हिंदी पत्रकारिता का इतिहास :चतुर्थ चरण पंचम चरण स्वातंत्र्योत्तर युग |History of Hindi Journalism

 हिंदी पत्रकारिता का इतिहास :चतुर्थ चरण पंचम चरण स्वातंत्र्योत्तर युग 

हिंदी पत्रकारिता का इतिहास :चतुर्थ चरण पंचम चरण स्वातंत्र्योत्तर युग |History of Hindi Journalism

हिंदी पत्रकारिता का इतिहास : चतुर्थ चरण द्विवेदी काल (1900-1920 ई.) 


  • हिंदी पत्रकारिता के इस युग को महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर द्विवेदी युग कहा गया है। द्विवेदी जी द्वारा प्रकाशित सरस्वती पत्र इस युग में भाषा एवं साहित्य में केंद्रीय भूमिका निभाती है। 


  • सन् 1900 में इलाहाबाद से इस पत्रिका का प्रकाशन शुरू से होता है। इस पत्र के संपादक मण्डल में बाबू श्यामसुन्दर दासश्री कार्तिक प्रसाद खत्रीपंडित किशोरी लाल गोस्वामीबाबू जगन्नाथ दास एवं बाबू राधाकृष्णदास थे। सन् 1903 से महावीर प्रसाद द्विवेदी ने इस पत्र का संपादन किया। 


  • सुदर्शन नामक पत्र का प्रकाशन काशी से 1900 में माधवप्रसाद मिश्र ने किया था। सन् 1907 ई. में साप्ताहिक अभ्युदय पत्र का प्रकाशन प्रयाग से मालवीय जी ने किया था।


  • मर्यादा नामक मासिक पत्र का संपादन 1910 ई. में प्रयाग से पं0 कृष्णकान्त मालवीय ने किया था। बाद में इस पत्र का संपादन संपूर्णानंदप्रेमचन्द तथा बनारसीदास चतुर्वेदी जैसे साहित्यकारों ने किया। 


  • सम्मेलन पत्रिका 1913 ई. में प्रयाग से गिरिजा कुमार घोष के सम्पादकत्व में निकली थी। श्री शिवमुनि के संपादकत्व में सन् 1915 में प्रकाशित ज्ञानशक्ति इस युग का महत्वपूर्ण पत्र था। 


  • सन् 1919 में गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से गोरखपुर से स्वदेश हिंदी साप्ताहिक का प्रकाशन हुआ था। 


चतुर्थ चरण के अतिरिक्त इस युग अन्य महत्वपूर्ण पत्र हैं - 

1. प्रभा खंडवा (1913), 

2. प्रतापकानपुर (1913) सं० गणेश शंकर विद्यार्थी

3. (समालोचक) 1902 जयपुर चन्द्रधर शर्मा गुलेरी 

4. इन्दु 1909, काशी- अम्बिका प्रसाद गुप्त

 

हिंदी पत्रकारिता का इतिहास पंचम चरण गांधी युग (1920-1947 ई.) 

  • इस युग की पत्रकारिता पर महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आन्दोलन का बहुत प्रभाव रहा है। यह प्रभाव इस युग की पत्रकारिता के विषय चयन से लेकर प्रस्तुति तक व्याप्त है। द्विवेदी युग की पत्रकारिता का मूल स्वर साहित्यिक एवं सुधार से ज्यादा संचालित रहा है। आज दैनिक पत्र का प्रकाशन इस काल की पत्रकारिता में स्थायी महत्व रखता है। इसका प्रकाशन 5 अप्रैल 1920 को शिवप्रसाद गुप्त ने काशी से किया था। इस पत्र के संपादक बाबूराव विष्णु पराड़कर थे। 


  • स्वतंत्र पत्र का प्रकाशन 4 अगस्त 1920 को कलकत्ता से पं0 अम्बिका प्रसाद वाजपेयी ने प्रारम्भ किया था। कर्मवीर पत्र का प्रकाशन जबलपुर से 17 जनवरी 1920 ई. को माखनलाल चतुर्वेदी के संपादकत्व में हुआ था। समन्वयक पत्र का प्रकाशन 1922 ई. में हुआ था। में यह पत्र रामकृष्ण मिशन का पत्र था। इसके संपादक माधवानन्द जी थे। निराला जी की प्रतिभा को निखारने में इस पत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है।23 अगस्त 1923 ई. को मतवाला का प्रकाशन हिंदी पत्रकारिता में एक नये मोड़ का सूचक है। इस पत्र के निर्माताओं में मुंशी नवजादिक लालनिरालाबाबू शिवपूजन सहाय और महादेव प्रसाद सेठ थे। धार्मिक-आध्यात्मिक पत्रिकाओं में कल्याण का विशिष्ट स्थान है। यह पत्र गोरखपुर से 1826 ई. में निकला था। सन् 1928 में प्रकाशित विशाल भारत रामानन्द चट्टोपाध्याय ने प्रकाशित किया था।


  • विशाल भारत के संपादक पं0 बनारसीदास चतुर्वेदी जी थे। इस समय के साहित्यिक पत्रों में माधुरी (1921), चाँद (1922), सुधा (1927) तथा हंस(1930) का विशिष्ट स्थान है। माधुरी रूपनारायण पाण्डेयचाँद- महोदेवी वर्माप्रभा- दुलारेलाल भार्गव तथा हंस प्रेमचन्द के संपादकत्व में निकली थी। जागरण का प्रकाशन 11 फरवरी 1931 में हुआ था। इसके संपादक शिवपूजन सहाय थे। इस युग के अन्य महत्वपूर्ण समाचार पत्रों में इंदौर समाचारसन्मार्गसैनिकविश्वमित्र इत्यादि रहा है।

 

हिंदी पत्रकारिता का इतिहास : षष्ठ चरण स्वातंत्र्योत्तर युग (1948-1989 ई.) 


  • गांधी युग से स्वातंत्र्योत्तरकालीन पत्रकारिता इस दृष्टि से भिन्न रही है कि जहाँ पहले का उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्ति था वहीं दूसरे का जन-प्रतिबद्धता । आइए हम इस युग में निकलने वाले पत्रों की संक्षिप्त रूपरेखा का अध्ययन करें। दिल्ली से दैनिक नवभारत का प्रकाशन 4 अप्रैल 1947 को प्रारम्भ हुआ। 


  • 29 जून 1950 को दूसरा नाम नवभारत टाइम्स कर दिया गया। इसके प्रारंभिक संपादक सत्यदेव विद्यालंकार थे। 


  • हिन्दुस्तान पत्र का प्रकाशन 2 अक्टूबर 1950 से प्रारम्भ हुआ। पहले यह पत्र साप्ताहिक था बाद में दैनिक हो गया। स्वातंत्र्योत्तर काल के पत्रों में खोजपूर्ण पत्रकारिता की दृष्टि से जनसत्ता का महत्वपूर्ण नाम है। अपनी संपादकीय लेखों तथा जन प्रतिबद्धताओं के कारण यह पत्र चर्चित रहा है। 
  • 5 जून 1947 ई. से इंदौर से कृष्णचन्द्र मुदगल तथा कृष्णकांत व्यास के प्रयत्नों से नई दुनिया का प्रकाशन आरम्भ हुआ । 
  • इन्दौर समाचार का प्रकाशन 22 मार्च 1946 ई. को इन्दौर से पुरूषोत्तम विजय के सम्पादन में प्रारम्भ हुआ पूर्णचन्द गुप्त ने 1947 से कानपुर जागरण का प्रकाशन आरम्भ किया। 
  • सन् 1948 में डोरीलाल अग्रवाल तथा मुरारीलाल माहेश्वरी ने आगरा से अमर उजाला का प्रकाशन शुरू किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड का यह प्रमुख पत्र है।


  • युगधर्म का प्रकाशन नागपुर से 1951 ई. में प्रारम्भ हुआ। हिंदू संस्कृति के प्रचार-प्रसार में यह पत्र अधिक सक्रिय रहा है। 


  • पंजाब केसरी का प्रकाशन 1964 में जालन्धर से हुआ। लाला जगतनारायण इस पत्र के आदि सम्पादक थे। धर्मयुग का प्रकाशन बम्बई से टाइम्स आफ इण्डिया समूह ने 1950 में प्रारम्भ किया। इस पत्र के प्रथम संपादक इलाचन्द्र जोशी थे। बाद में इसके संपादक हेमचन्द्र जोशी तथा सत्यकाम विद्यालंकार हुए। धर्मवीर भारती के संपादन में धर्मयुग देश का सर्वाधिक लोकप्रिय पत्र बन गया। 


  • राजस्थान पत्रिका का प्रकाशन जयपुर से 7 मार्च 1956 को हुआ। यह राजस्थान का प्रमुख पत्र है। राष्ट्रदूत का प्रकाशन 1 अगस्त 1951 को जयपुर से हजारीलाल शर्मा द्वारा किया गया। 18 अप्रैल 1948 ई. को वाराणसी के प्रसिद्ध संत स्वामी करपात्री जी के आशीर्वाद से सन्मार्ग का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। सनातन धर्म के हितों से जुड़ा यह प्रमुख पत्र था। 
  • स्वदेश सन् 1966 को इन्दौर से प्रकाशित हुआ था। 

  • दैनिक भास्कर का प्रकाशन 1958 में भोपाल से हुआ। इसके आदि संपादक काशीनाथ चतुर्वेदी थे। 
  • पंजाब के महत्वपूर्ण पत्रों में वीर प्रताप (1958) की गणना की जाती है। रांची एक्सप्रेस का प्रकाशन राँची से हो रहा है। दिनमान टाइम्स आफ इण्डिया समूह का समाचार पत्र है। इसका प्रकाशन दिल्ली से 21 फरवरी 1985 को प्रारम्भ हुआ। अज्ञेय के सम्पादन में दिनमान ने हिंदी पत्रकारिता को नई ऊँचाई दी। 

  • पाँचजन्य का प्रकाशन लखनऊ से 1947 में प्रारम्भ हुआ उसके पश्चात् 1967 से दिल्ली से यह प्रकाशित हो रहा है। पाँचजन्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नीति को पोषक पत्र है। 
  • माधुरी पत्रिका का प्रकाशन बम्बई से 20 जनवरी 1964 को आरम्भ हुआ। यह फिल्म जगत से संबंधित पत्रिका है। 
  • पराग पत्रिका का प्रकाशन टाइम्स आफ इण्डिया समूह ने मार्च 1958 में प्रारम्भ किया। यह बच्चों की लोकप्रिय मासिक पत्रिका है। 
  • कादम्बिनी हिन्दुस्तान टाइम्स लिमिटेड की पत्रिका का प्रकाशन नवम्बर 1964 में हिन्दुस्तान टाइम्स प्रकाशन नई दिल्ली से हो रहा यह बाल पत्रिका है। 
  • सारिका पत्र का प्रकाशन 1970 में आरम्भ हुआ। कमलेश्वर के संपादन में इस पत्रिका ने विशेष ख्याति अर्जित की। चंदामामा में बाल साहित्य की प्रमुख पत्रिका है। यह हिंदी भाषा के अतिरिक्त अन्य कई भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होती है। 
  • हरिप्रसाद नेवटिया ने बम्बद से 1952 में नवनीत मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। इसके आदि संपादक सत्यकाम विद्यालंकार थे। सरिता का प्रकाशन नई दिल्ली से हुआ। सामाजिक व पारिवारिक पुनर्निर्माण की दृष्टि से इस पत्र का विशेष योगदान रहा है। 

  • मुक्ता का प्रकाशन 1960 में नई दिल्ली से हुआ। महिला समस्या पर इस पत्रिका ने महत्वपूर्ण सामग्री प्रकाशित की है। मनोहर कहानियाँ का प्रकाशन इलाहाबाद प्रारम्भ हुआ। सनसनीखेज तथा अन्तर्द्वन्द प्रधान कहानियों के लिए यह पत्रिका विशेष चर्चित रही है। मनोरमा पत्रिका का प्रकाशन इलाहाबाद से प्रारम्भ हुआ। महिलाओं के लिए इस पत्रिका ने उपयोगी सामग्री का प्रकाशन किया है। गृहशोभा पत्रिका का प्रकाशन दिल्ली से प्रारम्भ हुआ । गृहशोभा भी महिलाओं की पत्रिका है। सरस-सलिल लघु पत्रिकाओं में सर्वाधित बिकने वाला पत्र है। इसके अतिरिक्त आजकल इंडिया टुडेभारतीय पक्षप्रथम प्रवक्ता जैसे पत्रों ने भी सामाजिक एवं राजनीतिक प्रश्नों को गंभीरता से उठाया है।

 

हिंदी पत्रकारिता का इतिहास -सप्तम चरण ई-पत्रकारिता समकालीन पत्रकारिता (1991 से वर्तमान तक) 


  • सन् 1990 के बाद का समय भूमंडलीकरण एवं वैश्वीकरण से प्रभावित रहा है। भूमंडलीकरण यंत्र प्रधान दर्शन रहा है। इस दर्शन का प्रभाव इस युग की पत्रकारिता पर भी पड़ा है। फलत: पत्रकारिता अधिक लोकतांत्रिक हुई है। इस युग की पत्रकारिता ब्लागट्वीटर के माध्यम से चलती है। इसमें केन्द्र नहीं हैं। यह ज्यादा लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। इसमें सबके लिए जगह है। इसे ई-पत्रकारिता कहा गया है

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