ऊष्मागतिक फलन या ऊष्मागतिक विभव Thermodynamic Function or Thermodynamic Potential In Hindi
ऊष्मागतिक फलन या ऊष्मागतिक विभव
Thermodynamic Function or Thermodynamic Potential
ऊष्मागतिक निकाय के व्यवहार के पूर्ण वर्णन के लिए निम्न ऊष्मागतिक फलनों की आवश्यकता पड़ती है-
- आन्तरिक ऊर्जा U
- हेल्महोल्ट्ज फलन या हेल्महोल्ट्ज़ मुक्त ऊर्जा A
- एन्थैल्पी या कुल ऊष्मा फलन H
- गिब्स मुक्त ऊर्जा G
आन्तरिक ऊर्जा फलन U (Internal Energy Function U)
प्रत्येक निकाय की अणुओं की गति के कारण गतिज ऊर्जा तथा अणुओं के मध्य पारस्परिक आकर्षण के कारण स्थितिज ऊर्जा होती है। इन दोनों ऊर्जाओं के योग को आन्तरिक ऊर्जा कहते हैं। यह निकाय की अवस्था का एक अद्वितीय फलन (Unique function) है अर्थात् निकाय की अवस्था परिवर्तन होने पर आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन dU उस मार्ग पर निर्भर नहीं करता है जिससे निकाय एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाता है, बल्कि dU का मान निकाय की प्रारम्भिक व अंतिम अवस्थाओं पर निर्भर करता है। अतः dU यथातथ अवकल (Perfect differential) है। ऊष्मागतिक के प्रथम व द्वितीय नियम निम्नानुसार हैं
TdS = dU+PdV
या dU =TdS -PdV ...........(1)
जहाँ पर dS एण्ट्रॉपी में परिवर्तन तथा dV आयतन में परिवर्तन को व्यक्त करता है।
रूद्धोष्म परिवर्तन में dQ = TdS=0
अत: समीकरण (1) से,
dU = -PdV
अर्थात रूद्धोष्म परिवर्तन में निकाय पर किया गया कार्य आन्तरिक ऊर्जा में कमी के बराबर होता है।
हेल्महोल्ट्ज मुक्त ऊर्जा (F) Helmholtz free energy
हेल्महोल्ट्ज फलन निम्न समीकरण से परिभाषित किया जाता है -
F=U-TS
जहां U निकाय की आन्तरिक ऊर्जा, T ताप व S एण्ट्रापी है। इसे नियत आयतन पर ऊष्मागतिक विभव भी कहते हैं। यह फलन निकाय की अवस्था का अद्वितीय फलन है, अतः यथातथ्य अवकल राशि है। प्रारंभिक एवं अंतिम अवस्थाओं के लिए हेल्महोल्ट्ज फलन-
अत्यन्त सूक्ष्म उत्क्रमणीय समतापी परिवर्तन के लिए
dF = dU-TdS
परन्तु ऊष्मागतिक के द्वितीय नियम से,
dQ = TdSअतः dF = dU-dQ
dF = dU-{dU+dW}एन्थैल्पी किसे कहते हैं Enthalpy Details in Hindi
इसे निम्नानुसार परिभाषित किया जाता है
H=U+PV
जहाँ U निकाय की आन्तरिक कर्जा, P दाब व V आयतन है। इसे कुल ऊष्मा फलन भी कहते हैं। यह निकाय की अवस्था का अद्वितीय फलन है। अतः यह यथातथ्य अवकल राशि है। प्रारम्भिक एवं अंतिम अवस्थाओं के लिए एन्थैल्पी-
अत्यन्त सूक्ष्म समदाबी परिवर्तन के लिए,
dH=dU+PdV (ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से)
dQ=dU+PdVdH=dQ
अर्थात् समदाबी उत्क्रमणीय प्रक्रम में किसी निकाय की एन्थैल्पी में परिवर्तन, उस प्रक्रम में निकाय द्वारा
ली गई अथवा दी गई ऊष्मा के बराबर होता है।
गिब्स मुक्त उर्जा क्या होती है Gibbs free energy details in Hindi
इसे निम्नाुनसार परिभाषित करते हैं
G = H-TS
= U+PV-TS
= (F+PV)
इसे नियत दाब पर ऊष्मागतिक विभव भी कहते हैं। यह निकाय की अवस्था का अद्वितीय फलन होता है, अतः यह यथातथ अवकल राशि है। प्रारम्भिक एवं अंतिम अवस्थाओं के लिए गिब्स फलन
dG = (dU+PdV)-dQ
dG = dQ-dQ
अर्थात नियत ताप व दाब पर होने वाले उत्क्रमणीय परिवर्तन में निकाय की गिब्स मुक्त ऊर्जा नियत रहती है।
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