टीवी के लिए लेखन |टेलीविजन लेखन की विशेषता| TV lekhan kaise karte hain
टीवी के लिए लेखन (TV lekhan kaise karte hain)
टीवी के लिए लेखन (TV lekhan kaise karte hain)
- प्रिन्ट माध्यम ओर रेडियो की अपेक्षा टेलीविजन की अपेक्षा टेलीविजन आज का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है। टेलीविजन को दृश्य-श्रव्य माध्यम कहा गया है, इस माध्यम से हमारी दोनों इन्द्रियाँ (कान/आँख) सक्रिय रहती हैं। इस दृष्टि से इसमें दृश्यों को ज्यादा प्रमुखता मिलती है।
- टेलीविजन स्क्रिप्ट में भी इस बात का खास ध्यान रखा जाता है। टेलीविजन में भी इस बात पर ज्यादा बल दिया जाता है कि आपके लेखन में इस बात पर ज्यादा बल दिया जाता है कि आपके द्वारा लिखे/बोले गये शब्द दिख रहे दृश्य के अनुकूल हों। चूँकि इस माध्यम में श्रव्य-दृश्य दोनों का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसमें कम शब्दों में ज्यादा बताने की कुशलता पर बल दिया जाता है। कह सकते हैं कि टेलीविजन लेखन में शब्द का प्रयोग इस प्रकार किया जाता है कि वह दृश्य के अनुकूल हो। श्रव्य–दृश्य में प्रतिकूलता टेलीविजन लेखन का बहुत बड़ा दोष माना जाता है।
- टेलीविजन लेखन और प्रिन्ट लेखन के स्वरूप में मूलभूत अंतर है। प्रिन्ट लेखन में पहले में संपूर्ण घटना की सूचना दी जाती है और फिर उसका विस्तार किया जाता है। अखबार की एक ख़बर का इंटरो देखें - दिल्ली की चाँदनी चौक की एक इमारत में आज सुबह आग लगने से 50 लोग घायल हो गए। ये आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। इसी ख़बर को टेलीविजन पर दूसरे प्रकार से प्रस्तुत किया जायेगा। टेलीविजन पर प्रस्तुत इस ख़बर में दो भाग कर दिये जायेंगे। ख़बर के प्रारम्भिक चरण में मुख्य ख़बर होगी, जिसे न्यूज रीडर बगैर दृश्य के पढ़ेगा। ख़बर के द्वितीय चरण में परदे पर न्यूज रीडर की जगह ख़बर से संबंधित दृश्य दिखाए जाते हैं। टेलीविजन के प्रस्तुति और तकनीक में लगातार परिवर्तन हो रहा है, इसलिए उसके लेखन के प्रमुख सिद्धान्त पर चर्चा करने से हम यह देखें कि टेलीविजन पर प्रस्तुत ख़बरों के प्रचलित रूप कौन-कौन हैं -
टेलीविजन पर ख़बरों के प्रस्तुतीकरण के विभिन्न रूप-
मीडिया का मुख्य कार्य सूचना देना है। इस दृष्टि से प्रिन्ट माध्यम, रेडियो और टेलीविजन सभी समान हैं। लेकिन चूँकि टेलीविजन की प्रस्तुति का तरीका अन्य माध्यमों से भिन्न और बहुआयामी है, इसलिए इसकी सूचना देने की पद्धति भी कई चरणों में बँटी होती हैं। टेलीविजन पर प्रस्तुत सूचना या समाचार कई चरणों में विभक्त होकर दर्शक तक पहुँचती हैं। टेलीविजन लेखन की विशेषताओं के जानने से पूर्व टेलीविजन ख़बरों के विभिन्न चरणों को जानना जरूरी है।
- ब्रेकिंग न्यूज या फ्लैश
- ड्राई कर
- फोन-इन
- एंकर- विजुअल
- एंकर-बाइट
- लाइव
- एंकर-पैकेज
फ्लेश या ब्रेकिंग न्यूज
- यह ख़बर प्रस्तुति का प्रारंभिक रूप है। इसमें कोई महत्वपूर्ण या बड़ी ख़बर तत्काल दर्शकों तक पहुँचाई जाती है। इस न्यूज में ख़बरों का विस्तार नहीं होता है। इसमें कम-से-कम शब्दों में महज सूचना दी जाती है।
ड्राई एंकर
- इस ख़बर में एंकर ख़बर के बारे में दर्शकों को बताता है कि कहाँ, क्या, कब और कैसे कोई घटना घटी। जब तक ख़बर के दृश्य नहीं आते एंकर दर्शकों को रिपोर्टर से प्राप्त सूचना या अन्य स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करता है।
फोन-इन
- फोन-इन में ख़बर का विस्तार किया जाता है। इसमें एंकर रिपोर्टर से फोन से बात करके में सूचनाएँ दर्शकों तक पहुँचाता है। फोन-इन में रिपोर्टर घटना स्थल पर मौजूद रहता है ओर वहाँ से वह ज्यादा-से-ज्यादा जानकारी प्रामाणिक ढंग से दर्शक को बताता है।
एंकर - विजुअल
- एंकर- विजुअल का तात्पर्य है दृश्यों के आधार पर ख़बर तैयार करना । जब घटना के दृश्य (विजुअल) एंकर को मिल जाते हैं तो उन दृश्यों के आधार पर ख़बर लिखी जाती है। बाद में उस ख़बर को एंकर पढ़ता है। इस ख़बर की शुरूआत भी प्रारंभिक दृश्यों से होती हुई और कुछ वाक्यों पर उपलब्ध दृश्य दिखाये जाते है।
एंकर बाइट
- बाइट का शाब्दिक अर्थ है- कथन, टेलीविजन पत्रकारिता में बाइट को इधर बीच काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। टेलीविजन में किसी भी खबर को पुष्ट करने के लिए उससे संबंधित बाइट दिखाई जाती है। किसी महत्वपूर्ण घटना की सूचना देने, उसके दृश्य दिखाने के पश्चात् उस घटना से संबंधित विशेषज्ञ या प्रत्यक्षदर्शियों का साक्षात्कार या कथन दिखाया जाता है, इसे बाइट कहते है। बाइट घटना की प्रामाणिकता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
लाइव का तात्पर्य
- लाइव का तात्पर्य है किसी घटना या, ख़बर का घटनास्थल से सीधे प्रसारण करना। बाइट में जहाँ घटनास्थल का संक्षिप्त कवरेज होता है वहीं लाइव में संपूर्ण घटनाक्रम को कवरेज करने की में कोशिश की जाती है। किसी महत्वपूर्ण घटना के दृश्य तत्काल दर्शकों तक पहुँच जायें, इसके लिए घटनास्थल पर मौजूद रिपोर्टर और कैमरामैन ओ०बी०वैन के जरिए घटना को सीधे दर्शकों को दिखाते हैं।
एंकर- पैकेज
- एंकर- पैकेज किसी भी ख़बर को संपूर्णता के साथ पेश करने का एक माध्यम है। इसमें संबंधित घटना के दृश्य, इससे जुड़े लोगों की बाइट, ग्राफिक के जरिए जरूरी सूचनाएँ आदि होती है।
- जाहिर है टेलीविजन लेखन ख़बर के उपर्युक्त तरीकों से प्रभावित होता है। जरूरत और के आवश्यकता के अनुसार शब्द और दृश्य का उपयोग ख़बर लिखने के लिए किया जाता है। वाक्य गठन में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शब्द से दृश्य का तादात्म्य / संतुलन निभ सके। शब्द दृश्य को आगे ले जा सकें तथा दृश्य दूसरे दृश्य से जुड़ सके। टेलीविजन लेखन में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि जिन दृश्यों को दिखाया जा रहा है उन्हें दुहराया न जाये। यहाँ रिपोर्टर/एंकर की कल्पनाशक्ति की भूमिका मुख्य हो जाती है।
- टेलीविजन लेखन में शब्द और दृश्य के साथ ही दो आवाजें और होती हैं । एक वे कथन होते हैं जो ख़बर बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और दूसरी वे प्राकृतिक आवाजें जो दृश्य के साथ-साथ चलती हैं। इसलिए टीवी लेखन में किसी ख़बर या वॉयस ओवर लिखते समय उसमें ध्वनियों के लिए स्पेस छोड़ देना चाहिए। टेलीविजन पत्रकारिता में ऐसी ध्वनियों को नेट /नेट साउंड (प्रकृतिक आवाजें) कहते हैं। टेलीविजन लेखन के सिद्धान्त समयानुसार बदलते रहते हैं।
टेलीविजन लेखन से संबंधित कुछ प्रमुख बातों को रेखांकित करेंगे-
- टेलीविजन आज का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है। इसकी पहुँच सभी वर्ग के भीतर तक है, इसलिए ख़बर लेखन में ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए, जो सभी को आसानी से समझ में आ जाये।
- टेलीविजन लेखन की भाषा सरल हो किन्तु गरिमामय हो । सरलता सपाटता नहीं है, वरन् कल्पनाशील शब्दों को सहज रूप में प्रस्तुत करने की शैली है। इस संदर्भ में यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि वाक्य छोटे और स्पष्ट हों।
- टेलीविजन लेखन की शैली सीधी, स्पष्ट होनी चाहिए। कम शब्दों में ज्यादा-से-ज्यादा सूचना `को अपने भीतर उसे समाविष्ट करने की क्षमता से युक्त होना चाहिए।
Post a Comment