वाक्य के मुख्य तत्व |वाक्य तत्व कौन कौन से होते हैं ? | Vaykya Ke Tatv
वाक्य के मुख्य तत्व
वाक्य तत्व कौन कौन से होते हैं ?
1.पदबन्ध या वाक्यांश
- वाक्य के उस भाग को पदबन्ध कहते हैं जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं।
- रचना की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं। पहली, इसमें एक से अधिक पद होते हैं। दूसरी, ये पद इस तरह सम्बद्ध होते हैं कि उनकी एक इकाई बन जाती है। तीसरी, पदबन्ध किसी वाक्य का अंश होता है।
- वाक्य में पदबन्ध का क्रम व्याकरण की दृष्टि से निश्चित होता है। पदबन्ध और उपाय में अन्तर को भी समझ लेना आवश्यक है। उपवाक्य भी पदबन्ध की तरह पदों का समूह है लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं। पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है।
2. उद्देश्य और विधेय
- वाक्य में मुख्य रूप से दो खण्ड होते हैं - उद्देश्य और विधेय।
- वाक्य में जिस वस्तु के विषय में विधान किया जाता है, उसे सूचित करने वाले शब्द को उद्देश्य कहते हैं ।
- उद्देश्य के विषय में विधान करने वाला शब्द विधेय कहलाता है। जैसे 'पानी गिरता है' वाक्य में 'पानी' शब्द उद्देश्य है और 'गिरता है' शब्द विधेय।
- उद्देश्य को कर्ता भी कहते हैं। जो शब्द उद्देश्य के अर्थ में विस्तार करते हैं, उन्हें उद्देश्यवर्धक कहते हैं। जैसे- 'मेरी पुस्तक लाओ' वाक्य में 'मेरी' सम्बंधकारक उद्देश्यवर्धक है।
- मुख्य रूप से विधेय को क्रिया भी कहते हैं। जो शब्द विधेय का विस्तार करते हैं, उन्हें विधेयवर्धक कहते हैं। जैसे 'माला कल आयेगी' या 'मोहन निबन्ध लिखता है' वाक्य में क्रमशः ‘आयेगी’, ‘लिखता है” विधेय है और 'कल', 'निबन्ध' विधेय का विस्तार है।
3. समानाधिकरण शब्द
- किसी समानार्थी शब्द का अर्थ स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त शब्द या शब्दांश को समानाधिकरण कहते हैं।
- जैसे- 'श्याम, श्री मोती राम का पुत्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ' वाक्य में श्याम को स्पष्ट करने वाला श्री मोतीराम का पुत्र' श्याम समानाधिकरण है।
निकटस्थ अवयव (Immediate constituent )-
- यह तो आप जानते हैं कि वाक्य में प्रयुक्त में ‘पद' ही उसके अंग या अवयव हैं। इन्हीं से मिलकर वाक्य की संरचना होती है। कोई वाक्य रचना जिन दो या दो से अधिक अवयवों ( पदों) से मिलकर बनती है उनमें से प्रत्येक निकटस्थ अवयव' कहलाता है। यहाँ निकटस्थ का तात्पर्य स्थान से नहीं बल्कि अर्थ से है।
उदाहरण के लिए नीचे दिए गए वाक्य को देखें -
- जैसे ही वह स्टेशन पहुँचा, वैसे ही रेल चल दी।
- जैसे ही वह स्टेशन पहुँचा।
- वैसे ही रेल चल दी।
- ऊपर दिए गए उदाहरण से स्पष्ट है कि कई स्तरों पर निकटस्थ अवयवों को अलग किया जा सकता है। निकटस्थ अवयव पदक्रम या शब्दक्रम पर निर्भर करते हैं जो वाक्य संरचना में दर होने पर भी अर्थ की दृष्टि से निकट होते हैं।
- वाक्य में निकटस्थ अवयवों का अधिक महत्व है क्योंकि इन्हीं से अर्थ प्रकट होता है। भाषा का प्रयोक्ता या श्रोता जाने-अनजाने इससे परिचित होता है। यदि ऐसा न हो तो वह अर्थ नहीं समझ सकता।
- डॉ भोलानाथ तिवारी ने 'वाक्य सुर' को भी निकटस्थ अवयव माना है क्योंकि इसके बिना कभी-कभी ठीक अर्थ की प्रतीति नहीं होती। जैसे 'आप जा रहे हैं' वाक्य के वाक्य सुर के आधार कई अर्थ हो सकते हैं-
- आप जा रहे हैं। (सामान्य अर्थ )
- आप जा रहे हैं ? ( प्रश्नवाचक अर्थ )
- आप जा रहे हैं ! (आश्चर्यसूचक अर्थ )
यहाँ तीनों वाक्य में ही भिन्न-भिन्न प्रकार के वाक्य सुर वाक्य के निकटस्थ अवयव हैं।
4. आधारभूत वाक्य -
- किसी भी भाषा के मूल वाक्य के निर्धारण किए बिना उस भाषा की वाक्य व्यवस्था को समझना मुश्किल है। भाषा में वाक्य कई स्वरूप ग्रहण कर प्रयुक्त होते हैं। इनमें कभी एक उपवाक्य हो सकता है और कभी एक से अधिक। कुछ वाक्य पूर्णांग हो सकते हैं, कुछ अल्पांग संज्ञा पदबन्ध के रूप में संकुचित होकर एक ही वाक्य में दूसरा वाक्य अपना स्थान बना ले सकता है। प्रत्येक वाक्य में एक आधारभूत वाक्य की सत्ता अनिवार्य रूप से होती है। यह बीज वाक्य भी कहलाता है। इसी से भाषा के अनेक वास्तविक वाक्य प्रजनित होते हैं।
जैसे देखें -
- वास्तविक वाक्य - इस कक्षा के सभी छात्र नियमित रूप से होमवर्क करते हैं।
- आधारभूत वाक्य छात्र होमवर्क करते हैं।
आधारभूत वाक्य के कुछ सामान्य तत्व इस प्रकार हैं -
(क) अनिवार्य घटक
- आधारभूत वाक्यों में केवल अनिवार्य घटक ही महत्वपूर्ण होते हैं। ऐच्छिक घटक नहीं। उदाहरण के लिए 'बच्चा दूध पीता है' को आधार वाक्य कहेगें क्योंकि इसके सारे घटक अनिवार्य हैं जबकि 'बच्चा कभी-कभी दूध पीता है' में कभी-कभी ऐच्छिक घटक है क्योंकि इसके बिना भी वाक्य व्याकरण और मूल अर्थ की दृष्टि से है। इसलिए यह ऐच्छिक घटक आधारभूत वाक्य का अंग नहीं हो सकता।
(ख) कथानात्मक वाक्य
- आधारभूत वाक्य सरल कथानक वाक्य से बनते हैं। संयुक्त मिश्र या अल्पांग वाक्य आधारभूत वाक्य के अन्तर्गत नहीं रखे जा सकते। इसी तरह प्रश्नवाचक, निषेधवाचक, आज्ञार्थक आदि संदर्भ-विशिष्ट वाक्य भी आधारभूत वाक्यों की कोटि में नहीं आते क्योंकि इन सबको आधारभूत वाक्यों से रूपान्तरित किया जा सकता है।
(ग) नियंत्रक तत्व क्रिया -
- आधारभूत वाक्यों में क्रिया ही नियंत्रक शक्ति है। क्रिया की प्रकृति और माँग के अनुसार ही वाक्य रचना का निर्धारण किया जाता है और वाक्य में आने वाले घटकों (कर्ता, कर्म) की संख्या भी क्रिया ही निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए 'रोना' क्रिया (अकर्मक) एक घटक (कर्ता) की अपेक्षा करती है। 'खाना' क्रिया (सकर्मक) दो घटकों (कर्ता तथा कर्म) की और 'लेना' क्रिया (द्विकर्मक) तीन घटकों (कर्ता, कर्म और संप्रदान) की। हर भाषा में आधारभूत वाक्यों की संख्या अलग-अलग हो सकती है।
5. वाक्य में पदक्रम -
- आप यह जान चुके हैं कि पदों के समूह से ही वाक्य की रचना होती है किन्तु पदों का एक निश्चित क्रम ही वाक्य रचना को पूर्ण अर्थ प्रदान करता है। वाक्य में पदक्रम की दृष्टि से दो प्रकार की भाषाएं हैं। कुछ भाषाओं में पदों का स्थान निश्चित नहीं होता है। इन भाषाओं में शब्दों के साथ या शब्दों में विभक्ति लगी हुई होती है। अतः कोई पद कहीं भी रख देने पर अर्थ में परिवर्तन नहीं होता। फारसी, संस्कृत आदि इस तरह की भाषाएं हैं।
- हिन्दी जैसी भाषा में में पदक्रम निश्चित होता है। इनमें पदों का निश्चित स्थान बदलने से वाक्य में अर्थ परिवर्तन हो जाता है।
- राम ने रावण को मारा' वाक्य में यदि 'राम' की जगह 'रावण' और 'रावण' की जगह 'राम' को रख दिया जाय तो अर्थ बदल जाता है। अतः हिन्दी में पदक्रम का स्थान निश्चित है।
- हिन्दी भाषा के वाक्य में कर्ता कर्म के पश्चात क्रिया रखते हैं। जैसे राम (कर्ता) ने रोटी (कर्म) खायी (क्रिया)। इसी तरह विश्लेषण संज्ञा के पूर्व और क्रिया विशेषण क्रिया के पूर्व रखे जाते हैं। सुन्दर (विशेषण) फूल (संज्ञा) धीरे-धीरे (क्रिया विशेषण) मुरझा गया (क्रिया)। प्रश्नवाचक शब्द जैसे (क्या, कौन, कहाँ) सामान्य रूप से वाकय के पहले आते हैं।
- कहाँ जा रहे हो ?
- किसने दरवाजा खोला ?
- क्या तुम घर जाओगे ?
- कौन घर जायेगा ?
- कहानी, उपन्यास, आदि में भाषा में रोचकता लाने के लिए आजकल पदक्रम का विशेष ध्यान नहीं रखा जाता। किसी शब्द विशेष के भाव पर बल देने के लिए पदक्रम को तोड़-मरोड़कर भी रखा जाता है किन्तु अर्थ की कोई हानि नहीं होती। कुछ वाक्यों को देखें -
- थक गया हूँ मैं बहुत।
- अब जा रहा हूँ घर मैं ।
- वह यहाँ आयेगी तो एक बार अवश्य|
कुछ लोग इस प्रकार की वाक्य रचना पर अंग्रेजी भाषा का प्रभाव भी स्वीकार करते हैं।
6. वाक्य में स्वराघात -
- वाक्य में बलात्मक स्वराघात का विशेष महत्व है। शब्दक्रम एक रहने पर भी इसके कारण वाक्य के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। आश्चर्य, शंका, प्रश्न, निराशा आदि का भाव प्राय: संगीतात्मक स्वाराघात या वाक्यसुर से व्यक्त किया जाता है। जैसे- 'आप जा रहे हैं’ वाक्य को विभिन्न रूप में सुर देकर इसे आश्चर्य, शंका, प्रश्न आदि का सूचक बनाया जा सकता है। यही बात बलात्मक स्वाराघात के सम्बंध में भी है। वाक्य के पद विशेष पर बल देकर उसका स्थान वाक्य में प्रधान किया जा सकता है।
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