भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघ राष्ट्र सम्मेलन अभिसमय पुष्टि|United Nations Convention against Corruption
भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघ राष्ट्र सम्मेलन अभिसमय पुष्टि
भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघ राष्ट्र सम्मेलन अभिसमय पुष्टि
- भारत ने मई, 2011 में संघ राष्ट्र के महासचिव के साथ भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघ राष्ट्र के अभिसमय (United Nations Convention against Corruption) की पुष्टि हेतु लेख पत्र जमा किया था। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के एक ऐसे देश के रूप में भारत की छवि सुधारेगी, जो भ्रष्टाचार की समस्या से निपटने हेतु प्रतिबद्ध है। अक्टूबर, 2011 में कार्मिक सचिव ने अक्टूबर, 2011 को मारकेश, मोरक्को सम्राज्य में आयोजित यू एन सी ए सी की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। उपर्युक्त अभिसयम संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर 2003 को पारित किया था तथा यह 14 दिसंबर 2005 को लागू हो गया था।
सुधारों के द्वारा भ्रष्टाचार उन्मूलन एवं पारदर्शिता के उदाहरण
भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए दंडात्मक और रोकथाम उपायों के अनुकूलतम मिले जुले रूप की आवश्यकता है। दंडात्मक उपाय निवारण का काम करते हैं जबकि रोकथाम के उपाय व्यवस्था में पारदर्शिता लाकर, जवाबदेही बढ़ाकर, विवेक को कम करके, कार्यपद्धतियों को तर्कसंगत करने आदि से भ्रष्टाचार के अवसर कम कर देते हैं। बेहतर रोकथाम उपाय सुधारों का काम करते हैं क्योंकि वे प्रणालियों और प्रक्रियाओं में सुधार लाते हैं। इस दिशा में हाल ही के वर्षों में पहल किए गए कुछ कदमों की सूची नीचे दी गई है:
(1) रेलवे यात्री आरक्षण (भारतीय रेलवे):
- रेलवे यात्री आरक्षण, जिसमें 'आन-लाइन' आरक्षण और ई-टिकटिंग शामिल हैं, के कम्प्यूटरीकरण ने मध्यस्थों को हटा दिया है, आरक्षण कार्यालयों को कम भीड़भाड़ वाला कर दिया है और रेलवे आरक्षण प्रक्रिया में पर्याप्त पारदर्शिता ला दी है।
( 2 ) पंजीकरण और स्टैंप:
- इसमें और अधिक पारदर्शी सम्पत्ति • मूल्यांकन तालिकाएँ, रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण, पंजीकरण प्रलेख को वापस करने के लिए समय सीमा निर्धारित करना, फिंगर प्रिंटिंग और फोटो खींचने के लिए डिजिटल कैमरों का प्रयोग करने के लिए रूपरेखा बनाने की मंशा थी। 'मूल्यांकन तालिकाओं के समय पर आ जाने से स्टैंप ड्यूटी के मनमाने ढंग से निर्धारण करने पर स्पष्ट रूप से रोक लगी है और इससे भ्रष्टाचार को कम करने के अनेक उद्देश्य प्राप्त किए जा सकें हैं, अचल संपत्ति के खरीदारों के साथ उत्पीड़न समाप्त हुआ है और कर संग्रह में वृद्धि हुई है।
(3) ई-पुलिस :
- इसमें शिकायतों के आन लाइन पंजीकरण और उनका व्यवस्थित रूप अनुवर्तन सुनिश्चित किया जाना है जिससे शिकायकर्त्ताओं को शिकायत के नतीजे का और उनका शिकायतों पर ऊँचे स्तर के पुलिस अधिकारी किस प्रकार से निपटान करते हैं, इस पर 'वास्तविक समय' की निगरानी रखने के लिए उच्च पुलिस स्तरों का व्यवस्था करता है।
(4) ई-गवर्नेस (ई-सेवा), और केरल (फ्रेंड्स अर्थात् फास्ट, रिलाइएबल, इन्स्टैंट, इफैक्टिव नेटवर्क फॉर डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ सर्विसेस):
- इनके द्वारा सरकार और नागरिकों के बीच लेनदेन को सरलीकृत करते हुए, जिसमें उपयोगिता बिलों के भुगतान अथवा विभिन्न सेवाओं को एक ही प्लेटफार्म पर देने हेतु सूचना तकनीक का प्रयोग करके सुधरी हुई सेवा सुपुर्दगी प्रदान की जाती है। किसानों को अपने उत्पादन बेचने के लिए लाभदायक मध्य प्रदेश में 'ई-चौपाल' की पहल भी उल्लेखनीय है।
(5) आन्ध्र प्रदेश में आरएसडीपी ( रूरल सर्विस डेलीवरी प्वाइंट्स) के नाम से ग्रामीण क्यिोस्क :
- यह ई-सेवा की पहुँच इंटरनेट के माध्यम से बिलों के भुगतान, सूचना, प्रपत्र की डाउनलोडिंग आदि की सुविधा दे कर लोक असुविधा को कम करने और कर्मचारियों को और अधिक 'पर्याप्त' लोक कर्त्तव्यों का पालन करने लिए राहत देना सुनिश्चित करता है।
- (6) मध्यप्रदेश में MP Online, समाधान आदि प्रयास उल्लेखनीय हैं।
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