ऊष्मागतिकी क्या है| ऊष्मागतिक निकाय| ऊष्मागतिक साम्य स्थित| Thermodynamics GK in Hindi

    ऊष्मागतिकी क्या है Thermodynamics GK in Hindi

    ऊष्मागतिकी क्या है| ऊष्मागतिक निकाय| ऊष्मागतिक साम्य स्थित| Thermodynamics GK in Hindi



    ऊष्मागतिकी क्या है Thermodynamics GK in Hindi

    • ऊष्मागतिकी भौतिकी विज्ञान की वह शाखा हैजिसके अन्तर्गत व्यापक रूप में ऊष्मीय ऊर्जा तथा अन्य प्रकार की ऊर्जाओं जैसेयान्त्रिक ऊर्जावैधुत ऊर्जारासायनिक ऊर्जाविकिरण ऊर्जा आदि के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।


    • यह एक प्रायोगिक विज्ञान है जो कि प्रकृति के दो व्यापक नियमों पर आधारित हैये ऊष्मा का कार्य में तथा कार्य का ऊष्मा में परिवर्तन प्रदर्शित करते हैं। ये नियम प्रायोगिक निष्कर्षो पर आधारित होते हैं। इन नियमों को ऊष्मागतिकी के मूल नियम कहते हैं। इन नियमों की उपयोगिताभौतिकी के साथ-साथ विज्ञान की उन सभी शाखाओं में भी होती हैजहाँ ऊष्मा प्रयुक्त होती हैजैसे-अभियांत्रिकीरसायनशास्त्र आदि।


    • ऊष्मागतिकी में पदार्थ की आन्तरिक संरचना पर ध्यान नहीं दिया जातान ही उन कणों की गति पर विचार किया जाता है जिनसे मिलकर वह पदार्थ बना होता है अर्थात् ऊष्मागतिकी में पदार्थ के सूक्ष्म स्तरीय (microscopic) गुणों पर विचार नहीं किया जाता हैबल्कि स्थूल स्तरीय (macroscopic) गुणों पर ध्यान दिया जाता है एवं अध्ययन किया जाता है।
    • ऊष्मागतिकी से प्राप्त निष्कर्ष लगभग सत्यसही (accurate) होते हैंइसलिये इसका उपयोग आधुनिक भौतिकी में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।


    ऊष्मागतिक निकायसाम्यावस्था व ऊष्मागतिक निर्देशांक

     (Thermodynamic System, Equilibrium State and Thermodynamic Co-ordinate)


    स्थूल पिण्ड (macroscopic body) 

    • स्थूल पिण्ड से तात्पर्य एक ऐसे ऊष्मागतिक निकाय से होता है जो साम्य स्थिति में होऐसा पिण्ड अति सूक्ष्म कणों जैसे-परमाणुओंअणुओंआयनोंफोटॉनोंइलेक्ट्रॉनों आदि से मिलकर बना होता है। किसी ऊष्मागतिक निकाय की अवस्था को भौतिक राशियों द्वारा व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिएकिसी गैस या द्रव की अवस्था को तीन राशियों दाब P (Pressure) , आयतन V (Volume) तथा ताप T (Temperature)  द्वारा व्यक्त किया जाता है। साम्यावस्था में किसी निकाय के लिये प्रयुक्त राशियों या प्राचलों (Parameters) का मान समय के साथ अपरिवर्तनीय होता हैइन प्राचलों द्वारा स्थूल स्तरीय निकाय की व्याख्या की जा सकती है।


    • उदाहरण के लियेमाना कि एक बर्तन को पृथक्कारी दीवार द्वारा दो अर्द्ध.भागों में विभाजित किया गया। इस बर्तन के बायें अर्द्ध भाग में एक गैस भर दी गई एवं दायाँ अर्द्ध.भाग खाली है। पृथक्कारी दीवार में एक वाल्व लगा हैयदि वाल्व खुला है तब गैस बायें अर्द्ध-भाग से दायें अर्द्ध-भाग में प्रवेश करेगी। इस प्रक्रिया के प्रारम्भ में गैस का आयतन अनिश्चित होता हैक्योंकि गैस का घनत्व (density) लगातार परिवर्तित हो रहा है। अतः इस स्थिति में गैस के आयतन की सीमाएँ व्यक्त करना सम्भव नहीं है। इसी प्रकारकिसी निकाय की ऐसी अवस्था भी सम्भव हो सकती हैजिसमें दाब एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर परिवर्तनीय हो या ताप एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर परिवर्तनीय हो। इस अवस्था को अपरिवर्तनीय या अचर बनाने के लिये ऊष्मारोधी दीवार बनायी जाती हैतब कुछ समय पश्चात् ऐसी अवस्था प्राप्त की जा सकती है कि निकास का दाबताप तथा आयतन सभी बिन्दुओं पर समान हो जाये तथा जब बाह्य शर्तों (तापदाब आदि) को न बदला जायेतब तक उनका मान स्थिर रह सकता हैइस अवस्था को साम्यावस्था कहते हैं। साम्यावस्था में किसी निकाय की ऊष्मागतिक अवस्था को पूर्णरूपेण व्यक्त करने के लिये जिन राशियों की आवश्यकता होती हैउन्हें ऊष्मागतिक निर्देशांक कहते हैं। अतः ऊष्मागतिक निकाय वह निकाय है जिसे ऊष्मागतिक निर्देशांकों के पदों में परिभाषित किया जा सके।
    • ऊष्मागतिकी में ऊष्मा एवं यांत्रिक ऊर्जा या अन्य प्रकार की ऊर्जाओं के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। 
    • किसी ऊष्मागतिक निकाय की अवस्था को दाब P, आक्तन  V, तथा ताप T द्वारा प्रदर्शित करते हैं। थे तीनों राशियाँ ऊष्मागतिक चर (Thermodynamic Variables) कहलाती हैं। 
    • किसी ऊष्मागतिक निकाय की अवस्था को प्रदर्शित करने के लिये इन तीन चर राशियों में से किन्हीं दो की ही आवश्यकता होती हैक्योंकि ये तीनों राशियों एक सूत्र द्वारा आपस में सम्बन्धित होती हैंजिसे निकाय का अवस्था समीकरण (Equation of State) कहते हैं। 


    अवस्था समीकरण (Equation of State)

    व्यापक रूप में अवस्था समीकरण को निम्नांकित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है-

    f(P, V, T)=0

    अतः ऊष्मागतिक चर राशियों P, V तथा में से किन्हीं दो के मान ज्ञात होने पर तीसरी अज्ञात चर राशि का मान अवस्था समीकरण द्वारा नियत हो जाता है।

    जब किसी ऊष्मागतिक निकाय के प्रत्येक भाग का ताप समान हो तथा यह तापपरिवेश (आस.पास का वातावरण) के ताप के बराबर हो तो निकाय ऊष्मीय सन्तुलन की अवस्था में कहा जाता है।


    • यदि इस निकाय के विभिन्न भागों का ताप समान नहीं है तो निकाय को ऊष्मागतिक अवस्था में तब तक परिवर्तन होगाजब तक कि ऊष्मीय सन्तुलन की अवस्था प्राप्त नहीं हो जाती। यहाँ अवस्था परिवर्तन से तात्पर्य निकाय की ऊष्मागतिक अवस्था परिवर्तन अर्थात् P,V  T में परिवर्तन से है न कि द्रव अवस्था से ठोस अवस्था या द्रव अवस्था से गैस अवस्था में अतः इस प्रकार के परिवर्तन को फेज परिवर्तन (Change of phase) कहते हैं।


    ऊष्मागतिक साम्य स्थिति क्या है 

    जब किसी ऊष्मागतिक निकाय से सम्बन्धित चर राशियों के मान समय के साथ परिवर्तित नहीं होते तब निकाय को ऊष्मागतिक साम्य स्थिति में कहा जाता है। इस प्रकार के निकाय को ऊष्मागतिक साम्य अवस्था में होने के लिये आवश्यक है कि निकाय (1) यांत्रिक साम्य(Mechanical Equilibrium) (2) ऊष्मीय साम्य (Thermal Equilibrium) तथा (3) रासायनिक साम्य (Chemical Equilibrium) में हो।

    • यान्त्रिक साम्य से तात्पर्य है कि किसी निकाय के विभिन्न भागों के बीच तथा निकाय एवं परिवेश के बीच कोई असन्तुलित (Unbalanced ) बल कार्य न करे।
    • ऊष्मीय साम्य का अर्थ है कि निकाय के प्रत्येक आन्तरिक भाग का ताप समान होना चाहिये एवं निकाय तथा परिवेश का ताप समान होना चाहिये। ऊष्मीय साम्यावस्था का अर्थ स्पष्ट रूप से समझने के लिएमाना कि दो निकाय एक पृथक्कारी दीवार द्वारा एक.दूसरे से पृथक्कृत है। यह दीवार ऊष्मीय चालक (Thermal conductor )या रुद्धोष्म (adiabatic) हो सकता है। यदि निकाय तथा ऊष्मीय चालक द्वारा जुड़े रहते हैंतो गैसीय निकाय की अवस्था में परिवर्तन होने पर गैसीय निकाय की अवस्था में भी परिवर्तन होता है।
    • रासायनिक साम्य से तात्पर्य है कि यदि निकाय में स्वतः आन्तरिक परिवर्तन न हो अर्थात् उसकी संरचना स्थिर होतो निकाय रासायनिक साम्यावस्था में होता है। यदि कोई यांत्रिकरासायनिक तथा ऊष्मीय साम्यावस्था के लिये सभी आवश्यक प्रतिबन्ध पूरा नहीं करता तथा इस निकाय में त्वरणऊष्मा आदान-प्रदान एवं रासायनिक क्रियाओं की घटनाएँ होती हो तो यह अवस्था ऊष्मागतिकीय साम्यावस्था नहीं है।


    निकाय के स्थूल गुण (Macroscopic Properties of System)

    निकाय के वे गुण जो-

    • सम्पूर्ण निकाय की विशेषता होती है।
    • प्रयोगशाला में सीधे नापे जा सकते हैं।
    • निकाय को संरचना से सम्बन्धित होते हैं।
    • प्रयोगकर्ता द्वारा अनुभव किये जा सकते हैं।

    स्थूल गुण कहलाते हैं। इसमें निकाय की रासायनिक संरचनादाबआयतनतापआन्तरिक ऊर्जाएण्ट्रॉपी आदि आते हैं।


    निकाय के सूक्ष्म गुण(Microscopic Properties of System)

    निकाय के वे गुण जो-

    • निकाय की आन्तरिक संरचना का वर्णन करते हैं।
    • प्रयोगशाला में सीधे नहीं मापे जा सकते हैं।
    • प्रयोगकर्ता द्वारा अनुभव नहीं किये जा सकते हैं।

    सूक्ष्म गुण कहलाते हैं। इसमें अणुओं के द्रव्यमानवेगऊर्जासंवेग आदि आते हैं।

    किसी निकाय के स्थूल व सूक्ष्म गुण एक ही निकाय की अवस्था को दो अलग-अलग विधियों से व्यक्त करने के तरीके हैं। अतः ये एक दूसरे से सम्बन्धित रहते हैं।

    जैसे-किसी गैस का दाब (स्थूल गुण), दीवार के एकांक क्षेत्रफल से टकराने वाले अणुओं के औसत संवेग परिवर्तन की दर(सूक्ष्म गुण) पर निर्भर करता है। इसी प्रकार ताप (स्थूल गुण) अणुओं की गतिज ऊर्जा (सूक्ष्म गुण) से सम्बन्धित है।

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