भारत की नदियां |हिमालय की नदियाँ प्रायद्वीपीय नदियाँ | Rivers of my India Details in Hindi
भारत की नदियां (Rivers of my India Details in Hindi)
भारत की नदियां, हिमालय की नदियाँ प्रायद्वीपीय नदियाँ
अपवाह तन्त्र (Drainage System)
- भारत की सभ्यता, संस्कृति एवं आर्थिक विकास में नदियों का विशेष एवं महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय नदियाँ सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, मत्स्योत्पादन, जल परिवहन एवं व्यापार का महत्वपूर्ण साधन रही है। प्राचीन काल से ही उत्तरी भारत की नदियों की उर्वरक घाटियाँ व डेल्टा तथा दक्षिणी भारत की नदियों के डेल्टा प्रदेश सघन जनसंख्या का निवास स्थान रहे हैं। नदी अपने उद्गम स्थल से लेकर अपने मुहाने तक अपनी सहायक नदियों सहित जल के बहाव (प्रवाह) की जिस प्रणाली का निर्माण करती है, उसे नदी का "अपवाह तन्त्र" (Drainage System) कहा जाता है।
- किसी देश अथवा प्रदेश का अपवाह तन्त्र धरातलीय रचना, भूमि के ढाल, संरचनात्मक नियंत्रण, शैलों के स्वभाव, विवर्तनिक क्रियाओं, जल की प्राप्ति तथा अपवाह क्षेत्र के भूगर्भिक इतिहास पर निर्भर करता है। भारतीय नदी तंत्र का वर्तमान स्वरूप भी नदी विकास की एक लम्बी प्रक्रिया का परिणाम है। भूतल की बनावट तथा नदियों के उद्गम के दृष्टिकोण से भारत के अपवाह तन्त्र को अग्रलिखित दो भागों में विभाजित किया गया है-
- (1) हिमालय की नदियाँ (The Himalayan Rivers )
- (2) प्रायद्वीपीय
नदियाँ (The Peninsular
Rivers )
हिमालय की नदियाँ (The Himalayan Rivers)
हिमालय पर्वत का अपवाह मुख्यतः तीन नदी तन्त्रों में विभाजित किया गया है :
(1) सिन्धु अपवाह
(2) गंगा अपवाह
(3) ब्रह्मपुत्र नदी
अपवाह ।
सिन्धु अपवाह (The Indus Drainage System):
सिन्धु अपवाह
क्षेत्र में पश्चिमी हिमालय से निकलने वाली नदियों में सिन्धु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज
आदि नदियाँ आती हैं। इनमें से अकेले सिन्धु नदी 2,50,000 वर्ग कि0मी0 क्षेत्र को
अपवाहित करती है। ये सभी नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं।
(1) सिन्धु नदी (Indus River)
- सिन्धु नदी लद्दाख श्रेणी के उत्तरी भाग में 5180 मीटर की ऊँचाई से तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है। यह उत्तरी कश्मीर में गिलगित की दुर्गम श्रंखलाओं को पार करती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। अटक के निकट यह पुनः पहाड़ियों से होकर बहने लगती है। अटक से लेकर मुहाने तक पाकिस्तान में सिन्धु नदी की लम्बाई 1610 कि०मी० है । सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 2880 कि०मी० तथा अपवाह क्षेत्र 9.6 लाख वर्ग कि०मी० है। भारत में यह 1134 कि०मी० की लम्बाई में बहती है तथा 1,17844 वर्ग कि०मी० क्षेत्र का जल प्रवाहित कर ले जाती है।
(2) झेलम (Jhelum)-
- पूर्व की ओर से आने वाली सिन्धु की सहायक नदियों में झेलम नदी कश्मीर में शेषनाग झील से निकलकर 112 कि०मी० उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती हुई वुलर झील में मिलती है। इस मार्ग में यह महान हिमालय और पीरपंजाल श्रेणियों के बीच बहती है। आगे श्रीनगर में नीचे इसमें सिन्धु नदी मिलती है। बारामूला के आगे यह 2,130 मीटर गहरी घाटी में बहती है जिसमें आगे चलकर किशनगंगा नदी मिल जाती है। जम्मू से आगे बढ़ने पर त्रिमू नामक स्थान पर यह चिनाब से मिलती है। काश्मीर राज्य में आवागमन एवं व्यापार में झेलम नदी से बड़ी सहायता मिलती है। श्रीनगर में इस पर 'शिकारा' या 'बजरे' अधिक चलाये जाते हैं। नावों में फल, सब्जियाँ और फूलों की खेती की जाती है। किशनगंगा, लिद्दर (Lidder) व सिन्धु झेलम की सहायक नदियाँ है। काश्मीर घाटी में इसकी कुल लम्बाई 400 कि०मी० तथा प्रवाह क्षेत्र 28,490 वर्ग कि०मी० है ।
(3) सतलज नदी (Sutlej)-
- यह मानसरोवर झील के निकट राक्षसताल से निकलती है। तिब्बत में यह बहुत तंग मार्ग से बहती है। रोपड़ के निकट यह शिवालिक श्रेणियों का चक्कर काटकर मैदान में उतरती है। यहाँ भाखड़ा नागल बाँध बनाया गया है। यह कपूरथला के निकट व्यास से मिल जाती है। भारत में इसकी लम्बाई 1050 किमी. तथा के अपवाह क्षेत्र 24.087 वर्ग कि०मी० है।
(4) चिनाब नदी (Chenab)-
- इस नदी का जन्म 4,900 मीटर ऊँचे लाहुल नामक स्थान से बारालाचा दर्रे के विपरीत दिशा में होता है। काश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में प्रवाहित होने वाली यह नदी भारत में 1180 कि०मी० लम्बाई रखती हैं तथा प्रवाह क्षेत्र 26,755 वर्ग कि०मी० है।
(5) रावी नदी (Ravi)
- यह पंजाब की सबसे छोटी नदी है। इसमें धौलाधार पर्वत माला के उत्तरी तथा पीर पंजाल श्रेणी के दक्षिणी ढालों का जल बहकर आता है। बसोली के निकट यह मैदान भाग में उतरती है। इसकी लम्बाई 725 किमी० तथा अपवाह क्षेत्र 5,957 वर्ग किमी० है। यह माधोपुर के निकट पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
(6) ब्यास नदी (Beas)-
- रावी के स्रोत के निकट ही यह नदी भी निकलती है। लारजी से तलवाडा तक गहरी कन्दरा में प्रवाहित होती हुई हरीके नामक स्थान पर सतलज नदी से मिलती है। इसकी कुल लम्बाई 470 कि०मी० तथा अपवाह क्षेत्र 25,900 वर्ग कि०मी० है।
गंगा अपवाह (The Ganga Drainage System)
इस नदी अपवाह का निर्माण हिमालय एवं प्रायद्वीपीय उच्च भागों में निकलने वाली नदियों से होता है। हिमालय के हिमाच्छादित भागों से गंगा, यमुना, काली, करनाली, रामगंगा, गंडक व कोसी एवं प्रायद्वीपीय उच्च भागों में चम्बल, बेतवा टॉस, केन, सोन आदि नदियाँ निकलकर गंगा नदी अपवाह का निर्माण करती है।
(1) गंगा-
- गंगा नदी उत्तरी भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी है। यह भागीरथी और अलकनन्दा नदियों का सम्मिलित रूप है। इसका उद्गम स्रोत उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री ग्लेशियर पर 7.010 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। अलकनन्दा नदी तिब्बत की सीमा के निकट 7,800 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। भागीरथी और अलकनन्दा का संगम देवप्रयाग में होता है। यहीं से यह नदी 'गंगा' के नाम से पुकारी जाती है। 250 किमी. की दूरी पार करने के पश्चात् गंगा नदी ऋषिकेश-हरिद्वार में पहाड़ से नीचे उतरती है। उद्गम स्थल से मुहाने तक गंगा नदी की सम्पूर्ण लंबाई 2,525 कि०मी० है जिसमें यह 1.450 कि०मी० उत्तर प्रदेश में 445 कि०मी० बिहार में तथा 520 कि०मी० पश्चिमी बंगाल में बहती है। इसका प्रवाह क्षेत्र 8,61,404 वर्ग कि०मी० है जो आठ राज्यों में विस्तृत है।
- गंगा बेसिन का भौगोलिक क्षेत्रफल भारत का लगभग एक चौथाई से अधिक (263) है। गंगा नदी तन्त्र में उत्तर की ओर से 7, दक्षिण की ओर से 6 तथा मुहाने के निकट भागीरथी तथा हुगली सहित पांच प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
(2) रामगंगा -
- यह मुख्य हिमालय के दक्षिणी भाग से नैनीताल के समीप से निकलती है। यह अपने प्रथम 144 कि०मी० की यात्रा में तेजी से बहती है। बिजनौर जिले में कालागढ़ के निकट मैदान में प्रवेश करती है। 596 कि०मी० लम्बाई रखने वाली यह नदी कन्नौज के निकट गंगा से मिल जाती है। इसका अपवाह क्षेत्र 32,493 वर्ग कि०मी० है। खोह, गंगन, अरिल, कोसी तथा गर्रा इसकी सहायक नदियाँ हैं।
(3) गोमती
- यह उत्तर प्रदेश की पीलीभीत जिले के लगभग 3 कि०मी० पूर्व से 200 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। गचाई, साई, जोमकाई बर्ना, चुहा तथा सरयू इसकी सहायक नदियाँ है। गोमती की कुल लम्बाई 940 कि०मी० तथा प्रवाह क्षेत्र 30,437 वर्ग कि०मी० है। लखनऊ गोमती के किनारे पर स्थित है।
(4) घन्धर-
- इसका उद्गम स्रोत मानसरोवर झील के निकट है। इसकी लम्बाई का 55% भाग नेपाल में तथा 45% भाग भारत में आता है। इसका सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र 127950 वर्ग किमी. है। शारदा, चौका, सरयू, राप्ती व छोटी गण्डक इसकी सहायक नदियाँ हैं। यह बिहार में छपरा के निकट गंगा से मिलती है। इसकी कुल लम्बाई 1,180 कि०मी० है ।
(5) गण्डक-
- इसे नेपाल में नारायणी नदी के नाम से जाना जाता है। यह तिब्बत में 7,260 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। इसका प्रवाह क्षेत्र 45,800 वर्ग किमी० है, जिसका 9,540 वर्ग कि०मी० भाग भारत में मिलता है। यह पटना के निकट गंगा से मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 425 कि०मी० है ।
(6) कोसी-
- यह गंगा की प्रथम पूर्वी सहायक नदी है। इसका सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र 86,900 वर्ग कि०मी० है । इस नदी की तीन सहायक नदियाँ हैं। प्रवाह क्षेत्र का 44% भाग सून कोसी, 37% भाग अरुण कोसी तथा 19% भाग तामूर कोसी द्वारा बनाया गया है। यह भारत में हनुमाननगर के निकट प्रवेश करती है। यहाँ भारत व नेपाल की सीमा पर बाँध बनाकर इस नदी के दोनों ओर लहरें निकाली गई हैं। यह नदी अपना मार्ग बदलती रहती है। कुर्सिला के निकट कोसी नदी गंगा से मिल जाती है।
(7) यमुना-
- यमुना गंगा नदी तन्त्र की प्रमुख नदी है। गंगा के दाहिनी ओर बहती हुई यह इलाहबाद में गंगा से मिल जाती है। इसका उद्गम स्रोत टिहरी गढ़वाल जिले में 6,330 मीटर की ऊँचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर पर है। पर्वतीय भाग में ऋषिगंगा, उमा, हनुमान गंगा, गिरि तथा टोंस यमुना की सहायक नदियाँ हैं। मैदानी भाग में दार्यी ओर चम्बल, सिन्ध, बेतवा व केन तथा बायीं ओर करन, सागर व रिन्द सहायक नदियाँ हैं। यमुना की सम्पूर्ण लम्बाई 1,376 कि०मी० तथा प्रवाह क्षेत्र 3,66,223 वर्ग कि०मी० है ।
(8) चम्बल-
- यह यमुना नदी की सहायक नदी है जो 965 किमी. की दूरी तय करके यमुना से मिलती हैं। इस नदी पर गाँधी सागर, राणाप्रताप सागर तथा जवाहर सागर तीन बाँध बनाए गए हैं। चम्बल नदी अपनी गहरी खण्ड भूमि (ravine land) के लिये कुख्यात है।
(9) अन्य सहायक नदियों-
- उपरोक्त नदियों के अलावा सिन्धु, बेतवा, केन, टोंस, कर्मनाशा, सोन, उत्तरी कोयल, पुनपुन, कोयल, अजय, मयूराक्षी, दामोदर, हल्की, केसाई, रूपनारायण तथा हुगली गंगा की सहायक नदियाँ हैं। प्रमुख सहायक नदियों में जल प्रवाह क्रमशः घाघरा, यमुना, कोसी व गण्डक नदियों का सर्वाधिक है। गंगा नदी क्रम में उत्तरी सहायक नदियों का सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र 4,20,000 वर्ग कि०मी० तथा दक्षिणी सहायक नदियों का प्रवाह क्षेत्र 5,80,000 वर्ग कि०मी० है। गंगा नदी तन्त्र में प्रवाहित होने वाले जल का 60% भाग उत्तरी भाग के प्रवाह क्षेत्र से प्राप्त होता है।
ब्रह्मपुत्र
अपवाह (Brahmaputra Drainage
System)
- यह भारत की सबसे बड़ी नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में कैलाश पर्वत की मानसरोवर झील के निकट 5 कि०मी० से भी अधिक ऊँचाई से निकलती है। इसका उद्गम स्थल सतलज व सिन्धु नदियों के स्रोतों के पास ही है। यह नदी लद्दाख व कैलाश श्रेणी के मध्य महा हिमालय श्रेणी के समानांतर पूर्व की ओर 1100 कि०मी० तक सांपू नदी के नाम से प्रवाहित होती हैं। यह महाहिमालय श्रेणी का चक्कर काटकर नामचाबरवा नामक स्थान पर दक्षिण की ओर मुड़कर असम में दिहांग नाम से प्रविष्ट होती हैं। इसमें उत्तर की ओर से दिबोंग, लुहित व सेसरी तथा दक्षिण की ओर से निचली दिहांग नदियाँ मिलती है। यहाँ से दक्षिण-पश्चिम की ओर प्रवाहित होते हुए भी इसमें उत्तर की ओर से सुवर्णश्री, धनश्री, मानस, संकोश, धारला, तिस्ता तथा दक्षिण की ओर से बूढ़ी दिहिंग, दिखो, जाँझी आदि नदियाँ आकर मिलती हैं। चांदपुर के निकट यमुना और पटना नामक नदियाँ भी मिलती हैं। ये संयुक्त धाराएँ अनेक शाखाओं में बंटकर अनेक द्वीपों का निर्माण करती हैं। ब्रह्मपुत्र की कुल लम्बाई 2580 किमी. तथा अपवाह क्षेत्र 5.80 लाख वर्ग कि०मी० है।
(B) प्रायद्वीपीय नदियाँ (Peninsular Rivers )
(I) अरब सागर में
गिरने वाली नदियाँ (Rivers
of Arabian Sea)
(1) माही-
- यह नदी विन्ध्याचल पर्वतों में 500 मीटर की ऊँचाई से निकलती हुई, मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा गुजरात राज्यों में प्रवाह क्षेत्र बनाती हैं। यह कुल 533 कि०मी० लम्बी है। यह खम्भात की खाड़ी में अपना मुहाना बनाती है। सोम, अनास व पानम इसकी सहायक नदियाँ हैं। इसके प्रवाह क्षेत्र का 19% भाग मध्य प्रदेश में 47% राजस्थान में तथा 34% भाग गुजरात राज्य में आता है।
(2) नर्मदा-
- यह मध्य प्रदेश में अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलती है। यह 1312 कि०मी० लम्बी है तथा 93,180 वर्ग कि०मी० प्रवाह क्षेत्र का 87% भाग मध्य प्रदेश में 1.5% भाग महाराष्ट्र में तथा 11.5% भाग गुजरात में आता है।
(3) ताप्ती
- ताप्ती या तापी नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में मुल्तई के पास से निकलती है। यह सतपुड़ा के दक्षिण में बहती है। यह 724 कि०मी० लम्बी है। पूर्णा इसकी सहायक नदी है।
बंगाल की
खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ (Rivers of Bay of Bengal)
(1) महानदी-
- इस नदी का उद्गम स्रोत मध्यप्रदेश के रायपुर जिले में फरसिया ग्राम के निकट स्थित एक तालाब है। यह 858 किमी. लम्बी है। इसके प्रवाह क्षेत्र का 53.1% भाग मध्य प्रदेश में, 46.5% उड़ीसा में 0.3% बिहार में तथा शेष 0.1% महाराष्ट्र में आता है।
( 2 ) गोदावरी
- यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है। यह महाराष्ट्र राज्य में नासिक से दक्षिण पश्चिम की ओर त्रयम्बक गाँव से निकलती है। यह 1465 कि०मी० लम्बी है। गोदावरी नदी के प्रवाह क्षेत्र का 48.6% भाग महाराष्ट्र राज्य में, 20.7% मध्य प्रदेश में 1.4% कर्नाटक, 5.5% उड़ीसा तथा 23.8% भाग आन्ध्र प्रदेश में स्थित है। प्राणहिता, इन्द्रावती, सबरी, वर्धा, पेनगंगा, तथा पूर्णा इसकी सहायक नदियाँ हैं।
(3) कृष्णा-
- यह नदी महाबलेश्वर की पहाड़ियों से निकलती है। इसकी लम्बाई 1400 कि०मी० है और प्रवाह क्षेत्र का 26.8% महाराष्ट्र में, 43.8% कर्नाटक में तथा 29.4% भाग आन्ध्र प्रदेश में आता है। तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मलप्रभा, वर्णा, भीमा, क ष्णा आदि प्रमुख नदियाँ है।
(4) पेनार तथा कावेरी नदी भी इस अपवाह की प्रमुख नदियाँ हैं।
MP-PSC Study Materials |
---|
MP PSC Pre |
MP GK in Hindi |
MP One Liner GK |
One Liner GK |
MP PSC Main Paper 01 |
MP PSC Mains Paper 02 |
MP GK Question Answer |
MP PSC Old Question Paper |
Post a Comment