लोकपाल तथा लोकायुक्त संस्थाएँ | Institutions of Lokpal and Lokayukta
लोकपाल तथा लोकायुक्त संस्थाएँ
(Institutions of Lokpal and Lokayukta)
लोकपाल तथा लोकायुक्त संस्थाएँ (Institutions of Lokpal and Lokayukta)
लोकपाल विधेयकः
- उच्च पदों पर भ्रष्टाचार सहित लोक कार्यकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार से संबंधित एक तंत्र स्थापित किये जाने की पुरानी मांग के मद्देनजर, सरकार ने भारत सरकार के नामित पांच मंत्रियों तथा श्री अन्ना हजारे (श्री अन्ना हजारे सहित) के पांच नामित व्यक्तियों की एक संयुक्त प्रारूप समिति का लोकपाल विधोयक का प्रारूप तैयार करने हेतु गठन किया था।
- उपर्युक्त समिति की सिफारिशों पर विचार करने के बाद सरकार ने लोक सभा में लम्बित, लोकपाल विधेयक, 2011 को वापस ले लिया तथा केन्द्र में लोकपाल और राज्य स्तर पर लोक आयुक्त संस्थानों की स्थापना हेतु 22 दिसंबर, 2011 को लोकसभा में एक नया तथा व्यापक लोकपाल तथा लोकायुक्त विधेयक, 2011 लेकर आई। इस विधेयक में, राष्ट्र के लिए केन्द्र तथा राज्य दोनों स्तर पर, एकरूपता, सतर्कता तथा भ्रष्टाचार विरोधी मानचित्र का प्रावधान है। यह विधेयक अभियोजन तथा अन्वेषण को एक-दूसरे से विलग करते हुए हितों के परस्पर विरोधों को दूर करता है तथा विशेषज्ञता की परिधि का विस्तार करता है।
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013
- देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद द्वारा पारित लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक 2013 को जनवरी, 2014 को अनुमति प्रदान की गई थी। इस अनुमति से यह 1 विधेयक अधिनियम बन गया जो कि जनवरी 2014 को राजपत्र में प्रकाशन के बाद प्रवृत्त हो गया।
- इससे पहले 18 दिसम्बर, 2013 को लोकसभा और 17 दिसम्बर, 2013 को यह राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था।
इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं
- केन्द्र में लोकपाल और राज्य स्तर पर लोकायुक्त का प्रावधान।
- लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होंगे, जिनमें 50 प्रतिशत न्यायिक सदस्य होंगे।
- लोकपाल के 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जाति/जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं में से होंगे।
- लोकपाल के गठन से संबंधित चयन समिति होगी। यह चयन समिति लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन करेगी।
इसके सदस्य होंगे
- प्रधानमंत्री (PM)
- लोकसभा अध्यक्ष (Speaker of Lok Sabha)
- लोकसभा में विपक्ष के नेता (Leader of opposition in Lok Sabha)
- भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का
- चयन समिति के पहले चार सदस्यों द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर वर्तमान न्यायाधीश (CJI या JI)
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित प्रख्यात विधिवेत्ता । (Judi Exp.)
ये लोग लोकपाल में नहीं हो सकते
- सांसद या विधायक,
- भ्रष्टाचार का दोषी,
- 45 साल से कम उम्र का व्यक्ति।
- अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक होगा।
- लोकपाल के अध्यक्ष एवं इसके सदस्यों को राष्ट्रपति के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर हटाया जा सकेगा।
- लेकिन ऐसा निर्देश सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रपति द्वारा संसद के 100 सदस्यों के प्रस्ताव द्वारा राय माँगे जाने की स्थिति में ही देगा।
- लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री भी आएंगे साथ ही सभी श्रेणियों के सरकारी कर्मचारी और “विदेशी अनुदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए FCRA) के संदर्भ में विदेशी स्रोत से 10 लाख रुपए वार्षिक से अधिक का अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन, केन्द्र सरकार द्वारा पूर्ण या अंशत: वित्तपोषित बोर्ड / निगम/ प्राधिकरण/कंपनी / सोसायटी/स्वायत्त निकाय आदि भी आएँगे।
- सीबीआई सहित किसी भी जाँच एजेंसी को भ्रष्टाचार की जाँच करने के निर्देश देने का अधिकार लोकपाल को होगा।
- भ्रष्टाचार के जरिए अर्जित संपत्ति कुर्क / जब्त करने का भी प्रावधान अधिनियम में किया गया है।
- लोकपाल भ्रष्टाचार के 7 वर्ष से अधिक पुराने मामलों की जाँच नहीं करेगा। झूठी या दुर्भावना से की गई शिकायतों पर शिकायतकर्ता को अधिकतम 1 वर्ष की सजा एवं अधिकतम 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।
लोकपाल कार्यालय में नियुक्ति खत्म होने के बाद अध्यक्ष और सदस्यों पर निम्नलिखित प्रतिबंध होंगे-
- इनकी अध्यक्ष या सदस्य के रूप में पुनर्नियुक्ति नहीं हो सकती है।
- इन्हें कोई कूटनीतिक जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती है और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासक के रूप में भी नियुक्ति नहीं हो सकती है।
- इन्हें ऐसी कोई भी जिम्मेदारी या नियुक्ति नहीं दी जा सकती जिसके लिए राष्ट्रपति को अपने हस्ताक्षर और मुहर से वारंट जारी करना पड़े।
- पद छोड़ने के पाँच वर्ष बाद तक ये राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद के किसी सदन, किसी राज्य विधानसभा या निगम या पंचायत में चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
- अधिनियम के लागू होने के 365 दिनों के अंदर राज्य विधानसभाओं द्वारा कानून के माध्यम से लोकायुक्तों की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
Post a Comment