उच्च शिक्षा प्रणाली|आधुनिक भारतीय विश्वविद्यालयों को संगठन और प्रशासन | |Higher Education System History in Hindi
उच्च शिक्षा प्रणाली, उच्च शिक्षा का विकास, उच्च शिक्षा विकास क्रम
Higher Education System History in Hindi
उच्च शिक्षा प्रणाली, उच्च शिक्षा का विकास,उच्च शिक्षा विकास क्रम
उच्च शिक्षा का विकास (Development of Higher Education)
किसी भी समाज की उच्च स्तरीय प्रगति वस्तुतः
विश्वविद्यालयों में दी जाने वाली उच्च शिक्षा पर निर्भर करती है। अतः प्राचीन काल
से ही भारतवर्ष में उच्च शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके विकास क्रम का
संक्षिप्त अवलोकन निम्न है-
उच्च शिक्षा विकास क्रम (Sequence of Higher Education Development)
प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा गुरुकुलों एवं
आश्रमों में प्रदान की जाती थी। बौद्ध काल में उच्च शिक्षा के लिए कुछ विश्व
विद्यालय केन्द्र के रूप में थे, मुस्लिम काल में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु मदरसों की स्थापना की
गयी थी। आधुनिक काल में उच्च शिक्षा के विकास को भारतवर्ष में दो भागों में बाँटकर
देखा जा सकता है:
1 ब्रिटिश काल में उच्च शिक्षा का विकास (Development of Higher Education in British Period)
इस काल को भी दो भागों में बांटकर उच्च शिक्षा के
विकास का अध्ययन किया जा सकता है
(I) महाविद्यालय का युग (सन् 1767 से 1857 तक)
- सन् 1757 से सन् 1857 तक को अवधि को महाविद्यालयों कें युग के नाम से पुकारते हैं क्योंकि इस काल में भारतवर्ष में अनेक शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों (कलकत्ता कॉलेज आगरा कॉलेज एवं बनारस कॉलेज) की स्थापना की गई इस काल के अन्त तक सामान्य महाविद्यालयों की संख्या 23 थी। तीन चिकित्सा महाविद्यालय तथा एक महाविद्यालय सिविल इन्जीनियरिंग का था।
(II) प्रारम्भिक महाविद्यालयों का युग (सन् 1857 से 1816 तक)
- सन् 1854 के वुड के घोषणा पत्र में तीन विश्वविद्यालय (कलकत्ता मद्रास तथा बम्बई) खोलने की संस्तुती की गयी और सन् 1857 में इन्हें उक्त स्थानों पर खोल दिया गया। इनका स्वरूप लन्दन विश्वविद्यालय के अनुरूप रखा गया।
- हण्टर शिक्षा आयोग ने उच्च शिक्षा में सुधार हेतु अनेक सुझाव दिए। अनुदान प्रणाली लागू करना, भवन व फर्नीचर के लिए विशेष अनुदान देना यूरोपीय विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को प्राध्यापक बनाना, रुचिकर विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करना, निःशुल्क छात्रों की संख्या सुनिश्चित करना आदि प्रमुख सुझाव थे। इन्हीं के आधार पर सन् 1882 में पंजाब तथा सन् 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी।
- सन् 1902 में भारतीय शिक्षा आयोग का गठन किया गया। इसने शिक्षण कार्य करने वाले विश्वविद्यालय खोलने की सिफारिश की। इसने विश्वविद्यालयों की क्षेत्र सीमा निर्धारित की जाए, महाविद्यालयों को सम्बद्ध करने के नियम कठोर बनाए जाएं, बी.ए का पाठ्यक्रम तीन वर्ष करने जैसे कई अन्य सुझाव प्रस्तुत किए।
- सन् 1904 में लॉर्ड कर्जन ने विश्वविद्यालय आयोग की सिफारिशों के आधार पर विश्वविद्यालय अधिनियम बनाया। सन् 1913 में शिक्षा नीति सम्बन्धी सरकारी प्रस्ताव रखा गया। इसमें प्रत्येक प्रान्त में कम.से.कम एक विश्वविद्यालय खोलने, शिक्षण विश्वविद्यालयों को स्थापना करने, विश्वविद्यालयों की प्रादेशिक सीमा सुनिश्चित करने आदि की सिफारिश की गयी।
- सन् 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग गठित किया गया। इसके द्वारा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, रीडर व लेक्चरर नियुक्त करने, इण्टर के पश्चात् प्रवेश देने बी ए का पाठ्यक्रम 3 साल का करने, व्यावसायिक पाठ्यक्रम लागू करने, ऑनर्स कोर्स जैसी व्यवस्था करने की प्रमुख सिफारिश की गयी।
- सन् 1929 में हर्टाग समिति द्वारा एकात्मक विश्वविद्यालयों को स्थापना करने, शिक्षा स्तर को उच्च बनाने, प्रवेश में कठोरता बरतने, औद्योगिक शिक्षा की व्यवस्था करने आदि की सिफारिश की गयी।
- सन् 1944 की सार्जेण्ट योजना में इण्टरमीडिएट कक्षाओं को तोड़कर विश्वविद्यालयों से जोड़ने, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना करने आदि की सिफारिश की गयी।
2 स्वतन्त्रता पश्चात् का काल
सन् 1947 में भारत के स्वतन्त्र होने पर विश्वविद्यालय
शिक्षा को देश की आवश्यकता के अनुरूप बनाने की ओर ध्यान दिया गया। इस दिशा में कई
महत्वपूर्ण प्रयास किए गएः
- Ø 1948 में डॉ राधाकृष्णन की अध्यक्षता
में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना की गयी।
- Ø 1964 में डॉ डी एस कोठारी की अध्यक्षता
में अखिल भारतीय शिक्षा आयोग का गठन किया गया।
इन दोनों आयोगों ने उच्च शिक्षा में विकास हेतु अनेक सुझाव दिए। इन
सुझावों में से कुछ सुझाव लागू भी किए जा चुके है तथा कुछ सुझावों को लागू किया
जाना अभी भी शेष है।
वर्तमान में देश में कुल 1027 विश्वविद्यालय हैं (444 स्टेट
विश्वविद्यालय, 126 डीम्ड विश्वविद्यालय, 54 केन्द्रीय
विश्वविद्यालय, 403 निजी विश्वविद्यालय) 12 बी के
अन्तर्गत कुल 391 विश्वविद्यालय हैं।
आधुनिक भारतीय विश्वविद्यालयों को संगठन और प्रशासन
आधुनिक भारतीय विश्वविद्यालयों को संगठन और प्रशासन की दृष्टि से
निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता हैः
1 प्रशासन की दृष्टि से विश्वविद्यालयों के प्रकार
प्रशासन की दृष्टि से भारतीय विश्वविद्यालयों के तीन रूप हैं
(I) केन्द्रीय विश्वविद्यालय
केन्द्रीय विश्वविद्यालय वें विश्वविद्यालय हैं जिनका सम्पूर्ण व्यय
भार केन्द्र सरकार वहन करती है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, विश्वभारती विश्वविद्यालय
आदि इसी प्रकार के विश्वविद्यालय है।
(II) राज्य विश्वविद्यालय
राज्य विश्वविद्यालय वे विश्वविद्यालय हैं जिनके व्यय का वहन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़कर सभी विश्वविद्यालय राज्य विश्वविद्यालय कहलाते है।
(II) विश्वविद्यालय जैसी संस्था(डीम्ड विश्वविद्यालय)
डीम्ड विश्वविद्यालय वे विश्वविद्यालय हैं जो विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग की धारा -3 के अन्तर्गत स्थापित किए गए है। इसके व्यय एवं प्रबन्ध का
उत्तरदायित्य केन्द्रीय सरकार पर है।
2 संगठन
की दृष्टि से विश्वविद्यालयों के प्रकार
संगठन की दृष्टि से भारत में तीन प्रकार के विश्वविद्यालय है।
(I) सम्बद्ध विश्वविद्यालय
ऐसे विश्वविद्यालय जो अपने कार्यक्षेत्र में महाविद्यालयों को
सम्बद्धता प्रदान करते हैं, सम्बद्ध विश्वविद्यालय कहलाते हैं। इनका मुख्य कार्य परीक्षाओं का
आयोजन करना है। आगरा, मेरठ, फैजाबाद आदि विश्वविद्यालय सम्बद्ध विश्वविद्यालय है।
(II) संघात्मक विश्वविद्यालय
ऐसे विद्यालय जो अपने आस-पास के महाविद्यालयों में विश्वविद्यालय
स्तर की शिक्षा देते हैं, संघात्मक विश्वविद्यालय कहलाते हैं। इसके अन्तर्गत दिल्ली
विश्वविद्यालय, इन्दौर विश्वविद्यालय आदि
विश्वविद्यालय आते हैं।
(III) एकात्मक विश्वविद्यालय
वे विश्वविद्यालय हैं जिनका प्रबन्ध पर पूर्ण अधिकार होता है तथा अपने द्वारा नियुक्त किए जाने वाने अध्यापकों को अध्यापन कार्य सौंपते हैं। अलीगढ़, बनारस एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय ऐसे ही विश्वविद्यालय है।
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