दृश्य-श्रव्य माध्यमों में समाचार लेखन (News Writing for Audio Video Media)
इन माध्यमों के लिए समाचार लेखन बहुआयामी प्रकार में किया जाता है। इनमें पहले समाचार शीर्षक या सुर्खियां दी जाती हैं जिन्हें सुनकर समाचारपत्र के शीर्षक और आमुख का अनुभव होता है। समाचार के सभी सकारों और ककारों का प्रयोग भी यहां वांछनीय है।
चूंकि ये माध्यम समयबद्ध प्रसारण करते हैं। इसलिए इनमें समय का विशिष्ट महत्त्व है। एक-एक सेकेण्ड की उपयोगिता है। अतः समाचार लेखन भी समाचार बुलेटिन की अवधि का ध्यान में रखकर किया जाता है। टेलीविजन में समाचार लेखन करने वाले को कैप्शन, विज्ञापन, संवाददाता से बातचीत आदि के लिए भी समय निर्धारण करना पड़ता है।
रेडियो और टेलीविजन के समाचार लेखन में भाषा की बोधगम्यता, स्पष्टता और सरलता पर विशेष बल रहता है। यथासंभव तृतीय पुरुष की शैली में समाचार लिखे जाएं जैसे, विभिन्न सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा था आदि। अप्रचलित, क्लिष्ट, संयुक्ताक्षरों और द्वयर्थक शब्दों से समाचारों में बचना चाहिए और सरल और क्रियात्मक शब्दों का चयन करना चाहिए। जैसे पेयजल के लिए 'पीने के पानी' का प्रयोग करना अधिक श्रेयस्कर है। तकनीकी शब्दों को इस प्रकार प्रयोग किया जाए कि उनका अर्थ समझ में आ सके। छोटे-छोटे और सारगर्भित वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए और अनुच्छेद भी छोटे-छोटे होने चाहिए। धिसे-पिटे वाक्यों और जटिल और लंबे अवतरणों से बचना चाहिए। एक वाक्य में एक ही सूचना हो और वाक्य औ हों। प्रायः प्रश्नवाचक वाक्य से समाचार नहीं लिखा जाना चाहिए। इसी प्रकार जिन समाचारों का अनुवाद किया गया है उनकी भाषा सरल होनी चाहिए।
संख्याओं को शब्दों में लिखना चाहिए। जैसे 8977 को लिखना है तो उसे आठ हजार नौ सौ सत्ततर लिखना ठीक होता है। लगभग, करीब आदि शब्दों का प्रयोग भी किया जा सकता है। प्रायः उन्हीं संकेताक्षरों का प्रयोग किया जाना चाहिए जो रूढ़ और प्रचलित हों। जैसे समाजवादी पार्टी के लिए सपा, भारतीय जनता पार्टी के लिए भाजपा, बहुजन समाज पार्टी के लिए बसपा आदि। व्यक्ति के पूर्ण या मुख्य नाम की पुनरावृत्ति भी नहीं होनी चाहिए। एक बार नाम देने के बाद उपनाम दिया जा सकता हैं | समाचारों में नवीनता बनाए रखने के लिए आज, आज सुबह, आज दोपहर, आज शाम जैसे शब्दों का प्रयोग करना उचित रहता है। धर्म, जाति, वर्ग, संप्रदाय आदि के विरुद्ध अपशब्दों की रचना भी नहीं की जानी चाहिए। सीरिज में कोमा लगाया जाए, जैसे कलम, रेडियो और घड़ियां। प्रश्नवाचक चिह्न और अवतरण चिह्नों का कम-से-कम प्रयोग करना चाहिए। यथास्थान विराम चिह्नों को प्रयोग भी करना चाहिए। शब्दों का प्रयोग करें न कि चिह्नों का। रेडियो के संबंध में यह जरूरी है हालांकि टेलीविजन पर इन्हें दिखाया जा सकता है। आंकड़ों और संख्याओं को आवश्यकतानुसार और कम-से-कम प्रयोग करना चाहिए। 1/2, 3/4 आदि को आधा, पौना लिखें। प्रत्येक समाचार को अलग-अलग पृष्ठों पर देना चाहिए। यदि समाचार एक ही विषय से जुड़े हों तो उन्हें एक ही पृष्ठ पर दिया जा सकता हैं।
यह प्रयास रहना चाहिए कि समाचार दूसरे पृष्ठ पर न जाएं। यदि ऐसा करना संभव न हो तो पृष्ठ के नीचे तीर का निशान लगाना चाहिए और समाचार लंबा हो तो अंतिम वाक्य को पृष्ठ पर अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। उच्चारण के समय बल देने वाले और कठिन शब्दों के नीचे लाइन खींच देनी चाहिए ताकि सुगमता रहे। मृत्यु के समाचारों में सूचना के साथ आयु का संकेत अवश्य करें। टेलीफोन, मोबाइल आदि के नंबरों में योगसूचक चिह्न (हाइफन) का प्रयोग करना चाहिए, जैसे 9-9-0-0 0-1-1-1-1-0 हाल में ही घटी किसी घटना की सूचना या समाचार देना हो तो उसके बारे में रेडियो पर कहा जा सकता है कि 'अभी-अभी समाचार मिला है, कुछ ही देर पहले’ आदि। टेलीविजन पर इसे ‘ब्रेकिंग न्यूज' के रूप में दिया जाता है। यह भी प्रयास रहना चाहिए कि समाचारों में कोई प्रचारात्मक तत्त्व न जा पाए।
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