ताप क्रमश: 273.16K व 373.16K होते हैं। केल्विन पैमाने पर अंशांकन सेल्सियस पैमाने के समान ही होता है। अतः 1°Cव 1K ताप बराबर होते हैं और इस प्रकार, 10°C ताप वृद्धि 10K ताप वृद्धि के समान ही होती है।
- एक परम ऊष्मागतिकी ताप पैमाना होता है। सबसे नवीन आधिकारिक ताप पैमाना 1990 का अंतर्राष्ट्रीय ताप पैमाना है, जो 0.65 K (-272-5°C) से लगभग 1358K (1085 °C) तक विस्तृत होता है। आजकल तापमापियों में डिजिटल डिस्प्ले के लिये इलेक्ट्रॉनिक साधनों का प्रयोग किया जाता है।
तापमापियों के प्रकार
डॉक्टरी (क्लीनिकल ) तापमापी:
डॉक्टरी तापमापी एक प्रकार से 1 कांच में पारा, जैसा है और इससे मानव शरीर का ताप मापते हैं। मानव शरीर के ताप की सीमा 95F से 110F अथवा 35°C से 43°C होती है।
- एक स्वस्थ व्यक्ति का सामान्य ताप 98.4F अथवा 36.9°C होता है। इस तापमापी का एक विशेष लक्षण है कि इसकी केशिका पारे के घुण्डी (बल्ब) के एकदम से ऊपर कुछ मुड़ी होती है। शरीर के ताप मापन हेतु जब इस तापमापी को जीभ के नीचे मुख में रखते हैं तो ताप वृद्धि के कारण पारा प्रसारित होता है और मोड़ में होकर आगे बढ़ जाता है। अब तापमापी को बाहर निकालने पर मोड़ के नीचे का पारा ठंडा होकर तो वापिस घुंडी में आ जाता है किन्तु ऊपर का पारा इस केशिका गोड़ के कारण वहीं बना रहता है। इसलिए इस पर कुछ समय पश्चात् भी अंकित ताप पढ़ा जा सकता है। इस तापमापी को पुन: उपयोग में लाने के पूर्व झटका मारकर ऊपर चढ़े पारे को वापिस घुंडी में लाना पड़ता है। डॉक्टरी तापमापी को निर्जर्मित (sterilised) करने के लिए गर्म पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए, अन्यथा पारे के अत्यधिक प्रसार के कारण तापमापी की घुंडी टूट सकती है।
उच्चतम न्यूनतम तापमापी:
- समाचार पत्रों में प्रतिदिन हम मौसम संबंधी सूचना में पिछले 24 घंटों का उच्चतम व न्यूनतम ताप देखते हैं। इन तापों को अंकित करने हेतु एक विशेष प्रकार का तापमापी प्रयुक्त किया जाता है जो सिक्स (Six's) का उच्चतम न्यूनतम तापमापी ' कहलाता है।
तापमापी में पारा:
- तापमापी में पारे का प्रयोग मुख्यत: निम्न कारणों से किया जाता है:
(i) यह अपारदर्शी व चमकदार है, अत: अंकित ताप के पठन में सुविधा होती है।
(ii) पारा ताप का उत्तम चालक (conductor) है, अत: शीघ्र ही ताप को अंकित करता है।
(iii) पारा, कांच पर नहीं चिपकता तथा अधिक वाष्पशील नहीं है, अतः ताप को शुद्धता से अंकित कर पाता है।
- तापमापी में जल का प्रयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह 0°C पर जम जाता है तथा इसका ऊष्मीय प्रसार अनियमित है। उन स्थानों में जहां ताप - 40°C तक पहुंच जाता है, पारा तापमापी का प्रयोग संभव नहीं है क्योंकि पारा 39°C पर जमने लगता है। इन अवस्थाओं में ऐल्कोहल तापमापी का प्रयोग करते हैं क्योंकि ऐल्कोहल का हिमांक-115°C है।
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