प्रतिवर्ष 23 मई को ‘विश्व कछुआ दिवस’ (World Turtle Day) का आयोजन किया
जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य कछुओं एवं उनके आवास के बारे में लोगों को
जागरूक करना है।
वर्ष 2000 के बाद से
प्रत्येक वर्ष एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संगठन ‘अमेरिकन टारटाईज़ रेसक्यु’ (ATR) द्वारा ‘विश्व कछुआ दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस गैर-लाभकारी संगठन को वर्ष 1990 में स्थापित
किया गया था।
माना जाता है कि यह जीव 200 मिलियन वर्ष
पूर्व डायनासोर के समय से मौजूद है। पूरी दुनिया में कछुओं की कुल 300 प्रजातियाँ हैं, जिनमें से 129 प्रजातियाँ
संकटग्रस्त हैं। वे दुनिया के सबसे पुराने सरीसृप समूहों में से एक हैं, जो साँँपों और
मगरमच्छों से भी पुराने हैं।
ज्ञात हो कि कछुए मीठे पानी या खारे पानी दोनों में
रह सकते हैं। भारत में कछुए की कुल पाँच प्रजातियाँ मौजूद हैं, ये हैं- ओलिव
रिडले, ग्रीन टर्टल, लॉगरहेड, हॉक्सबिल और
लेदरबैक।IUCN की रेड सूची में ‘हॉक्सबिल’ कछुए को 'गंभीर रूप से
लुप्तप्राय' तथा ग्रीन टर्टल
को 'लुप्तप्राय' के रूप में
सूचीबद्ध किया गया है।
भारत में पाए जाने वाले
कछुए
लेदरबैक कछुआ
(डर्मीचेरलस कोरीअसीआ)
हास्कबील कछुआ
(इरीटमोचेइलस इम्ब्रीकेट)
लागरहैड कछुआ
(केरेटा)
हरा कछुआ
(चेइलोनिआ मायडास)
ओलिव रिडले कछुआ
(लेपीडोचेइलस ओलिविसीया)
समुद्री कछुआ परियोजना
1999 में भारतीय वन्य
जीव संसथान , देहरादून मे
यूनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास प्रोग्राम ) तथा भारत के पर्यावरण,वन तथा जलवायु
परिवर्तन मंत्रालय के सम्मिलित प्रयास से समुद्री कछुआ परियोजना का आरम्भ किया
गया।
यह परियोजना
कछुओं के प्रजनन क्षेत्रो को सुरक्षित करने , अन्य प्रकार की असुविधाओं से इन क्षेत्रो का संरक्षण करने
तथा संरक्षण की आवश्यकता का ध्यान रखते हुए क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों के
लिए दशानिर्देश जारी करती है।
इसके साथ ही यह
परियोजना क्षेत्र के विकास तथा मॉनिटरिंग के लिए फण्ड जारी करता इसमें ओलिव रिडले
कछुओं के घोसलो के क्षेत्र की सैटेलाइट विधि से जांच की जाती है।
गहिरमाथा समुद्री
अभयारण्य (Gahirmatha
Marine Sanctuary)
गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य
ओडिशा में स्थित एक समुद्री वन्यजीव अभयारण्य है। यह उत्तर में धामरा नदी के
मुहाने से लेकर दक्षिण में ब्राह्मणी नदी के मुहाने तक फैला हुआ है।
यह ओलिव रिडले कछुओं के
लिए दुनिया का सबसे बड़ा घोंसला बनाने वाला समुद्र तट है। ओडिशा के केंद्रपाड़ा
जिले का गहिरमाथा समुद्र तट इन लुप्तप्राय समुद्री प्रजातियों के दुनिया के सबसे
प्रजनन और घोंसला बनाने के मैदान के रूप में जाना जाता है। गहिरमाथा के अलावा, ये जलीय जीव
रशिकुल्या नदी के मुहाने और देवी नदी के मुहाने पर भी बड़े पैमाने पर घोंसला बनाते
हैं।
ओडिशा के गहिरमाथा में
समुद्र तट पर दुनिया के सबसे छोटे समुद्री कछुओं की प्रजाति में से एक ओलिव रिडले
का आगमन प्रति वर्ष नवंबर-दिसंबर के बीच होता है तथा अप्रैल-मई तक वहाँ ठहरते हैं।
ये कछुए एक निश्चित अवधि के लिए ओडिशा के इस तट पर प्रजनन के लिए आते हैं।
ओलिव रिडले समुद्री कछुए
(Olive Ridley Sea
Turtle) के बारे में
ओलिव रिडले (Lepidochelys Olivacea) समुद्री कछुए की
एक प्रजाति है। यह दुनिया का दूसरा सबसे छोटा समुद्री कछुआ है। इसे को ‘प्रशांत ओलिव
रिडले समुद्री कछुओं’ के नाम से भी
जाना जाता है।
ये कछुए प्रशांत, हिन्द और
अटलांटिक महासागरों के गर्म जल में पाए जाने वाले माँसाहारी समुद्री कछुओं की एक
प्रजाति है।
आईयूसीएन (International Union for Conservation
of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में इन्हें अतिसंवेदनशील (Vulnerable) प्रजातियों की
श्रेणी में रखा गया है।
गौरतलब है कि ऑलिव रिडले कछुए
अपने जन्म के लगभग 30 साल बाद प्रजनन
के योग्य हो पाते हैं।
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