मध्यप्रदेश में भील मीणा जनजाति के बारे में जानकारी | MP Bheel Meena Tribes in Hindi
मध्यप्रदेश में भील मीणा जनजाति के बारे में जानकारी
(MP Bheel Meena Tribes in Hindi)
मध्यप्रदेश में भील मीणा जनजाति के बारे में जानकारी
मध्यप्रदेश में भील मीणा जनजाति की जनसंख्या
- मध्यप्रदेश में इनकी आबादी 2244 आँकी गई है, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.003 प्रतिशत है।
मध्यप्रदेश में भील मीणा जनजाति का निवास क्षेत्र
- शिवपुरी, मुरैना, ग्वालियर, शिवपरी, गुना, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर, देवास, झाबुआ, धार, इन्दौर, पूर्वी निमाड़, पश्चिम निमाड़, राजगढ़, रायसेन, मण्डला
मध्यप्रदेश में भील मीणा जनजाति का गोत्र
- इनके गोत्र चबाणा, दायणा, परमार, राठौर, रावत, सोलंकी, मकवाना आदि हैं। प्रत्येक कुल की कुलदेवी होती हैै।
भील मीणा जनजाति रहन-सहन
- इनके घर मिट्टी के बने होते हैं। बांस, देशी खपरैल का छप्पर होता है। घर की दीवार पर मिट्टी का छप्पर होता है। दीवार की पुताई पीली या सफेद मिट्टी से की जाती है। घरेलु वस्तुओं में अनाज रखने की कोठी, मिट्टी, एल्युमिनियम के बर्तन, खेती उपकरण, वस्त्र, बाद्ययंत्र आदि होते हैं।
भील मीणा जनजाति खान-पान
- इनका मुख्य भोजन मक्का, ज्वार, बाजरा, गेहूॅ की रोटी, उडद, तुवर की दाल, मौसमी साग सब्जी मुख्य है। मुर्गा, बकरे का मांस, मछली आदि खाते हैं।
मध्यप्रदेश में भील मीणा जनजाति वस्त्र-आभूषण
- वस्त्र विन्यास में पुरूष धोती, बंडी पगड़ी, (साफा), महिलाऐं घाघरा, ओढ़नी पहनती हैं। महिलाऐं आभूषणों की शौकीन होती हैैं। गले में कांच की मोती से निर्मित गुरिया, सुतिया, चांदी की हसली , पैरों में कडी, कमर में करदोना, नाक में नथनी, सिर में बोरियू बांधती हैं। आभूषण नकली चांदी के होते हैं।
भील मीणा जनजाति में गोदना
भील मीणा जनजाति के तीज-त्यौहार
- मुख्य त्यौहार रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नवरात्री, दशहरा, दीवाली, होली, गोल गधेड़ी आदि है।
भील मीणा जनजाति में नृत्य
- इस जनजाति के लोग विवाह, होली आदि अवसर पर नृत्य करते है। पूजा के समय भजन, विवाह में विवाह गीत, होली के समय फाग गाते हैं।
भील मीणा जनजाति व्यवसाय
- भील मीणा जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि हैै। इनकी खेती असिंचित होने के कारण इसमें मक्का, ज्वार, उडद, मूंग, तुवर आदि बोते हैं।
भील मीणा जनजाति में जन्म-संस्कार
- भील मीणा जनजाति में प्रथम गर्भावस्था मेें “खोडो भरने” की रस्म होती है। प्रसव घर पर ही परिवार की बुजुर्ग महिला व सुवारनी (दायी) कराती है। नाल बांस की पतली पंची (नेर) से काटती है। प्रसूता को गेहूॅ का दलिया, गुड, घी व उड़द के लड्डू, सौठ, पीपर, जड़ी बूटी का काढ़ा देते हैं। सातवे दिन बच्चे व प्रसूता को नहलाकर “सावा” पूजा करते हैं।
भील मीणा जनजाति में विवाह-संस्कार
- विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है। विवाह उम्र लडको की लगभग 14-18 तथा लडकियों की 12-16 वर्ष मानी जाती है। वर का पिता, वधू के पिता को वधू मूल्य नगद और पशुओ के रूप में चुकाता है। विवाह की रस्म पहले जाति प्रमुख संपन्न कराता है। इस जनजाति में सहपलायन, विनिमय, सेवा विवाह, नातरा, देवर-भाभी विवाह को भी सामाजिक मान्यता है।
भील मीणा जनजाति में मृत्यु संस्कार
- मृत्यु होने पर मृतक को जलाने की प्रथा है। छोटे बच्चों को दफनाते हैं। घर की साफ सफाई की जाती है। पुरूष सिर के बाल मुण्डन कराते हैं। 13 वे दिन मृत्युभोज होता है। अकाल मृत्यु पर गाथा बनाने की प्रथा है।
भील मीणा जनजाति के देवी-देवता
- इस जनजाति के प्रमुख देवी देवता भैरों जी, माता जी, नागदेव, श्यामला, श्यामलाजी आदि है। इस जनजाति में धार्मिक समुदाय से जुड़े लोगों को भगत कहा जाता है, इनका पुजारी बड़वा कहलाता है।
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