शक कालीन सांस्कृतिक अवस्था का वर्णन कीजिये ? |Shak Kalin Culture Details in Hindi
शक कालीन सांस्कृतिक अवस्था का वर्णन कीजिये ?
मध्य प्रदेश में शक कालीन सांस्कृतिक अवस्था का वर्णन कीजिये ?
- शकों ने भारत में शासन हेतु पारसीक क्षत्रप प्रणाली को अपनाया था। क्षत्रप ईरानी शब्द 'क्षत्रपावन' से बना है जिसका अर्थ 'प्रान्त का शासक' होता है। शकों का साम्राज्य अनेक प्रान्तों में विभाजित था जहाँ क्षत्रप शासन करते थे। प्रत्येक प्रान्त में दो क्षत्रप होते थे, एक क्षत्रप तथा दूसरा महाक्षत्रप क्षत्रप प्रायः महाक्षत्रप का पुत्र होता था।
- विम कैडफिसेस के शासन काल में कला तथा विज्ञान के विभिन्न विषयों में भी रचनात्मक प्रगति हुई। मथुरा के निकट माट से प्राप्त मूर्ति इसका एक उदाहरण है। लद्दाख के खलत्से नामक स्थान से मिले एक अभिलेख के आधार पर यह कहा जा सकता है कि विम कैडफिसेस ईसा की प्रथम शताब्दी के पूर्वार्द्ध में राज्य लक्ष्मी की कृपा के आनन्द का उपभोग कर - रहा था। इस शासक के पश्चात् के इतिहास का सही-सही ज्ञान नहीं है।
- आर्थिक दृष्टि से यह एक सम्पन्न साम्राज्य था। भारत से पश्चिम के व्यापारिक मार्ग के खुलने से अन्न, मसाले, वस्त्र तथा आभूषण का निर्यात और बदले में स्वर्ण का प्रचुर आयात होने लगा। इस स्वर्ण से विम ने स्वर्ण मुद्राएँ प्रचलित कीं। विम की मुद्राओं पर 'माहेश्वर' का विरुद तथा शिव, नन्दी, त्रिशूल आदि प्रतीक मिलते हैं जिससे स्पष्ट होता है कि वह शैव धर्मावलम्बी था। बौद्ध धर्म के प्रति भी उसमें सहिष्णुता थी ।
- उज्जैन के महाक्षत्रप रुद्रदामन के समय संस्कृत भाषा का प्रयोग दिखलाई देता है। उसने जूनागढ़ में संस्कृत भाषा का प्रथम महत्वपूर्ण शिलालेख उत्कीर्ण करवाया। इसके पूर्व के लेख पाली अथवा प्राकृत भाषा में पाए जाते हैं। रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में मतिसचिव, कर्मसचिव, नगर निगम, जनपद, पौर जानपद, अनेक प्रशस्त कर, आदि का उल्लेख हुआ है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उसने अपने साम्राज्य को अनेक भागों में विभक्त किया था तथा उनके प्रशासन को संचालित करने हेतु अनेक अधिकारियों की नियुक्ति की थी। मतिसचिव सलाह देने वाले मन्त्रियों को कहते थे । मन्त्री के गुणों का विवरण सुविशाख की प्रशंसा करते हुए किया गया है। करों में बलि, शुल्क तथा भाग गिनाए गए हैं। रुद्रदामन कहता है कि उसका राजकोश समुचित रूप से अर्जित बलि, शुल्क एवं भाग से प्राप्त धन से परिपूर्ण था ।
- जूनागढ़ अभिलेख से सुदर्शन झील के बाँध के टूटने का ज्ञान होता है। इसे रुद्रदामन के शासनकाल की महत्वपूर्ण घटना मानी जा सकती है। इस झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रान्तीय शासक पुष्यगुप्त ने कराया था। तदुपरान्त अशोक के प्रान्तीय शासक यवन तुषास्प ने सिंचाई कार्य हेतु इस झील से अनेक नहरें निकलवाई थीं। रुद्रदामन ने इस बाँध को तीन गुना दृढ़ता प्रदान करते हुए पुनः निर्मित कराया जिसका सम्पूर्ण व्यय आम नागरिक पर कर के रूप में ना थोपते हुए उसने स्वयं ही उठाया।
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