हिंदी पत्रकारिता का इतिहास| हिंदी पत्रकारिता का कालविभाजन एवं नामकरण History of Hindi Journalism
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास (History of Hindi Journalism)
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास (History of Hindi Journalism)
- पत्रकारिता के इतिहास को मनुष्य के सामाजिक विकास से जोड़ कर देखा गया है। पत्रकारिता के इतिहास की खोज करते हुए कभी इसे पुराण (नारद में) तो कभी महाकाव्य (महाभारत के संजय की दिव्य-दृष्टि) में खोजा गया है, किन्तु आधुनिक पत्रकारिता की कसौटी पर ये तर्क ध्वस्त हो जाते हैं।
- अशोक के शिलालेख, बौद्ध धर्म के उपदेश या मुगलकाल के 'अखबारनवीस ' प्राचीनकालीन पत्रकारिता के ही रूप हैं। आधुनिक पत्रकारिता का संबंध मुद्रण कला से है। इस दृष्टि से चीन में प्रकाशित 'पेकिंग गजट' समाचार पत्र विश्व का पहला मुद्रित समाचार पत्र माना जाता है। इसके पश्चात् इंग्लैण्ड एवं अमरीका में कई समाचार पत्र प्रकाशित हुए।
- जहाँ तक भारतीय आधुनिक पत्रकारिता की बात है इसका विकास भारतीय राजदरबारों के माध्यम से न होकर अंग्रेजों के ईसाई मिशनरियों द्वारा हुआ है। इनका उद्देश्य चाहे धार्मिक रहा हो या साम्राज्यवादी या दोनों, लेकिन इनके साइक्लोस्टाइल (पर्चे) द्वारा भारतीय पत्रकारिता का विकास हुआ, इसमें से पूर्व उसके कालविभाजन एवं नामकरण की समस्या पर विचार करें।
हिंदी पत्रकारिता का काल विभाजन एवं नामकरण
- पत्रकारिता के इतिहास में काल विभाजन एवं नामकरण का महत्व असाधारण है। काल विभाजन एवं नामकरण के द्वारा हम पत्रकारिता के इतिहास के विभिन्न मोड़ों, गति विकास एवं हास का विश्लेषण कर सकते हैं क्योंकि पत्रकारिता समाज को समझने-बदलने का बौद्धिक उपक्रम है।
- 'समाचार पत्रों का इतिहास पुस्तक में पं. अम्बिका प्रसाद वाजपेयी ने काल-विभाजन करते हुए इसे प्रारम्भ काल के हिंदी पत्र, दूसरे दौर के पत्र नये युग की झलक, दैनिक-पत्रों का युग, आदि शीर्षक दिया है।
'हिंदी साहित्य का वृहत्त इतिहास' (नागरी प्रचारिणी सभा) द्वारा प्रकाशित इतिहास में हिंदी पत्रकारिता का काल विभाजन इस प्रकार किया गया है-
- प्रथम उत्थान (1826-1867),
- द्वितीय उत्थान (1867-1920) और
- आधुनिक काल (1920 के बाद) ।
बालकुकुन्द गुप्त हिंदी पत्रकारिता का काल-विभाजन इस प्रकार किया है -
प्रथम चरण (1845 1877 तक),
द्वितीय चरण (1877-1890) तथा
तृतीय चरण सन् 1890 के बाद
डॉ. रामरतन भटनागर ने पत्रकारिता के चरणों को छः काल खण्डों में विभक्त किया है -
- आरम्भिक युग 1826-1867
- उत्थान एवं अभिवृद्धि युग - प्रथम चरण (1867-1883)
- द्वितीय चरण (1833-1900)
- विकास युग प्रथम चरण (1900-1921)
- द्वितीय चरण (1921-1935)
- तथा आधुनिक युग अब तक
डॉ. कृष्णबिहारी मिश्र ने हिंदी पत्रकारिता का काल-विभाजन इस प्रकार किया है-
1. भारतीय नवजागरण और हिंदी पत्रकारिता का उदय (1826-1867)
2. राष्ट्रीय आंदोलन की प्रगति और दूसरे दौर की हिंदी पत्रकारिता (1867-1900 )
3. तथा बीसवीं शताब्दी का आरम्भ और हिंदी पत्रकारिता का तीसरा दौर।
'स्वतंत्रता आंदोलन और हिंदी पत्रकारिता में' में डॉ. अर्जुन तिवारी ने इस प्रकार काल-विभाजन किया है. -
1. बीज वपन काल (1826-1867)
2. अंकुरण काल (1867-1905)
3. पल्लवन काल (1905-1926) तथा
4. फलन काल (1930 1947 ) ।
डॉ. रमेश जैन ने हिंदी पत्रकारिता का काल-विभाजन निम्न चरणों में किया है -
1. प्रारम्भिक युग (1826-1867)
2. भारतेन्दु युग (1867-1900)
3. द्विवेदी युग (1900-1920 )
4. गांधी युग (1920-1947) और
5. स्वातंत्र्योत्तर युग (1947 से अब तक )
हिंदी पत्रकारिता का काल विभाजन अनेक आचार्यों ने किया है। मोटे तौर पर इसे चरणों में विभाजित किया जा सकता है -
- प्रथम चरण - पृष्ठभूमि काल (1780 से 1825 ई. तक)
- द्वितीय चरण उद्भव काल (1826 से 1867 तक)
- तृतीय चरण - भारतेन्दुकाल (1867 से 1899 ई. तक)
- चतुर्थ चरण - द्विवेदी काल (1900 से 1920 ई. तक)
- पंचम चरण- गांधी युग (1921 से 1946 ई. तक)
- षष्ठ चरण स्वातन्त्र्योत्तर काल (1947 से 1989 ई. तक)
- सप्तम् चरण - ई-पत्रकारिता/समकालीन पत्रकारिता (1990 से अब तक)
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