रामानुजाचार्य जयंती 2024 : जानिए रामानुजाचार्य के बारे में | Ramanujacharya Jayanti 2024
रामानुजाचार्य जयंती 2024 : जानिए रामानुजाचार्य के बारे में
( Ramanujacharya Jayanti 2024)
रामानुजाचार्य जयंती 2024 : Ramanujacharya Jayanti 2024
- जन्म : वर्ष 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरूमबुदूर गाँव में
- मृत्यु : 1137 में तमिलनाडु के श्रीरंगम
- जन्म के समय उनका नाम लक्ष्मण था ।
- रामानुजाचार्य वेदांत के विशिष्टाद्वैतवाद की उप-शाखा के मुख्य प्रस्तावक के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- 18 अप्रैल, 2022 को महान हिंदू दार्शनिक और चिंतक रामानुजाचार्य की 1005वीं जयंती है। रामानुजाचार्य ने आम जनमानस को समानता और भक्ति का मार्ग दिखाया था। उनका जन्म वर्ष 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरूमबुदूर गाँव में हुआ था।
- रामानुजाचार्य जयंती की तिथि तमिल सौर कैलेंडर के आधार पर तय की जाती है। वह एक महान धर्मशास्त्री थे, जिन्होंने सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश दिया।
- रामानुजाचार्य, वेदांत और वैष्णववाद दर्शन के महान समर्थक थे। संत रामानुजाचार्य ने तथाकथित अछूतों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न करने की बात करते हुए कहा कि विश्व के रचयिता ने कभी भी किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया।
- श्री रामानुजाचार्य ने ऐसा सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसमें जन्म या जाति के बजाय व्यक्ति के आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर सम्मान दिया जाता है। उन्होंने वेदों के गोपनीय और सर्वोत्कृष्ट ज्ञान को मंदिरों से निकाल कर आम लोगों तक पहुँचाया।
- श्री रामानुजाचार्य महान दार्शनिक, संत, चिंतक, समाज सुधारक और वेदांत की विशिष्टाकद्वैत धारा के मुख्यु उद्घोषक थे। माना जाता है कि उनका निधन 120 वर्ष की आयु में वर्ष 1137 में तमिलनाडु के श्रीरंगम में हुआ था।
रामानुजाचार्य की विशाल प्रतिमा “स्टेच्यू ऑफ इक्वलिटी”
प्रधानमंत्री 5 फरवरी 2022 को हैदराबाद में रामानुजाचार्य की विशाल प्रतिमा “स्टेच्यू ऑफ इक्वलिटी” का उद्घाटन किया है
“स्टेच्यू ऑफ इक्वलिटी” से
संबंधित तथ्य:
- यह 216 फीट ऊँची प्रतिमा है, जिसे 'पंचलौह' यानी पाँच धातुओं- सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता के संयोजन से बनाया गया है, यह बैठी हुई मुद्रा में धातु की दुनिया में सबसे ऊँची प्रतिमाओं में से एक है।
- यह प्रतिमा 'भद्र वेदी' नाम की 54 फीट ऊँची इमारत पर स्थापित है। इसमें एक वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर तथा श्री रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण देने वाली एक शैक्षिक गैलरी आदि शामिल हैं।
रामानुजाचार्य का जीवन परिचय: Ramanujacharya Short Biorgraphy in Hindi
- वर्ष 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
- उनके जन्म के समय उनका नाम लक्ष्मण रखा गया था। उन्हें इलाया पेरुमल के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है दीप्तिमान।
- उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय का समर्थन करते हुए पूरे भारत की यात्रा की।
- उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया और उनके उपदेशों ने अनेक भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर व मीराबाई जैसे कवियों के लिये प्रेरणा माना जाता है।
- रामानुजाचार्य वेदांत के विशिष्टाद्वैतवाद की उप-शाखा के मुख्य प्रस्तावक के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- विशिष्टाद्वैत वेदांत दर्शन की एक अद्वैतवादी परंपरा है।।
- यह सर्वगुण-संपन्न परमसत्ता का अद्वैतवाद है, जिसमें मात्र ब्रह्म का अस्तित्त्व माना जाता है, लेकिन इसकी अभिव्यक्ति विविध रूपों में होती है।
- उन्होंने नवरत्नों के नाम से प्रसिद्ध नौ शास्त्रों की रचना की और वैदिक शास्त्रों पर कई भाष्यों की रचना की।
- रामानुज के सबसे महत्त्वपूर्ण लेखन में ‘वेदांत सूत्र’ पर उनकी टिप्पणी (श्री भाष्य या ‘सच्ची टिप्पणी’) और भगवद-गीता पर उनकी टिप्पणी (गीताभास्य या ‘गीता पर टिप्पणी’) शामिल हैं।
- उनके अन्य लेखन में ‘वेदांत संग्रह’ (वेद के अर्थ का सारांश), वेदांतसार (वेदांत का सार) और वेदांतदीप (वेदांत का दीपक) शामिल हैं।
- उन्होंने प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने और संसाधनों का अति-दोहन न करने की आवश्यकता पर भी बल दिया है।
- स्टेच्यू ऑफ इक्वलिटी:
- रामानुज सदियों पहले लोगों के सभी वर्गों के बीच सामाजिक समानता के पैरोकार थे और उन्होंने समाज में जाति या स्थिति से परे सभी के लिये मंदिरों के दरवाज़े खोलने हेतु प्रोत्साहित किया, वह भी एक ऐसे समय में जब कई जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
- उन्होंने शिक्षा को उन लोगों तक पहुँचाया जो इससे वंचित थे। उनका सबसे बड़ा योगदान ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा का प्रचार है, जिसका अनुवाद प्रायः ‘सारा ब्रह्मांड एक परिवार है’, के रूप में किया जाता है।
- उन्होंने अपने अभिभाषणों के माध्यम से मंदिरों में सामाजिक समानता और सार्वभौमिक भाईचारे के अपने विचारों का प्रचार करते हुए कई दशकों तक पूरे भारत की यात्रा की।
- उन्होंने सामाजिक रूप से हाशिये पर स्थित लोगों को गले लगाया और उनकी इस स्थिति के कारणों की निंदा की तथा शाही अदालतों (Royal Courts) से उनके साथ समान व्यवहार करने को कहा।
- उन्होंने ईश्वर की भक्ति, करुणा, विनम्रता, समानता और आपसी सम्मान के माध्यम से सार्वभौमिक मोक्ष की बात की जिसे श्री वैष्णव संप्रदाय के रूप में जाना जाता है।
- रामानुजाचार्य ने सामाजिक, सांस्कृतिक, लैंगिक, शैक्षिक और आर्थिक भेदभाव से लाखों लोगों को इस मूलभूत विश्वास के साथ मुक्त किया कि राष्ट्रीयता, लिंग, जाति, पंथ से पहले हर मनुष्य समान है।
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