वायुमंडल किसे कहते हैं |वायुमंडल की संरचना (परतें) | Vayumandal Ki Parten
वायुमंडल किसे कहते हैं
वायुमंडल किसे कहते हैं
- वायुमंडल, पृथ्वी को घेरे हुए, गंधहीन, स्वादहीन, रंगहीन गैसों, धूल और वाष्प की एक पतली परत है जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है। वायुमंडल की ऊँचाई सागर स्तर से 480 किलोमीटर ऊँचाई तक मानी जाती है। वायुमंडल गुरुत्व द्वारा पृथ्वी के चारों ओर रुका हुआ है। वायुमंडल मुख्य रूप से गैसों का मिश्रण है।
गैसों के आधार पर वायुमंडल को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- (i) विषममंडल (Heterosphere) तथा
- (ii) सममंडल (Homosphere)
(i) विषममंडल (Heterosphere):
- विषममंडल में गैसों का मिश्रण समान नहीं है। विषममंडल लगभग 80 किलोमीटर की ऊँचाई से 480 कि.मी. तक पाया जाता है।
(ii) सममंडल (Homosphere):
- सममंडल सागर स्तर से 80 कि०मी० की ऊँचाई तक पाया जाता है। सममंडल में गैसों का मिश्रण लगभग एकसमान रहता है।
वायुमंडल को प्रमुख गैस निम्न प्रकार हैं
नाइट्रोजन (Nitrogen):
- वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा 78.084 प्रतिशत है। नाइट्रोजन अन्य पदार्थों के साथ सुगमता से मिल नहीं पाती .
आक्सीजन (Oxygen):
- वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 20.947 प्रतिशत है। यह नाइट्रोजन की तुलना में अधिक सक्रिय रहती है। जीवित ऊतकों (Living Tissues) को भोजन की ऊर्जा में बदलने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
कार्बन डाइ ऑक्साइड
- वायुमंडल में कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा 00.031 प्रतिशत है। इनके अतिरिक्त निओन, हीलियम, मिथेन, क्रिपटोन, हाइड्रोजन तथा जीनोन इत्यादि गैस पाई जाती हैं।
वायुमंडल की संरचना वायुमंडल की परतें (Structure of Atmosphere)
एक सुव्यवस्थित अध्ययन के लिए वायुमंडल को तापमान के आधार पर चार परतों में विभाजित किया जा सकता है। वायुमंडल की ये चार परतें निम्न प्रकार हैं- (1) क्षोभमंडल (Troposphere). (2) स्ट्रेटोसफियर (Stratosphere), (3) मध्यमंडल (Mesosphere) एवं (4) तापमंडल (Thermosphere)
1. क्षोभमंडल (Troposphere):
- वायुमंडल की सबसे नीची परत को क्षोभमंडल कहते हैं। इसमें वायुमंडल की कुल राशि का 90 प्रतिशत भाग पाया जाता है। इस मंडल की ऊपरी सीमा को क्षोम-सीमा (Tropopause) कहते हैं।
- क्षोभ सीमा 57°C तापमान के द्वारा निर्धारित की जाती है जो विषुवत रेखा पर होती है। जैवमंडल इसी क्षोभमंडल तक पाया जाता है।
- क्षोभमंडल में सागर स्तर से ऊँचाई की ओर जाते समय तापमान में निरंतर कमी आती है। तापमान के ह्रास की दर 6.4°C प्रति किलोमीटर है। इस हास दर को सामान्य ह्रास दर (Normal Lapse Rate) कहते हैं। उदाहरण के लिए जब सागर स्तर पर तापमान 21°C रहता है, तब 12 कि.मी. की ऊँचाई पर वायु का तापमान केवल 57°C पाया जाता है।
- मौसम संबंधी सभी प्रक्रियाएँ; जैसे-वायु का चलना, बादल, वर्षा, हिमपात, कोहरा, बिजली की चमक तथा बादलों की कड़क इत्यादि इसी मंडल तक सीमित रहती हैं। जैवमंडल (मानव, पशु-पक्षी तथा वनस्पति) के लिए क्षोभमंडल की महत्ता बहुत अधिक है।
2. स्ट्रेटोसफियर (Stratosphere):
- स्टेटोसफियर, वायुमंडल में क्षोभमंडल के ऊपर पाया जाता है। इसकी ऊँचाई विषुवत् रेखा पर 18 कि.मी. से लेकर 50 कि.मी. तक पाई जाती है। इस मंडल में ओजोन (Ozone) परत पाई जाती है इसलिए इसको ओजोनोसफियर (Ozonosphere) भी कहा जाता है।
- ओजोन गैस की बहुतायत के कारण इस मंडल में ऊपर की ओर जाते हुए तापमान में वृद्धि होती जाती है। इसकी ऊपरी सीमा शून्य डिग्री (0°c) मे की जाती है। इस सीमा को स्ट्रेट्रोपाज (Stratopuse) कहते हैं।
- वाप्प एवं आर्द्रता के अभाव में इस मंडल में बादल आदि नहीं पाए जाते। ओजोन परत में CFC गैसों के कारण तीव्रता से ह्रास हो रहा है जिसका मानव एवं पशु-पक्षियों तथा वनस्पति पर खराब प्रभाव पड़ रहा है।
3. मध्यमंडल (Mesosphere):
- स्ट्रेट्रोस्फियर की ऊपरी सीमा 50 कि० मी० से 80 कि० मी० के बीच स्थित है। मध्य मंडल में ऊँचाई के साथ तापमान में ह्रास होता जाता है। इसकी ऊपरी सीमा- 90°C द्वारा निधारित होती है। जिसको मेसोपाज (Mesopause) कहते हैं।
4. तापमंडल / बाह्यमंडल (Thermosphere):
- वायुमंडल की यह परत सागर स्तर से लगभग 80 कि० मी० ऊपर वायुमंडल में स्थित है। बहुत से वैज्ञानिक तापमंडल की निचली परत को आयन (lon) मंडल कहते हैं। आयनमंडल ( Ionosphere) में इलेक्ट्रॉन/ विद्युतणु (Electrons) का घनत्व अत्यधिक होता है। तापमंडल में गैस का घनत्व बहुत कम रहता है। चूँकि अधिक ऊँचाई पर वायु विरल (Thiner) होती है, जिसके कारण विकास अधिक तीव्र होता है। इस परत में कार्बनडाइऑक्साइड और वाष्प (Water vapour) नहीं होता इसलिए इसमें ग्रीन हाउस गैस (Green House Gas) प्रभाव भी नहीं होता।
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