प्रमुख महिला लेखिकाओं का जीवन परिचय | Biographies Female Hindi Writers

प्रमुख महिला लेखिकाओं का जीवन परिचय  (Biographies  Female Hindi Writers) 

प्रमुख महिला लेखिकाओं का जीवन परिचय | Biographies  Female Hindi Writers


प्रमुख महिला लेखिकाओं का जीवन परिचय  (Biographies  Female Hindi Writers) 


उषा प्रियंबदा लेखिका का परिचय 

 

  • उषाजी का जन्म इलाहाबाद में हुआ। वहीं पढ़ाई लिखाई कर अंग्रेजी में डाक्टरेट की । ब्यूमिंगटन की इंडियाना युनिवर्सिटी में दो साल रह कर तुलनात्मक साहित्य पर शोध किया । उसके बाद दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज में और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, मेडिसन के दायित्व एशियाई विभाग में प्रोफेसर बनी । 1977 में प्रोफेसर आफ इंडियन लिटरेचर बनी । वहीं से 2002 में अवकाश ले कर लेखन में जुट गई। 

 

  • उषा का पहला कथा संग्रह 1961 में आया और 1962 में 'पचपन खंभे लाल दीवारें' । बाद में 1966 में 'रुकोगी नहीं राधिकाप्रकाशित हुआ ।उषा के लेखन के दौरान सूर के अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हैं । मध्यकाल और लोककथा पर अनेक लेख छपे हैं ।

 

नासिरा शर्मा लेखिका का परिचय

 

  • आपका जन्म 1948 में इलाहाबाद में आजादी के बाद हुआ । वहीं पढ़ाई की । खुले विचार शुरू से ही रहे । अतः विवाह उन्होंने बिना जाति धर्म का विचार किये रचाया । परंतु अपनी पहचान रखने के लिए नाम नासिरा ही रखा ।

 

  • ईरानी समाज और राजनीति से सुपरिचित हैं । हमेशा पत्र-पत्रिकाओं से जुड़ी रही हैं । मुसलीम परिवार में परवरिश और बड़ी होने के कारण उसका रेशा - रेशा उनका परिचित है । वहाँ के सारे माहौल को गहराई से अनुभव किया है । अतः अपने कथा साहित्य में खूब बेबाकी से उन पर प्रकाश डाला है । 


प्रकाशित रचनाओं में कुछेक हैं -

 

  • उपन्यास - सात नदियाँ एक समंदर, जिन्दा मुहावरे, अक्षयवट, बूंद

 

कहानी संग्रह - 

  • शामी कागज, पत्थरगली, संगसार, सबीना के चालीस चोर, खुदा की वापसीदूसरा राजमहल, बुताराना ।

 

  • इसके अलावा लेख संग्रह, नाटक, अनुवाद, बालसाहित्य और इंटरव्यू भी छपे हैं । कुछ टीवी सीरियल और टी वी फिल्मों में भी हाथ दिया है । संप्रति दिल्ली में रहती हैं ।

 

मन्नू भंडारी लेखिका परिचय 

 

  • मन्नू भंडारी का जन्म सन् 1931 को भानपुर (मध्यप्रदेश) में आजादी के सोलह साल पहले हुआ । अतः स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य संघर्ष में गांधीजी की भूमिका देखी है । वह बचपन था । आप के कथानक में हास्य-व्यंग की बजाय गहरा करुण भाव छाया रहता है । उनको महाभोज जैसे प्रतीकात्मक उपन्यास पर काफी प्रशंसा मिली । यहाँ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद चल रहे मूल्य रहित प्रशासन, जीवन और राजनीति का धारधार चित्रण किया गया है ।


  • मन्नूजी ने सबसे उपेक्षित बाल जीवन पर अत्यंत मार्मिक उपन्यास लिखा । आपके उपन्यास - आपका बंटा' लिखा । यही कारण है कि उनका कथा साहित्य हिंदी ही नहीं भारत की विभिन्न भाषाओं में अनूदित होकर सराहा गया है । भारतीय भाषा परिषद, यूपी हिंदी संस्थान, हिंदी अकादेमी एवं बिरला फाउंडेशन (व्यास सम्मान) आदि महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है ।

 

मंजुल भगत 1936-1998- लेखिका परिचय

 

  • मंजुल भगत का जन्म 1936 में मेरठ में हुआ । दिल्ली में उनकी पढ़ाई हुई । 
  • कई पुरस्कारों से सम्मानित । इनमें हिंदी अकादेमी, नई दिल्ली और यूपी हिंदी संस्थान का यशपाल पुरस्कार प्रमुख है आपके उन्यास टूटा हुआ इन्द्रधनुष और 'तिरछी बौछारें' प्रसिद्ध कृतियाँ है । 
  • आपकी कहानियों के भारतीय भाषाओं में अनेक अनुवाद छपे हैं । खातुन का अंग्रेजी में अनुवाद छपा है । 
  • आज के युग में शब्दों के चक्रव्यूह को तोड़कर कर्म तक पहुँचना चाहती हैं । मंजुलजी नैतिक और सौन्दर्य शारीरिक मूल्यों पर प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं । उन पात्रों को स्वर देती हैं जिन्हें साहित्य ने अब तक गूंगा बना रखा था । शांत, दृढ़ प्रतिरोधी स्त्री चेतना की प्रतीक हैं ।

 

मृदुला गर्ग लेखिका परिचय

 

  • मृदुलागर्ग का जन्म 1938 में कोलकाता में पराधीन भारत में हुआ । परंतु उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की अध्यापिका बनी यहीं जीवन का व्यापक अनुभव प्राप्त हुआ । मृदुलाजी ने 1970 में पहली कहानी लिखी ।

 

  • धीरे-धीरे लेखन महत्व पूर्ण बन जाता है । और पीड़ा को लेकर उपन्यास रचित हुए । सृजन में कहानी के अलावा आपने नाटक, उपन्यास भी लिखे हैं । इसमें बहुचर्चित 'चित्तकोबरा' अपने बोल्ड चित्रण के कारण चर्चा में रहा । उसके हिस्से की धूप' उपन्यास में विवाह बंधन में जब सड़ांध आने लगती है तो उसमें प्रेम कहीं खो जाता है । वह पूर्व प्रेमी जिसमें खोती है । वहाँ भी देह का ज्वार भाटा शांत होने के बाद निराशा हाथ लगती है । तब नायिका अपना परिचय लेखनी में पाती है । लेखन में उसे आत्म संतोष मिलता है । मृदुलाजी का यह भाव आगे भी शारीरिक रिश्तों के थोथापन की घोषणा करता है । अत: मृदुलाजी ने कहा- प्रेम अपने मूल रूप में प्लाटो (अशारीरिक) होता है, उसकी परमगति प्रेमी से एकात्म होने में है, एक शरीर होने में नहीं ।

 

  • पर मृदुला की नारी पात्र में माँ, बेटी, बहन, पत्नी, प्रेम आदि बंधनों में बंध कर भी खुद की एक पहचान चाहती है । इसे 'आइडेंटीटी' कहते हैं । वह एक नारी है और दूसरों से हट कर स्वतंत्र रूप से अपने व्यक्तित्व की तलाश होती है । नारी का यह रूप पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करता है । मृदुला जी के पात्रों में यही कामना सर्वाधिक तीव्र होती है । सारा संघर्ष इसी पर चलता है ।

 

ममता कालिया लेखिका परिचय

 

  • ममता कालिया सन् 1940 मथुरा में जन्मी । आपने शुरू से ही कथानक की ओर कदम बढ़ाये । पढ़ाई अंग्रेजी में एमए तक । बाद में आपका विवाह रवीन्द्र कालिया जैसे प्रसिद्ध कथाकार से हुआ । ज्यादातर समय स्वतंत्र लेखन से ही जुड़ा रहा । संप्रति आप नई दिल्ली में रहती हैं ।

 

  • उपन्यास में 'बेघर', 'एक पत्नी के नोट्स', 'दौड़', और 'पच्चीस साल की लड़की' प्रसिद्ध हैं । कहानी संग्रह में 'छुटकारा', 'एक अदद औरत', 'मुखौटा' और 'निर्मोही' प्रसिद्ध हैं ।

 

  • ममताजी के दो एकांकी संग्रह और कुछ अनुवाद भी प्रकाशित हैं । 
  • आपको उत्तर प्रदेश सरकार से यशपाल सम्मान, यूपी हिंदी संस्थान से महादेवी वर्मा अनुशंसा सम्मान, फिर साहित्य भूषण सम्मान आदि अनेक महत्वपूर्ण सम्मान मिले हैं ।

 

सूर्यबाला लेखिका परिचय 

 

  • सूर्यबाला का जन्म 1944 में वाराणसी में हुआ । पढ़ाई-लिखाई भी वहीं की । पीएच डी तक करने के बाद आप स्वतंत्र लेखन में चली गई । 

  • अत्यंत बेबाकी से नारी जीवन पर लिखा । परंतु सूर्यबाला जी का हास्य व्यंग से परिपूर्ण कथा - संसार उन्हें विशेष प्रतिष्ठा देने में सहायक हुआ है । 

  • इनके उपन्यासों में मेरे संधि पत्र', 'सुबह के इंतजार तक' प्रसिद्ध हैं । पर अग्निपंखीऔर दीक्षांत' से काफी चर्चा में आ सकी है। 

  • कहानी संकलनों में एक इन्द्रधनुष : जुबेना के नाम, मानुष गंध और पांच लम्बी कहानिर्यां विशेष चर्चित हुई हैं ।

 

मैत्रेयी पुष्पा लेखिका परिचय 

 

  • मैत्रेयी पुष्पा का जन्म 1944 ई, में अलीगढ़ में हुआ । हिंदी में एम.ए. कर भी नौकरी नहीं की । वे स्वतंत्र लेखन में लगी रही । संप्रति नोयडा में निवास है। उन्हें सार्क लिटररी अवार्ड, कथा पुरस्कार, प्रेमचंद सम्मान, सरोजिनी नायडू सम्मान एवं साहित्यकार सम्मान आदि अनेक सम्मान मिले हैं ।

 

  • आज की प्रमुख चर्चित और सजग लेखिका हैं । इनके उपन्यासों में नारी अपनी अस्मिता और अस्तित्व के लिए संघर्ष करती हैं । यह संघर्ष समाज से, रूढ़ियों से, सड़ी-गली परंपराओं से और पुरुष की जड़ मानसिकता से है। अपने ऊपर दोहरा अन्याय और अत्याचार को चुपचाप नहीं सहन करती । उसका दृढ़ता से मुकाबला करती है ।

 

  • स्त्री सर्वाधिक चर्चित रही है यौन संबंधों को ले कर, यह सर्वाधिक संवेदनात्मक बिन्दु है । परंतु यहाँ भी नारी अत्यंत सबल एवं सकारात्मक रुख अपनाती है । मैत्रेयीजी की नारी अपने पर थोपे बंधन काट कर फेंक देती है। वे अपने पर थोपे बंधन नहीं रख पाती ।

 

  • वे महा नगर की तुलना में सामाजिक आर्थिक दृष्टि से अविकसित और पिछड़े कस्बाई और ग्रामांचल के परिवेश को आधार बनाती हैं । कई रूपों और कई स्तर पर हो रहे परिवर्तन को लक्ष्य करती हैं । इन परिवर्तनों के सापेक्ष्य अपने सामान्य स्त्री पात्रों को उनकी शक्ति और गरिमा के साथ प्रस्तुत करती हैं । वे भाग्य और नियति के आगे समर्पण से इनकार करती हैं। संकल्प और साहस के साथ खड़ी होती हैं । स्त्री सामाजिक बदलाव में भूमिका लेती है । इस प्रकार सामान्य स्त्री की मानसिक सोच में आये बदलाव को रेखांकित कर रही हैं। टूटन इनमें नया विवेक पैदा कर देती है।

 

चित्रा मुद्गल लेखिका परिचय

 

  • चित्रा मुद्गल का जन्म 1944 ई. में चेन्नई में हुआ । आपने हिंदी में एम.ए. किया । 
  • आप प्रसार भारती बोर्ड की सदस्य थी। बाद में 'इंडियन क्लासिक्स' सीरीज में भारतीय कहानियों के चुनाव और उनके दूरदर्शन पर प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई । सामाजिक कार्यों में संलग्न रही हैं । 
  • उन्हें हिंदी के श्रेष्ठ साहित्य के लिए बिरला फाउण्डेशन द्वारा प्रदत्त व्यास पुरस्कार से सम्मानित किया गया । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा साहित्य भूषण सम्मान प्रदान किया गया है । 
  • संप्रत्ति आप नई दिल्ली में रहती हैं ।

 

नासिरा शर्मा लेखिका परिचय

 

  • नासिरा जी का जन्म ई. 1948 में हुआ । नौकरी नहीं स्वतंत्र लेखन से जुड़ी रही । हिन्दु परिवार में विवाह के बावजूद अपना नाम नहीं छोड़ा । नारी जीवन की वेदना - विवशता और फिर जीवन का यथार्थ और उससे समझौता करते-करते टूटना यह उनका बेबाकी से चित्रण का तरीका है ।

 

  • फिलहाल आप दिल्ली में रहती हैं । कहानी, उपन्यास विधाओं में खूब सफलता मिली है । आधुनिक युग से मेल खाते हुए आपने टेलीफिल्म भी लिखी । बाल साहित्य लेखन और साक्षरता से जुड़ी प्राथमिक स्तर की पुस्तकें भी लिखी हैं । अपने लेखन के बल पर प्रतिष्ठा पा सकी हैं और सम्मान तथा अनेक पुरस्कार भी मिले हैं ।


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