सेल का आंतरिक प्रतिरोध| प्रतिरोधों का संयोजन |Internal Resistance of a cell in Hindi

सेल का आंतरिक प्रतिरोध, प्रतिरोधों का संयोजन

सेल का आंतरिक प्रतिरोध| प्रतिरोधों का संयोजन |Internal Resistance of a cell in Hindi


सेल का आंतरिक प्रतिरोध ( Internal Resistance of a cell)

 

  • जब हम किसी सेल को किसी परिपथ में प्रयुक्त करते हैं तो वाह्य परिपथ में (i.e. सेल के बाहर) वैद्युत धारा एनोड से कैथोड की ओर तथा सेल के भीतर विलयन या विद्युत अपघट्य में कैथोड से एनोड की ओर बहती है। सेल के अंदर सेल के विद्युत अपघट्य द्वारा विद्युत धारा के मार्ग में अवरोध उत्पन्न किया जाता हैजिसे सेल का आंतरिक प्रतिरोध कहते हैं। 


सेल का आंतरिक प्रतिरोध=  E-V/i

 

जहां, E = सेल का विद्युत वाहक बल 

v = सेल का विभवान्तर व 

i = सेल में प्रवाहित धारा 

सेल का आंतरिक प्रतिरोध का मात्रक भी ओम होता है।

 

प्रतिरोधों का संयोजन (Combination of Resistances)

 

किसी विद्युत परिपथ में वांछित धारा (derived current) व विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रतिरोधों या चालक तारों को विभिन्न क्रमों में जोड़ना पड़ता है। परिपथ में प्रतिरोधों का संयोजन दो प्रकार के क्रमों में हो सकता है। 


(i) श्रेणीक्रम में (Inseries) - 

  • इसमें प्रतिरोधों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि प्रतिरोधों के संयोजन (Combination) में प्रत्येक प्रतिरोध का दूसरा सिरा अगले वाले प्रतिरोध के पहले सिरे से जुड़े। इस प्रकार इस संयोजन में सभी प्रतिरोधों में धारा प्रवाहित होती है। एक ही में सभी प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध सभी प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है। 

अर्थात् R=R1+ R2 + R3 +.....  


अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

 

(ii) समान्तर क्रम में (In Parallel) 

  • समान्तर क्रम संयोजन में प्रतिरोधों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि हर प्रतिरोध पर विभवान्तर समान रहे अर्थात् सभी के पहले सिरे एक बिंदु में तथा दूसरे सिरेअन्य किसी बिंदु से जुड़े। इसमें सभी प्रतिरोधों के सिरों के बीच एक ही विभवान्तर होता है। न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए इस संयोजन का प्रयोग करते हैं।

 

  • यदि R1, R2, R....... प्रतिरोध समान्तर क्रम में जुड़े हों तो उनका तुल्य प्रतिरोध निकालने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग करते हैं।

 

1/R = 1/R1+1/R2+1/R3+........

 

समान्तर क्रम में जुड़े प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम (reciprocal) उन प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।

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