स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरनमेंट रिपोर्ट-2022 |State of india environment report 2022
स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरनमेंट रिपोर्ट-2022
स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरनमेंट रिपोर्ट कौन जारी करता है ?
- ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट’ (CSE) और ‘डाउन टू अर्थ’ (पत्रिका)
- यह रिपोर्ट ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट’ और ‘डाउन टू अर्थ’ (पत्रिका) का वार्षिक प्रकाशन है।
स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरनमेंट रिपोर्ट किन विषयों पर जारी होती है ?
- यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन, प्रवासन, स्वास्थ्य एवं खाद्य प्रणालियों पर केंद्रित है। इसमें जैव विविधता, वन और वन्यजीव, ऊर्जा, उद्योग, आवास, प्रदूषण, अपशिष्ट, कृषि एवं ग्रामीण विकास भी शामिल हैं।
स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरनमेंट रिपोर्ट का मुख्यालय कहाँ है ?
- ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट’ (CSE) नई दिल्ली में स्थित एक जनहित अनुसंधान एवं वकालत संगठन है।
स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरनमेंट रिपोर्ट के अनुसार भारत 17 लक्ष्यों को पूरा करने में पिछड़ रहा है इनकी स्थिति इस प्रकार है -
अर्थव्यवस्था:
- भारतीय अर्थव्यवस्था का लक्ष्य वर्ष 2022-23 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को लगभग 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है लेकिन वर्ष 2020 तक अर्थव्यवस्था केवल 2.48 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक ही बढ़ पाई है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था काफी हद तक सिकुड़ गई है, जिससे इस लक्ष्य को पूरा करना और भी मुश्किल हो गया है।
रोज़गार:
- वर्ष 2022-23 तक महिला श्रम बल भागीदारी दर को कम-से-कम 30% तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
- जनवरी-मार्च 2020 में यह 17.3% के स्तर पर थी।
आवास:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)-ग्रामीण के तहत 29.5 मिलियन आवास इकाइयों और PMAY-शहरी के तहत 12 मिलियन इकाइयों का निर्माण करने का लक्ष्य है।
- 'सभी के लिये आवास' के लक्ष्य में से केवल 46.8% और 38% ही हासिल किया जा सका है।\
- पेयजल: वर्ष 2022-23 तक सभी को पाइप से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
- इस लक्ष्य का 45 फीसदी ही हासिल किया जा सका है।
कृषि:
- वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य है। यद्यपि एक कृषक परिवार की औसत मासिक आय 6,426 रुपए से बढ़कर 10,218 रुपए हो गई है, यह वृद्धि व्यापक तौर पर पशुपालन में संलग्न किसानों की आय में वृद्धि के कारण है।
- एक कृषि परिवार की औसत मासिक आय में फसल उत्पादन से होने वाली आय का हिस्सा वास्तव में गिरकर वर्ष 2018-19 में 37.2% हो गया है, जो कि वर्ष 2012-13 में 48% था।
भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण:
- एक और लक्ष्य वर्ष 2022 तक सभी भूमि अभिलेखों को डिजिटाइज़ करना है। मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों ने इस संबंध में अच्छी प्रगति की है, वहीं जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और सिक्किम जैसे राज्यों में क्रमशः 5%, 2% और 8.8% की कमी आई है।
- समग्र तौर पर इस लक्ष्य को पूरा किये जाने की संभावना नहीं दिखती है, खासकर 14 राज्यों में वर्ष 2019-20 के बाद से भूमि रिकॉर्ड की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है।
वायु प्रदूषण:
- भारतीय शहरों में पार्टिकुलेट मैटर-2.5 (PM 2.5) के स्तर को 50 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (μg/m3) से कम करने का लक्ष्य है। वर्ष 2020 में जब महामारी के कारण वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित थी, पीएम 2.5 की मात्रा निगरानी किये गए 121 शहरों में से 23 शहरों में 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गई थी।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: इसके तहत 100% स्रोत पृथक्करण का लक्ष्य प्राप्त करना है।
- समग्र प्रगति 78% है, जबकि केरल राज्य और पुद्दुचेरी केंद्रशासित प्रदेश ने लक्ष्य हासिल कर लिया है, जबकि पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे अन्य राज्य बहुत पीछे हैं।
- यह मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन के लिये लक्षित है, लेकिन भारत में अभी भी 66,692 हाथ से मैला ढोने वाले हैं।
वन आच्छादन:
- राष्ट्रीय वन नीति, 1988 में परिकल्पित, इसे कुल भौगोलिक क्षेत्र का 33.3% तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
- 2019 तक भारत का वन आच्छादित क्षेत्र 21.6 % था।
ऊर्जा:
वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है।
- इस लक्ष्य का केवल 56 प्रतिशत ही अब तक हासिल किया जा सका है।
सतत् विकास लक्ष्यों पर भारत का
प्रदर्शन:
- भारत वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के 192 सदस्य देशों द्वारा वर्ष 2030 के एजेंडे के एक भाग के रूप में अपनाए गए 17 सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में 120वें स्थान पर है।
- वर्ष 2021 में भारत 192 देशों में 117वें स्थान पर था।
- भारत का समग्र एसडीजी स्कोर 100 में से 66 था।
- भारत का रैंक मुख्य रूप से 11 एसडीजी में प्रमुख चुनौतियों के कारण गिरा जिसमें ज़ीरो हंगर, अच्छा स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और स्थायी शहर तथा समुदाय शामिल हैं।
- भारत ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और भूमि और जीवन के मामले में भी खराब प्रदर्शन किया है।
- वर्ष 2021 में भारत ने भूख को समाप्त करने, खाद्य सुरक्षा, लैंगिक समानता, लचीले बुनियादी ढाँचे के निर्माण, सतत् एवं समावेशी औद्योगीकरण तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिये बहुत सी चुनौतियों का सामना किया है।
एसडीजी में भारतीय राज्यों का प्रदर्शन:
- एसडीजी लक्ष्य 2030 में झारखंड और बिहार सबसे पिछले स्थान पर हैं।
- केरल पहले स्थान पर है, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर हैं।
- तीसरे स्थान पर गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड हैं।
- केंद्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़ पहले स्थान पर दिल्ली, लक्षद्वीप और पुद्दुचेरी दूसरे स्थान पर तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तीसरे स्थान पर हैं।
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