ग्रामीण विकास और पत्रकारिता |ग्रामीण विकास का अर्थ| Rural Development and Journalism
ग्रामीण विकास और पत्रकारिता (Rural Development and Journalism)
ग्रामीण विकास और पत्रकारिता (Rural Development and Journalism)
- ग्रामीण विकास का प्रश्न हमारे देश के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अभी भी तीन चौथाई के लगभग भारत को ग्रामीण भारत के रूप में निरूपित किया जाता है। ग्रामीण समाजिक आर्थिक परिस्थितियां राष्ट्रीय सूचकांकों को भी प्रभावित करती हैं। कृषि की विकास दर और उत्पादकता से देश की जीडीपी प्रभावित होती है। ग्रामीण आबादी की गतिशीलता से शहरी भारत की जनसंख्या संरचना निर्धारित की जाती है। ग्रामीण विकास किसी भी सरकारी बजट या पंचवर्षीय योजना की सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में निरूपित किया जाता है।
- ग्रामीण विकास का प्रश्न स्वतन्त्रता के पश्चात से ही हमारे नीति नियन्ताओं के लिए महत्वपूर्ण रहा है। स्वतंत्रता से पूर्व महात्मा गांधी ने स्वराज्य की परिकल्पना को ग्राम स्वराज से जोड़कर देखा था। ग्रामीण स्वावलम्बन को देश के विकास के मूलमंत्र के रूप में देखा जाता है। ग्रामीण विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में जनसहभागिता और जन जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसमें जनमाध्यमों की भूमिका अत्यन्त उपयोगी है। ग्रामीण विकास तथा रूपान्तरण में जनमाध्यमों ने अपनी प्रभावी भूमिका सिद्ध की है। साइट का अनुभव, खेड़ा डेवलपमेन्ट प्रोग्राम, झाबुआ बस्तर प्रोजेक्टर सामुदायिक टीवी तथा रेडियो का विकास तथा जनसूचना में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
- अभी भी हम ग्रामीण विकास के लक्ष्यों से दूर हैं। तमाम प्रयत्नों के बावजूद बहुत से गाँव बुनियादी सुविधाओं सड़क परिवहन, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, कुटीर उद्योग व विपणन सुविधाएं बैंकिंग सेवा शिक्षा बिजली एवं परिष्कृत ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल से वंचित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की सम्भावनाएं भी असंगठित तथा प्रारम्भिक अवस्था में हैं।
ग्रामीण विकास का अर्थ Meaning of Rural Development
ग्रामीण विकास में ग्रामीण जनसंख्या एवं ग्रामीण क्षेत्र, कृषि क्षेत्र तथा कृषि आधारित उद्योग धन्धों का विकास समाहित है। ग्रामीण विकास के विविध पक्षों को हम निम्न रूप से स्पष्ट कर सकते हैं।
क. सांस्कृतिक विकास:
- इसमें साक्षरता में वृद्धि, जातीय व क्षेत्रीय मानसिकता का निर्मूलन, रूढ़ियों से मुक्ति, जनमाध्यमों का प्रचार-प्रसार, वैज्ञानिक चेतना का विकास, स्त्री व बाल विकास, महिला शिक्षा आदि समाहित किए जाते हैं।
ख. आर्थिक विकास:
- ग्रामीण आर्थिक विकास में कृषि को ज्यादा लाभदायक बनाना, उर्वरता प्रबंधन, ग्रामीण उद्योग धंधों का विकास, ग्रामीण रोजगार सृजन आर्थिक स्वावलम्बन, कृषि आधारित उद्यमों व व्यवसायों का विकास आदि शामिल किए जाते हैं।
ग. राजनीतिक विकास:
- इसमें मुख्यरूप से पंचायतीराज व्यवस्था का सशक्तीकरण तथा उसमें सभी वर्गों की भागीदारी समाहित की जाती है।
घ. बुनियादी सुविधाओं का विकास:
- इसके अंतर्गत सड़क, ग्रामीण परिवहन व्यवस्था का विकास पेयजल उपलब्धता, स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, बिजली की उपलब्धता, संचार साधनों की उपलब्धता आदि को शामिल किया जाता है।
ङ. कृषि का विकास:
- इसमें कृषि को व्यापारिक स्वरूप प्रदान करना, सिचाई, सुविधाओं का विस्तार, नवाचारों का प्रसरण, उन्नत खाद व बीज का प्रयोग, कृषि का यंत्रीकरण, कृषि विपणन एवं बैकिंग को बढ़ावा देना, ट्रक फार्मिंग को बढ़ाना, बागवानी, कृषि, कृषि अनुसंधान व उसका क्रियान्वयन आदि समाहित किए जाते हैं।
च. मानव संसाधन विकास:
- कृषि क्षेत्र में अकुशल श्रम को कुशल श्रम में बदलना पारम्परिक देशों को आधुनिक तकनीकी कौशल से सुसजिज्त करना, कौशल उच्चीकरण, प्रशिक्षण आदि इसमें सम्मिलित किए जाते हैं। इनके अतिरिक्त भारत में ग्रामीण क्षेत्र अभी भी तुलनात्मक रूप से पिछड़ा हुआ है। विकास योजनाओं की शुरूआत से ही ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिससे वहां रहने वालों की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारी जा सके।
ग्रामीण विकास में संचार का उपयोग Use of communication in rural development
- ग्रामीण विकास एवं रूपान्तरण की प्रक्रिया में संचार की उपयोगिता अत्यन्त महत्वपूर्ण है। लोगों को शिक्षित करने, चर्चा के उचित बिन्दुओं से परिचित कराने, विकास कार्यक्रमों से जोड़ने के लिए संचार नियोजित व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए जरूरी जनमत निर्मित करने तथा वैज्ञानिक चेतना के विकास में भी संचार की महत्वपूर्ण भूमिका है।
- ग्रामीण क्षेत्र और ग्रामीण जनता परम्परागत समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। समाज के नए मूल्यों को स्वीकार करने का कार्य धीरे-धीरे होता है। ऐसे समाज रूढ़ियाँ तो नितान्त असभ्य तथा मानवाधिकारों की विरोधी होती है। रूढ़िवादी समाज अपनी पहले की स्थिति में परिर्वतन के प्रयासों को सहज रूप में स्वीकार नहीं करता। ऐसे में यह आवश्यक होता है कि उनके विचार में परिवर्तन लाया जाये।
- वैचारिक परिर्वतन का यह कार्य संचार की प्रभावी रणनीति बनाकर और उसे सफलतापूर्वक क्रियान्वित कर के किया जा सकता है। बेहतर संचार नियोजन से ग्रामीण समाज अपनी बंद खिड़कियां खोलता है। दुनिया में हो रही तरक्की तथा बदलावों को स्वीकार कर स्वयं भी बदलाव की ओर उन्मुख होता है। संचार के बदलाव ने ग्रामीण विकास तथा रूपान्तरण में सदैव अग्रिम भूमिका निभाई है। नवाचारों के प्रसरण में भी संचार की प्रभावी भूमिका रही है। संचार रिक्तता तथा वर्तमान समय में डिजिटल डिवाइड पिछड़ेपन के पर्याय माने जाते हैं। इसलिए विकास कार्यक्रमों का एक प्रमुख लक्ष्य यह भी है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में संचार रिक्तता की स्थिरता की स्थिति को समाप्त करें। सूचना को अब ग्रामीण विकास के लिए भी आवश्यक माना जाने लगा है तथा यह प्रयास किया जा रहा है कि सूचना तथा संचार की प्रभावी व्यपवस्थाले ग्रामीण इलाकों में भी प्रभावी हो।
ग्रामीण विकास में संदेश निर्माण ग्रामीण
- जनता में जागरूकता लाने तथा उन्हें विकास की जानकारी देने, विकास के लिए प्रेरित करने तथा विकास के लिए जरूरी जनमत तैयार करने की दृष्टि से ग्रामीण संदेशों का अहम स्थान है। सरकार ने हमेशा से ही विविध लोक लुभावन संदेशों के माध्यम से ग्रामीण विकास के विविध कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार का संयोजन किया है। कुछ संदेश तो अत्यंत लोकप्रिय रहे हैं।
- अधिक अन्न उपजाओ, जय जवान जय किसान, छोटा परिवार सुखी परिवार, जल ही जीवन है, दो बूंद जिन्दगी की आदि अनेक लोकप्रिय संदेशों का ग्रामीण चेतना निर्मित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ग्रामीण संदेश का निर्धारण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। किस प्रकार संदेश तैयार किया जाए कि ग्रामीण जनता को तुरंत समझ में आ जाये तथा वह उसे आसानी से स्वीकार कर ले। ग्रामीण जनसंख्या की अपनी सामाजिक सांस्कृतिक विशेषताएं होती हैं। संदेश में यह तथ्य अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। हम संक्षेप में ग्रामीण विकास संदेश के प्रमुख निर्धारक बिन्दुओं को निम्न प्रकार से अभिव्यक्त कर सकते हैं
i. संदेश सरल तथा सुबोध होना चाहिए।
ii. संदेश की पृष्ठभूमि ग्रामीण परिवेश के अनुकूल होनी चाहिए।
iii. संदेश के रोल मॉडल या कम्यूनिकेटर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वीकार्य होने चाहिए।
iv. संदेश की भाषा में स्थानीयता का पुट होना चाहिए।
v. चित्रात्मकता संदेश को और आकर्षक बना सकती है।
vi. संदेश को ज्यादा लंबा या जटिल संरचना वाला नहीं होना चाहिए।
vii. संदेश को माध्यम के अनुकूल होना चाहिए।
ग्रामीण विकास संदेश के लिए माध्यम चयन
- ग्रामीण विकास के संदेशों के प्रभावी निरूपण में माध्यमों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। माध्यम चयन करते समय ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी स्वीकार्यता तथा पहुंच का ध्यान रखना चाहिए। दृश्य-श्रव्य माध्यम ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी होता है। इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली परम्परागत माध्यमों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए।
क. परंपरागत माध्यम:
- परंपरागत माध्यम अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय है। चूंकि ये माध्यम लोक से जुड़े हैं, अतः लोक विश्वास भी इन्हें हासिल है। लोक से इन माध्यमों के जुड़ाव का फायदा विकास संदेशों को भी अवश्य उठाना चाहिए । परम्परागत माध्यमों का चयन स्थानीय आधार पर किया जाना चाहिए। इन माध्यमों का चयन कर संदेशों को भी उनके अनुरूप ही विकसित करना चाहिए। यह परम्परागत माध्यम जिस प्रकार की प्रस्तुतियां करते हैं, संदेशों को भी उसी रूप में प्रस्तुत करना चाहिए।
ख. आधुनिक माध्यम:
- आधुनिक माध्यमों का चयन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। रेडियो तथा टीवी सर्वग्राह्य माध्यम हैं। इनका उपयोग लाभदायक होता है। जहाँ बिजली नहीं है, वहां रेडियो तथा जहाँ बिजली व टीवी प्रसारण सुविधा उपलब्ध है, वहाँ टीवी प्रभावी माध्यम है। सिनेमा व वीडियो का प्रयोग आउटडोर संदेशों के लिए किया जाना चाहिए, इसके अतिरिक्त आवश्यकतानुसार अखबार, पोस्टर, बैनर, वाल पेन्टिंग, पैनल राइडिंग आदि का भी प्रयोग किया जा सकता है।
5. ग्रामीण विकास एवं आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी
- आधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का ग्रामीण विकास में प्रभावी उपयोग शुरू कर दिया गया है। ई-गवर्नेस के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह जरूरी भी है कि आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचया जाय। ग्रामीण विकास में जहाँ प्रयोग शुरू हुआ है वहाँ सुचना एवं संचार प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उपजों की जानकारी, कम्प्यूटरीकृत किसान वही राजस्व की जानकारी, बाजार दर की जानकारी, कृषि सूचना सेवा, भूमि रिकार्डो का लेखा-जोखा आदि कार्य इसके द्वारा प्रभावी ढंग से किए जा रहे हैं।
- भारत में इस दृष्टि से किए गए प्रयोग उत्साह जनक रहे हैं। केरल, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु आदि में भी इसकी प्रभावी व्यवस्था की गयी है।
Post a Comment