शोध प्रपत्र अर्थ परिभाषा लेखन|| शोध प्रपत्र के प्रकार प्रारूप मूल्यांकन| Research Paper Meaning Types in Hindi

शोध प्रपत्र अर्थ परिभाषा लेखन, शोध प्रपत्र के प्रकार प्रारूप मूल्यांकन


Research Paper Meaning Types in Hindi

शोध प्रपत्र अर्थ परिभाषा लेखन||  शोध प्रपत्र के प्रकार प्रारूप मूल्यांकन| Research Paper Meaning Types in Hindi



शोध प्रपत्र क्या होते हैं What is Research Paper in Hindi

  • शोधपत्र (शोध प्रपत्र ),शोध रिपोर्ट या शोध कार्य का व्यावहारिक प्रस्तुति योग्य सार आलेख है जो परिणाम को अन्तिम रूप में समेट भविष्य की दिशा निर्धारण में सहयोगान्मुख है। 

प्रो. एस. पी. गुप्ता  के अनुसार शोध प्रपत्र की परिभाषा  –

पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले अथवा संगोष्ठियों व सम्मेलनों में वाचन हेतु तैयार किये गए अनुसन्धान कार्य सम्बन्धी लेखों को प्रायः अनुसंधान पत्रक का नाम दिया जाता है।


शोध प्रपत्र कैसा होना चाहिए 

  • एक उत्तम प्रकार का शोध प्रपत्र आलोचनात्मकसृजनात्मक तथा चिन्तन स्तर का कार्य है। इसमें एक विशिष्ट प्रक्रिया को अपनाकर समुचित क्रम में कार्य किया जाता है ताकि अनुसन्धानकर्ता की शक्ति तथा समय का न्यूनतम अपव्यय हो। शोध प्रपत्र के लेखक प्राथमिक एवं गौण स्रोतों की सहायता से अपना कार्य पूरा करते हैं।


शोध प्रपत्र लेखन

  • शोध प्रपत्र लेखन के क्रम में तथ्य एवं विचारों के अन्तर को ध्यान में रखना होता है। तथ्य को हम सत्य की तरह स्वीकार कर लेते हैं, इन्हें सिद्ध करने के लिए प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है। शोध प्रपत्र में अनेक विचारधाराओं तथा निरीक्षणों को प्रस्तुत किया जाता है, इसमें किसी प्रकार की आशंका होने पर पुष्टि की जा सकती है। शोधकर्ता को तथ्यों एवं विचारों का मिश्रण नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से प्रपत्र का स्तर गिर जाता है।

शोध प्रपत्र के प्रकार (Types Of Research Paper)-

शोध प्रपत्र कई प्रकार के होते हैं। कुछ सामान्यतः उपयोग में आने वाले शोध प्रपत्र के प्रकार निम्न हैं –

  • विवाद प्रिय या तार्किक शोध पत्र (Argumentative Research Paper)
  • कारण प्रभाव शोध पत्र (Cause and Effect Research Paper)
  • विश्लेणात्मक शोध पत्र (Analytical Research Paper)
  • परिभाषीकरण शोध पत्र (Definition Research Paper)
  • तुलनात्मक शोध पत्र (Contrast Research Paper)
  • व्याख्यात्मक शोध पत्र (Interpretive Research Paper)

शोध प्रपत्र का प्रारूप (Format of Research Paper)

  • शोध प्रपत्र लेखन का कोई निश्चित प्रारूप नहीं होता। शोध प्रपत्रों के अवलोकन एवं अनुभव के आधार पर एक व्यापक रूपरेखा विकसित की जा सकती है। यह प्रारूप प्रपत्र लिखने में एक दिशा व प्रवाह के लिए उपयोगी होता है।

आर.एल. एकॉफ के अनुसार,  शोध प्रपत्र का प्रारूप

‘‘निर्णय लिये जाने वाली परिस्थिति उत्पन्न होने के पूर्व ही निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रारुप कहते हैं।’’

एफ.एन. करलिंगर के अनुसार, शोध प्रपत्र का प्रारूप

‘‘शोध प्रारुप अनुसंधान के लिए कल्पित एक योजनाएक संरचना तथा एक प्रणाली हैजिसका एकमात्र प्रयोजन शोध सम्बन्धी प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करना तथा प्रसरणों का नियंत्रण करना होता है।


शोध प्रपत्र का प्रारूप लेखन की प्रमुख बातें 

प्रपत्र तैयार करने के पूर्व प्रमुख बिन्दुओं की एक सूची तैयार करनी चाहिए और उन बिन्दुओं का स्तर तथा क्रम निर्धारित भी कर लेना चाहिए। शोध प्रपत्र के प्रारूप में तीन प्रमुख बिन्दुओं को सम्मिलित किया जाता है

  • प्रस्तावना
  • विषयवस्तुमुख्य अंग तथा
  • शोध के प्रमुख निष्कर्ष


  • कुछ शोध प्रपत्र को एक उद्धरण से प्रारम्भ करते हैंजो शोध से परोक्ष रूप से सम्बन्धित होता है। यह पाठकों में उत्सुकता एवम आकर्षण पैदा करता है। वैज्ञानिक शोध का प्रारम्भ एक सूक्ष्म समीक्षा से किया जाता है। 


  • प्रस्तावना में शोध की समस्या को स्पष्ट रूप में परिभाषा दी जाती है। शोध का मुख्य उद्देश्य प्रस्तुत किया जाता है और उसके महत्व का संक्षिप्त उल्लेख किया जाता है।


  • विषयवस्तु का मुख्य अंग शोध प्रबन्ध से ही लिया जाता है। प्रपत्र में शोध क्रियाओं का संश्लेषण किया जाता है जिससे पाठक निष्कर्ष की ओर अग्रसर होता है। प्रपत्र का रूप रचनात्मक तथा आलोचनात्मक होना चाहिए। प्रपत्र के इस अंग का मुख्य लक्ष्य होता है कि जो कुछ शोध में किया गया हैउसे प्रस्तुत करना। शोधकर्ता को अपने विचारों की सन्तुष्टि सन्दर्भों प्रदत्तों एवं सांख्यिकों के आधार पर करनी चाहिए।


निष्कर्ष (Conclusion)

शोधकर्ता को अपने निष्कर्षों को कथन रूप में प्रस्तुत करना होता है। निष्कर्षों के पक्ष व विपक्ष में तर्क भी देने चाहिए। यदि निष्कर्षों को उपयोगिता किसी क्षेत्र में हो सकती है तो उसका उल्लेख करना चाहिए। शोध प्रपत्र के अन्त में सन्दर्भ सूची अवश्य होनी चाहिएजिससे शोधकार्य की वैधता बढ़ती है।


शोध प्रपत्र लेखन तथा प्रकाशन से निम्न लाभ होते हैं-

  • नवीन ज्ञान से संयुक्तीकरण।
  • शोध कार्यों सम्बन्धित दृष्टिकोण का सम्यक विकास।
  • पुनः आवृत्ति से बचाव।
  • परिश्रम को उचित दिशा।
  • विभिन्न परिक्षेत्र के शोधों से परिचय।
  • समीक्षा में सहायक।
  • विशेषज्ञों के सुझाव जानने का अवसर।
  • शक्ति व धन की मितव्ययता।
  • अनुभव में वृद्धि।
  • प्रसिद्धि में सहायक।


शोध पत्र प्रकाशित करने वाली संस्थाएं

शोध पत्र प्रकाशित करने वाली विश्व की प्रसिद्ध संस्थाएं निम्न हैं

  • Springer
  • Palgrave Macmillan
  • Routledge
  • Cambridge University Press
  • Elsevier
  • Nova Science Publishers
  • Edward Elgar
  • Information Age Publishing
  • Princeton University Press
  • University of California Press

 

शोध-प्रबन्ध का मूल्यांकन (Evaluation of Research Work)

  • शोधकार्य चाहे किसी भी स्तर का होउसका मूल्यांकन अवश्य किया जाता है। शोधकर्ता के लिए मूल्यांकन एक महत्त्वपूर्ण उपयोगी प्रक्रिया है मूल्यांकन में विभिन्न प्रकार के सुझाव और आलोचनाएँ होती हैं।


  • शोध-प्रबन्ध की भाषा तथा प्रस्तुतीकरण का रूप वैज्ञानिक होना चाहिए। लेखन में प्रवाह तथा एक क्रम होना चाहिए। व्याकरण एवं वर्तनी सम्बन्धी त्रुटि नहीं होनी चाहिए। शोध-प्रबन्ध लेखन में प्रकरणशोध समस्या सम्बन्धित शोध-साहित्यशोध विधिआंकड़ों का विश्लेषण आदि का ध्यान रखना चाहिए।


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