हिंदी पत्रकारिता का इतिहास : प्रथम चरण द्वितीय चरण तृतीय चरण
History of Hindi Journalism
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास : प्रथम चरण (पृष्ठभूमि काल 1780-1825 ई.)
प्रथम चरण (पृष्ठभूमि काल 1780-1825 ई.) इस काल के अंतर्गत सन् 1780 से लेकर 1825 तक के काल का हम अध्ययन करेंगे।
भारत में समाचार पत्रों की प्रारंभिक भूमि होने का श्रेय कलकत्ता को है।
कलकत्ते से अंग्रेज जनरल जेम्स ऑगस्टक हिकी ने 29 जनवरी 1780 को भारत का पहला समाचार पत्र हिकी गजट निकाला। बंगाल से निकलने के कारण इसे बंगाल गैजेट भी कहा जाता है। सरकारी नीतियों के विरोध के चलते हिकी गजट बन्द हो गया लेकिन भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में हिकी अमर हो गया।
प्रथम चरण में अन्य निकलने वाले कुछ पत्र थे -
इण्डिया मैजेट 1780 प्रकाशक बी. मेसिंक और पीटर रीड
बंगाल जनरल 1785 टॉमस जोन्स मैड्रास कूरियर 1785 रिचार्ड जॉन्सटन
बॉम्बे हेरल्ड 1789
बॉम्बे कूरियर 1790 मैड्रास गैजेट 1795 हम्फ्रीज
1780 से 1818 ई. तक केवल अंग्रेजी भाषा में समाचार पत्र निकले।
इन सबके प्रकाशक अंग्रेज थे और एक तरह से इन्हें सरकारी पत्र ही कहा जा सकता है। देशी भाषा का प्रथम समाचार पत्र होने का गौरव दिग्दर्शन नामक पत्र को है। इसका प्रकाशन 1818 ई. में हुआ था। इसे जोशुआ मार्शमैन ने प्रकाशित किया था। दिग्दर्शन के प्रकाशन के कुछ दिनों बाद साप्ताहिक पत्र भी बंगला में निकले। ये पत्र थे बंगाल गैजेट और समाचार दर्पण। बंगाल गैजेट इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि यह पहला बंगाल पत्र था। सन् 1818 ई. में ही कैलकटा जनरल जेम्स सिल्क बकिंघम के द्वारा प्रकाशित हुआ। इस पत्र को राजा राम मोहन राय द्वारा सहायता प्राप्त थी।
1919 ई. के आसपास राजा राम मोहन राय ने चार समाचारपत्रों का प्रकाशन शुरू किया जिसमें से तीन भारतीय भाषाओं के थे तथा एक अंग्रेजी का। सन् 1922 ई. में फारसी का पहला पत्र मिराउतल अखबार भी राजा राममोहन ने ही निकाला था। इस प्रकार हम देखते हैं कि इस काल में समाचार पत्र निकलने लगे थे हांलाकि संपादन के मानकों को न पूरा कर पाने के बावजूद हिंदी पत्रकारिता में इनका अपना महत्व है।
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास द्वितीय चरण ( उद्भव काल 1826-1867 ई.)
हिंदी पत्रकारिता की वास्तविक शुरूआत इसी काल से होती है इसीलिए इसे उद्भव काल कहा गया है।
हिंदी के प्रथम पत्र की दृष्टि से उदंड मार्तण्ड की गणना की जाती है। उदण्ड मार्तण्ड का पहला अंक 30 मई 1826 ई. को कलकत्ते से पं0 युगलकिशोर शुक्ल के सम्पादकत्व में निकला था। यह साप्ताहिक पत्र था।11 दिसम्बर 1827 ई. को सरकारी कोप एवं आर्थिक कठिनाइयों के कारण इस पत्र को बंद करना पड़ा।
उदंत मार्तण्ड के बाद महत्वपूर्ण समाचार पत्र बंगदूत का प्रकाशन भी कलकत्ते से ही 10 मई 1829 ई. को हुआ। यह पत्र चार भाषाओं में निकलता था। इस पत्र के मूल प्रेरक राजा राम मोहन राय थे तथा सम्पादक नीलरतन हालदार थे।
हिंदी क्षेत्र में निकलने वाले पत्र की दृष्टि से बनारस अखबार (1845 ई.काशी) की गणना की जाती है। इस पत्र के प्रेरक राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद थे। यह पत्र श्री गोबिन्द रघुनाथ थत्ते के संपादन में प्रकाशित होता था।
इसके पश्चात तारामोहन मित्र के संपादकत्व में 1850 ई. सदासुखलाल के संपादकत्व में बुद्धिप्रकाश का प्रकाशन महत्वपूर्ण है।
समाचार सुधावर्षण हिंदी का पहला दैनिक पत्र है जो बाबू श्यामसुन्दर सेन के सम्पादकत्व में कलकत्ते से निकला था। इस युग महत्वपूर्ण पत्रों में सर्वहितकारक पत्र तथा क्रान्तिकारी अजीमुल्ला खाँ के संपादन में पयामे आजादी महत्त्वपूर्ण है।
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास तृतीय चरण भारतेन्दुकाल (1867-1899 ई.)
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के आगमन से पूर्व हिंदी पत्रकारिता का केंद्र कलकत्ता था उसे उन्होंने हिंदी प्रदेश से जोड़ दिया। 1867 ई. में भारतेन्दु हरिश्चंद ने काशी से कविवचन सुधा का प्रकाशन शुरू किया।
आधुनिक विषयों से युक्त यह हिंदी की पहली पत्रिका थी। भारतेन्दु हरिश्चवन्द्र चूँकि खुद साहित्यिकार थे इस दृष्टि से साहित्यिक पत्रकारिता के भी आप जनक कहे जा सकते हैं। कविवचन सुधा के अतिरिक्त हरिश्चन्द्र द्वारा प्रकाशित अन्य पत्र थे हरिश्चन्द्र मैगजीन, हरिश्चन्द्र चन्द्रिका एवं बालाबोधिनी।
भारतेन्दु काल के पत्रों में बालकृष्ण भट्ट के संपादकत्व में प्रकाशित हिन्दी प्रदीप (1877 ई.) का महत्वपूर्ण योगदान है। 17 मई 1878 ई. को कलकत्ता से भारत मित्र पाक्षिक का प्रकाशन शुरू हुआ। इसके सम्पादक छोटू लाल मिश्र थे। पं0 अम्बिका प्रसाद वाजपेयी के सम्पादन में यह पत्र हिंदी का शीर्ष पत्र बन गया।
1883 ई. में प्रकाशित ब्राह्मण पत्र का संपादन प्रताप नारायण मिश्र ने किया था। यह पत्र हिन्दोस्तान (1885) का प्रकाशन उत्तर प्रदेश के कालाकांकर से राजा रामपाल सिंह ने प्रकाशित किया था। मालवीय जी के संपादन में इस पत्र ने ख्याति अर्जित की। इस दौर के पत्रों में हिन्दी बंगवासी का भी महत्वपूर्ण स्थान है। 1890 में प्रकाशित वेंकटेश्वर समाचार (बम्बई) भी महत्वपूर्ण था।
काशी से प्रकाशित नागरी प्रचारिणी पत्रिका (1896 ई.) हिंदी पत्रकारिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य के विकास में इस पत्रिका का सर्वाधिक योगदान है। इसके संपादक मंडल में श्यामसुन्दर दास, सुधाकर द्विवेदी किशोरीलाल गोस्वामी राधाकृष्ण दास इत्यादि थे।
भारतेन्दु काल में निकले अन्य महत्वपूर्ण पत्र हैं -
अल्मोड़ा अखबार (1871ई.) बिहारबंधु संपादक केशवराम भट्ट, भारतबंधु - तोताराम (1871 ई.) आनंदकादम्बिनी 1883 ई. बदरीनारायण चौधरी प्रेमधन इत्यादि ।
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