कम्प्यूटर डेटा निरूपण |कम्प्यूटर संख्या पद्धति | Computer Number System in Hindi
कम्प्यूटर डेटा निरूपण , कम्प्यूटर संख्या पद्धति (Computer Number System in Hindi)
कम्प्यूटर डेटा निरूपण
- कम्प्यूटर, डेटा के निरूपण के लिए बाइनरी भाषा का प्रयोग करता है। ये बाइनरी भाषा 0 और 1 से मिलकर बनी होती है। उपयोगकर्ता कम्प्यूटर को जो भी डेटा या निर्देश इनपुट के रूप में देता है या कम्प्यूटर से जो भी आउटपुट प्राप्त करता है, वह अक्षर, संख्या, संकेत, ध्वनि या वीडियो के रूप में होता है। इन सभी डेटा या निर्देशों को पहले बाइनरी भाषा में बदलना पड़ता है अर्थात् डेटा को 0 और 1 के रूप में प्रस्तुत करना पड़ता है। इस प्रक्रिया को 'डेटा निरूपण' कहते हैं।
कम्प्यूटर संख्या पद्धति Computer Number System in Hindi
संख्या पद्धति के अन्तर्गत विभिन्न
प्रकार की संख्याओं का समूह होता है, जिसका
प्रयोग कम्प्यूटर में किसी डेटा / निर्देश को व्यक्त करने के लिए करते हैं।
कम्प्यूटर को डेटा या निर्देश अलग-अगल संख्या पद्धति में दिया जाता है और
कम्प्यूटर अलग-अलग संख्या पद्धति में डेटा को निरूपित करता है, किन्तु आन्तरिक रूप से किसी कार्य को
करने के लिए कम्प्यूटर बाइनरी भाषा का ही प्रयोग करता है।
कम्प्यूटर संख्या पद्धति के प्रकार (Types of Number System)
कम्प्यूटर सिस्टम द्वारा प्रयोग की
जाने वाली संख्या पद्धतियाँ मुख्यतः चार प्रकार की होती हैं-
(1) बाइनरी संख्या पद्धति
(2) दशमलव संख्या पद्धति
(3) ऑक्टल संख्या पद्धति
(4) हेक्साडेसीमल संख्या पद्धति
1. बाइनरी या द्वि-आधारी संख्या प्रणाली (Binary Number System)
- इस संख्या प्रणाली में केवल दो अंक होते हैं- 0 (शून्य) और 1 (एक) जिस कारण इसका आधार 2 होता है। इसलिए इसे द्विआधारी या बाइनरी संख्या प्रणाली कहा जाता है। जिस प्रणाली में कम्प्यूटर की मुख्य पद्धति बनती है, वह स्विच की तरह कार्य करती है। स्विच की केवल दो स्थितियाँ होती हैं- ऑन (ON) तथा ऑफ (OFF) इसके अलावा कोई तीसरी स्थिति सम्भव नहीं है। इस आधार पर कम्प्यूटर संख्या प्रणाली में 0 (शून्य) का अर्थ ऑफ से तथा 1 (एक) का अर्थ ऑन से लगाया जाता है। बाइनरी प्रणाली का आधार 2 होने के कारण उसके स्थानीय मान दाई ओर से बाईं ओर क्रमशः दोगुने होते जाते हैं अर्थात् 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64 आदि।
2. दशमलव या दशमिक संख्या प्रणाली (Decimal Number System)
दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली संख्या पद्धति को दशमिक या दशमलव संख्या प्रणाली कहा जाता है। इस संख्या प्रणाली में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, और 9 ये दस संकेत मान (Symbol Value) होते है। जिस कारण इस संख्या प्रणाली का आधार 10 होता है। दशमलव प्रणाली का स्थानीय मान (Positional Value) संख्या के दाई से बाई दिशा में आधार ( Base) 10 की घात की वृद्धि के क्रम के रूप में होता है। दशमलव प्रणाली के स्थानीय मानों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है।
3. ऑक्टल या अष्ट-आधारी संख्या प्रणाली (Octal Number System)
- ऑक्टल संख्या प्रणाली में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7 इन आठ अंको का प्रयोग किया जाता है। जिस कारण इसका आधार 8 होता है। इन अंकों के मुख्य मान दशमलव संख्या प्रणाली की तरह ही होते हैं। ऑक्टल संख्या प्रणाली इसलिए सुविधाजनक है, क्योंकि इसमें किसी भी बाइनरी संख्या को छोटे रूप में लिख सकते हैं।
उदाहरण के लिए -
- इस प्रणाली का प्रयोग मुख्यतः माइक्रो कम्प्यूटरों में किया जाता है। आधार 8 होने का कारण अष्टमिक संख्या प्रणाली में अंकों के स्थानीय मान दाईं ओर से बाईं ओर क्रमशः आठ गुने होते जाते हैं।
4. हेक्सा- डेसीमल या षट्दशमिक संख्या प्रणाली (Hexa decimal Number System)
हेक्सा- डेसीमल शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है हेक्सा डेसीमल । + होता है। अतः इस हेक्सा से तात्पर्य छः तथा डेसीमल से तात्पर्य दस संख्या प्रणाली में कुल सोलह [16] (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F) अंक होते हैं। इसके मुख्य मान क्रमशः 0 से 15 तक होते हैं, परन्तु 10, 11, 12, आदि को दो अलग-अलग अंक न समझ लिया जाए, इसलिए हम अंकों 10, 11, 12, 13, 14 और 15 के स्थान पर क्रमशः A, B, C, D, E, तथा F अक्षर लिखते हैं। इस प्रकार इस प्रणाली में दस अंक तथा छः वर्णों का प्रयोग किया जाता जो निम्नलिखित हैं-
0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F
- हेक्सा-डेसीमल संख्या प्रणाली में अंको के स्थानीय मान दाईं ओर से बाईं ओर 16 के गुणकों में बढ़ते हैं.
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