टेलीविजन की अवधारणा, टेलीविजन क्या है? उसकी विशेषताओं को बताइए
टेलीविजन की अवधारणा Concept of television
टेलीविजन क्या है? उसकी विशेषताओं को बताइए?
टेलीविजन क्या है ?इस दृष्टि से कहा
जा सकता है कि वर्तमान समय में टेलीविजन एक सर्वाधिक लोकप्रिय और सशक्त माध्यम है।
इंटरनेट के बढ़ते चलन के बावजूद भी टेलीविजन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई
है। टेलीविजन ग्रीक शब्द 'टेली' और लैटिन शब्द ‘विजन' से मिलकर बना है।
'टेली' का शाब्दिक अर्थ
है दूरी पर और 'विजन' का अर्थ है
देखना। इसका तात्पर्य हुआ कि जो दूर की चीजों का दर्शन कराए, उसे आपके सामने
साक्षात कर दे, वह ‘दूरदर्शन’ है। इसमें दर्शक
दूरवर्ती स्थानों पर घटनेवाली घटनाओं को घर बैठकर देखते हैं। इसका अंग्रेजी रूप है' 'टेलीविजन'। चूंकि यह शब्द
अत्यधिक प्रचलित है। इसी कारण आज सर्वमान्य हो गया है और अधिकांश जनमानस इसी शब्द
का व्यवहार करते हैं।
संचार के अन्य माध्यमों समाचारपत्र, रेडियो और
इंटरनेट की तरह सूचना, शिक्षणऔर मनोरंजन
इसके प्रमुख उद्देश्य हैं। इसमें दृश्य ही सब कुछ है। दृश्य, ध्वनि और पाठ्य
तीनों का समवेत प्रभाव इस माध्यम में उपलब्ध होता है। टेलीविजन में श्वेत पट्टी पर
समाचारों का लिखित रूप देखा जा सकता है। यह बात और है कि दर्शक देखता और सुनता
अधिक है और पढ़ता नहीं है या कम पढ़ता है। प्रकाश, रंग और ध्वनि का प्रयोग होने के कारणयह दर्शक
को अधिक प्रिय और रुचिकर प्रतीत होता है।
रेडियो अंधों की दुनिया है लेकिन टेलीविजन के साथ ऐसा नहीं
है। यह देखने वालों का साधन है और इसका कोई लाभ नेत्रहीनों को नहीं है। वे केवल
सुन सकते हैं, दृश्य को अनुभूत
कर सकते हैं लेकिन देखने का आनंद नहीं उठा सकते। उनके लिए टेलीविजन भी रेडियो की
तरह है केवल एक ध्वनि-माध्यम। रेडियो के समान यह सुगम और सहज नहीं है। यह बात और
है कि रेडियो के समान इसका प्रवेश भी मोबाइल में हो गया है। टेलीविजन का
प्रसारणनियमितता लिए होता है। हर कार्यक्रम, समाचार या धारावाहिक आदि का समय सुनिश्चित है ताकि दर्शक
उसे समय पर देख-सुन सके और लाभ ले सके। टेलीविजन पर प्रसारित गतिशील दृश्यों की
निरंतरता उसे वर्तमान और समसामयिकता के निकट ला देती है। दर्शक अपने आप को
मंत्रमुग्ध-सा और जीवंत अनुभूत करता है। रेडियो में श्रोता अपनी कल्पना शक्ति पर
आधृत रहता है और उसके बल पर ही उद्घोषकों को पहचानता है और उसका उनसे आत्मीय संबंध
बनता है। इसी के बल पर वह दृश्य, व्यक्ति, उसकी रूपाकृति, वेशभूषा आदि का अनुमान लगाता है। इसके विपरीत टेलीविजन
दर्शक को कल्पनाशीलता का कोई अवकाश नहीं देता क्योंकि वहां सब कुछ घटित दिखाई देता
है और उसका बिंब देर तक बना रहता है। यहां आप उद्घोषक, कार्यक्रम
प्रस्तोता को देख भी सकते हैं, उसकी रूपाकृति, वेशभूषा आदि का अनुमान लगाने की आपको कोई आवश्यकता नहीं है।
रेडियो के समान तात्कालिकता भी टेलीविजन में उपलब्ध होती
है। इसके कारणसमाचार और सूचनाओं का कम-से-कम समय में तत्काल प्रसारणसंभव हो पाता
है। कभी-कभी कार्यक्रम रोककर विशिष्ट सूचना प्रदान की जाती है। 'ब्रेकिंग न्यूज' की अवधारणाइसी
प्रकार की है। रेडियो के समान आप टेलीविजन लेटकर या बैठकर देख सकते हैं लेकिन काम
करते समय टेलीविजन का वह आनंद आप नहीं ले सकते जैसा रेडियो सुनने के दौरान लेते
हैं और न ही आप पूरी तरह एकाग्र हो सकते हैं। टेलीविजन देखने के लिए आपको अपने
नेत्रों को दृश्य पर एकाग्र करना पड़ेगा। इसीलिए टेलीविजन में वह लचीलापन नहीं
देखने को मिलता है जो कि रेडियो में मिलता है।
यह रेडियो की अपेक्षा अधिक महंगा है और उसकी स्क्रीन भी
छोटी होती है। हालांकि आजकल बड़ी स्क्रीन वाले टेलीविजन सेट भी आ रहे हैं लेकिन वे
सभी के पहुंच में नहीं हैं। इसकी उपकरण सामग्री भी महंगी है और बिना बिजली के
प्रयोग के इसे देख पाना संभव नहीं है। टेलीविजन की कार्यप्रणाली में वीडियो कैमरा
और ट्रांसमीटर की प्रमुख भूमिका होती है। इसमें वीडियो कैमरा दृश्य विशेष को
इलेक्ट्रॉनिक प्रतिबिंबों में परिवर्तित करता है और फिर ट्रांसमीटर, उपग्रह आदि के
सहयोग से इसका संप्रेषणहोता है। एंटीना इन प्रतिबिंबों को पकड़ता है। फिर
पिक्चरटयूब की सहायता से प्रतिबिंबों के मूल दृश्यों की टेलीविजन के पर्दे पर
प्रस्तुति होती है। इस प्रकार टेलीविजन के प्रसारणमें प्रकाशीय अभिरचना वैद्युत
आवेगों में और वैद्युत आवेगों को पुनः प्रकाशीय अभिरचना में परिवर्तित किया जाता
है। इसमें ध्वनियों और ध्वनियों का एक साथ निरंतर प्रेषण होता है जो इसमें दृश्य को फिल्म की भांति
गतिशीलता देता है जिससे दर्शक के मानस पटल पर संश्लिष्ट प्रभाव पड़ता है।
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