समाचार लेखन के लिए तथ्य जुटाने के बाद समाचार लेखक को समाचार की संरचना करनी होती है। सामान्य तौर पर लेखन की एक पद्धति है कि लेखक पहले अपने विषय को रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है क्योंकि उसे अपने विचारों की प्रस्तुति के लिए एक माहौल बनाना होता है अतः वह आरम्भ में कम महत्वपूर्ण सूचनाएँ देता है, फिर विषयवस्तु का विस्तार करता है और इसके उपरान्त सर्वाधिक महत्वपूर्ण सूचना देकर अपनी बात समाप्त करता है।
जैसे आपने अपनी छोटी कक्षाओं में निबन्ध लेखन के विषय में यह जाना होगा कि निबन्ध लिखते समय हम सबसे पहले विषय का परिचय देते हैं, जिसे हम प्रस्तावना कहते हैं, फिर विषय का विस्तार करते हैं और अन्त में निष्कर्षात्मक उपसंहार प्रस्तुत कर देते हैं। किसी भी प्रकार के लेखन में यही तरीका अपनाया जाता है। इसे लेखन की स्तूप अथवा सोपान (सीढ़ी) पद्धति कह सकते हैं।
विलोम स्तूप (सीढ़ी) पद्धति
किन्तु यह पद्धति समाचार लेखन के लिए बहुत कारगर नहीं है। समाचार लेखन में यदि हम इस पद्धति का उपयोग करेंगे तो समापन तक आते आते पाठक की जिज्ञासा बिल्कुल समाप्त हो जाएगी। वैसे भी आज के व्यस्तताओं से भरे समय में किसी व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता कि वह किसी समाचार को विस्तार से पढ़े, इसलिए समाचार लेखक का प्रयास होता है कि वह समाचार इस तरह से प्रस्तुत करे कि समाचार के विषय में काफी जानकारी शीर्षक से और अधिकांश जानकारी इन्ट्रो से हो जाय और बाकी सूचनाएँ अन्त में आ जाएँ ताकि यदि पाठक उस हिस्से को छोड़ दे तो भी उस तक पूरा समाचार पहुँच जाय, या सम्पादक को स्थानाभाव आदि के कारण समाचार को छोटा करना पड़े तो वह उस कम महत्व के हिस्से को काट सके। तकनीकी शब्दावली में इस पद्धति को विलोम स्तूप नाम दिया गया है।
विलोम स्तूप के आधार पर दिये जाने वाले समाचारों को हम इस रूप में रख सकते हैं-
उपर्युक्त दोनों पद्धतियों के विषय में जानने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि सामान्य तौर पर समाचार लेखन से इतर जैसे फीचर लेखन, निबन्ध लेखन, स्टोरी लेखन या मानवीय अभिरुचि के समाचारों के लिए सीधे पिरामिड की शैली का प्रयोग किया जाता है और विलोम पिरामिड शैली में प्रायः समाचार लेखन किया जाता है।किसी उपन्यास या कहानी में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसका आखिरी हिस्सा होता है, जबकि समाचार लेखन में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा आरम्भिक हिस्सा होता है। विलोम स्तूप शैली में लेखक का प्रयास यह होता है कि समाचार का सारतत्व सबसे पहले, फिर आमुख का विस्तार और अन्त में कम महत्व का विवरण आए। उसकी कोशिश होती है कि कम से कम समय और शब्दों में अधिक से अधिक जानकारी पाठक तक पहुँचा दे।
जब आप समाचार लेखन आरम्भ करें, आपको यह स्मरण रखना होगा कि एक अच्छे लेखन के लिए आपको सरल और स्पष्ट शब्दों में छोटे-छोटे वाक्य, छोटे-छोटे पैराग्राफ में अपनी बात रखनी चाहिए। समाज में अधिकाधिक व्यवहृत शब्दों का प्रयोग आपके महत्वपूर्ण बिन्दुओं को प्रभावशाली रूप से पाठक तक प्रेषित करता है। आपको संयुक्त और मिश्र वाक्यों की अपेक्षा सरल वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। समाचार स्रोतों का ठीक-ठीक प्रयोग करना चाहिए। समाचार इस तरह लिखना चाहिए कि कौन, क्या, कब, कहाँ, कैसे, किसने, क्यों- इन प्रश्नों के उत्तर पाठकों को यथाशीघ्र मिल जाए। समाचार लेखन के लिए विलोम स्तूप शैली का प्रयोग उपयुक्त है.
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