समाचार संकलन |सूचना प्राप्त करने स्रोत |समाचार लेखक की विशेषताएँ | Sources of News in Hindi
समाचार संकलन , सूचना प्राप्त करने स्रोत, समाचार लेखक की विशेषताएँ
समाचार संकलन क्या होता है ?
- एक समाचार लेखक के लिए यह जानना अत्यावश्यक है कि वह जिन समाचारों का संकलन कर रहा है वे प्रामाणिक हों उनमें सम्प्रेषणीयता हो, प्रभावोत्पादकता हो और उसके द्वारा भेजी जाने वाली सूचनाएँ अधूरी न हों। उसे किस तरह के समाचार संकलित करने हैं। उन समाचारों का तात्कालिक महत्त्व है या स्थायी, समाचार किस समय प्रकाशित होने हैं, तत्काल या कुछ समय के उपरान्त ? इन सभी प्रश्नों के समाधान के लिए हमें सर्वप्रथम यह जानना जरूरी है कि समाचारों के स्रोत क्या हैं ? सामान्यतः समाचार स्रोतों को हम दो भागों में बाँट सकते हैं- प्रत्यक्ष स्रोत और अप्रत्यक्ष स्रोत । प्रत्यक्ष स्रोत से आशय है समाचार लेखक द्वारा स्वयं घटना आदि का प्रत्यक्षदर्शी होकर समाचार एकत्र करना । किसी सार्वजनिक सभा, समारोह, धरना, प्रदर्शन, भेंटवार्ता, पत्रकार वार्ता आदि में या किसी घटनास्थल पर उपस्थित समाचार लेखक स्वयं महत्वपूर्ण तथ्य संकलित करता है। अप्रत्यक्ष स्रोत से आशय है, जब संवाददाता घटनास्थल पर स्वयं उपस्थित नहीं होता बल्कि दूसरे स्रोतों से समाचार संकलित करता।
सूचना प्राप्त करने के कुछ महत्वपूर्ण स्रोत निम्नांकित-
इन स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं को संकलित करने के उपरान्त समाचार लेखक का मुख्य और सबसे महत्वपूर्ण कार्य है समाचारों की विश्वसनीयता का पता लगाकर उनका सम्पादन करना। प्रायः समाचारस्रोतों से मिलने वाली सूचनाओं पर आँख मूँदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि स्रोतों से प्राप्त सूचनाएँ एक पक्षीय, स्वार्थ से प्रेरित, पूर्वाग्रह से युक्त सुनीसुनाई या अफवाहों पर आधारित हो सकती हैं। सूत्रों का सही इस्तेमाल तभी हो सकता है जब समाचार लेखक सभी स्रोतों से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण करे, उनकी विश्वसनीयता के प्रति आश्वस्त हो, प्रमाणों द्वारा समाचार की पुष्टि करे।
समाचार लेखक में कुछ विशेषताएँ होनी चाहिए-
- समाचार लेखक को निष्पक्ष होना चाहिए,
- उसे विषय की पूरी जानकारी होनी चाहिए,
- उसमें सूझबूझ, प्रत्युत्पन्नमतित्व होना चाहिए,
- अन्धविश्वास से उसे दूर रहना चाहिए,
- विवादास्पद, सनसनी फैलाने वाले पाठकों को गलत संदेश देने वाले और देश और समाज को क्षति पहुँचाने वाले समाचारों को समझने और उन्हें सावधानी से सम्प्रेषित करने की क्षमता होनी चाहिए।
- उसे लेखन कला की समझ होनी चाहिए। उसका भाषिक ज्ञान उसके लेखन को सही ढंग से सम्प्रेषित करने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उसकी भाषा सरल, प्रवाहयुक्त, स्पष्ट और विषयानुरूप होनी चाहिए।
- एक अच्छे लेखक को एक अच्छा पाठक और श्रोता भी होना चाहिए।
यह प्रश्न उठता है कि समाचार लेखक को क्या पढ़ना चाहिए ?
- इसका उत्तर है कि उसे विभिन्न अखबार, पत्रिकाएँ, पुस्तकें पढ़नी चाहिए इससे उसे स्वयं यह ज्ञात हो जाएगा कि उसे क्या पढ़ना चाहिए। इसके लिए ? पुस्तकालय जाना चाहिए | विषयसूची से चुनकर अपनी रुचि या जरूरत के अनुसार पुस्तक लेनी चाहिए। किसी भी विषय की जानकारी एक अच्छे लेखन को और भी गुणवत्ता से सम्पन्न करती है। यहाँ हम यह भी कह सकते हैं कि किसी विषय की जानकारी सूचना स्रोतों के सही इस्तेमाल के लिए जरूरी है।
- उदाहरणत: यदि आप किसी साहित्यकार, वैज्ञानिक, नेता, किसी नामचीन व्यक्ति या विशेषज्ञ आदि से साक्षात्कार ले रहे हैं और आपको उसके और उसके विषय के सन्दर्भ में ठीक ठीक जानकारियाँ नहीं हैं, तो आपका साक्षात्कार सफल नहीं हो सकता। किसी राजनीतिज्ञ से साक्षात्कार करते समय आपको सामयिक राजनीतिक स्थितियों और समीकरणों का ज्ञान होने पर ही साक्षात्कार को सफल बनाया जा सकता है।
- स्पष्ट है कि किसी भी समाचार लेखक के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी प्रतिभा, सूझबूझ, अध्ययन, परिश्रम तथा सावधानी के बल पर समाचारलेखन में कौशल प्राप्त करे और किसी भी समाचार के संकलन के समय भावुकता, बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने तथा उत्तेजना आदि से प्रभावित हुए बिना समाचार संकलित करे।
- समाचार लेखक के गुणों के विषय में यह माना गया है कि उसे समाचार की समझ होनी चाहिए, समाचार संकलन के सन्दर्भ में सावधान रहना चाहिए। सतर्कता या स्फूर्ति, क्षिप्रता, जिज्ञासा जैसे गुण • उसमें होने चाहिए। उसे प्रत्येक बात को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं करना चाहिए, तथ्यों के अन्वेषण द्वारा अपने मतामत का निर्णय करना चाहिए। उसमें दूरदृष्टि, आत्मानुशासन, सत्यनिष्ठा, निर्भयता और गतिशीलता होनी चाहिए।
'यदि मैं अपनी आस्था के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहूँ तो क्रोध में आकर या द्वेष में कुछ भी नहीं लिखूँगा। मैं बिना किसी प्रयोजन के भी नहीं लिखूँगा। मैं यह नहीं चाहूँगा कि लिखते समय मैं केवल भावनाओं में बह जाऊँ। पाठकों को क्या मालूम कि हर सप्ताह अपना विषय चुनने और शब्दों के इस्तेमाल में मुझे अपने पर कितना नियन्त्रण रखना पड़ता है। ऐसा करते समय मुझे अपने आप में झाँकने का और अपनी कमजोरियों को दूर करने का अवसर मिल जाता है। अक्सर मेरा खालीपन या क्रोध मुझे कुछ बड़ी या कड़वी बातें लिखने पर मजबूर कर देता है। यह एक कड़ी परीक्षा का समय होता है, लेकिन बाद में उन शब्दों को काटना या बदलना एक अच्छा अभ्यास हो जाता है।'. महात्मा गांधी के ये विचार एक अच्छे लेखक के विषय में स्पष्टतः इंगित करते हैं।
- विद्वानों का यह मानना है कि अच्छा लेखक वह है जो लिखे, बार बार लिखे, अभ्यास करे, लिखकर दोहराए, सुधार करे, जानकारों को दिखाए और ऐसा बार बार करे। आपसे बार-बार कहा जाता रहा होगा कि अपने पाठ को दोहराइये या अपने लिखे को दुबारा पढ़कर सुधार करें। अपने लिखे को बार बार पढ़ने से अपनी ही कमियाँ खुद नज़र आ जाती हैं। इसलिए समाचार लेखक के लिए भी यह जरूरी है कि वह अपनी कल्पनाशीलता और रचनात्मकता से तैयार किए गए अपने लेखन को बार बार पढ़े, फिर अपनी स्पष्टता से उन्हें प्रस्तुत करे ।
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