कार्यालयी पत्राचार के विभिन्न रूप| Type of Official Letter in Hindi

कार्यालयी पत्राचार के विभिन्न रूप

 (Type of Official Letter in Hindi)

 

कार्यालयी पत्राचार के विभिन्न रूप| Type of Official Letter in Hindi

कार्यालयी पत्राचार के विभिन्न रूप (Type of Official Letter in Hindi)

 

  • पत्र 
  • अर्धसरकारी पत्र 
  • तार 
  • त्वरित पत्र 
  • मितव्यय पत्र/कूट पत्र 
  • कार्यालय ज्ञापन 
  • ज्ञापन 
  • कार्यालय आदेश 
  • आदेश 
  • परिपत्र 
  • अनुस्मारक 
  • सूचना 
  • पृष्ठांकन 
  • विज्ञापन 
  • निविदा सूचना 
  • अधिसूचना 
  • प्रेस विज्ञप्ति और प्रेस नोट 
  • अनौपचारिक टिप्पणियां 
  • आवेदन-पत्र 
  • अभ्यावेदन 
  • प्राप्ति सूचना 
  • संकल्प


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पत्र: (Letter in Hindi)

  • इसका प्रयोग विदेशी सरकारोंराज्य सरकारोंसंबद्ध और अधीनस्थ कार्यालयोंसरकारी उपक्रमोंनिर्वाचन आयोगसार्वजनिक निकायों आदि से औपचारिक पत्र-व्यवहार के लिए किया जाता है। यही नहीं जनता और सरकारी कर्मचारियों का संस्थाओं अथवा संगठनों के सदस्यों के साथ भी पत्र-व्यवहार हेतु पत्र का प्रयोग किया जाता है लेकिन भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के बीच पत्र-व्यवहार हेतु इसका प्रयोग नहीं होता। पत्रों में संबोधन 'महोदयके रूप में होता है और पत्र के अंत में अधोलेख के रूप में 'भवदीयका प्रयोग होता है।


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2. अर्ध सरकारी पत्र: 

  • सरकारी अधिकारियों के आपसी पत्र-व्यवहार में विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए अर्ध सरकारी पत्रों का प्रयोग किया जाता है। इन पत्रों में किसी निर्धारित क्रिया-विधि की आवश्यकता नहीं होती। जब अनुस्मारक भेजने पर भी कोई उपयुक्त उत्तर नहीं मिलता और किसी मामले पर किसी अधिकारी को ध्यान दिलाना हो या आकर्षित करना हो तो वहां अर्ध सरकारी पत्र लिखा जाता है। ये पत्र व्यक्तिगत रूप से किसी अधिकारी को उसके नाम से लिखे जाते हैं और अंत आपकासे होता है। अधिकारी इस पर हस्ताक्षर करते समय उसके नीचे आम तौर पर अपना नाम नहीं लिखते। इसमें विषय नहीं लिखा जाता और पत्र भेजनेवाले अधिकारी का नाम और पदनाम ऊपर बाईं और दिया जाता है और प्राप्त करने वाले का पूरा पता बाईं ओर दिया जाता है। यहां इसका एक उदाहरण प्रस्तुत है. 

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3. तार: 

  • ये अत्यंत जरूरी अवसर पर ही भेजे जाते हैं लेकिन आजकल वायरलेसफैक्सएस.एम.एस. और इंटरनेट की सुविधा होने के कारण इसकी उपयोगिता कम हो गई है। इसमें कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जाती है और अत्यंत सावधानी रखी जाती है। बात का मंतव्य बिल्कुल स्पष्ट और संक्षिप्त होता है लेकिन संक्षिप्तता के फेर में अटपटी भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए अन्यथा अस्पष्टता आ जाएगी। तार दो प्रकार के होते हैं- शब्दबद्ध तार और बीजंक (कूट भाषा)। जैसे - निदेशक बीस को सुबह कालका मेल से चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं

 

4. त्वरित पत्र: 

  • इन पत्रों की भाषा तार की ही तरह होती है और ये डाक से भेजे जाते हैं। प्राप्त करने वाले को भी उतनी ही प्राथमिकता देनी होती है। इसमें भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के पते विस्तार से नहीं लिखे जाते और न ही विषय लिखा जाता है। इसका संकेत लाल रंग का होता है जो पत्र के ऊपर चिपका दिया जाता है और जिस पर एक्सप्रेस लिखा होता हैं। अब इसका प्रचलन समाप्त होता जा रहा है।

 

5. मितव्यय पत्र/कूट पत्र: 

  • जब विदेशों में स्थित अपने दूतावासों तथा अन्य कार्यालयों से पत्राचार करते समय कोई गुप्त बात कहनी हो जिसे कूटभाषा में लिखना आवश्यक हो तो त्वरित पत्र के स्थान पर मितव्यय पत्र/कूट पत्र भेजा जाता है। इसे साइफर तार की तरह कूट भाषा में लिखकर राजनयिक थैले या रजिस्ट्री बीमा द्वारा भेजा जाता है। इसके द्वारा समुद्री तार का व्यय बचाया जाता है इसलिए इसे मितव्यय पत्र की संज्ञा दी गई है।

 

6. कार्यालय ज्ञापन: 

  • इनका प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों द्वारा आपसी पत्राचार हेतु किया जाता है। इसे अन्य पुरुष की शैली में लिखा जाता है और संख्या सबसे ऊपर रहती है। इसमें संबोधन (महोदयआदि) और अधोलेख (भवदीयआदि) नहीं होता है। केवल लिखने वाले का पदनाम और हस्ताक्षर होते हैं। कार्यालय ज्ञापन जिस मंत्रालय को भेजा जाता हैउसका नाम हस्ताक्षर के नीचे पृष्ठ के बिल्कुल बाईं ओर लिखा जाता है।

 

7. ज्ञापन: 

  • ज्ञापन का प्रयोग छुट्टी की स्वीकृति / अस्वीकृतिविलंब से आने के कारणप्रार्थियों को नौकरी आदि के संबंध में जानकारी देने के लिए किया जाता है। यह सरकारी आदेश के समान नहीं होते और अन्य पुरुष में इन्हें लिखा जाता है और न ही इसमें संबोधन होता है और न अधोलेखकेवल अधिकारी का हस्ताक्षर और उसका पदनाम होता है। पाने वाले का नाम और या पदनाम हस्ताक्षर के नीचे बाईं ओर लिखा जाता है। इसके विपरीत अंतरकार्यालय ज्ञापन का प्रयोग सरकारी उपक्रमों में एक विभाग/कार्यालय को सूचना के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। ये भारत सरकार के मंत्रालयों/कार्यालयों/विभागों में नहीं लिखे जाते। 

 

8. कार्यालय आदेश: 

  • इसका प्रयोग मंत्रालयोंविभागों तथा कार्यालयों में स्थानीय प्रयोजनो के लिए होता है। अनुभागों या अधिकारियों के बीच कार्य विभाजनकर्मचारियों की तैनातीस्थानांतरणछुट्टीपदोन्नति आदि विषयों पर कार्यालय आदेशके रूप में आदेश प्रसारित किए जाते हैं। कार्यालय आदेश के ऊपर संख्यासरकार और मंत्रालय/कार्यालय का नाम अंकित रहता है। उसके बीचोंबीच कार्यालय आदेश और साथ संख्या लिखी जाती है। नीचे दाहिनी ओर आदेश देने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर और पद नाम होता है। इसका लेखन भी अन्य में किया जाता है। 

 

9 आदेश: 

  • इस प्रकार के पत्रों के माध्यम से केंद्र सरकार के कार्यालयोंविभागों आदि में नए पदो के सृजनकर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारीप्रशासनिक मामलों में की गई कार्रवाई की सूचनाशक्तियों के प्रत्यायोजन आदि की जानकारी दी जाती है। 

 

10. परिपत्र: 

  • परिपत्र उन पत्रोंकार्यालय ज्ञापनज्ञापनसूचनाएंआदेश आदि को कहा जाता है जिनकी जानकारी अनेक स्थानों को देनी पड़ती है या जिनके आधार पर अनेक स्थानों से जानकारी मंगानी होती है। इन पत्रों को एक साथ अनेक स्थानों पर भेजा जाता है। परिपत्र में सबसे ऊपर दाई ओर संख्या होती है और शेष स्वरूप वही रहता है जिस रूप (पत्रकार्यालय ज्ञापनज्ञापन आदि) में वे जारी होते हैं। सरकारी पत्र और परिपत्र में मुख्य अंतर यह है कि सरकारी पत्र में जो भवदीय/भवदीया/आपका जैसे शब्दों का प्रयोग होता हैवह प्रयोग परिपत्र में नहीं किया जाता। यह अन्य पुरुष के रूप में लिखा जाता है। इसमें संख्यास्थानदिनांक आदि सरकारी पत्र की भांति होता है। इसे गश्ती पत्र’ भी कहा जाता है। 

 

11. अनुस्मारक: 

  • अनुस्मारक किसी पूर्व पत्र या अन्य किसी रूप (कार्यालय ज्ञापनज्ञापनअर्ध सरकारी पत्रतार आदि) को किसी को स्मरण कराने के लिए भेजा जाता है। इसीलिए इसका अपना कोई रूप नहीं होता। यदि एक ही विषय पर एक से अधिक बार अनुस्मारक भेजा जाता है तो सबसे ऊपर दाईं ओर लिख दिया जाता है कि 'दूसरा अनुस्मारक', 'तीसरा अनुस्मारक |' इससे पत्र पढ़ने का ध्यान तत्काल उस पर जाता है।


 

12. नोटिस: 

  • इसे सूचना भी कहते हैं। इसके द्वारा किसी वर्ग विशेष/सर्व साधारण को जानकारी दी जाती है जो देने योग्य होती है और इसे नोटिस बोर्ड पर लगा दिया जाता है। इसे परिपत्र की तरह सभी अनुभागों में भेजा भी जाता है और कुछ मामलों में (कोर्ट आदि से संबंधित नोटिस) डाक से प्रेषित किया जाता है। 

 


13. पृष्ठांकन: 

  • जब कोई कागज मूल रूप में भेजने वाले को ही लौटाना हो या किसी और मंत्रालय या संबद्ध या अधीनस्थ कार्यालय को सूचनाटीका-टिप्पणी या निपटाने के लिए मूल पत्र या उसकी नकल के रूप में भेजना हो तब इसका प्रयोग किया जाता है। पृष्ठांकन में औपचारिक संबोधनउपसंहार और समापन नहीं होता। इसमें अत्यधिक संक्षेप में लिखा जाता है। 

 

14. विज्ञापन: 

  • इसका अर्थ होता है विशेष रूप से सूचना देना । विभिन्न कार्यालय अनेक प्रकार के विज्ञापन निकालते हैं जो नौकरी से संबंधित भी होते हैंनीलामी से भी संबंधित भी होते है और कार्यालय के स्थान और समय के परिवर्तन आदि से भी संबंधित भी होते हैं।

 

15. निविदा सूचना: 

  • इस प्रकार के पत्रों में सरकार की ओर से सामान खरीदनेनिर्माण कार्य को पूरा करने या किसी कार्य को करने के लिए निविदा सूचनाएं जारी की जाती हैं। इसमें जो भी कार्य किया जाना है उसका पूरा विवरण दिया जाता है। 

 

16. अधिसूचना: 

  • नियमों और प्रशासनिक आदेशों की घोषणाशक्तियों का सौंपा जानाराजपत्रित अधिकारियों की नियुक्तिछुट्टीतरक्की आदि का भारत के राजपत्र में प्रकाशित करके अधिसूचित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त अध्यादेशअधिनियमस्वीकृत विधेयक तथा संकटकालीन घोषणाएं भी अधिसूचित की जाती है। कभी-कभी यदि अधिसूचना बहुत महत्वपूर्ण है तो 'असाधारण राजपत्रभी प्रकाशित किया जाता है। 

 

17. प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट: 

  • सरकार के किसी निर्णय अथवा महत्वपूर्ण जानकारीजिसका बहुत अधिक प्रचार करने की आवश्यकता होती हैउसके लिए प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट जारी किया जाता है। प्रेस विज्ञप्ति प्रेस नोट की अपेक्षा अधिक औपचारिक होती है इसलिए उसे यथावत छापा जाता है। इसमें कोई हेर-फेर नहीं हो सकता जबकि प्रेस नोट को आवश्यकता के छोटा या बड़ा किया जा सकता है। 

 

18. अनौपचारिक टिप्पणियां: 

  • किसी मंत्रालय या मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय के बीच प्रस्ताव पर अन्य मंत्रालयों के विचारटीका-टिप्पणी आदि प्राप्त करने के लिएमौजूदा अनुदेशों के बारे में स्पष्टीकरण आदि कराने के लिए या कोई सूचना या कागज पत्र मंगवाने के लिए पत्राचार के इस तरीके का प्रयोग किया जाता है। इसे अशासनिक ज्ञापन भी कहा जाता है। इसमें संबोधन या अंत में किसी प्रकार के आदरसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं होता तथा संख्या और दिनांक प्राप्त करने वाले मंत्रालय/विभाग के नीचे रेखा खींचकर दी जाती है। इसे दो रूपों में भेजा जाता है। इसे या तो मिसिल पर अपनी टिप्पणी लिखकर उसी को मंत्रालय / कार्यालय को भेजा जाता है या एक नोट शीट पर टिप्पणी लिखकर तथा टंकित कराकर भेजा जाता है जो अपने आपमें पूर्ण होती है। इसमें न तो कोई संख्या डाली जाती है और न संबोधन होता है और न कोई आदरसूचक शब्द केवल पदनाम के साथ हस्ताक्षर कर दिया जाता है और जहां भेजना हैउसका नाम व पता होता है। सेवा में नहीं लिखा जाता। सबसे नीचे एक रेखा खींचकर भेजने वाले मंत्रालय / कार्यालय का नाम पतासंख्या और दिनांक अंकित किया जाता है। 

 

20. आवेदन पत्र: 

  • ये नौकरी आदि के संबंध में भी होते हैं और कार्यालय में कार्यवाही (छुट्टीस्थानांतरणवेतन वृद्धिअग्रिम राशिआवास आवंटन आदि) से भी संबंधित होते हैं। इनकी विविधता समय और विषय के अनुसार निर्भर करती है।

 

21. अभ्यावेदनः 

  • यह भी आवेदन पत्र का एक ही रूप है। इसे प्रार्थी अपने प्रति हो रहे दुर्व्यवहारअनाचारअत्याचार आदि को दूर कराने हेतु प्रशासनप्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आदि को लिखता है। इसमें करुणा और दया पैदा करने वाले शब्दों का प्रयोग किया जाता है। 


22. प्राप्ति सूचना: 

  • इस प्रकार के पत्रों में पत्र या कार्यालय ज्ञापन भेजने वाले कार्यालय इस बात का उल्लेख कर देते हैं कि इसकी प्राप्ति स्वीकार करें। ऐसी स्थिति में प्राप्त करने वाले कार्यालय को लिखित रूप में पत्र की प्राप्ति की सूचना देनी होती है। 

 

23. संकल्प: 

यह सरकारी पत्राचार का एक ऐसा रूप है जिसका प्रयोग विशेष परिस्थितियों में किया जाता है। ये परिस्थितियां निम्नांकित हो सकती हैं-

 

-जब सरकार नीति संबंधी किसी महत्वपूर्ण प्रश्न पर सार्वजनिक घोषणा करती है। 

-जांच आयोग/समिति के प्रतिवेदनों पर कोई घोषणा करनी होती है। 

- जब किसी जांच आयोग/समिति की घोषणा की जाती है और उसके क्षेत्राधिकार व शक्तियों का उल्लेख किया जाता है।

 

यह अन्य पुरुष में लिखा जाता है और राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है। प्रस्तावना (पृष्ठभूमि)संकल्प (रूपरेखा)आदेश और आवश्यक निर्देश (जिनको इसकी प्रति भेजनी है) इसके चार अंग होते हैं। इसमें संबोधनअधोलेख का स्थान नहीं होता।

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