रेडियो समाचार कैसे लिखा जाता है? |How is radio news written?
रेडियो समाचार कैसे लिखा जाता है?
रेडियो समाचार कैसे लिखा जाता है? How is radio news written?
- रेडियो श्रव्य माध्यम है। कारण यह कि श्रवणेन्द्रियों के माध्यम से इसका आस्वादन किया जाता है। इस माध्यम में ध्वनि का बहुत महत्व है। ध्वनि, स्वर, शब्द के माध्यम से यह विधा श्रोताओं को उनके अनुकूल सामग्री को प्रस्तुत करती है। इस विधा में प्रिन्ट मीडिया की तरह सुविधाजनक स्थिति नहीं है कि कोई समाचार किसी खास वर्ग को ध्यान में रखकर लिखी जाती है तो कोई अन्य किसी वर्ग को ध्यान में रखकर उसे किसी बुलेटिन को सुनकर तुरन्त उसका आस्वादन करना होता है। समाचार पत्र की तरह न तो उसके पास समय होता है और न इलेक्ट्रानिक मीडिया के सामने उसके पास शब्द और चित्र से तालमेल बैठाने की सुविधा प्रिंट मीडिया और टेलीविजन माध्यम की तुलना में रेडियो माध्यम ज्यादा चुनौतीपूर्ण माध्यम है। इसलिए इसमें विषय चयन से ज्यादा प्रस्तुति महत्वपूर्ण हो जाती है, कारण यह कि इसमें ध्वनियों के माध्यम से चित्र खड़ा करने की चुनौती भी होती है। समाचार पत्र या पुस्तकें यानी प्रिन्ट मीडिया के बाद रेडियो सर्वाधिक पुराना उपकरण है। इसे सबसे ज्यादा चुनौती इलेक्ट्रानिक मीडिया से मिली, बावजूद अपनी अंतर्निहित विशेषताओं के कारण यह माध्यम आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाये हुए है।
- रेडियो पर समाचारों के प्रस्तुतीकरण का तरीका भी टेलीविजन इत्यादि माध्यमों से भिन्न पद्धति से विकसित होता है। रेडियो समाचार की संरचना को उलटा पिरामिड शैली कहा गया है। इस शैली में तथ्य सबसे महत्वपूर्ण होता है उसके बाद घटते हुए महत्वक्रम से अन्य तथ्य को रखा जाता है। कह सकते हैं कि सामान्य रूप से किसी कहानी में जैसे चरम बिन्दु अन्त में होता है वैसे ही इस विधा में प्रारम्भ में। इस शैली में किसी भी समाचार को तीन भागों में विभाजित कर देते हैं -इंट्रो, बाँडी और समापन रेडियो में किसी ख़बर या समाचार को 2-3 पंक्तियों में ही बता दिया - जाता है। इसके बाद बाँडी में उसे विस्तार से, ब्यौरे के साथ लिखा जाता है। इसके पश्चात् ख़बर समाप्त हो जाती है। रेडियो समाचार के प्रसारित इस इंट्रो को देखिए- "हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले में एक बस दुर्घटना में आज 40 लोगों की मौत हो गई. मृतकों में पाँच महिलाएँ और चार बच्चे शामिल हैं।"
- स्पष्टतया हम समझ सकते हैं कि रेडियो प्रसारण एवं लेखन में अन्य माध्यमों से भिन्न पद्धति अपनायी जाती है। अब हम रेडियो लेखन के संदर्भ में महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर संक्षेप में चर्चा करेंगे।
रेडियो लेखन के आवश्यक बिन्दु
रेडियो लेखन अन्य माध्यमों से ज्यादा चुनौती भरा कार्य है। कारण यह है कि अखबार या टीवी चैनल के दर्शक वर्ग के अनुसार उसमें परिवर्तन किया जा सकता है या उसका स्वरूप निर्मित किया जा सकता है, लेकिन रेडियो के श्रोता वर्ग में सभी वर्ग के लोग शामिल हैं और उनकी पहचान भी मुश्किल होती है। इस संदर्भ में कुछ आवश्यक बिन्दुओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है -
साफ / टाइप्ड काँपी
- रेडियो समाचारों का संबंध हमारी श्रवणेन्द्रियों पर आधारित है। इस बात का इसके लेखन में भी ध्यान रखा जाता है। रेडियो पर कोई भी कार्यक्रम प्रसारित होने से पूर्व समाचार वाचक उसे पूर्व में कई बार पढ़ने का अभ्यास करता है। इसलिए समाचार वाचक के लिए टाइप्ड और साफ-सुथरी काँपी तैयार की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि वाचक किसी शब्द का गलत वाचन न करे। टेलीविजन में चूँकि शब्द के साथ चित्र साथ-साथ चलता रहता है, इसलिए वहाँ तो गलत वाचन उतना बड़ा अपराध नहीं है, जितना रेडियो में समाचार वाचन के लिए तैयार काँपी के संदर्भ में नियम यह है कि उसे कम्प्यूटर पर ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए। काँपी के दोनों ओर पर्याप्त हाशिया (जगह) छोड़ना चाहिए तथा एक लाइन में अधिकतम 12 13 शब्द रखने चाहिए। शब्द संख्या के अनुमान के आधार पर संपादक को ख़बर या कार्यक्रम के विस्तार का बोध होता है और वह उसी अनुसार उसे संपादित करता है। समाचार कॉपी लेखन के संदर्भ में यह स्पष्ट रूप से जाँच लेना चाहिए कि जटिल, उच्चारण में कठिन शब्द, संक्षिप्ताक्षर, अंक नहीं लिखने चाहिए जिससे वाचक को वाचन में असुविधा हो। अंक लेखन के संदर्भ में यह स्पष्ट रूप से ध्यान रखना चाहिए कि 1 से दस तक के अंकों को शब्दों में तथा 11 से 999 तक अंकों में लिखना चाहिए। अखबारों में जहाँ % और $ जैसे संकेत चिह्नों से काम चल जाता है। वही रेडियो में प्रतिशत और डालर लिखना अनिवार्य है। आंकड़ों के लेखन में भी विशेष सावधानी रखनी चाहिए। आंकड़े तुलनात्मक रूप में (पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल IIII) तथा उसी रूप में लिखने चाहिए जिस रूप में वे बोलचाल में प्रयुक्त होते हैं।
डेडलाइन, संदर्भ और संक्षिप्ताक्षर का नियम
- रेडियो और प्रिन्ट मीडिया के डेडलाइन और समय संदर्भ में अन्तर है। प्रिन्ट मीडिया के डेडलाइन जैसे स्पष्ट होती है वैसे रेडियो माध्यम में नहीं । रेडियो में समय का अनुशान भी नहीं है। यहाँ ख़बरे लगातार प्रसारित की जाती हैं। रेडियो में समय के संदर्भ में विशेष ध्यान रखने की अगले सप्ताह, पिछले सप्ताह, इस जरूरत होती है। रेडियो समाचार लेखन में आज, आज सुबह, आज दोपहर, आज शाम आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसी तरह इसी सप्ताह, महीने, अगले महीने, इस साल, पिछले साल, पिछले रविवार इत्यादि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
- इसी प्रकार संक्षिप्ताक्षरों के प्रयोग में भी सावधानी बरती जाती है। इस संदर्भ में पहले तो इनके प्रयोग से बचना चाहिए या पहले इनका पूरा नाम लिख देना चाहिए। लोकप्रिय संक्षिप्ताक्षरों का प्रयोग तो किया जा सकता जैसे - इब्ल्यूटीओ, यूनिसेफ, सार्क, एसबीआई, आईबी इत्यादि।
Post a Comment