समाचार की अवधारणा|समाचार के तत्त्व | Concept and Elements of News
समाचार की अवधारणा,समाचार के तत्त्व ,Concept and Elements of News
समाचार की अवधारणा, समाचार के तत्त्व (Concept and Elements of News)
समाचार की परिभाषा देते हुए उसके तत्त्वों पर प्रकाश डालिए।
- समाचार क्या है? समाचार की परिभाषा को लेकर मत-वैभिन्न्य है। समाचार की अनेक परिभाषाएं दी गई लेकिन कोई भी परिभाषा अपने आप में संपूर्ण नहीं है। इसीलिए आज भी समाचार को परिभाषित करने का प्रयास किया जाता है।
- समाचार शब्द की उत्पत्ति सम्+आ+चर+धञ् धातु के योग से हुई है। इसका अर्थ है सम्यक् आचरण करना या व्यवहार बताना । अंग्रेजी में इसका अनुवादित रूप है - 'न्यूज'। यह लैटिन के ‘नोवा' और संस्कृत के 'नव' से बना है जिसका अर्थ है नया, नवीन । यहां विभिन्न परिभाषाओं के फेर में न पड़कर सार रूप में कहा जा सकता है कि समाचार वह है जिसमें किसी महत्त्वपूर्ण विचार या सत्य घटना का जल्दी-से-जल्दी विभिन्न माध्यमों ( समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आदि) द्वारा सटीक प्रस्तुतीकरण किया गया हो और जिसे पढ़कर, सुनकर या देखकर पाठक या श्रोता या दर्शक तृप्ति या संतुष्टि का अनुभव करे। समाचार ऐसा हो जो जनरुचि पर आधारित हो और प्रासंगिक, परिवर्तन -सूचक, विलक्षण, तटस्थ और नैतिक नियमों में बंधा हो। यहां नैतिक नियमों से आशय समाचार लेखन की आचार संहिता के पालन से है।
समाचार के तत्त्व Elements of News in Hindi
समाचार के तत्त्वों को लेकर अनेक प्रकार की मत- भिन्नता है। सभी ने
अपने-अपने ढंग से समाचार के तत्त्वों को प्रतिपादित करने का प्रयास किया है। यहां
इस मत- भिन्नता में न जाकर कुछ सर्वमान्य तत्त्वों पर विचार करना ठीक रहेगा। ये
तत्त्व इस प्रकार हैं
1 जनरुचि
- समाचार का पहला प्रमुख तत्त्व है जनरुचि। वे समाचार प्रस्तुत किए जाते हैं जिसमें जनता की रुचि हो और जनता उन्हें पढ़ना पसंद करे। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि समाचारों में अश्लीलता, हिंसा, कामुकता आदि का प्रस्तुतीकरण हो बल्कि वहां तो नैतिकता और सामाजिकता केंद्र में रहती है। उसका उद्देश्य सूचना, शिक्षण और मनोरंजन करना है लेकिन असत्य और अधूरी सूचना नहीं, छिछला मनोरंजन नहीं। जनता की बुनियादी आवश्यकता का संस्पर्श समाचार में होना चाहिए क्योंकि जनता को लाभ और तृप्ति इन्हीं समाचारों को पढ़कर होती है।
2 सात सकारों का पालन
- समाचारों में सात सकारों- सत्यता, स्पष्टता, समीपता, सुरुचि, संक्षिप्तता, संतुलन और समसामयिकता का पालन होना चाहिए। यहां सत्यता से आशय है कि समाचार में सच्चाई हो, पाठक को पढ़ने में लगे कि जो कुछ उसमें प्रस्तुत किया गया है वह पूरी तरह सही और तथ्यात्मक है। उसमें किसी भी प्रकार का पक्षपात या पूर्वग्रह न दिखाई दे। यह निष्पक्ष लगे और वास्तविक लगे। उसमें सनसनी फैलाने का उद्देश्य निहित न हो। असत्य समाचार प्रकाशित होने पर भूल सुधार करके और पाठक से खेद प्रकट करके समाचारपत्र के अगले अंक में समाचार को ठीक किया जा सकता है। यहां स्पष्टता से आशय यह है कि समाचार का समझने में आसानी हो, पाठक को शब्दकोश न तो देखना पड़े और न किसी से समाचार का अर्थ या भाव पूछना पड़े। पाठक की रुचि अपने निकट के स्थान के समाचारों को पढ़ने में अधिक होती है और दूर के समाचारों को पढ़ने में कम। अतः समाचारों में समीपता का गुण भी होना चाहिए। श्री प्रेमनाथ चतुर्वेदी का कथन है कि घटना का पाठक के हित-अहित से संबंध जितना दूर होता जाएगा, उतनी ही वह उसके लिए कम रुचिकर होती जाएगी।' कभी-कभी समाचार समान हित और समान रुचि के कारण देशकालातीत हो सकता है। जैसे, आर्थिक मंदी से जुड़े समाचार या शेयर बाजार के गिरने से जुड़े समाचार आदि। समाचार को इस प्रकार लिखा जाए कि वह आकर्षक लगे और उसमें सामासिकता भी हो तभी समाचार में संक्षिप्तता का गुण आ पाएगा। संतुलन से आशय है कि सांप्रदायिक, धार्मिक, नीतिगत, सामाजिक आदि मुद्दों पर लिखते समय समाचार में संतुलित दृष्टि अपनानी चाहिए अन्यथा व्यर्थ विवाद और दंगा हो सकता है। समाचार समसामयिक भी होना चाहिए। उसमें समकालीन घटना का उल्लेख करना आवश्यक है।
3 नवीनता
- यह समाचार का एक विशिष्ट गुण है। घटना की नवीनता व्यक्ति की जिज्ञासा को शांत करती है क्योंकि उसकी रुचि बासी समाचार पढ़ने में नहीं होती। इंटरनेट और टेलीविजन के दौर में समाचारपत्रों के समाचार प्रकाशन में नवीनता का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है क्योंकि चारों ओर से सूचनाओं की बरसात हो रही है। इसलिए आज समाचारपत्रों के लिए समाचार लेखन एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है।
4 विलक्षणता
- यहां विलक्षणता से आशय है कि सामान्य से परे कुछ अलग घटित होना, कुछ विशिष्ट घटित होना। इससे समाचार में रोचकता का समावेश होता है। उदाहरण के लिए सांप के काटने से यदि आदमी मर जाए तो यह समाचार तो होगा लेकिन उसमें कोई विलक्षणता नहीं होगी लेकिन यदि आदमी के काटने से सांप मर जाए तो यह समाचार विलक्षण हो जाएगा और ऐसा दुर्लभ ही होता है। ट्रेन का देर से आना तो समाचार बनता ही है लेकिन यदि ट्रेन जल्दी आकर चली जाए और यात्री रह जाएं तो समाचार में विलक्षणता आ जाएगी।
5 परिवर्तनशीलता
- समाचार में परिवर्तनशीलता को एक विशेष गुण स्वीकार किया गया है। एम चेलापति राव के शब्दों में समाचार की नवीनता इसी में है कि वह परिवर्तनशीलता की जानकारी दे। यह परिवर्तन चाहे राजनीतिक, सामाजिक अथवा आर्थिक हो। परिवर्तन की जानकारी देने वाले समाचार ही महत्त्वपूर्ण है। परिवर्तन में भी उत्तेजना है।' वास्तव में परिवर्तन की जानकारी व्यक्ति चाहता है जो उसके प्रत्येक क्रियाकलाप में सहायक हो सकती है और उसे यह जानकारी समाचारों से ही प्राप्त होती है।
6 मानवीय भावोद्रेक
- समाचार में मानव के हृदय पर प्रभाव डालने की क्षमता होनी चाहिए। उसके अंदर व्याप्त प्रेम, घृणा, त्याग, सहानुभूति, दया, स्वार्थ आदि भावों को भी समाचारों को पुष्ट करना चाहिए। व्यक्ति इन भावों की संतुष्टि के लिए भी समाचार पढ़ता है। अपने आसपास घटित घटना के संबंध में जानकारी लेना उसकी सुरक्षा की भावना से जुड़ा होता है। आतंक की घटनाओं के समाचार उसके भय और चिंता को सामने रखते हैं।
7 संघर्ष, साहस
- संघर्ष, द्वंद्व या टकराहट व्यक्ति को सदैव आकर्षित करते हैं। यदि समाचार में किसी टकराहट या विरोध की जानकारी हो या किसी के अद्भुत साहस या कारनामे की, तो व्यक्ति तुरंत उस समाचार का पढ़ता है। जैसे लोकपाल बिल पर विभिन्न दलों के नेताओं की टकराहट से जनता ने आनंद भी लिया और यह भी जान लिया कि कौन किस-किस दृष्टिकोण और राजनीतिक स्वार्थ के चलते इसे लटकाना चाहता है? किसने एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की या अपहरणकर्ताओं से किसी ने अपनी जान कैसे बचाई, ऐसे समाचार भी आकर्षण का केंद्र बनते हैं? इसीलिए संघर्ष और साहस को समाचारों का एक प्रमुख तत्त्व माना गया है।
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