समाचार संकलन और लेखन| News Collection and Writing in Hindi
समाचार संकलन और लेखन
(News Collection and Writing in Hindi)
समाचार संकलन और
लेखन ( News Collection and Writing in Hindi)
- सृष्टि के आरम्भ से ही मनुष्य अपनी भावानुभूतियों को सम्प्रेषित करने और दूसरों की भावानुभूतियों को ग्रहण करने के अनेक संसाधनों की खोज करता रहा है। विभिन्न तरीकों से उसने अपने को व्यक्त किया है। पहले संकेतों से, फिर संकेत चिह्नों से, फिर भाषा से और लिपि से वह सूचनाएँ लेने-देने के लिए प्रयास करता रहा है। मनुष्य न सिर्फ अपने आस-पास के परिवेश से परिचित होना चाहता है वरन् दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में क्या घटित हो रहा है - यह भी जानना चाहता है।
- जिज्ञासा की यह प्रवृत्ति मानव का मूलभूत गुण है। समस्त संसार के दैनन्दिन घटनाक्रम से मनुष्य को यथाशीघ्र परिचित कराने के प्रयासों में पत्रकारिता अपने विविध रूपों में विकसित हो रही है। आज पत्रकारिता में दैनिक पत्रों से लेकर साप्ताहिक, पाक्षिक, त्रैमासिक], अर्द्धवार्षिक, वार्षिक आदि सभी पत्रिकाएं तथा रेडियो, दूरदर्शन, जनसम्पर्क व जन संचार से सम्बन्धित विभिन्न विधाएं आ जाती हैं। आज का तो समय ही सूचना क्रान्ति का है। तकनीकी उपलब्धियों ने सूचनाओं को सम्प्रेषित करना अत्यन्त सहज बना दिया है। यहाँ हमें यह विचार करना है कि समाचार लेखन की वे कौन सी विशेषताएँ हैं जिनके आधार पर हम सूचनाओं को सम्यक् रूप से श्रोताओं, दर्शकों तथा पाठकों तक प्रेषित कर सकते हैं। जिस तरह हम भाषा का प्रयोग करते समय यह विचार करते हैं कि हम किससे, किस स्थान पर और क्या कह रहे हैं और इसके अनुसार हम विविध भाषिक प्रयोग करते हैं। परस्पर बातचीत करते हुए, अध्यापन करते हुए, जिरह करते हुए, मरीज को देखते हुए, व्याख्यान देते हुए, यानी परिस्थिति, परिवेश आदि के आधार पर अलग अलग तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं, उसी प्रकार समाचार प्रेषित करते समय भी हमें यह ध्यान रखना होता है कि समाचार बिल्कुल ठीक ठीक तरीके से लोगों तक पहुँच जाए।
- पत्रकारिता का लक्ष्य है विश्व में घटने वाली घटनाओं की, सरकारी नीतियों, गतिविधियों आदि की जानकारी जन सामान्य तक पहुँचाना, जनसामान्य को शिक्षित करना और जनसामान्य का मनोरंजन करना। इसके लिए पत्रकार को एक अच्छा लेखक भी होना चाहिए।
प्रसिद्ध पत्रकार एम.वी. कामथ का कहना है –
“A good write-up is a study in effeortlessness. It must flow freely. It must be knowledgeable without being pretentious, entertaining without being vulgar and informative without being news."
- अच्छा लेखन सहज प्रवाहयुक्त, जानकारी देने वाला और सूचना देने वाला होना चाहिए। यह लेखन चाहे किसी भी रूप में हो- लेख, निबन्ध, रिपोर्ताज, संस्मरण आदि किसी भी रूप में यदि ग्राहकों को प्रभावित नहीं कर सके, जानकारियाँ नहीं दे सके या मनोरंजन नहीं कर सके तो श्रेष्ठ लेखन नहीं कहा जा सकता। हमने यह देखा है कि हम क्या कह रहे हैं यह महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि हम कैसे कह रहे हैं, यह बात बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। कोई अच्छा वक्ता किसी भी विषय में जब बोलता है, तो उसके पास वे तथ्य होते हैं जो प्रायः सभी को मालूम होते हैं, लेकिन वह उन्हें इस तरह प्रस्तुत करता है कि वाले उससे अत्यन्त प्रभावित हो जाते हैं। लेखन के सम्बन्ध में एक अवधारणा यह मानी जाती है कि लेखन का गुण सहजात एवं प्रकृति प्रदत्त होता है। निश्चित रूप से व्यक्ति की रुचि महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इसका परिष्कार भ्यास से ही सम्भव है। सरल, सुगठित, सुस्पष्ट, विषयानुकूल और शालीन भाषा पाठक और श्रोता को आकर्षित भी करती है और विषय को भी स्पष्ट करती है।
अच्छा लेखक केसे
बनें यह जानने के लिए आप निम्न अभ्यास की सहायता ले सकते हैं ...
आप इनमें से किसे कितना समय किसे देते हैं ?
आप क्या लिखते हैं ?
आपके लिखने की आवृत्ति क्या है ? है
समयानुकूल / विशेष अवसर/विशेष घटना पर...
आप सामान्यतः एक बैठक में कितना लिख लेते हैं ?
- 250 शब्द
- 500 शब्द
- 1,000 शब्द
- 1,000 शब्द से अधिक
आप अपने ड्राफ्ट को तैयार करते हैं? हाँ / नहीं यदि हाँ तो कितनी बार लिखकर अन्तिम ड्राफ्ट तैयार करते हैं?
यदि नहीं तो क्यों ?
अपने लेखन को अच्छा / बेहतर बनाने के लिये आप क्या प्रयास करेंगे?
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