ओम का नियम क्या है, विद्युत प्रतिरोध| विशिष्ट प्रतिरोध |Ohm Ka Niyam Kya Hai
ओम का नियम क्या है, विद्युत प्रतिरोध विशिष्ट प्रतिरोध
Ohm Ka Niyam Kya Hai
ओम का नियम क्या है ?
- स्थिर ताप पर किसी चालक में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा (i) चालक के सिरों के बीच विभवान्तर (v) के समानुपाती होती है। इसे ही ओम का नियम कहते हैं। इसका नियम प्रतिपादन सन् 1826 ई. में जर्मन वैज्ञानिक जार्ज साइमन ओम ने किया था। इस नियम का प्रयोग किसी चालक में प्रवाहित धारा एवं विभवान्तर में संबंध (अनुपात) ज्ञात करने में किया जाता है।
- विभवान्तर (V) व धारा (i) के अनुपात का मान चालक के आकार (लंबाई व अनुप्रस्थ का क्षेत्रफल), पदार्थ तथा ताप पर निर्भर करता है। इस अनुपात को चालक का विद्युत प्रतिरोध (Electricl Resistance) 'R' कहते हैं ।
अर्थात् ( V/i =R (नियांतक)
विद्युत प्रतिरोध किसे कहते हैं (Electical Resistane)
- विद्युत प्रतिरोध, किसी पदार्थ का एक गुण है जिसके कारण वह (पदार्थ) धारा के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करता है। इसका मान विभवान्तर व धारा के अनुपात के बराबर होता है। यह पदार्थ के चालकता (Conductivity) का विरोधी गुण है। इसीलिए सुचालकों का प्रतिरोध कम व कुचालकों का प्रतिरोध अधिक होता है।
- जिन पदार्थों का प्रतिरोध शून्य ह है, उन्हें अतिचालक (Super Conductor) कहते हैं। जैसे- पारा निम्न ताप (4K) पर अतिचालक की भांति व्यवहार करने लगता है। गर्म करने से चालकों का प्रतिरोध बढ़ता है। परन्तु अर्धचालकों का प्रतिरोध घटता है।
- प्रतिरोध का मात्रक वोल्ट प्रति ऐम्पियर होता है, जिसे ओम (Ohm) भी कहते हैं ।
- 1 ओम = 1 वोल्ट / 1 एम्पियर होता है।
- ओम को ग्रीक अक्षर 'Ω' (ओमेगा) से प्रदर्शित करते है ।
विशिष्ट प्रतिरोध क्या होता है ( Specific Registance)
किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लंबाई (l) के अनुक्रमानुपाती (Rxl) तथा उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती (Rd ∝ 1/A) होता है।
अर्थात् R∝ A
या, R=ρ (l /A)
जहां `ρ' (rho रो) एक नियतांक है जिसे चालक के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता (Resistivity) कहते हैं।
उक्त सूत्र से ρ= R.A /l
- यदि A = 1 वर्ग मीटर व l = 1 मीटर हो तो ρ=R अर्थात् "किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध उम्र पदार्थ के मीटर लंबे तथा 1 वर्ग मीटर अनुप्रस्थ 1 काट के क्षेत्रफल वाले तार के प्रतिरोध के बराबर होता है।'' इसका मात्रक ओम मीटर होता है।
- उक्त समीकरण से यह निष्कर्ष भी प्राप्त होता है कि किसी चालक का प्रतिरोध उसके पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध ( प्रतिरोधकता ) के अनुक्रमानुपाती होता है। विशिष्ट प्रतिरोध का मान चालक पदार्थ की प्रकृति और उसके ताप पर निर्भर करता है ।
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