मध्यप्रदेश की भरिया जनजाति के बारे में जानकारी | MP Bhariya Tribes Details in Hindi
मध्यप्रदेश की भरिया जनजाति के बारे में जानकारी (MP Bhariya Tribes Details in Hindi)
मध्यप्रदेश की भरिया जनजाति के बारे में जानकारी (MP Bhariya Tribes Details in Hindi)
भरिया जनजाति की संख्या
- भारिया की कुल जनसंख्या 193230 है जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.266 प्रतिशत है।
भरिया जनजाति निवास क्षेत्र
- जबलपुर, शहडोल, छिंदवाड़ा, मण्डला, सिवनी, अनूपपुर, नरसिंहपुर, डिण्डौरी, कटनी, होशंगाबाद, पन्ना, उमरिया, सतना एवं पातालकोट घाटी में।
भरिया जनजाति गोत्र
- छिंदवाड़ा की भारिया जनजाति में कुमरा, उइका, तेकाम, परतेती, पंेदराम, धुरवा, भलावी, बगदरिया, गोंवालिया, खमरिया, ठकरिया, भरतिया आदि प्रमुख गोत्र पाये जाते हैं। मंडला की भूमिया उपजाति में बाड़िया, दारकुर, धुरवा, जिकराम, कवाची, कारयाम, मरावी, मरगाम,पेन्ड्रो, पोटा, सोखाय आदि हैं। प्रत्येक गोत्र के टोटम होते हैं।
भरिया जनजाति रहन-सहन
- इनके घर प्रायः मिट्टी के बने होते हैं। उन पर घास फूस एवं देशी खपरैल की छप्पर होती है। दीवार मिट्टी की बनी होती है, जिस पर सफेद या पीली मिट्टी की पुताई करते हैं। घर में अनाज रखने की कोठी, चक्की, मूसल, बांस की टोकरियां, भोजन बनाने के बर्तन जो सामान्यतः मिट्टी व एल्युमोनियम के होते हैं। ओढ़ने बिछाने के कपड़े, कृषि उपकरण, कुल्हाड़ी आदि सामग्री पाई जाती है। इनके घरों में पशुओं के लिए अलग स्थान होता है।
भरिया जनजाति में खान-पान
- मुख्य भोजन मक्का, ज्वार की रोटी, कोदो, चावल का भात, पेज, उड़द, मूंग, तुवर की दाल, मौसमी सब्जी आदि है। मांसाहार में मुर्गी, तीतर, मछली, केकड़ा बकरा आदि का मांस खाते हैं।
भरिया जनजाति में वस्त्र-आभूषण
- वस्त्र विन्यास में पुरुष धोती, पंचा, बंडी, कुरता तथा स्त्रियाँ पोलका, लुगड़ा पहनती हैं। पैरों में पैड़ी, तोड़ा, हाथ में चुड़िया, ककना, गुलेठा वोहटा, गले में हमेल, सरिया, कान में उमेठा, नाक में लोंग पहनती हैं।
भरिया जनजाति मेँ गोदना
- स्त्रियाँ, मस्तक, हाथ, पैर, कपाल ठुडी, गले आदि में गुदना गुदवाती हैं।
भरिया जनजाति मेँ तीज-त्यौहार
- मुख्य त्यौहार विदरी, आसाड़ी, जीवती, पंचमी, आटे, तीजा, पोरा, पितर, नौरता, दशहरा, दीवाली, होली आदि त्यौहार भारियाओं द्वारा उत्साह से मनाये जाते हैं।
भरिया जनजाति मेँ नृत्य
- दीवाली में सैला, होली में रहस, पोला में गुन्नूर, विवाह में विहाव आदि नृत्य शैलियां इस जनजाति में प्रचलित हैं। भारिया स्त्रियाँ फड़की नृत्य नाचती हैं।
भरिया जनजाति मेँ कला
- बांस शिल्प , काष्ट शिल्प, चित्रकला, मिट्टी-शिल्प
भरिया जनजाति मेँ व्यवसाय
- भारिया/भूमिया का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा वनोपज संग्रह है।
भरिया जनजाति जन्म-संस्कार
- भारिया/भूमिया जनजाति में गर्भावस्था में कोई विशेष संस्कार नहीं पाया जाता हैं। प्रसव स्थानीय दायी/बुजुर्ग महिलाओं द्वारा घर में ही कराया जाता है। छह दिन में छठी मनाते हैं। बच्चे व प्रसूता को नहलाकर सूरज भगवान के दर्शन कराते हैं।
भरिया जनजाति मेँ विवाह-संस्कार
- विवाह उम्र लडकों की 17-18 एवं लड़कियों की 15-16 वर्ष मानी जाती है। वरपक्ष वधू के पिता को कोदो व चावल, दाल, तेल, गुड़ व नगद कुछ रूपये “खर्ची” के रूप मंें देते हैं। घर जमाई, पुनर्विवाह आदि भी पाया जाता है।
भरिया जनजाति मेँ मृत्यु संस्कार
- मृत्यु होने पर मृतक के शव को दफनाते हैं। तीसरे दिन परिवार के पुरुष तथा रिश्तेदार दाड़ी, मुछ, सिर के बाल मुण्डन कराते हैं। घर की साफ सफाई, लिपाई पुताई की जाती है। ग्यारहवे दिन मृत्यु भोज देते हैं।
भरिया जनजाति मेँ देवी-देवता
- इनके कुछ मुख्य देवी देवता, हरदुल देव, बड़ा देव, ठाकुर देव, बूढ़ीबाई, भैसासुर आदि तथा हिन्दु देवी देवता, सूरज भगवान, नागदेव, वृक्ष नदी आदि को भी देव के रूप में पूजते हैं।
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