संगोष्ठी (विचारगोष्ठी) का अर्थ एवं परिभाषा उद्देश्य प्रकार प्रक्रिया उपयोगिता | Seminar Kya Hote Hain
संगोष्ठी (विचारगोष्ठी) का अर्थ एवं परिभाषा उद्देश्य प्रकार प्रक्रिया उपयोगिता (Seminar Kya Hote Hain)
संगोष्ठी (विचारगोष्ठी) का अर्थ एवं परिभाषा उद्देश्य प्रक्रिया उपयोगिता ( Seminar Kya Hote Hain)
विचारगोष्ठी/ संगोष्ठी (Seminar) क्या है
- विचारगोष्ठी (संगोष्ठी)अनुदेशन की ऐसी प्रविधि है, जिससे चिन्तन स्तर के अधिगम के लिए अन्तः प्रक्रिया की परिस्थिति उत्पन्न की जाती है। इस प्रविधि को विभिन्न स्तरों पर अनुदेशन परिस्थितियों के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यह अधिक सीमित एवं औपचारिक प्रकृति की होती है, जबकि सम्मेलन अधिक विस्तृत एवं अनौपचारिक प्रकृति का होता है।
- विचारगोष्ठी में परिचर्चा सीमित समय में अधिक विषयों पर होती है।
विचारगोष्ठी के उद्देश्य (Objectives of Seminar)
प्रजातान्त्रिक राष्ट्र एवं समाज के लिए सेमिनार
अधिक उपयोगी है। इसके प्रयोग से ज्ञानात्मक एवं भावात्मक उच्च उद्देश्यों की
प्राप्ति की जाती है।
इसके मुख्य उद्देश्य है-
1. विश्लेषण तथा आलोचनात्मक क्षमता का विकास करना ।
2. संश्लेषण तथा मूल्यांकन की
योग्यता का विकास करना।
3. निरीक्षण तथा अनुभव के
प्रस्तुतीकरण की क्षमता का विकास करना।
4. अन्य व्यक्तियों के विरोधी
विचार एवं दृष्टिकोण की सहनशीलता का विकास होता है।
5. विचारों की स्वच्छन्दता तथा
दूसरों के सहयोग की भावना का विकास होता है।
6. भावात्मक स्थिरता का विकास
होता है।
इसके अतिरिक्त सेमिनार से अपना दृष्टिकोण रखने का
स्पष्टीकरण करने तथा माँगने के व्यवहार का विकास होता है।
विचार गोष्ठी के आयोजन
में चार भूमिकाएं निभानी होती हैं
1 अनुदेशक व्यवस्थापक
2 अध्यक्ष
3 वक्तागण
4 भागीदार
विचारगोष्ठी की प्रक्रिया (Process of Seminar)
- सबसे पहले विचारगोष्ठी के लिए प्रकरण का चयन करना है। जो व्यक्ति इस प्रकरण पर प्रपत्र तैयार करते हैं, उन्हें वक्ता कहते है। विभिन्न संस्थाओं से व्यक्तियों को आमन्त्रित किया जाता है। अक्सर सेमिनार की व्यवस्था एक कक्षा तथा विभाग द्वारा महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थाओं के स्तर पर की जाती है।
- विचारगोष्ठी का विषय पूर्व नियोजित होता है। वक्ता अपने प्रपत्र की प्रतिलिपियाँ तैयार कर सेमिनार के आरम्भ में वितरित कर देता है। सेमिनार के भागीदारों में से एक अध्यक्ष का चयन सेमिनार के संचालन हेतु किया जाता है। सेमिनार संचालन का उत्तरदायित्व अध्यक्ष का होता है। संचालन प्रक्रिया अध्यक्ष निर्धारित करता है।
- विचारगोष्टी के आयोजन की समय सीमा 90 मिनट से 3 घंटे तक होती है।
- विचारगोष्ठी का विषय पूर्व निर्धारित होता है जिसके बारे में प्रतिभागियों को पहले ही बता दिया जाता है।
विचारगोष्ठी के प्रकार (Types of Seminar in Hindi)
1. लघु विचारगोष्ठी: किसी प्रकरण पर कक्षा स्तर पर जब सेमिनार का आयोजन छात्र स्वयं करते
हैं।
2. मुख्य विधारगोष्टी: किसी विभाग या संस्था द्वारा आयोजित।
3. राष्ट्रीय विचारगोष्ठी।
4. अन्तर्राष्ट्रीय विचारगोष्ठी।
विचारगोष्ठी की उपयोगिता (Importance of Seminar)
- शिक्षा
के ज्ञानात्मक तथा भावात्मक उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है।
- प्रजातान्त्रिक
मूल्यों का विकास ।
- प्रस्तुतीकरण
एवं तर्क करने की क्षमताओं का विकास ।
- उत्तम
प्रकार की अधिगम आदत का विकास ।
- स्वतन्त्र
अध्ययन को प्रोत्साहन ।
- वाद-विवाद
में भाग लेने तथा बोलने के विकास ।
- आलोचनात्मक
चिन्तन का विकास ।
- शिक्षार्थी
में सामाजिक एवं भावात्मक गुणों का विकास ।
Thanks Jaankari Hindi me uplabdh karane ke liye
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