विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2024 : थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य |World Consumer Rights Day (WCRD) in Hindi
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2024 : थीम (विषय) इतिहास उद्देश्यWorld Consumer Day 2024 Theme in Hindi
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2024 : थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य (World Consumer Day 2024 Theme in Hindi)
- विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, उपभोक्ता अंतर्राष्ट्रीय (Consumer International-CI) के द्वारा अपने सदस्य संगठनों के माध्यम से पूरी दुनिया में प्रति वर्ष 15 मार्च को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य उपभोक्ताओं की शक्ति, उपभोक्ताओं के लिए उचित अधिकार और सभी के लिए सुरक्षित और स्थायी बाजार की वकालत करना है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम
- वर्ष 2024 की ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ की थीम “'Fair and responsible AI for consumers'”.
- वर्ष 2023 की ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ की थीम “Clean Energy Transitions”.
- वर्ष 2022 की ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ की थीम ‘Fair Digital Finance’ है।
- वर्ष 2021 की ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ की थीम ‘Tackling Plastic Pollution’ है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस इतिहास World Consumer Day History in Hindi
- आपको बता दे इस तारीख का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यह वही दिन है जब 1962 में अमेरिकी संसद कांग्रेस में उपभोक्ता अधिकार विधेयक पेश किया गया था। अपने भाषण में राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने कहा था, “ यदि उपभोक्ता को घटिया सामान दिया जाता है, यदि कीमतें बहुत अधिक है, यदि दवाएं असुरक्षित और बेकार हैं, यदि उपभोक्ता सूचना के आधार पर उत्पाद चुनने में असमर्थ है तो उसका डालर बर्बाद चला जाता है, उसकी सेहत और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है एवं इससे राष्ट्रीय हित का भी नुकसान होता है”। राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने अपने व्यक्तव्य में निम्न उपभोक्ता अधिकार की चर्चा की थी: "सुरक्षा का अधिकार, सूचित करने का अधिकार, चुनने का अधिकार और सुने जाने का अधिकार।"
- उपभोक्ता अंतर्राष्ट्रीय (Consumer International-CI), जो पहले अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता यूनियन संगठन (आईओसीयू) के नाम से जाना जाता था, ने अमेरिकी विधेयक में संलग्न उपभोक्ता अधिकार के घोषणापत्र के तत्वों को बढा क़र आठ कर दिया जो इस प्रकार है- 1.मूल जरूरत 2.सुरक्षा, 3. सूचना, 4. विकल्प-पसंद 5. अभ्यावेदन 6. निवारण 7. उपभोक्ता शिक्षण और 8. अच्छा माहौल।
- आपको बता दे सीआई, उपभोक्ता अधिकारों में काम करने वाला एक बहुत बड़ा संगठन है और इससे 100 से अधिक देशों के 240 संगठन जुड़े हुए हैं।
- इस घोषणापत्र का सार्वभौमिक महत्व है क्योंकि यह गरीबों और सुविधाहीनों की आकांक्षाओं का प्रतीक है। इसके आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने अप्रैल, 1985 को उपभोक्ता संरक्षण के लिए दिशानिर्देश से संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया था।
उपभोक्ता से क्या आशय है ?
- उपभोक्ता संरक्षण कानून अधिनियम 1986 की धारा 2 की उपधारा के अनुसार वस्तुओं, पदार्थों या सेवाओं का उपभोग करने वाला और इनका मूल्य चुकाने वाला या चु्काने का वादा करने वाला उपभोक्ता कहलाता है। उपभोक्ता वह है, जो उपभोग के लिये वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय करता है। सेवाओं को भाड़े पर लेने वाला या इस्तेमाल करने वाला भी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है, बशर्ते इनका वाणिज्यिक इस्तेमाल न किया जाए।
- यदि कोई फुटकर व्यापारी किसी थोक विक्रेता से वस्तुएँ खरीदता है, तो वह उपभोक्ता नहीं है क्योंकि वह तो वस्तुओं को बेचने के लिये खरीदता है। कोई व्यक्ति, जो वस्तुओं एवं सेवाओं का चयन करता है, उन्हें प्राप्त करने के लिये पैसा खर्च करता है तथा अपनी आवश्यकता की पूर्ति हेतु उनका उपयोग करता है, उपभोक्ता कहलाता है।
- इस लेन-देन में विक्रेता की ईमानदारी सबसे अहम है, क्योंकि इसी पर उपभोक्ता का विश्वास टिका होता है। लेकिन कई बार विक्रेता ऐसा काम कर देता है कि उपभोक्ता का विश्वास टूट जाता है; और यह बात ऑनलाइन मार्केटिंग करने वाले ई-उपभोक्ताओं पर भी लागू होती है।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority-CCPA):
- उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, उनका संरक्षण करने और लागू करने के लिये CCPA का गठन किया जाएगा। CCPA अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों तथा उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों का विनियमन करेगा। इसके लिये यह विधेयक CCPA को पर्याप्त रूप से सशक्त करता है। मुख्य आयुक्त की अध्यक्षता वाले CCPA के आदेश के विरुद्ध कोई भी अपील राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष ही की जा सकेगी।
- भ्रामक विज्ञापनों के लिये जुर्माना: CCPA झूठे और भ्रामक विज्ञापनों के लिये विनिर्माता या उत्पाद को एन्डोर्स करने वाली सेलेब्रिटी पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है और दोबारा अपराध की स्थिति में इसे 50 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। विनिर्माता को दो वर्ष तक की कैद और दुबारा अपराध पर पाँच साल की कैद हो सकती है।
- यह विधेयक किसी उत्पाद या सेवा का विज्ञापन करने से पहले उसके द्वारा किये जा रहे दावे की जाँच का दायित्व उस सेलेब्रिटी पर डालता है जो इसे एन्डोर्स कर रहा है। यदि कोई विज्ञापन भ्रामक पाया जाता है तो CCPA उस विशेष उत्पाद या सेवा को एक वर्ष तक एन्डोर्स करने से प्रतिबंधित कर सकता है। एक से ज़्यादा बार अपराध करने पर प्रतिबंध की अवधि को तीन वर्ष तक बढाया जा सकता है।
उपभोक्ता फोरम क्या है
- उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Consumer Disputes Redressal Commissions-CDRC): सुई से लेकर हवाई जहाज तक, होटल से लेकर हॉस्पिटल तक, गलत विज्ञापन या जनता को भ्रमित करने वाले विज्ञापन, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण और इंश्योरेंस सेक्टर सहित तमाम क्षेत्र उपभोक्ता फोरम की परिधि में आते हैं। कोई भी व्यक्ति जिसके साथ गलत हुआ है उपभोक्त फोरम में शिकायत कर सकता है। इस नए विधेयक में उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण करने के लिये ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर CDRC स्थापित किये जाएँगे। कोई भी उपभोक्ता अनुचित और प्रतिबंधित तरीके के व्यापार, त्रुटिपूर्ण वस्तु या सेवा, अधिक या गलत तरीके से कीमत वसूले जाने और जीवन या सुरक्षा के लिये खतरनाक वस्तु या सेवा के विरुद्ध इसमे शिकायत कर सकेगा। ज़िला CDRC के आदेश के खिलाफ राज्य CDRC के समक्ष और राज्य CDRC के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय CDRC के समक्ष सुनवाई की जा सकेगी। अंतिम अपील सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष ही की जा सकेगी।
CDRC का क्षेत्राधिकार:
- शिकायत कहाँ की जाए, यह बात सामान, सेवाओं की लागत अथवा मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करती है। ज़िला CDRC 1 करोड़ रुपए तक के मामलों की, राज्य CDRC 1 करोड़ से अधिक लेकिन 10 करोड़ रुपए से कम वाले मामलों की और राष्ट्रीय CDRC 10 करोड़ रुपए से अधिक के मामलों की सुनवाई करेंगे। वर्तमान में यदि राशि 20 लाख रुपए से कम है तो ज़िला फोरम में, राशि 20 लाख से अधिक लेकिन एक करोड़ से कम है तो राज्य आयोग के समक्ष और यदि एक करोड़ रुपए से अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान है।
- अनुचित अनुबंध के खिलाफ शिकायत केवल राष्ट्रीय और राज्य CDRC में ही की जा सकेगी। अनुचित अनुबंध में उपभोक्ता से अधिक डिपाज़िट की मांग करना, किसी अनुबंध को एकतरफा समाप्त कर देना आदि शामिल हो सकते हैं।
- संस्थागत व्यवस्था: यदि ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय आयोग को लगता है कि किसी मामले को मध्यस्थता के द्वारा सुलझाया जा सकता है तो वे इसके लिये एक मध्यस्थता सेल की स्थापना कर उसे मामला सौंप सकते हैं।
- इसके अलावा प्रोडक्ट लायबिलिटी की व्यवस्था की गई है, अर्थात् उत्पाद के विनिर्माता अथवा सेवा प्रदाता की ज़िम्मेदारी। इन्हें किसी खराब वस्तु या दोषपूर्ण सेवा के कारण होने वाले नुकसान या चोट के लिये उपभोक्ता को मुआवज़ा देना होगा।
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