भ्रष्टाचार के कारण | Reason of Corruption in Hindi
भ्रष्टाचार के कारण Reason of Corruption in Hindi
भ्रष्टाचार के क्या कारण हैं वर्णन कीजिये ?
भ्रष्टाचार एक जटिल प्रक्रिया है जिसके कई कारण हैं। भ्रष्टाचार की बात करना तो आसान है, लेकिन इस तकनीकी युग में इसके कारणों को समझना एक कठिन कार्य है। भ्रष्टाचार के लिए कई कारक जिम्मेवार हैं- ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक। यहाँ इन कारकों की व्याख्या करने का प्रयास किया गया है।
(1) भ्रष्टाचार के ऐतिहासिक कारण-
- औपनिवेशिक शासनकाल में जहाँ वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन व भत्ते काफी आकर्षक थे, वहीं कनिष्ठ कर्मचारियों के वेतन बहुत कम थे। अतः कनिष्ठ कर्मचारियों का झुकाव स्वाभाविक रूप से भ्रष्टाचार की ओर बढ़ गया।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान खाद्य पदार्थों, वस्त्रों तथा आग उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति कम हो गई। इस समस्या से निबटने के लिए राशन कार्ड जारी करने की व्यवस्था अपनाई गई ताकि इन वस्तुओं की आपूर्ति पर नियन्त्रण रखा जा सके। इस नियन्त्रण व्यवस्था से भ्रष्टाचार को विकसित होने का अवसर मिला।
- द्वितीय विश्व युद्ध का एक घातक परिणाम था- मुद्रास्फीति। मुद्रास्फीति ने भ्रष्टाचार को और अधिक मजबूत बना दिया। स्वतन्त्रता के बाद बड़ी संख्या में अंग्रेज और मुसलमान अधिकारियों ने भारत छोड़ दिया। अत: रिक्त स्थानों को भरने के लिए कनिष्ठ अधिकारियों की पदोन्नति कर दी गई। पदोन्नतियों में अधिकारियों की प्रतिभा पर विचार नहीं किया गया। अनेक नही नियुक्तियाँ भी की गई। इससे सरकारी कर्मचारियों की गुणवत्ता में कमी आ गई। इन सब कारणों से पूरी प्रशासनिक व्यवस्था में भूचाल आ गया।
(2) भ्रष्टाचार के सामाजिक कारण
- हमारे समाज में किसी व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा और पद का निर्धारण भौतिक सम्पत्तियों पर उसके स्वामित्व और उसकी आर्थिक शक्ति के आधार पर होता है। अतः अधिक से अधिक सम्पत्ति अर्जित करना हमारे सामाजिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। धन अर्जित करने के साधनों को हम नजर अंदाज कर देते हैं। बोफोर्स, हवाला, यूरिया, चारा, आवास, जैसे घोटाले अनैतिक रूप से धन एकत्रित करने के कुछ उदाहरण हैं।
- लोक सेवकों की पत्नियाँ भी उन्हें भ्रष्टाचार की और उन्मुख होने के लिए प्रेरित करती हैं। वे अपने अधिकारी पतियों से ऐसी माँगे करती रहती है जिनकी पूर्ति उनके पति अपनी कानूनी आय से नहीं कर सकते हैं। इन परिस्थितियों में अधिकारी धन अर्जित करने के संदेहास्पद तरीकों का सहारा लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं। पद और प्रतिष्ठा में स्पर्द्धा की भावना, बैठक गृह के प्रदर्शन की संस्कृति आदि ने मिलकर प्रशासनिक अधिकारियों की चारित्रिक सुदृढ़ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।
(3) भ्रष्टाचार के आर्थिक कारण-
- सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण है सरकारी कर्मचारियों का अपर्याप्त वेतन। जीवन स्तर के अधिक महंगे होने के कारण कर्मचारियों की वास्तविक आय में कमी आई है। इससे उनका जीवन स्तर प्रभावित हुआ है। अपने जीवन स्तर को बरकरार रखने के लिए सरकारी कर्मचारी गैरकानूनी उपहारों और इनामों को स्वीकार कर लेते हैं। सरकारी अधिकारियों के विवेकाधीन अधिकारों से लाभ उठाने के लिए लोग काले धन को प्रयोग में लाते हैं। व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार की मौजूदगी आज एक आम बात हो गई है।
(4) भ्रष्टाचार पर परिवेश का प्रभाव-
- तेजी से बढ़ रहे नगरीकरण और औद्योगीकरण से मानव जीवन के मूल्यों में परिवर्तन हो रहे हैं। साधारण रहन-सहन और उच्च विचार की अवधारणा का स्थान आडम्बरपूर्ण जीवनशैली ने ले लिया है। आज लोग अपने धन का असभ्य प्रदर्शन करने में गौरवान्वित महसूस करते हैं, राजनीतिज्ञ, अधिकारी, व्यापारी के बीच साँठ गाँठ ने भ्रष्टाचार को और मजबूती प्रदान की है। जिसके फलस्वरूप देश में कई अभूतपूर्व घोटालों को अंजाम दिया गया।
(5) भ्रष्टाचार किया कारण जटिल प्रशासनिक प्रक्रिया
- राशन कार्ड, डीजल परमिट, जैसे- अनेक छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी लोगों को कई सरकारी औपचारिकताओं से होकर गुजरना पड़ता है। इससे अधिकारियों को भ्रष्ट आचरण करने के अवसर मिलते हैं। ग्राहक अपने कार्यों के शीघ्र निष्पादन के लिए भ्रष्ट अधिकारियों को "स्पीड मनी' और अन्य उपहारों का प्रलोभन देते हैं। "स्पीड-मनी" और उपहारों के प्रभाव में आकर अधिकारी नियमों, विनियमों और कानूनी प्रक्रियाओं को ताक पर रख देते हैं। अत: यह एक सनसनीखेज तथ्य है कि जिस कार्यप्रणाली की रचना एक सहायक यंत्र के रूप में की गई, वही आज सबसे बड़ी बाधक साबित हो रही।
(6) भ्रष्टाचार का कारण -अपर्याप्त कानून
- भारतीय दण्ड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में भ्रष्ट अधिकारियों को सजा देने के लिए पर्याप्त कानूनों का प्रावधान नहीं है। फिर इन कानूनों का समुचित रूप से पालन भी नहीं हो रहा है और न ही इन कानूनों के अधीन बहुत मुकदमे ही चलाये जाते हैं। अगर किसी अधिकारी पर मुकदमा शुरू भी होता है तो उसे जारी नहीं रखा जाता है। कई भ्रष्ट अधिकारी सजा पाने से बच निकलते हैं, जिससे उन्हें भ्रष्ट आचरण करने के लिए और अधिक प्रोत्साहन मिलता है।
(7) भ्रष्टाचार का मुखी कारण लोक सेवकों को प्राप्त संवैधानिक सुरक्षाएँ
- संविधान की धारा 3| के तहत देश में लोक सेवकों को कुछ संवैधानिक सुरक्षाएँ प्रदान की गई हैं। संवैधानिक प्रावधानों और अनुशासनात्मक प्रक्रिया की जटिलताओं ने भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कारवाई को लगभग असंभव बना दिया है। न्यायालय द्वारा धारा 311 की व्याख्या के कारण भी भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध कोई प्रभावशाली कदम उठाना मुश्किल हो गया है।
(8) भ्रष्टाचार रूपी बुराई के विरुद्ध कठोर जनमत का अभाव-
- लोग भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायत नहीं करते हैं, बल्कि वे अपनी गलत माँगों की पूर्ति के लिए रिश्वत देते हैं। हालाँकि विगत वर्षों में इस प्रवृत्ति में कुछ हद तक कमी आयी है।
(9) निजी स्वार्थ सिद्धि हेतु व्यापारिक और औद्योगिक धनी मानी व्यक्तियों और अन्य की मिलीभगत-
- बड़े व्यवसायी, बेईमान दुकानदार, आपूर्तिकर्ता और ठेकेदार सरकारी कर्मचारियों से अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें रिश्वत देते हैं, कभी-कभी वे अनर्जित लाभ का एक भाग सरकारी कर्मचारियों में बाँट देते हैं।
(10) भ्रष्टाचार का कारण दबाव समूह -
- ऐसा कहा जाता है कि फिक्की, सीआईआई, एसोचैम, जैसे औद्योगिक दबाव समूह अपने समुदाय के हितों की पूर्ति हेतु सहायता पाने के लिए अपनी गतिविधियों से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। वे रात्रिभोज, पार्टीज, स्वल्पाहार, आदि के माध्यम से सत्ताधारी अभिजात्य वर्ग को प्रभावित करते हैं।
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