श्री रामचन्द्र काल और मध्यप्रदेश |श्री रामचन्द्र काल (2350 से 1950) | Ramchandra Kaal and MP

श्री रामचन्द्र काल और मध्यप्रदेश

श्री रामचन्द्र काल और मध्यप्रदेश |श्री रामचन्द्र काल  (2350 से 1950) | Ramchandra Kaal and MP


 

श्री रामचन्द्र काल  और मध्यप्रदेश  (2350 से 1950) ईसा पूर्व 


सूर्यवंश

  • पुराण तथा महाकाव्य की परम्परा से इस काल के विषय में विशद जानकारी प्राप्त होती है। कोशल तथा मध्यदेश के अन्य भाग महाकाव्य काल तक आते-आते आर्य संस्कृति एवं सभ्यता के प्रमुख केन्द्र बन चुके थे। आर्यों के दक्षिण की ओर प्रसार की प्रक्रिया को समझने में भी रामायण के अवतरण उपादेय सिद्ध होते है। 


  • पी.एल. भार्गव ने दाशरथि राम का काल 1600 ई.पू. माना है, जबकि एस. एन. प्रधान राम को 1500 ई.पू. में हुआ मानते हैं | राजा सगर के पश्चात् अयोध्या का राज्य दुर्बल हो गया। परन्तु राजा भगीरथ के काल में उसका पुनः उत्थान हुआ। भगीरथ को पुराणों में 16 प्रसिद्ध राजाओं की सूची में सम्मिलित किया गया है और उसे चक्रवर्ती और सम्राट की उपाधि दी गयी है। उसके राज्य अयोध्या की राजधानी कोशल सरयू नदी के तट पर बसी थी। उसे गंगा को पृथ्वी पर लाने का श्रेय दिया जाता है। संभवत: वह शिव और गंगा का भक्त थे।

 

सूर्यवंशी शासकों की वंशावली 

Bhagvan Ram Vansha vali



  • भगीरथ के पश्चात् उनका चतुर्थ वंशज अम्बरीश नाभागी उल्लेखनीय है। उसके शासन काल में कोशल राज्य ने और अधिक प्रगति की । इसी वंश में दिलीप खटवांग नाम का शक्तिशाली राजा हुआ जिसे दिलीप द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है। उसे भी चक्रवर्ती एवं सम्राट पद प्राप्त था। 
  • दिलीप का पुत्र रघु हुआ जिसके नाम पर सूर्यवंशी राजा 'रघुवंशी' कहलाने लगे। कहा जाता है कि रघु ने अपने दिग्विजय अभियान के द्वारा संपूर्ण पृथ्वी को जीत लिया और प्रतिष्ठित विश्वजीत यज्ञ सम्पादित किया। 
  • रघु का पुत्र अज हुआ और अज का पुत्र दशरथ हुआ जो कि एक महान् सम्राट था। दशरथ की एक पत्नी कौशल्या दक्षिण कोशल की राजकुमारी थी जो आधुनिक मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ से सम्बद्ध था। दशरथ और कौशल्या का पुत्र राम हुआ जिसकी गौरव गाथा को लेकर वाल्मीकि ने रामायण की रचना की।

 

  • रामायण में मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के प्राचीन भौगोलिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक जीवन का विवरण मुख्य घटनाक्रम के साथ मिलता है। वनवास प्राप्ति के पश्चात् राम चित्रकूट (बाँदा, जिल उत्तरप्रदेश) से दक्षिण पूर्व दिशा की ओर बढ़ते हुए दण्डकारण्य वन पहुँचे जहाँ उन्होंने अपने अधिकांश वनवास का समय व्यतीत किया। दण्डकारण्य को वर्तमान छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दण्डकारण्य क्षेत्र से समीकृत किया जाता है। वन-गमन के मार्ग का सूक्ष्म विश्लेषण करने से प्रतीत होता है कि राम, सीता और लक्ष्मण चित्रकूट से होते हुए वर्तमान मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के पन्ना, सतना, शहडोल, अनूपपुर, अम्बिकापुर, बिलासपुर, रायपुर, कांकेर, बस्तर दन्तेवाड़ा आदि जिलों से होते हुए गुजरे। प्रस्थान मार्ग में राम ने सोन और महानदी को निश्चय ही पार किया होगा। राम के वनवास काल में लंका के राजा रावण द्वारा सीता का हरण कर लिया गया जिसके परिणामस्वरूप राम ने लंका पर आक्रमण किया और रावण का वध कर दिया। माना जाता है कि रावण का राज्य संपूर्ण दण्डकारण्य में फैला था और उत्तर में उसका प्रसार अमरकण्टक तक था। रावण की लंका की भौगोलिक स्थिति को लेकर विद्वानों में मत-विभिन्नता है। लंका को गुप्तकाल के पूर्व यदा-कदा सिंहल नाम से भी अभिहित किया गया है। कुछ विद्वानों का मत है कि लंका का राज्य नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकण्टक में था। वनवास समाप्त होने पर राम अयोध्या लौट आये तथा वहाँ के राजा बने। 


  • लोकमत का सम्मान करते हुए राम ने अपनी गर्भवती पत्नी निर्दोष सीता को अयोध्या से निर्वासित कर दिया। तब सीता ने ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में शरण ली जहाँ उनके लव और कुश नामक दो पुत्र हुए। आदि कवि वाल्मीकि का आश्रम तमसा नदी के तट पर था । विद्वानों ने तमसा नदी की पहचान आधुनिक टोंस नदी के रूप में की है। राम को विष्णु का अवतार माना गया। 


  • राम के पश्चात् कुश अयोध्या का राजा बना और दूसरे पुत्र लव को कोसल का राज्य मिला। कहा जाता है कि कुश ने कुशावती नामक एक नगर बसाया था जिसकी अवस्थिति विन्ध्य पर्वतमाला के समीप आधुनिक मध्यप्रदेश में मानी जाती है। राम के छोटे भाई शत्रुघ्न का शासन विदिशा पर रहा था ।

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