ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के बारे में जानकारी |Transparency international Details in Hindi
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के बारे में जानकारी
(Transparency international Details in Hindi)
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के बारे में जानकारी
- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में बर्लिन (जर्मनी) में की गई थी।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिक उपायों के माध्यम से वैश्विक भ्रष्टाचार का मुकाबला करना और भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न होने वाली आपराधिक गतिविधियों को रोकने हेतु कार्रवाई करना है।
- इसके प्रकाशनों में वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर और भ्रष्टाचार बोध सूचकांक शामिल हैं।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2021
- सूचकांक के तहत कुल 180 देशों को उनकी सार्वजनिक व्यवस्था में मौजूद भ्रष्टाचार के कथित स्तर पर विशेषज्ञों और कारोबारियों द्वारा दी गई राय के अनुसार रैंक दी जाती है।
- यह 13 स्वतंत्र डेटा स्रोतों पर निर्भर करता है और इसमें 0 से 100 तक के स्तर का पैटर्न उपयोग किया जाता है, जहाँ 0 का अर्थ सबसे अधिक भ्रष्टाचार है और 100 का अर्थ सबसे कम भ्रष्ट से है।
- दो-तिहाई से अधिक देशों (68%) का स्कोर 50 से नीचे रहा है और औसत वैश्विक स्कोर 43 पर स्थिर बना हुआ है। वर्ष 2012 के बाद से अब तक 25 देशों ने अपने स्कोर में उल्लेखनीय सुधार किया है, लेकिन इसी अवधि में 23 देशों के स्कोर में उल्लेखनीय रूप से गिरावट आई है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल में शीर्ष
प्रदर्शनकर्त्ता:
- इस वर्ष शीर्ष देशों में डेनमार्क, फिनलैंड और न्यूज़ीलैंड शामिल रहे, जिनमें से प्रत्येक को 88 का स्कोर प्राप्त हुआ है। नॉर्वे (85), सिंगापुर (85), स्वीडन (85), स्विट्ज़रलैंड (84), नीदरलैंड (82), लक्ज़मबर्ग (81) और जर्मनी (80) शीर्ष 10 में रहे।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल खराब
प्रदर्शनकर्त्ता
- दक्षिण सूडान (11), सीरिया (13) और सोमालिया (13) सूचकांक में सबसे निचले स्थान पर रहे।
- सशस्त्र संघर्ष या सत्तावाद का सामना करने वाले देश जैसे- वेनेज़ुएला (14), अफगानिस्तान (16), उत्तर कोरिया (16), यमन (16), इक्वेटोरियल गिनी (17), लीबिया (17) और तुर्कमेनिस्तान (19) आदि को सबसे कम स्कोर प्राप्त हुआ।
भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2021 में भारत का प्रदर्शन:
- भारत मौजूदा सूचकांक में 180 देशों में 85वें स्थान (वर्ष 2020 में 86 और वर्ष 2019 में 80) पर है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भारत को 40 का CPI स्कोर दिया।
- भूटान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देशों को निचली रैंकिंग मिली है। पाकिस्तान सूचकांक में 16 स्थान गिरकर 140वें स्थान पर पहुँच गया है।
- पिछले एक दशक में भारत का स्कोर काफी हद तक स्थिर रहा है, वहीं कुछ ऐसे तंत्र जो भ्रष्टाचार में मदद कर सकते हैं, कमज़ोर हो रहे हैं।
- हालाँकि सूचकांक में देश की लोकतांत्रिक स्थिति को लेकर चिंता ज़ाहिर की गई है, क्योंकि मौलिक स्वतंत्रता और संस्थागत नियंत्रण एवं संतुलन का क्षय होता दिख रहा है।
- जो कोई भी सरकार के खिलाफ बोलता है, उसे राष्ट्रीय सुरक्षा, मानहानि, देशद्रोह, अभद्र भाषा और न्यायालय की अवमानना के आरोपों व विदेशी फंडिंग संबंधी नियमों के माध्यम से निशाना बनाया जाता है।
लोकतंत्र का पतन:
- बेलारूस में विपक्षी समर्थकों के दमन से लेकर निकारागुआ में मीडिया आउटलेट और नागरिक समाज संगठनों को बंद करने तक, सूडान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक हिंसा तथा फिलीपींस में मानवाधिकार रक्षकों की हत्या जैसी घटनाओं के कारण दुनिया भर में मानवाधिकार और लोकतंत्र को खतरा है।
- न केवल प्रणालीगत भ्रष्टाचार और कमज़ोर संस्थानों वाले देशों में बल्कि स्थापित लोकतांत्रिक देशों में भी अधिकारों, नियंत्रण तथा संतुलन में तेज़ी से कमी आ रही है।
- वर्ष 2012 के बाद से लगभग 90% देशों ने लोकतंत्र सूचकांक पर अपने नागरिक स्वतंत्रता में गिरावट दर्ज की है।
- वैश्विक कोविड-19 महामारी का उपयोग कई देशों में बुनियादी स्वतंत्रता और संतुलन को कम करने के बहाने के रूप में भी किया गया है।
- गुमनाम मुखौटा कंपनियों के दुरुपयोग को समाप्त करने के लिये बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय गति के बावजूद अपेक्षाकृत "स्वच्छ" सार्वजनिक क्षेत्रों वाले कई उच्च स्कोरिंग देश अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार को जारी रखते हैं।
- सत्तावाद की वर्तमान लहर तख्तापलट और हिंसा से नहीं, बल्कि लोकतंत्र को कमज़ोर करने के क्रमिक प्रयासों से प्रेरित है। यह आमतौर पर नागरिक व राजनीतिक अधिकारों पर हमलों, निरीक्षण और चुनाव निकायों की स्वायत्तता को कमज़ोर करने के प्रयासों तथा मीडिया के नियंत्रण के साथ शुरू होती है।
- इस तरह के हमले भ्रष्ट शासनों को जवाबदेही और आलोचना से बचने की अनुमति देते हैं जिससे भ्रष्टाचार पनपता है।
भ्रष्टाचार, मानवाधिकारों के उल्लंघन और लोकतांत्रिक पतन के दुष्चक्र की समाप्ति हेतु लोगों को निम्नलिखित मांग करनी चाहिये कि उनकी सरकारें:
- सत्ता पर अपनी पकड़ को मज़बूत करने हेतु आवश्यक अधिकारों को बनाए रखना।
- सत्ता पर संस्थागत जाँच को बहाल तथा मज़बूत करना।
- भ्रष्टाचार के अंतर्राष्ट्रीय रूपों का मुकाबला करना।
- सरकारी व्यय में ‘सूचना के अधिकार’ को कायम रखना।
मौलिक विफलताओं
को संबोधित करना:
- भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में एक साथ आगे बढ़ने के लिये आर्थिक सुधार रणनीतियों की उन मूलभूत विफलताओं को दूर करना चाहिये जिनके कारण कई देशों की व्यवस्थाएँ भ्रष्ट हुई हैं।
- भ्रष्टाचार और सामान्य समृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण केवल ज़ागरूक लोगों की भागीदारी के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है जो स्वतंत्र रूप से इकट्ठा होने, खुले तौर पर बोलने में सक्षम हैं।
भ्रष्टाचार
विरोधी एजेंसियाँ:
- भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी या कमज़ोर संस्थानों वाले देशों को भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों के सिद्धांतों पर वर्ष 2012 के जकार्ता स्टेटमेंट, कोलंबो कमेंट्री और क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं जैसे कि टीनिवा विज़न (Teieniwa Vision), भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आवश्यक अन्य सभी कदमों के साथ बनाए रखा जाना चाहिये।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी सार्वभौमिक भ्रष्टाचार-विरोधी साधन है।
भारत में प्रमुख कानून
- भारतीय दंड
संहिता, 1860
- भ्रष्टाचार
निवारण अधिनियम, 1988
- धन शोधन निवारण
अधिनियम, 2002
- विदेशी अंशदान
(विनियमन) अधिनियम, 2010
- कंपनी अधिनियम, 2013
- लोकपाल और
लोकायुक्त अधिनियम, 2013
- केंद्रीय सतर्कता आयोग
भ्रष्टाचार बोध सूचकांक क्या है समझाइए ?
- भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (सीपीआई), किसी भी देश में सार्वजनिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के स्तर को मापने हेतु जारी किया जाता है।
- इस सूचकांक में शून्य से लेकर 100 तक के पैमाने का उपयोग किया जाता है, जहां शून्य स्कोर वाले देश को सबसे अधिक भ्रष्ट माना जाता है और 100 स्कोर वाले को सबसे साफ माना जाता है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International)
- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International), ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल एक स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जो वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार से जुड़े सूचकांक निर्धारित करता है।
- यह संस्था कई रिपोर्ट प्रकाशित करती है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति का मूल्यांकन होता है।
- इस संगठन के द्वारा भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Corruption Perceptions Index-CPI), वैश्विक भ्रष्टाचार रिपोर्ट (Global Corruption Report) और रिश्वत भुगतानकर्ता सूचकांक (Bribe Payers Index) प्रकाशित किया जाता है।
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