वाक्य के भेद (प्रकार) और उनका वर्णन | Vaykya Ke Prakar evam Bhed
वाक्य के भेद (प्रकार) और उनका वर्णन
वाक्य के भेद (प्रकार)
निम्नलिखित आधारों पर वाक्य के विभिन्न भेदों का अध्ययन किया जा सकता है-
- 1. भाषा की आकृति
- 2. अर्थ की दृष्टि से
- 3. रचना या व्याकरणिक गठन
- 4. क्रिया
- 5. वाच्य
- 6. शैली
क - भाषा का आकृति के आधार पर वाक्य
- आकृति या रूप की दृष्टि से विश्व में प्रमुखतः दो प्रकार की भाषाएं हैं - अयोगात्मक और योगात्मक। अयोगात्मक या वियोगात्मक भाषाओं में शब्दों में उपसर्ग या प्रत्यय आदि का योग नहीं रहता अर्थात शब्दों में उपसर्ग, प्रत्यय, विभक्ति आदि जोड़कर अन्य शब्द या वाक्य में प्रयुक्त होने योग्य रूप नहीं बनाए जाते।
- अयोगात्मक भाषा में वाक्य में प्रयुक्त में होने पर शब्द में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता। वाक्य में केवल स्थान के अनुसार शब्दों का अर्थ प्रकट होता है। इसलिए इस वर्ग में आने वाली भाषाओं के स्थान प्रधान' भाषा भी कहते हैं। इस वर्ग की प्रमुख भाषा चीनी है।
- इसके विपरीत योगात्मक भाषा में वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में उपसर्ग, प्रत्यय या विभक्ति आदि का योग रहता है। जैसे 'राम ने रावण को मारा' वाक्य में 'ने' 'को' विभक्ति से शब्दों का परस्पर सम्बंध प्रकट होता है जिससे वाक्य का पूर्ण अर्थ व्यक्त होता है। अतः कह सकते हैं कि हिन्दी की वाक्य रचना आकृति की दृष्टि से योगात्मक है।
ख - अर्थ की दृष्टि वाक्य के भेद
- वाक्य में अर्थ एक अनिवार्य तत्व है। अर्थ की पूर्ण रूप से अभिव्यक्ति करने वाली रचना ही वाक्य कहलाती है। अर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद किए-
1. विधानार्थक वाक्य-
- जिससे किसीबात का होना पाया जाय जैसे- नैनीताल पहले एक गाँव था।
2. निषेधात्मक वाक्य -
- किसी बात का निषेध अथवा विषय का अभाव सूचित करता है। जैसे - पानी के बिना कोई जीव जीवित नहीं रह सकता। आपको वहाँ नहीं जाना था।
3. आज्ञार्थक वाक्य -
- इसमें आज्ञा, विनती या उपदेश का अर्थ व्यक्त होता है। जैसे - सदा सच बोलो। सभी छात्र यहाँ आयें।
4. प्रश्नवाचक वाक्य -
- प्रश्नवाचक वाक्य किसी प्रश्न का बोध कराते हैं। जैसे यह व्यक्ति कौन है ? पेड़ किसने काटा ?
- वह काम पर कब आयेगा ?
- तुम्हारी माँ कैसी है ?
5. विस्मयबोधक वाक्य-
- वाक्य आश्चर्य, विस्मय आदि भाव प्रकट करते हैं। जैसे वाह! ताजमहल कितना सुन्दर है।
6. इच्छाबोधक वाक्य-
- वह इतना मूर्ख है। इसमें इच्छा या आशीष व्यक्त होता है। जैसे ईश्वर सबका भला करे । सभी सुखी व सम्पन्न हों।
7. संदेह सूचक
- इसमें वाक्य से किसी बात का सन्देह या सम्भावना का भाव प्रकट होता है। जैसे कहीं वही तो चोर नहीं है।
8.संकेतार्थक वाक्य
- इसमें संकेत अथवा शर्त का भाव होता है।
- जैसे शायद आज वर्षा हो ।
- आप कहें जो मैं जाऊँ।
- गाड़ी आए तब मैं जाऊँ ।
ग- व्याकरणिक रचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
व्याकरणिक रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं।
- (1 ) सरल वाक्य
- (2 ) मिश्र वाक्य
- (3) संयुक्त वाक्य
सरल वाक्य -
- जिस वाक्य में एक क्रिया होती है और एक कर्ता होता है, उसे 'साधारण या सरल वाक्य’ कहते हैं, इसमें एक ‘उद्देश्य और एक विधेय' रहते हैं। जैसे 'बिजली चमकती है', ‘पानी बरसा। इन वाक्यों में एक उद्देश्य अर्थात कर्ता और विधेय अर्थात क्रिया है, अतः ये साधारण या सरत वाक्य हैं।
मिश्र वाक्य -
- जिस वाक्य में एक साधारण वाक्य के अतिरिक्त उनके अधीन कोई दूसरा उपवाक्य हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य में विधेय के अलावा एक या अधिक क्रियाएं हों, उसे 'मिश्र वाक्य' कहते हैं। जैसे 'वह कौन-सा मनुष्य है, जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम न सुना हो।' 'मिश्र वाक्य के मुख्य उद्देश्य और "मुख्य । विधेय' से जो वाक्य बनता है, उसे 'मुख्य उपवाक्य' कहते हैं और दूसरे वाक्यों को ‘आश्रित उपवाक्य’ कहते हैं। पहले को मुख्य वाक्य' और दूसरे को 'सहायक वाक्य' भी कहते हैं। सहायक वाक्य अपने में पूर्णं या सार्थक नहीं होते, पर मुख्य वाक्य के साथ आने पर उनका अर्थ निकलता है।
संयुक्त वाक्य
- 'संयुक्त वाक्य उस वाक्य समूह को कहते हैं, जिसमें दो या दो से अधिक सरल - वाक्य अथवा मिश्र वाक्य अवयवों द्वारा संयुक्त हों, इस प्रकार वाक्य लम्बे और आपस में सम्बद्ध होते हैं। जैसे- 'मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा कि तुरन्त डाक्टर को बुलाना पड़ा।'
वाच्य की दृष्टि वाक्यों के भेद
वाच्य की दृष्टि से इस दृष्टि से वाक्यों को तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है।
(1) कर्तृवाच्य -
- जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता होती है, उस वाक्य को कर्तृवाच्य कहते हैं। जैसे- राम पुस्तक पढ़ता है, इस वाक्य में 'राम' उद्देश्य है और यही कर्ता भी है और उसी के बारे में बात कही गयी है।
(2) कर्मवाच्य -
- जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है और वह वाक्य का उद्देश्य भी हेता है उस वाक्य को कर्मवाच्य कहा जाता है। उदाहरणतः पत्र लिख जा रहा है, इस वाक्य में पत्र कर्म है और इसी की इसमें प्रधानता भी है तथा यह उद्देश्य भी है।
(3) भाववाच्य -
- जिस वाक्य में कर्ता अथवा कर्म की प्रधानता न होकर किसी क्रिया के भाव की प्रधानता होती है, उसे भाववाच्य वाक्य कहते हैं। उदाहरणतः उससे अब पढ़ाई की नहीं जाती है। इस वाक्य में पढ़ाई न किए जाने पर के भाव पर बग है, यह उद्देश्य भी है, अतः यह भाववाच्य वाक्य है।
घ - क्रिया की दृष्टि से वाक्य के प्रकार
- वाक्य में क्रिया का स्थान प्रमुख है। वह वाक्य का अनिवार्य तत्व है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वाक्य में क्रिया अवश्य रहती है।
- अतः क्रिया के होने या न होने के आधार पर भी वाक्य दो भेद हो सकते हैं क्रियायुक्त वाक्य और क्रियाहीन वाक्य। क्रियायुक्त वाक्य का आशय जिन वाक्य में क्रिया हो । अधिकांश वाक्य क्रिया युक्त ही होते हैं।
- क्रियाहीन वाक्य में क्रिया नहीं होती। हिन्दी यद्यपि क्रियाहीन वाक्य प्रधान भाषा नहीं है, तो भी समाचार पत्रों, टी.वी. की खबरों, विज्ञापनों और लोकोक्तियों में क्रियाहीन वाक्यों का प्रयोग तेजी से प्रचलित हो रहा है।
कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं -
- केदारनाथ में जल-प्रलय, रूपया असहाय (समाचार)
- जैसे साँपनाथ वैसे नागनाथ, जैसा देश वैसा भेस (लोकोक्ति)
- दूध सी सफेदी, ठंडा मतलब कोको-कोला (विज्ञापन)
ड- शैली की दृष्टि वाक्य के प्रकार भेद
शैली की दृष्टि से वाक्य के निम्नलिखित भेद किए गए हैं -
(1) अलंकृत वाक्य -
- इस कोटि के वाक्य अलंकारों से सुव्यवस्थित होते हैं। साहित्यिक भाषा में इनका प्रचुर प्रयोग होता है।
(2) अनलंकृत वाक्य -
- सामान्य और बिना अलंकार वाले वाक्य जो सहज गद्य में मिलते हैं। जैसे- गंगा के किनारे एक सुन्दर कुटी थी।
(3) समांतरित वाक्य
- समांतरित शैली की एक महत्वपूर्ण विशेषतायह है कि इसमें दो कथनों में भावों और शब्दों का समान्तर प्रयोग किया जाता है।
(4) आवृव्यात्मक वाक्य-
- जहाँ मुख कथन से पहले कौतूहल से भरे अवयवों की आकृति होती है और अंत में वाचन को पूरी ताकत के साथ कहा जाता है। उत्तेजनात्मक भाषणों में प्रायः ऐसे वाक्यों का प्रयोग होता है।
(5) श्रंखलित वाक्य -
- ग्रामीण लोग प्रायः बातचीत करते हुए प्रायः छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करते हैं। इस तरह छोटे-छोटे वाक्यों की एक श्रृंखला सी बनती जाती है। जैसे- एक शिकारी जंगल में शिकार करने गया तो राह भूल गया। राह भूल कर एक झोपड़ी के सामने जा पहुँचा।
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