संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रसंविदा |United Nations Convention Against Corruption): UNCAC
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रसंविदा
(United Nations Convention Against Corruption): UNCAC.
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रसंविदा
- संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रसंविदा (UNCAC), संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा विचारित एक बहुपक्षीय प्रसंविदा है। यह विश्व का प्रथम व कानूनी रूप से बाध्य अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी उपाय है। इसमें 71 अनुच्छेद हैं, जो 8 अध्यायों में विभक्त है। यह प्रसंविदा सदस्य देशों से ऐसे भ्रष्टाचार रोधी उपायों को लागू करने की अपेक्षा करती है जो उनके कानूनों, संस्थाओं और व्यवहारों को प्रभावित कर सकते हैं। इन उपायों का उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना, कुछ मामलों को आपराधिक घोषित करना, अन्तर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन को मजबूत करना और न्यायिक सहयोग को बढ़ाना, सम्पत्ति पुनर्भरण (Recovery) के प्रभावी कानूनी तंत्र का विकास करना, तकनीकी सहायता और सूचना का आदान-प्रदान करना तथा इस प्रसंविदा के लागू करने के तंत्र का विकास करना आदि है।
- संयुक्त राष्ट्र का ड्रग्स और क्राइम कार्यालय (UNODC) इस प्रसंविदा का कार्यान्वयन व संवर्धन (Promotion) करता है।
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रसंविदा-हस्ताक्षरित और कार्यान्वित
- UNCAC को संयुक्त राष्ट्र की आमसभा 31 अक्टूबर 2003 को अंगीकृत किया गया। इसे हस्ताक्षर के लिए 9 से 11 दिसम्बर, 2003 को रखा गया। जुलाई 2015 तक इस प्रसंविदा को 140 देशों ने हस्ताक्षरित किया है तथा 176 सदस्य इसके सम्मेलन सदस्य देश (Conference of the States Parties COSP) है। जुलाई 2015 तक 20 संयुक्त राष्ट्र सदस्यों ने इसे रेटीफाई नहीं किया है। इस प्रसंविदा के प्रभाव में आने के लिए 30 सदस्य देशों द्वारा इसको रेटीफाई किया जाना आवश्यक शर्त है।
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रसंविदा का इतिहास
- UNCAC उस बहुविचारित प्रयास का परिणाम है जो यह मानता है कि भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध के व्यापक परिणाम होते हैं। भ्रष्टाचार के कारण लोकतंत्र के मूल्य संकट में आ जाते हैं और यह सतत् विकास और विधि के शासन का भी उल्लंघन है। इस बात की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक प्रभावी तंत्र का विकास किया जाए। UNCAC उन मामलों को भी शामिल करता है जो अब तक अछूते थे, जैसे व्यापार में प्रभाव का प्रयोग, कार्यों का दुरुपयोग तथा निजी क्षेत्र के कई प्रकार के भ्रष्टाचार आदि। इस प्रसंविदा में भ्रष्टाचार के द्वारा अर्जित सम्पत्ति के पुनर्भरण (Recovery) का भी प्रावधान है।
सदस्य देशों का सम्मेलन (Conference of the States Parties): COSP
- UNCAC के अनुच्छेद 63 में COSP की स्थापना का प्रावधान है। COSP की स्थापना का उद्देश्य सदस्य देशों की इस संबंध में क्षमता में वृद्धि तथा सहयोग को बढ़ाना है ताकि UNCAC द्वारा स्थापित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। COSP लिए संयुक्त राष्ट्र का ड्रग और क्राइम कार्यालय (UNODC) सचिवालय के रूप में कार्य करेगा।
COSP के पहले सत्र का आयोजन 10-14 दिसम्बर 2006 को मृत सागर, जार्डन में किया गया था। इसके अब तक के सत्र इस प्रकार हैं-
1. प्रथम सत्र - COSP- 2006, जॉर्डन।
2. द्वितीय सत्र COSP- 2008, बाली, इंडोनेशिया
3. तृतीय सत्र - COSP- 2009, दोहा, कतर ।
4. चतुर्थ सत्र COSP- 2011, मराकेश, मोरक्को
5. पंचम सत्र- COSP-2013, पनामा
6. छठा सत्र COSP-2015, रूस
7. सातवाँ सत्र - COSP- 2017, आस्ट्रिया ।
UNCAC के अन्तर्गत 5 मुख्य उपाय किए गए हैं-
1. निरोधक उपाय।
2. आपराधिक और विधि प्रवर्तन उपाय।
3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग उपाय।
4. सम्पत्ति पुनर्भरण उपाय।
5. तकनीकी सहायता और सूचना आदान-प्रदान उपाय।
UNCAC के तहत किए गए प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
1. सामान्य प्रावधान (अध्याय-1, अनुच्छेद 1-4)
- इन प्रावधानों में उद्देश्य और प्रत्येक देश में सत्यनिष्ठा और जवाबदेहिता को परिभाषित किया गया है। साथ ही सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी सहायता को शामिल किया गया है।
2. निरोधक उपाय (अध्याय- II, अनुच्छेद 5-14)
- UNCAC के इस अध्याय में निरोधक उपायों के अन्तर्गत सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। साथ ही भ्रष्टाचार रोधी संस्थाओं की स्थापना, चुनाव प्रचार वित्तीयन की पारदर्शिता और राजनैतिक दलों को मिलने वाले चंदे को पारदर्शी बनाने के प्रावधान शामिल हैं।
3. आपराधिक और विधि प्रवर्तन उपाय (अध्याय-III, अनुच्छेद 15 42 ) -
- इस अध्याय के अन्तर्गत सदस्य देशों को भ्रष्टाचार संबंधित अपराधों को पुन परिभाषित करने और भ्रष्टाचार के अन्य तरीकों को अपराध घोषित करने के प्रावधान है ।
4. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग (अध्याय-IV, अनुच्छेद 43-49)-
- इस अध्याय में सदस्य देशों के लिए भ्रष्टाचार के संबंध में सहयोग को अनिवार्य बनाया गया है। यह सहयोग न सिर्फ भ्रष्टाचार निरोध में बल्कि, जाँच और अपराधियों को सजा दिलाने में भी होगा।
5. सम्पत्ति पुनर्भरण (अध्याय-V, अनुच्छेद 50-59)
- इस अध्याय में सदस्य देशों में भ्रष्टाचार द्वारा अर्जित सम्पत्ति के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पुनः प्राप्ति के प्रावधान किए गए हैं।
6. तकनीकी सहायता और सूचना का आदान-प्रदान
- (अध्याय VI, अनुच्छेद 60-62)- इस अध्याय में सदस्य देशों के बीच तकनीक सहायता और सूचना आदान प्रदान को बाध्यकारी बनाया गया है। यह तकनीकी सहयोग प्रशिक्षण, साधन व मानव संसाधन, अनुसंधान और सूचना साझा करने के रूप में हो सकता है।
7. कार्यान्वयन के लिए तंत्र (अध्याय-VII, अनुच्छेद 63-64)
- यह अध्याय COSP तथा UN सचिवालय के माध्यम से UNCAC के कार्यान्वयन के प्रावधान करता है।
8. अंतिम प्रावधान (अध्याय 8, अनुच्छेद 65-71)
- इस अध्याय में सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर, रेटीफिकेशन और प्रभाव में आने के प्रावधान हैं।
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी प्रसंविदा चुनौतियाँ
- UNCAC को रेटिफाई करना आवश्यक है लेकिन यह केवल पहला कदम ही है। UNCAC के सम्बन्ध में इसके प्रावधानों को वैश्विक और घरेलू स्तर पर लागू करना अभी भी एक चुनौती है। भारत जैसे देशों को नीतिगत दिशा निर्देश और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है ताकि UNCAC को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। भारत ने UNCAC को वर्ष 2011 में रेटीफाई कर दिया है। इसी संबंध में लोकपाल अधिनियम और केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रीय रणनीति (NACS) वर्ष 2010 में जारी की है। UNCAC के अनुरूप ही भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 में वर्ष 2015 में संशोधन किया गया है।
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