ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल |भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक| Transparency International MPPSC Mains Paper 4 Notes
ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल Transparency International MPPSC Mains Paper 4 Notes
ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल (Transparency International)
ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (INGO) है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्पोरेट और राजनीतिक भ्रष्टाचार पर निगरानी रखता है तथा इस सम्बन्ध में जानकारी प्रसारित करता है।
- मूलत: ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल (TI) की स्थापना मई 1993 में जर्मनी में एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में की गई थी। वर्तमान में यह वार्षिक “वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर” (Global Corruption Barometer) और “भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक” (Corruption Perception Index) का प्रकाशन करता है। जो कि विश्व के देशों में भ्रष्टाचार की तुलनात्मक स्थिति दर्शाता है। इसका मुख्यालय बर्लिन जर्मनी में स्थित है। वर्ष 2014 ग्लोबल थिंक टैंक सूची में इसे 5वाँ स्थान दिया गया है।
- यह संस्था भ्रष्टाचार को इस तरह परिभाषित करती है कि उन लोगों के द्वारा जिन्हें सत्ता प्राप्त है जो कि उन्हें उनकी सत्यनिष्ठा के आधार पर प्राप्त है, इस सत्ता का अपने निजी हितों के लिए उपयोग, भ्रष्टाचार है। जिससे कि सभी लोग प्रभावित होते हैं।
- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अन्तर्गत विश्व के देशों में स्थापित इसके स्थानीय कार्यालय तथा स्वतंत्र संगठन शामिल है। जो अपने देशों में भ्रष्टाचार को सूचित करते हैं। स्थानीय कार्यालयों में स्थानीय विशेषज्ञ होते हैं जो उनके देशों में भ्रष्टाचार तथा उससे संबंधित प्राथमिकताओं के लिए उपयुक्त होते हैं। इनका कार्य विविध स्तर पर होता है जिसमें ग्रामीण समुदायों से मिलना तथा उन्हें मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना ह दूसरी ओर सरकारों को नीतिगत सुधारों में सलाह प्रदान करना आदि है। स्थानीय कार्यालय (अध्याय) क्षेत्रीय और वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने और "ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल” के सामूहिक कार्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल इतिहास (Transparency International History)
- ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल की स्थापना विश्व बैंक के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक पीटर ईगन के सहयोग से वर्ष 1993 में की गई थी। इसके अन्य संस्थापक सदस्यों में होन्सजोर्ग एलसोर्स्ट, जो गिथोनो, फ्रिट्ज हिमैन, मिशेल हर्समेन, कमाल हुसैन, डोलोरेस एल. इस्पानोल, जार्ज मूडी स्टुअर्ट, जेरी पारफिट, जेरेमी पोप और फ्रैंक आदि हैं।
- वर्ष 1995 में ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल ने “भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Corruption Perception Index CPI) विकसित किया जो कि विश्व के देशों को उनके यहाँ होने वाले भ्रष्टाचार के आधार पर सूचीबद्ध करता है। यह सूचकांक लोगों के सर्वे पर आधारित होता है। इस सूचकांक का वार्षिक प्रकाशन किया जाता है।
- इस संस्था की इस आधार पर आलोचना भी की जाती है कि इसकी अष्टाचार मापने की प्रविधि (Methodology) कमजोर है और यह विकासशील देशों के साथ भेदभाव करती है। साथ ही इस सूचकांक को सराहना भी मिली है कि इसने अष्टाचार को चिन्हित किया है।
- वर्ष 1999 में ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल ने धूस दाता सूचकांक (Bribe Payers Index, BPI) भी प्रकाशित करना आरंभ किया है जो कि विश्व के देशों को सूचीबद्ध करता है उनके देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ( MNS) द्वारा घूस देने की प्रवृत्ति के अनुसार।
ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल का संगठन
- ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल के 100 से ज्यादा स्थानीय अध्याय (कार्यालय) हैं तथा इसका अन्तर्राष्ट्रीय सचिवालय बर्लिन, जर्मनी में है। प्रत्येक अध्याय अपने देश में भ्रष्टाचार का आकलन अपने देश के अनुसार विधि का प्रयोग करते हुए, करता है। अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय इन स्थानीय अध्यायों को सहायता और समन्वय प्रदान करता है साथ ही इन स्थानीय अध्यायों के सहयोग से क्षेत्रीय और वैश्विक भ्रष्टाचार का आकलन करता है।
ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल की भूमिका
- ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल वर्ष 1995 से वार्षिक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI), वैश्विक भ्रष्टाचार रिपोर्ट” वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर और "घूसदाता सूचकांक (Bribe Payers Index) का प्रकाशन करता है। ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल भ्रष्टाचार के एक-एक मामलों की जाँच नहीं करता है और ना ही यह व्यक्तिगत मामलों को उजागर करता है। यह भ्रष्टाचार से लड़ने के उपायों का विकास करता है तथा इन उपायों के प्रयोग में सिविल सोसायटी, कंपनियों और सरकारों की मदद करता है ।
- ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल की सबसे बड़ी सफलता यह है कि इसने भ्रष्टाचार को वैश्विक मुद्दा बना दिया है। विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे संगठन अब भ्रष्टाचार को विकास की राह का एक प्रमुख अवरोध मानते हैं जबकि पहले इस विषय पर इतना ध्यान नहीं दिया गया था। ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल के प्रयासों से ही "भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र प्रसंविदा (United Nations Convention against Corruption) और OECD की घूस विरोधी प्रसंविदा (Anti-Bribery Convention) की शुरुआत हुई।
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI)
- यह सूचकांक विश्व के देशों में सार्वजनिक क्षेत्र और सार्वजनिक पद धारकों के संबंध में लोगों की भ्रष्टाचार धारणा के आधार पर उन्हें सूचीबद्ध करता है। यह सूचकांक लोगों पर किए गये सर्वे, भ्रष्टाचार संबंधित आँकड़ों और अन्य विश्वसनीय संस्थानों के सहयोग पर आधारित होता है।
इस सूचकांक की आलोचना भी कई आधारों पर की जाती है जिनमें प्रमुख हैं.
(i) उस भ्रष्टाचार का आकलन इसमें शामिल नहीं होता है जो पर्दे के पीछे किया गया है या जिसके बारे में जानकारी नहीं है। जबकि ज्यादातर ऐसे ही मामले होते हैं।
(ii) CPI, तृतीय पक्ष के सर्वे पर निर्भर है जिसके अविश्वसनीय होने की संभावना है।
(iii) यह आँकड़े सिर्फ लोगों की धारणा पर आधारित होते हैं जो अलग-अलग समय में अलग-अलग हो सकती है।
(iv) आँकड़ों की वर्ष दर वर्ष तुलना करना सही नहीं है क्योंकि प्रत्येक वर्ष अलग विधि व सेम्पल लिए जाते हैं।
(v) CPI के जरिए सिर्फ लोगों की धारणा पता चलती है न कि यह वास्तविकता बताता है।
ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल निष्कर्ष
- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की भी कई आधारों पर आलोचना की जाती रही है। इनमें प्रमुख है इस संस्था द्वारा कोरिया की बहुराष्ट्रीय कंपनी 'सिमेन्स' से जनवरी 2015 में 3 मिलियन डॉलर का डोनेशन स्वीकार करना। जबकि इसकी प्रक्रिया इसे इस तरह के डोनेशन लेने से मना करती है। जब डोनेशन देने वाली संस्था भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त हो । सिमेन्स वर्ष 2009 में भ्रष्टाचार के मामले में चर्चित रही है। साथ ही यह संस्था भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने वाले व्हिसलब्लोअर को सहायता प्रदान करने की घोषणा करती है लेकिन इसने एडवर्ड स्नोवडन को किसी भी तरह की सहायता से इंकार कर दिया है।
- इन आलोचनाओं के बावजूद ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल ने भ्रष्टाचार के संबंध में वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाने का सफल प्रयास किया है।
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Corruption Perception Index) -
- ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा प्रति वर्ष जारी किया जाने वाला यह सूचकांक, विश्व के देशों में भ्रष्टाचार के संबंध में लोगों की अवधारणा के आधार पर देशों को वरीयता प्रदान करता है। इस आकलन में देशों की स्थिति को 0 से 100 अंक दिए जाते हैं। 0 अंक का अर्थ अति भ्रष्ट और 100 अंक का अर्थ है आदर्श रूप से भ्रष्टाचार मुक्त।
ईमानदारी समझौता (इंटेग्रिटी पैक्ट)
- ईमानदारी समझौता ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा अभिकल्पित और आरंभ किया गया एक साधन है जिसका लक्ष्य एक करार के माध्यम से विशेष ठेकों हेतु खरीददार एजेंसी व संभावित विक्रेताओं/नीलामीकर्ताओं के मध्य प्रक्रियाओं में गलत प्रक्रियाओं को कम करना है। इस करार में दोनों पार्टियों के व्यक्तियों/अधिकारियों से ठेके के किसी भी पहलू पर कोई भ्रष्ट प्रभाव न डालने की प्रतिबद्धता माँगी जाती है। केवल ये विक्रेता/ नीलामीकर्ता जो खरीददार के साथ इस प्रकार का एक ईमानदार समझौता करते हैं ये ही नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने के योग्य होते हैं। किसी विशिष्ट ठेके के संबंध में ईमानदारी समझौता सौदे की सभी स्थितियों को बोली आमंत्रित करने से लेकर अंतिम रूप से सम्पन्न किए जाने तक कवर करता है।
- ईमानदारी समझौता स्वतंत्र बाह्य देखरेख करने वालों (आईईएम) के एक पैनल के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि संबंधित पार्टियाँ अपने संबद्ध दायित्वों के साथ ईमानदारी समझौता के अधीन अनुपालन करें। ठेके के किसी भी पहलू से संबंधित कोई शिकायत आईईएम में की जा सकती है। वर्तमान समय में सामान एवं सेवाओं की आपूर्ति, पी. पी. पी. (PPP) प्रोजेक्ट्स, कंसलटेंसी, लाइसेंसों पट्टो में इसे अपनाए जाने के केन्द्रीय सतर्कता आयोग के निर्देश हैं। 39 पब्लिक सेक्टर उपक्रमों ने अब तक इस पर अमल किया है।
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