जनसंपर्क : अवधारणा एवं स्वरूप| Public Relations: Concept and Forms in Hindi
जनसंपर्क : अवधारणा एवं स्वरूप(Public Relations: Concept and Forms in Hindi)
जनसंपर्क प्रस्तावना
- समाज का विकास जन-जन के बीच संपर्क के कारण ही हुआ है। मानव विकास के आरंभिक दौर में मनुष्य के बीच आपसी संपर्क भले ही इतना प्रगाढ़ न रहा हो, लेकिन समाज का आधार जन-जन के बीच संपर्क और संबंध ही रहा है। प्राचीन काल में राजनीतिक तथा धार्मिक संबंध सीधे एवं स्पष्ट होते थे, तब भी जनसंपर्क को अनिवार्य माना जाता था। उस दौर में समाज परिवारों, कबीलों या वंशों जैसी छोटी-छोटी इकाइयों में बंटा हुआ था। उस दौर में किसी लंबी-चौड़ी या जटिल शासन व्यवस्था की आवश्यकता नहीं थी। न ही उन दिनों एक दूसरे के साथ लेन-देन में मुद्रा का उपयोग होता था। इसलिए तब सीमित जन समुदाय के सभी सदस्यों का निर्वाह सीधे और सरल आदान-प्रदान में ही हो जाता था।
जनसंपर्क- परिचय एवं स्वरूप (Public Relations - Introduction and Forms)
- जन संपर्क बिल्कुल प्राचीन काल से ही हमारे जीवन का हिस्सा है। त्रेता महाराजा दशरथ राम को युवराज पद देने की इच्छा तो रखते थे, लेकिन उन्होंने तब तक इसकी विधिवत घोषणा नहीं की, जब तक उन्होंने वरिष्ठ राजदरबारियों को बुलाकर संदर्भ में स्वीकृति नहीं ले ली। वैदिक काल में देवासुर संग्राम के दौरान देवताओं द्वारा विजेताओं पर पुष्पवर्षा, नारद जी का संवादवाहक रूप में तीनों लोकों का भ्रमण - ये सभी बातें जनमत निर्माण की कोशिश का ही हिस्सा थीं। प्राचीन काल के लेख राजा और उनके उन जासूसों के बारे में बताते हैं, जिनका मुख्य काम राजाओं को वे संवेदनशील सूचनाएं देना होता था, जो जन संपर्क से संबंधित थे। हमारे यहां उन राजाओं का भी उल्लेख मिलता है, जो वेश बदलकर आम आदमी के बीच घूमते थे, ताकि उनके दुख-सुख के बारे में प्रामाणिक जानकारी हासिल कर सकें। अशोक के शिलालेख, राजस्थान का कीर्तिस्तंभ, अकबर की फतेहपुर सीकरी नगरी, मंदिरों के घंटे-घड़ियाल, मुनादी वालों के ढोल, पंचायतों की घंटी से लेकर राजमहलों में लगी न्याय की जंजीर तक सबका प्रचार की दृष्टि से अपना महत्व है।
जनसंपर्क की अवधारणा (Concept of public relations in Hindi)
- संदेश लिखने के लिए लिपियों के विकास, संवादों के आदान-प्रदान की कला और अपने विचारों को बेचने की योग्यता के साथ ही कायदे से जन संपर्क की शुरुआत हो चुकी थी। इन सबसे परिदृश्य में एकाएक बहुत बड़ा बदलाव आया। ओलंपिक खेल और इस तरह की दूसरी घटनाओं ने विचारों के आदान-प्रदान और राष्ट्रीयता की भावना के प्रसार में व्यापक योगदान दिया। इससे यूनान के शहरों में न सिर्फ जन संपर्क का असर दिखने लगा, बल्कि वहां का राजनीतिक वर्ग अपने जन संपर्क के बारे में ज्यादा सजग और जागरूक हुआ।
- यूनानियों को देखकर रोमनों ने जनसंपर्क की अवधारणा को स्वीकारा और उसे अपनाया। सिसरो की भाषण कला, जूलियस सीजर के ऐतिहासिक लेख, मंदिर, मूर्तियां, पेंटिंग और प्रचार सामग्री तमाम चीजें जन संपर्क के ही माध्यम थे। रोमनों का यह कहना जन संपर्क के महत्व को ही स्थापित करता था कि श्जनता की वाणी ईश्वर की वाणी है।
- आधुनिक जन संपर्क की नींव अलबत्ता उस अमेरिकी क्रांति में देखी जा सकती है, लोकप्रिय और स्वतःस्फूर्त होने के बजाय सुनियोजित थी। रोमन साम्राज्य के पतन से लेकर 18वीं सदी के पुनर्जागरण काल तक जन संपर्क की भूमिका सीमित ही रही। चूंकि पुनर्जागरण काल को एक धर्मनिरपेक्ष आंदोलन दिशा दे रहा था, जिसमें प्रकृति और समाज की व्याख्या के लिए वैज्ञानिक तर्कबुद्धि पर विशेष जोर था, ऐसे में आधुनिक विश्व का आधार मनुष्य और समाज ही था। सुधारवाद जैसे धार्मिक आंदोलन ने मनुष्य के विवेक या अंतरात्मा पर खास जोर दिया। मध्यकाल में चर्च और राज्य एक ही होते थे। उस दौरान चर्चों ने जनमत को अपने पक्ष में मोड़ा; तब चर्च की शक्ति जनमत को मोड़ पाने की उसकी क्षमता पर निर्भर करती थी। लेकिन मध्यकाल में एक बुद्धिजीवी श्रेणी के उदय के बाद जब जनमत चर्च के बाहर विकसित होने लगा, तो स्थितियां तेजी से बदली | इंग्लैंड में 1215 में समाज की उच्च श्रेणी और सम्राट के बीच संघर्ष के नतीजतन मैग्नाकार्टा अस्तित्व में आया, जो अधिकारों के कानून का आधार बना। इंग्लैंड में जन संपर्क का इस्तेमाल शताब्दियों पहले शुरू हो चुका था। राजाओं ने महसूस कर लिया था कि सूचनाएं देने और सरकार व जनता के बीच तारतम्य बिठाने के लिए तीसरे पक्ष की आवश्यकता है। इसी के तहत 17वीं शताब्दी में प्रोपेगैंडा शब्द अस्तित्व में आया।
- आधुनिक काल में जन संपर्क एक या दूसरे तरीके से अस्तित्व में आ चुका था। अमेरिका का में इतिहास बताता है कि सैमुयल एडम्स और उनके कुछ साथी क्रांतिकारियों ने अमेरिका की आजादी की लड़ाई में सफलता हासिल करने के लिए जन संपर्क को योजनाबद्ध रूप दिया और उस पर अमल भी किया। इसके तहत इन लोगों ने पैंपलेट्स और जन आयोजनों के जरिये स्वतंत्रता की लड़ाई में आम जनता का समर्थन लेना शुरू किया।
- वर्ष 1882में येले लॉ स्कूल में भाषण देते हुए एक वकील डॉर्मन इटन ने पहली बार जन संपर्क या पब्लिक रिलेशन शब्द का इस्तेमाल किया था। लेकिन 1916 में एक दूसरे अमेरिकी इवी ली की कोशिशों से जन संपर्क व्यावहारिक तौर पर तेजी से फैलना शुरू हुआ। वैसे तो 19वीं शताब्दी में ही अमेरिका में रेल और दूसरे उद्योगों के आने के आने के साथ जन संपर्क का परिष्कृत रूप सामने आया। चूंकि कई अमेरिकी उद्योग देश से बाहर फैल चुके ऐसे में बाहर के लोगों को अपने उद्यम की खूबियों के बारे में बताने के लिए जन संपर्क आवश्यक गया था। 20वीं शताब्दी की शुरुआत अनेक अमेरिकी उद्यमियों ने अपने व्यवसाय का अर्थ और उसकी प्रासंगिकता जनता को बताने के लिए जन संपर्क का सहारा लेना शुरू किया। ऐसे में जन संपर्क और पब्लिसिटी काउंसिलिंग फर्म की बाकायदा शुरुआत हुई. कुछ उद्योग घरानों ने अपने यहां जन संपर्क विभाग भी खोले। इसी के बाद से जन संपर्क की अवधारणा तेजी से फैलने लगी।
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