भ्रष्टाचार को अल्पतम करने में समाज, सूचनातंत्र परिवार की भूमिका|Role of society in minimizing corruption
भ्रष्टाचार को अल्पतम करने में समाज की भूमिकाRole of society in minimizing corruption
भ्रष्टाचार को अल्पतम करने में समाज की भूमिका
- समाज व्यक्तियों का ऐसा समूह है जिसमें मनुष्य एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से कुछ सामाजिक रीतियों परंपराओं एवं मान्यताओं से वंधे होते हैं। समाज सामाजिक संबंधों का जाल है। ऐसी स्थिति में समाज के अंदर प्रेम, त्याग, शांति, सहानुभूति, भ्रातृत्व, सामाजिक एकता आदि मूल्यों का विकास होगा यदि समाज भ्रष्ट ईर्ष्या, हेष, वैमनस्य आदि उत्पन्न होते हैं।
- भ्रष्टाचार व्यापक होता जा रहा है क्योंकि समाज में जैसे लोगों की विचारधारा होती है वैसा ही प्रभाव समाज के अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है। जैसे कोई भी राजनेता, राजनीतिज्ञ, अधिकारी, व्यापारी, ठेकेदार यदि गलत तरीके से सम्पत्ति अर्जित कर सम्पन्न हो रहा है। तो समाज के अन्य सदस्य भी उसका अनुसरण कर गलत तरीके या भ्रष्ट तरीके से सम्पत्ति अर्जित करते हैं। अतः अवश्यकता इस बात की है। कि देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को कम करना है। तो समाज में ऐसे मूल्यों को विकसित करने होगा जो भ्रष्टाचार को कम कर सके।
- उदा. तारक मेहता के उल्टा चश्मा धारावाहिक में गोकुलदास सोसायटी के माध्यम से महाविद्यालय में होने वाले प्रवेश के नाम पर लाखों रुपये ऐंठने वाले ठेकेदारों एवं प्रचार्यों की गांधीगिरी के माध्यम से भ्रष्ट तरीकों को रोका गया। अतः समाज यदि सार्थक प्रयास करे। तो भ्रष्टाचार रूपी जड़ निश्चित रूप नष्ट हो सकती है।
भ्रष्टाचार को अल्पतम करने में सूचनातंत्र की भूमिका
- जनसंचार के माध्यम के द्वारा भी समाज के सदस्यों में उचित मूल्यों का विकास करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसमें टेलीविजन, दूरदर्शन, आकाशवाणी, विभिन्न पत्र पत्रिकाएँ, समाचार पत्र, इलेक्ट्रानिक मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इसके माध्यम से भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सकता है। एक जिम्मेदार इलेक्ट्रानिक प्रिंट मीडिया सिविल सोसायटी संगठनों के माध्यम से भ्रष्टाचार को उजागर कर जनमानस को इसके प्रति जागरूक कर भ्रष्टाचारी व्यक्तियों के विरुद्ध आवाज बुलंद कर भ्रष्टाचारियों को मिलने वाले दंड को अधिक से अधिक प्रचारित करें। मीडिया द्वारा सामाजिक व्यक्ति द्वारा किये गये भ्रष्टाचार को घृणित कार्य बताकर एवं उसकी निंदा करने से समाज के अन्य लोगों भ्रष्टाचार रूपी कुसंस्कारों को अपने आपको सुरक्षित कर सके।
- अत: सूचनातंत्र भ्रष्टाचार को अल्पतम करने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आये दिन हमें सूचनातंत्र द्वारा जानकारी मिलती है कि भ्रष्ट अधिकारियों, राजनैताओं एवं अन्य व्यक्ति के द्वारा भ्रष्टाचार करने पर उनकी सम्पत्ति को सरकार के द्वारा राजसात किया जाता है एवं उन्हें हवालात में डाला जाता है। जिससे समाज में अन्य लोगों में भ्रष्टाचार के मामले दहशत बनी रहती है।
भ्रष्टाचार को अल्पतम करने में परिवार की भूमिका
- परिवार नागरिक की प्रथम पाठशाला है। यह बालक के समाजीकरण का महत्वपूर्ण साधन है। जो बाल के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मूल्यों का प्रथम पाठ व्यक्ति परिवार में ही सीखता है। परिवार वह प्रारंभिक संस्था है, जहाँ बालक संस्कारों को ग्रहण करता है। बच्चे का पालन-पोषण जिस वातावरण में होता है। उसका प्रभाव बच्चे के व्यक्तित्व पर पड़ता है। वस्तुत: बाल्यावस्था निर्मल जल के समान होती है, जिसे जिस पात्र में रखेंगे वह उसी का स्वरूप ग्रहण कर लेती है। यदि परिवार का वातावरण अच्छा है। परिवार में रहने वाले विभिन्न व्यक्तियों के संबंध में प्रेम, सहयोग, त्याग, कर्तव्यनिष्ठा आदि सामंजस्यपूर्ण है। तो बालक के अंदर अच्छे संस्कार विकसित होने लगते है और व्यक्तित्व निर्माण में भी मदद मिलती है। यदि परिवार का वातावरण खराब है तो बालक कुसंस्कारों एवं दुर्गुणों का शिकार होने लगता है। स्पष्ट है कि बालक को क्या अच्छा है और क्या बुरा है, इसका ज्ञान सर्वप्रथम परिवार में प्राप्त होता है। जैसे- भ्रष्टाचार ।
- यदि किसी परिवार में परिवार के सदस्य के द्वारा भ्रष्टाचार से सम्पत्ति अर्जित की जाती है तो उसका प्रभाव परिवार के अन्य सदस्यों पर पड़ता है और वे भी भ्रष्टाचार की ओर अग्रसर हो जाते हैं। ये भ्रष्टाचार परिवार से आगे बढ़कर समाज, राज्य, राष्ट्र तक फैल जाता है। अत: हमारे परिवार में ऐसे संस्कार एवं मूल्यों को विकसित करना चाहिए कि वे सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए एक सार्थक प्रयास हो सके।
व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल
- 15वीं संसद के अंतिम कार्य दिवस के अंतिम सत्र में 21 फरवरी को राज्यसभा ने अंतिम क्षणों में लम्बे समय से अटके पड़े सूचना प्रदाता संरक्षण या लोक प्रहरी सुरक्षा विधेयक 2011 (व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल) को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को 2011 में ही पारित कर चुकी है।
- इस विधेयक में भ्रष्टाचार की जानकारी ( पर्दाफाश) देने वाले लोगों की सुरक्षा और संरक्षण का प्रावधान है। कानून बन जाने के बाद यह विधेयक देश में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए सूचना का अधिकार कानून का पूरक बनेगा। इस विधेयक में जहां भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले लोगों की सुरक्षा के पर्याप्त प्रावधान हैं, वहीं इसमें गलत या फर्जी शिकायत करने वाले लोगों के लिए दंड की व्यवस्था भी है। संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार तथा कुछ सदस्य इस विधेयक में संशोधन लाना चाहते थे, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। क्योंकि सत्र का अंतिम दिन होने के कारण इसमें संशोधन करने पर इसे फिर लोकसभा से पारित करवाना पड़ता, जो कि संभव नहीं था। लेकिन सदस्यों द्वारा जलाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए 10 दिनों के भीरत संवैधानिक व्यवस्था के तहत कदम उठाए जाएंगे।
- इस विधेयक के लिए सरकार की ओर से ही कई संशोधन थे, लेकिन उन्हें पेश नहीं किया गया, जबकि कुछ अन्य संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। लोक प्रहरियों को संरक्षण प्रदान करने वाला यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद कानून का रूप ले लेगा। इस कानून में किसी सरकारी सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार या प्रदत्त शक्ति का सोच-समझकर दुरुपयोग करने के खिलाफ शिकायत दर्श कराने के लिए एक तंत्र की स्थापना की व्यवस्था की गई है। इसके जरिए शिकायतकर्ता को संरक्षण देने की व्यवस्था की गई है। जहाँ खुलासे की जाँच की प्रक्रिया निर्धारित करने के साथ ही जानकारी देने वाले लोगों को निशाना बनाए जाने या प्रताड़ना से बचाने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, वहीं झूठी व आधारहीन और मनगढ़ंत शिकायत करने पर दंड का भी प्रावधान किया गया है।
- यह देश का ऐसा पहला कानून होगा जिसके तहत लोक प्रहरियों की सुरक्षा की जाएगी। हालिया वर्षों में, देशभर में गलत कार्यों की जानकारी देने वालों ने उत्पीड़न, धमकी और हिंसा की शिकायतें की हैं। इसके चलते सार्वजनिक क्षेत्र में गलत कार्यों के खिलाफ आवाज उठाने हेतु नागरिक हतोत्साहित हुए हैं।
- इस कानून द्वारा सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जाँच और मुकदमा चलाने हेतु कानूनी ढाँचा तैयार किया जा सकेगा। यह कानून भ्रष्टाचार पर लगाभ लगाने हेतु बनाई स्वतंत्र इकाई, केन्द्रीय सतर्कता आयोग को सशक्त करेगा और आवश्यकता पड़ने पर जानकारी देने वालों को पुलिस संरक्षण की गारंटी भी देगा। प्रतिकार की आशंका से भयभीत कोई भी व्यक्ति इस कानून के तहत संरक्षण पा सकता है। सैन्य बलों में और प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत सभी सरकारी कर्मचारियों की इस कानून के भ्रष्टाचार के आरोपों हेतु जाँच की जा सकेगी।
- इस कानून का मुख्य उद्देश्य है, जनसेवकों के भ्रष्टाचार अथवा गलत कार्यों की जानकारी देने वालों की सुरक्षा और इसका व्यापक ध्येय है, भ्रष्टाचार पर लगाम कसने हेतु सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देना। लोक प्रहरियों को संरक्षण देना भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव की पुष्टि भी है। यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर शेष भारत में प्रभावी होगा।
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